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Bihar Election first phase: जानिये क्या कहते हैं पार्टियों के मेनिफेस्टो

    • प्रभाष कुमार दत्ता
    • Updated: 28 अक्टूबर, 2020 11:19 AM
  • 28 अक्टूबर, 2020 11:19 AM
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आने वाले बिहार विधानसभा चुनावों (Bihar Assembly Elections) के मद्देनजर यही हम अलग अलग दलों के मेनिफेस्टो (Menifesto) पर जाएं तो मिलता है कि सभी दलों ने बेरोजगारी (Unemployment) को तो बड़ा मुद्दा बनाया और रोजगार (Employment) का वादा तो किया ही है. सभी दलों ने अपने मेनिफेस्टो में महिलाओं को भी भरपूर जगह दी है.

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Assembly Elections 2020) की शुरुआत तीन चरणों में हो रही है. पहले चरण में राज्य के कुल 243 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान (Polling) होगा. बिहार चुनाव एक बहुकोणीय लड़ाई है लेकिन मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ राजग (NDA) और प्रतिद्वंद्वी महागठबंधन (Mahagathbandhan) के बीच है. 2015 में, जब राजद (RJD) और जदयू (JD) ने मिलकर बिहार विधानसभा (Bihar Elections) चुनाव लड़ा, तो उन्होंने पहले चरण की सीटों में से 48 सीटें जीती थीं. तब राजद ने 25 और जेडीयू ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार बिहार में सत्ता में हिस्सेदारी के लिए कई दलों में संघर्ष देखने को मिलेगा इसलिए स्थिति काफी जटिल है.

बिहार चुनावों के मद्देनजर माना यही जा रहा है कि तमाम प्रत्याशियों के बीच काटे की टक्कर रहेगी

तो आइये कुछ और समझने से पहले अलग अलग दलों के घोषणापत्रों को देखें और ये समझने का प्रयास करें कि दलों ने इस बार जनता से क्या वादे किये हैं.

जनता दाल यूनाइटेड 

सभी प्रमुख दलों में से, जेडीयू ने बिहार चुनाव के लिए जो घोषणापत्र जारी किया है वो सबसे आखिरी थी. अपने घोषणापत्र के लिए जेडीयू ने कहा कि, पूरे होते वादे, अब नए हैं इरादे. यह मेनिफेस्टो इस बात का प्रतिकार है जिसमें नीतीश कुमार ने 'सात निश्चय की बात की. इसमें पहला भाग 2015 में लांच किया गया था.

'सेवेन रिजॉल्यूशन' में आबादी की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सात योजनाएं शामिल हैं. इन वादों में पूरे बिहार में पाइप पेयजल की आपूर्ति, शौचालयों का निर्माण, कंक्रीट की नालियों का निर्माण और हर घर में बिजली कनेक्शन शामिल है.

'सात निश्चय' के दूसरे भाग में, नीतीश कुमार और जेडीयू ने जिस...

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 (Bihar Assembly Elections 2020) की शुरुआत तीन चरणों में हो रही है. पहले चरण में राज्य के कुल 243 निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान (Polling) होगा. बिहार चुनाव एक बहुकोणीय लड़ाई है लेकिन मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ राजग (NDA) और प्रतिद्वंद्वी महागठबंधन (Mahagathbandhan) के बीच है. 2015 में, जब राजद (RJD) और जदयू (JD) ने मिलकर बिहार विधानसभा (Bihar Elections) चुनाव लड़ा, तो उन्होंने पहले चरण की सीटों में से 48 सीटें जीती थीं. तब राजद ने 25 और जेडीयू ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी. इस बार बिहार में सत्ता में हिस्सेदारी के लिए कई दलों में संघर्ष देखने को मिलेगा इसलिए स्थिति काफी जटिल है.

बिहार चुनावों के मद्देनजर माना यही जा रहा है कि तमाम प्रत्याशियों के बीच काटे की टक्कर रहेगी

तो आइये कुछ और समझने से पहले अलग अलग दलों के घोषणापत्रों को देखें और ये समझने का प्रयास करें कि दलों ने इस बार जनता से क्या वादे किये हैं.

