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Munger firing: लॉ एंड ऑर्डर के नाम पर लिपि सिंह के किये का खामियाजा नीतीश भुगतेंगे!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 29 अक्टूबर, 2020 10:47 AM
  • 28 अक्टूबर, 2020 10:36 PM
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बिहार चुनाव (Bihar Elections) के ठीक पहले जिस तरह मुंगेर (Munger Firing) में मां दुर्गा की प्रतिमा के विसर्जन के दौरान मुंगेर पुलिस ने गोली चलाई उसने एक नयी बहस को आयाम दे दिए हैं. निशाने पर सीएम नीतीश कुमार (Nitish Kumar) हैं और निर्दोष लोगों पर गोली चलवाने के कारण मुंगेर की एसपी लिपि सिंह (Lipi Singh) की तुलना जनरल डायर से की जा रही है.

13 अप्रैल 1919 और 26 अक्टूबर 2020 दो तारीखें हैं और होने को दोनों में 101 साल का अंतर है लेकिन एक चीज जो इन दोनों ही तारीखों में कॉमन है वो है गोलीकांड. 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियांवाला बाग में रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी. ये बात अंग्रेज अफसर जनरल डायर से देखी नहीं गई और उसने मौजूद भीड़ पर ओपन फायर करने के निर्देश दे दिए. इस गोलीकांड में 400 से अधिक व्यक्ति मरे और 2000 से अधिक घायल हुए. घटना इतिहास में दर्ज है जिसे इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना माना जाता है. सवाल होगा कि आज 101 साल बाद हमें इसकी याद क्यों आई? आज क्यों दोबारा बर्बर अंग्रेज अफसर जनरल डायर का जिक्र हुआ? वजह है मुंगेर गोलीकांड (Munger Firing) और आईपीएस अधिकारी एवं मुंगेर की एसपी लिपि सिंह (SP Lipi Singh). बता दें कि मुंगेर में दुर्गा विसर्जन के लिए लोग निकले थे जिनपर गोली चली जिसमें एक युवक की मौत हुई है और 20 लोग घायल हुए हैं. सवालों के घेरे में जिले की कप्तान लिपि सिंह है जिनकी तुलना विपक्ष और आम लोग दोनों ही जनरल डायर से कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि लिपि सिंह ने ये सब मुख्यमंत्री की गुड बुक्स में रहने के लिए किया है. वहीं मामले से पुलिस ने अपना पल्ला झाड़ लिया है.

मुंगेर गोलीकांड के बाद जिले की कप्तान लिपि सिंह विपक्ष के निशाने पर हैं

क्या था पूरा मामला?

बात बीते दिन की है. मुंगेर के दीनदयाल चौक पर प्रतिमा विसर्जन के दौरान पुलिस और आम लोगों के बीच झड़प हो गई. बात लाठीचार्ज और गोली तक आई जिसमें गोली लगने से एक युवक की मौत और कई लोग घायल हुए. मामले का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है उसमें साफ़ दिख पुलिस लोगों पर बेरहमी से डंडे बरसा रही है.

मामले पर दी है पुलिस ने अपनी...

13 अप्रैल 1919 और 26 अक्टूबर 2020 दो तारीखें हैं और होने को दोनों में 101 साल का अंतर है लेकिन एक चीज जो इन दोनों ही तारीखों में कॉमन है वो है गोलीकांड. 13 अप्रैल 1919 को पंजाब के अमृतसर में स्वर्ण मन्दिर के निकट जलियांवाला बाग में रौलेट एक्ट का विरोध करने के लिए एक सभा हो रही थी. ये बात अंग्रेज अफसर जनरल डायर से देखी नहीं गई और उसने मौजूद भीड़ पर ओपन फायर करने के निर्देश दे दिए. इस गोलीकांड में 400 से अधिक व्यक्ति मरे और 2000 से अधिक घायल हुए. घटना इतिहास में दर्ज है जिसे इंसानियत को शर्मसार करने वाली घटना माना जाता है. सवाल होगा कि आज 101 साल बाद हमें इसकी याद क्यों आई? आज क्यों दोबारा बर्बर अंग्रेज अफसर जनरल डायर का जिक्र हुआ? वजह है मुंगेर गोलीकांड (Munger Firing) और आईपीएस अधिकारी एवं मुंगेर की एसपी लिपि सिंह (SP Lipi Singh). बता दें कि मुंगेर में दुर्गा विसर्जन के लिए लोग निकले थे जिनपर गोली चली जिसमें एक युवक की मौत हुई है और 20 लोग घायल हुए हैं. सवालों के घेरे में जिले की कप्तान लिपि सिंह है जिनकी तुलना विपक्ष और आम लोग दोनों ही जनरल डायर से कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि लिपि सिंह ने ये सब मुख्यमंत्री की गुड बुक्स में रहने के लिए किया है. वहीं मामले से पुलिस ने अपना पल्ला झाड़ लिया है.

