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8 बम, गन पाउडर और डेटोनेटर ! सनातन संस्था का सच हमारे सामने है

    • आलोक रंजन
    • Updated: 12 अगस्त, 2018 12:22 PM
  • 12 अगस्त, 2018 12:22 PM
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सनातन संस्था के सदस्य वैभव राउत के घर और दुकान पर हुई छापेमारी से अवश्य ही उन लोगों को बल मिलेगा जो लम्बे समय से इस संगठन पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे थे.

सनातन संस्था एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गयी हैं. इस बार विवाद संस्था के सदस्य वैभव राउत से जुड़ा है. मुंबई के नालासोपारा में एटीएस ने वैभव राउत के घर और दुकान पर छापेमारी की, इस दौरान करीब 8 बम बरामद किए गए. साथ ही डेटोनेटर और बम बनाने की सामग्री भी मिली है. सनातन संस्था का गठन 1990 में जयंत बालाजी अठावले द्वारा किया गया था . यह संस्था मुख्यत आध्यात्म, शिक्षा और धर्म के क्षेत्र में काम करती है. सनातन संस्थान के कार्यकर्ताओं पर पहले भी कई आरोप लगते रहे हैं. इसके संस्थापक जयंत बालाजी अठावले खुद पेशे से हिप्नोथिरेपिस्ट यानी सम्मोहन कला के विशेषज्ञ हैं. गोवा की राजधानी पणजी से करीब 28 किलोमीटर दूर एक गांव में सनातन संस्था का मुख्यालय है.

सनातन संस्था, बम, गिरफ्तारी, पुलिस, महाराष्ट्र

पिछले कुछ सालों से संस्था लगातार विवादों में है. इस संस्था को लेकर भारी बहस भी चली थी कि इसे आतंकी संगठन घोषित किया जाए या नहीं. इस संस्था को प्रतिबन्ध करने को लेकर भी विवाद की स्थिति बनी. अप्रैल 2017 में महाराष्ट्र विधान परिषद को जानकारी देते हुए ये कहा गया था कि  राज्य सरकार ने सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र को एक प्रस्ताव भी भेजा था. तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्याओं में कथित भूमिका को लेकर हिंदुत्ववादी संगठन सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की मांग महाराष्ट्र के कई लोग, संस्था और राजनीतिक पार्टिया कर रही हैं.

पहले क्या आरोप लगे हैं?

इस संस्थान से जुड़े लोगों की गिरफ़्तारी 2007 में घटित वाशी, ठाणे, पनवेल और 2009 में गोवा बम धमाके के लिए हुई थी. सनातन संस्था का नाम नरेंद्र दाभोलकर, एमएम कलबुर्गी, गोविंद पानसरे और गौरी लंकेश की हत्या से भी जुड़ा है. महाराष्ट्र पुलिस और सीबीआई जो इन केस का...

सनातन संस्था एक बार फिर विवादों के घेरे में आ गयी हैं. इस बार विवाद संस्था के सदस्य वैभव राउत से जुड़ा है. मुंबई के नालासोपारा में एटीएस ने वैभव राउत के घर और दुकान पर छापेमारी की, इस दौरान करीब 8 बम बरामद किए गए. साथ ही डेटोनेटर और बम बनाने की सामग्री भी मिली है. सनातन संस्था का गठन 1990 में जयंत बालाजी अठावले द्वारा किया गया था . यह संस्था मुख्यत आध्यात्म, शिक्षा और धर्म के क्षेत्र में काम करती है. सनातन संस्थान के कार्यकर्ताओं पर पहले भी कई आरोप लगते रहे हैं. इसके संस्थापक जयंत बालाजी अठावले खुद पेशे से हिप्नोथिरेपिस्ट यानी सम्मोहन कला के विशेषज्ञ हैं. गोवा की राजधानी पणजी से करीब 28 किलोमीटर दूर एक गांव में सनातन संस्था का मुख्यालय है.

सनातन संस्था, बम, गिरफ्तारी, पुलिस, महाराष्ट्र

पिछले कुछ सालों से संस्था लगातार विवादों में है. इस संस्था को लेकर भारी बहस भी चली थी कि इसे आतंकी संगठन घोषित किया जाए या नहीं. इस संस्था को प्रतिबन्ध करने को लेकर भी विवाद की स्थिति बनी. अप्रैल 2017 में महाराष्ट्र विधान परिषद को जानकारी देते हुए ये कहा गया था कि  राज्य सरकार ने सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने के लिए केंद्र को एक प्रस्ताव भी भेजा था. तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे की हत्याओं में कथित भूमिका को लेकर हिंदुत्ववादी संगठन सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने की मांग महाराष्ट्र के कई लोग, संस्था और राजनीतिक पार्टिया कर रही हैं.

पहले क्या आरोप लगे हैं?

इस संस्थान से जुड़े लोगों की गिरफ़्तारी 2007 में घटित वाशी, ठाणे, पनवेल और 2009 में गोवा बम धमाके के लिए हुई थी. सनातन संस्था का नाम नरेंद्र दाभोलकर, एमएम कलबुर्गी, गोविंद पानसरे और गौरी लंकेश की हत्या से भी जुड़ा है. महाराष्ट्र पुलिस और सीबीआई जो इन केस का अवलोकन कर रही हैं, ने पूर्व में इसके संस्थापक जयंत बालाजी अठावले से पूछताछ की थी.

हालांकि दिसंबर 2015 में गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने राज्यसभा को लिखित उत्तर में यह जानकारी दी थी कि गोविंद पंसारे, नरेंद्र दाभोलकर और एमएम कलबुर्गी की हत्याओं के बीच किसी भी प्रकार के संबंध का पता चलता हो. इन हत्याओं में कोई संबंध नहीं हैं. साथ में उन्होंने यह भी कहा था की वर्तमान में दक्षिणपंथी संगठन सनातन संस्था पर प्रतिबंध लगाने का कोई प्रस्ताव नहीं है.

पुलिस को सनातन संस्था के सदस्य वैभव राउत के घर से 8 बम और डेटोनेटर मिले हैं

भारत को हिंदू राष्ट्र बनाने का दावा करने वाली ये संस्था इस तरह के कई विवादों के कारण तर्कशास्त्रियों और लोगो के निशाने में रही है. आम लोगों के जहन में ये सवाल उठने लगे हैं इतने आरोपों के बाद भी सनातन संस्था को अभी तक प्रतिबंधित क्यों नहीं किया जा रहा है.

हाल के दिनों में हिन्दू आतंकवाद को लेकर पूरे देश में गहमागमी रही है. मक्का मस्जिद ब्लास्ट केस, मालेगांव ब्लास्ट केस, अजमेर ब्लास्ट केस और समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट केस जैसे मामलों में हिन्दू संगठनों और लोगों का नाम सामने भी आया है. कई में वे बरी भी हो गए और कई केस अभी भी चल रहे हैं. वैभव राउत की गिरफ़्तारी के बाद ये सवाल फिर उठने लगेंगे की क्या जो बम और डेटोनेटर पाए गए हैं उसे किसी खास मकसद के लिए रखा गया था.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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