जनता दाल यूनाइटेड 

सभी प्रमुख दलों में से, जेडीयू ने बिहार चुनाव के लिए जो घोषणापत्र जारी किया है वो सबसे आखिरी थी. अपने घोषणापत्र के लिए जेडीयू ने कहा कि, पूरे होते वादे, अब नए हैं इरादे. यह मेनिफेस्टो इस बात का प्रतिकार है जिसमें नीतीश कुमार ने 'सात निश्चय की बात की. इसमें पहला भाग 2015 में लांच किया गया था.

'सेवेन रिजॉल्यूशन' में आबादी की बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए सात योजनाएं शामिल हैं. इन वादों में पूरे बिहार में पाइप पेयजल की आपूर्ति, शौचालयों का निर्माण, कंक्रीट की नालियों का निर्माण और हर घर में बिजली कनेक्शन शामिल है.

'सात निश्चय' के दूसरे भाग में, नीतीश कुमार और जेडीयू ने जिस बात का वादा किया है उसमें निम्न चीजें शामिल हैं.

प्रत्येक जिला और पॉलिटेक्निक संस्थानों में आईटीआई की स्थापना करके युवाओं के कौशल को बढ़ाना, सभी उप-प्रभागों में उनके रोजगार की संभावनाओं को रोशन करना.

उद्यमिता को प्रोत्साहित करने के लिए महिलाओं को अनुदान और ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 5 लाख रुपये की वित्तीय सहायता देना.

हर कृषि क्षेत्र को सिंचाई उपलब्ध कराना.

सभी लोगों और जानवरों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार

भारतीय जनता पार्टी

भाजपा और जेडीयू दोनों सत्तारूढ़ बिहार एनडीए के प्रमुख घटक हैं, लेकिन वे अलग घोषणापत्र के साथ आए हैं. भाजपा का घोषणापत्र भी एक विज़न डॉक्यूमेंट है जो अपने 11 रिज़ॉल्यूशन की घोषणा करता है. मेनिफेस्टो के मुख्य आकर्षण निम्न हैं.

एक साल के भीतर स्कूलों और कॉलेजों में 3 लाख रिक्तियों को भरने सहित 19 लाख रोजगार के अवसर पैदा करना.

उपलब्ध होने पर सभी को कोविड 19 का टीका मुहैया कराना.

1 करोड़ महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाना.

2022 तक 30 लाख लोगों को पक्के मकान उपलब्ध कराना.

मेडिकल और इंजीनियरिंग सहित सभी तकनीकी पाठ्यक्रम हिंदी भाषा में उपलब्ध कराना.

भाजपा और जदयू के मेनिफेस्टो में क्या क्या हैं मुद्दे

राष्ट्रीय जनता दल

राजद ने बिहार चुनाव घोषणापत्र को जारी करते वक़्त कहा था कि इसे महागठबंधन के सभी घटक दलों के परामर्श से तैयार किया गया है. राजद नेता तेजस्वी यादव नौकरी के वादों को लेकर आक्रामक रहे हैं. बात अगर शीर्ष वादों की हो तो वो इस प्रकार हैं-

कैबिनेट की पहली बैठक में 10 लाख सरकारी नौकरियों को मंजूरी.

आवेदन फॉर्म जमा करते समय परीक्षा शुल्क पूरी तरह से माफ किया जाना चाहिए.

परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने के लिए सरकार द्वारा यात्रा के लिए भुगतान. 

स्कूल शिक्षकों के लिए समान काम के लिए समान वेतन.

बिहार में संसद द्वारा पारित तीन कृषि बिलों को अनुचित बनाने के लिए कानून लाना.

जीविका दीदी (महिला स्वयंसेवकों) को दिया गया पारिश्रमिक दोगुना करना.