मुंगेर गोलीकांड के बाद जिले की कप्तान लिपि सिंह विपक्ष के निशाने पर हैं

क्या था पूरा मामला?

बात बीते दिन की है. मुंगेर के दीनदयाल चौक पर प्रतिमा विसर्जन के दौरान पुलिस और आम लोगों के बीच झड़प हो गई. बात लाठीचार्ज और गोली तक आई जिसमें गोली लगने से एक युवक की मौत और कई लोग घायल हुए. मामले का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है उसमें साफ़ दिख पुलिस लोगों पर बेरहमी से डंडे बरसा रही है.

मामले पर दी है पुलिस ने अपनी सफ़ाई

मामला लगातार सुर्खियों में है और पुलिसिया एक्शन सवालों के घेरे में है जिसपर मुंगेर पुलिस ने अपनी सफाई में कहा है कि असामाजिक तत्वों की ओर से पथराव और फायरिंग की गई, जिसमें कई पुलिसकर्मी घायल हुए. इसके बाद बेकाबू भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने कार्रवाई की. एसपी लिपि सिंह ने मामले पर पुलिस का पक्ष रखते हुए कहा है कि जो मुंगेर में हुआ उसकी जांच की जा रही है. प्रतिमा विसर्जन के दौरान पुलिस ने हथियार, कारतूस और खोखा बरामद किया है. साथ ही लिपि सिंह ने पुलिस की गोली से लोगों के मरने और घायल होने की बात से इनकार किया है.

लिपि सिंह के कंधे पर बंदूक रख नीतीश पर हमलावर है विपक्ष

बिहार विधानसभा चुनावों के अंतर्गत पहले चरण का चुनाव अभी हुआ भी नहीं था कि मुंगेर में ये वारदात हो गयी. मामले के मद्देनजर विलेन लिपि सिंह को बनाया जा रहा है और निशाने पर सूबे के मुखिया नीतीश कुमार हैं. मामले ने राजनीतिक सरगर्मियां कैसे तेज की हैं गर जो इस बात को समझना है तो हम भाजपा और राजद को देख सकते हैं. तेजस्वी यादव ने मामले को बड़ा मुद्दा बना दिया है और मुंगेर की एसपी लिपि सिंह की तुलना जनरल डायर से की है

तेजस्वी यादव ने मामले के मद्देनजर प्रेस कांफ्रेंस की है और राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर जमकर हमला बोला है. तेजस्वी ने कहा है कि वहां पुलिस को जनरल डायर बनने की अनुमति किसने दी? उन्होंने आरोप लगाया कि 'इसके लिए आदेश कहीं न कहीं से आया था.'

तेजस्वी यादव ने मृतकों के परिवार के प्रति संवेदना जताते हुए सवाल किया है कि नीतीश कुमार और सुशील मोदी इस घटना को लेकर क्या कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि 'नीतीश कुमार, वो तो राज्य के गृहमंत्री हैं, उनको तो इसकी सूचना मिली होगी ना, वो क्या कर रहे हैं. उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी जी जो बीजेपी नेता भी हैं वो बताएं कि उन्होंने एक ट्वीट के अलावा और क्या किया है.'