कांग्रेस

बिहार चुनाव के लिए कांग्रेस ने अपना घोषणा पत्र जारी किया. कांग्रेस का मानना है कि यह घोषणा पत्र पूरी तरह से बिहार को बदल देगा. बिहार चुनाव में कांग्रेस ने जो प्रमुख वादे किये हैं वो इस तरह हैं.

सभी किसानों और गरीबों को मुफ्त बिजली.

किसानों के लिए पूर्ण ऋण माफी.

किसानों को फसलों के लिए पर्याप्त मूल्य सुनिश्चित करना.

संसद द्वारा हाल ही में बिहार में निरस्त किए जाने वाले फार्म बिल.

बेरोजगारों को नौकरी मिलने तक 15,000 रुपये प्रति माह का बेरोजगारी भत्ता.

विधवाओं के लिए पेंशन योजना उन्हें 1,000 रुपये प्रति माह सुनिश्चित करती है.

बिहार चुनाव के मद्देनजर कैसे अलग हैं आरजेडी और एलजेपी के मुद्दे

लोक जनशक्ति पार्टी

लोकसभा सांसद चिराग पासवान के नेतृत्व वाले लोजपा ने बिहार चुनाव में सबसे ज्यादा शोर मचाया है. बिहार चुनाव के लिए पासवान ने अपनी पार्टी का एक विज़न डॉक्यूमेंट जारी किया है जो कि इस प्रकार है.

सरकार की नीति जो बिहार प्रथम बिहारी प्रथम मंत्र पर केंद्रित है.

सभी महिलाओं के लिए मुफ्त बस यात्रा.

समान काम के लिए समान वेतन.

सरकारी कार्यालयों में सभी रिक्त पदों को फ़ौरन ही भरा जाए.

युवा आयोग का गठन.

भगवान राम की पत्नी सीता की जन्मस्थली सीतामढ़ी में एक भव्य सीता माता मंदिर का निर्माण.

बिहार में अत्याधुनिक कैंसर अस्पतालों की स्थापना.

प्लुरल्स पार्टी 

नवोदित राजनेता पुष्पम प्रिया के निर्देशन में बनी प्लुरल्स पार्टी ने सोशल मीडिया पर चुनावी समर में बिहार की जमीन पर शोर मचा दिया है. पार्टी ने कहा है कि बिहार में गुजरे  30 सालों से किसी तरह का कोई विकास नहीं हुआ है. पार्टी ने वादा किया है कि 

सरकारी क्षेत्र में 8 लाख सहित 88 लाख नौकरियां.

बिहार में "नकली" निषेध को समाप्त करना.

बेगूसराय में कानून विश्वविद्यालय की स्थापना.

बिहार को ग्लोबल टूरिज्म हब बनाना. 

समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित करना. 

आठ विकास क्षेत्र बनाएं जाएंगे, जिनमें से प्रत्येक में आठ औद्योगिक क्षेत्र होंगे, प्रत्येक क्षेत्र में 1 लाख स्टार्ट-अप होंगे.

अन्य दल और गठबंधन भी अपने अलग घोषणापत्र के साथ आए हैं. हर घोषणापत्र युवाओं को रोजगार, गरीबों को सुरक्षा और बिहार में विकास लाने का वादा करता है. हालांकि, किसी भी दल ने इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि आखिर अपने संबंधित घोषणापत्र में किए गए वादों को साकार करने के लिए धन की व्यवस्था कैसे की जाएगी.

बिहार चुनाव का एक और दिलचस्प पहलू यह है कि जब चुनावों की घोषणा की गई, तो यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, और लोजपा प्रमुख चिराग पासवान, जो बिहार एनडीए के भीतर बगावत कर चुके थे, के बीच मुकाबला माना जा रहा था. लेकिन जब बिहार पहले चरण में मतदान करने की तैयारी कर रहा है, तब विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार बनाम तेजस्वी यादव की पृष्ठभूमि में है और कहीं न कहीं इसमें लालू प्रसाद की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.

बिहार में अगली सरकार के लिए उलटी गिनती कल 28 अक्टूबर को शुरू होगी, जब 16 जिलों की 71 सीटों पर सुबह 7 बजे से मतदान होंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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