तेजस्वी ने कहा कि 'वीडियो में आपने देखा होगा कि लोगों को ढूंढकर और बिठाकार पीटा जा रहा है. हमारी संवेदना उस परिवार के साथ है, जिन्होंने अपना चिराग खोया है. लेकिन सवाल यह है कि इस घटना में पूरी तरीके से बिहार की डबल इंजन की सरकार की भूमिक रही है. और जनरल डायर बनने की अनुमति किसने दी?'

वहीं बात भाजपा की तो भाजपा भले ही जेडीयू के साथ बिहार में गठबंधन में हो लेकिन बात चूंकि दुर्गा पूजा के दौरान मूर्ति विसर्जन की है तो वो भी मुखर होकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना कर रही है. साफ है कि मुंगेर में जो हुआ उसका पॉलिटिकल माइलेज बहुत और चूंकि राज्य में चुनाव है इसलिए सभी दल जी जान से मामले को भुनाने की कोशिश में लग गए हैं.

कौन हैं लिपि सिंह क्या है इनका राजनितिक कद 

मुंगेर गोलीकांड में जो शख्स इस समय मीडिया की सुर्ख़ियों है वो जिले की कप्तान लिपि सिंह हैं. लिपि सिंह को क्षेत्र में लेडी सिंघम के नाम से भी जाना जाता है. मामला प्रकाश में आने के बाद कहा यही जा रहा है कि लिपि सिंह पर सख्त से सख्त एक्शन लिया जाए और उनका निलंबन किया जाए. बात अगर लिपि सिंह की हो तो 2016 बैच की आईपीएस लिपि का राजनितिक कद भी जबरदस्त है.

अक्सर ही विवादों की भेंट चढ़ने वाली लिपि बिहार से ही ताल्लुख रखती हैं. लिपि के पिता आरपीएस सिंह भी आईपीएस थे जिन्होंने जदयू का दामन थाम लिया और वर्तमान में राज्यसभा सांसद हैं. वहीं बात लिपि पति की हो तो इनके पति सुहर्ष भगत आईएएस हैं जो बिहार के बांका में बतौर जिलाधिकारी पोस्टेड हैं.

लिपि सिंह के बारे में मशहूर है कि इन्होंने अपने पिता के कद का पूरा फायदा उठाया और ट्रेनिंग से लेकर पोस्टिंग तक ये पिता के नजदीक रहीं.

कब आईं सुर्ख़ियों में 

जैसा कि हम बता चुके हैं लिपि सिंह का विवादों से पुराना नाता है और जब बात इनके मीडिया की सुर्ख़ियों में आने पर हो तो हम उस घटना का जिक्र जरूर करना चाहेंगे जब  इन्होने 2019 मोकामा के बाहुबली अनंत सिंह के घर छापा मारा और वहां से एके 47 बरामद की. इस छापेमारी के बाद अनंत सिंह ने लिपि सिंह पर तमाम तरह के गंभीर आरोप लगाए थे और कहा था कि वो अपने पिता के निर्देश पर विपक्ष की तरह काम कर रही हैं.

नीतीश कुमार लिपि सिंह के इस एक्शन से खुश हुए थे और उन्होंने मुंगेर की कमान लिपि सिंह को सौंपी थी.

लिपि सिंह पर ये भी आरोप लगे हैं कि जब कहीं चुनाव होता है तो सम्बंधित अधिकारियों को हटा दिया जाता है और इन्हें और इनके पति को उस चुनाव को मैनेज करने के लिए नियुक्त कर दिया जाता है.

बहरहाल, क्या वाक़ई मुंगेर की स्थिति ख़राब थी? या फिर लिपि द्वारा ये एक्शन नीतीश कुमार की गुड बुक्स में रहने के लिए किया? इसका जवाब वक़्त देगा. लेकिन जो कुछ भी मुंगेर में हुआ है उसने न सिर्फ पुलिस सिस्टम को सवालों के घेरे में रखा. बल्कि लोकतंत्र को शर्मसार किया है. हम बस ये कहते हुए अपनी बात को विराम देंगे कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो ताकि निर्दोषों को इंसाफ और गुनहगारों को सजा जल्द से जल्द मिले.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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