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वॉटर कैनन से लड़ते, बैरिकेड्स पर चढ़ते दिग्विजय सिंह तो राहुल के लिए प्रेरणा हैं

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 13 जुलाई, 2021 07:57 PM
  • 13 जुलाई, 2021 07:57 PM
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भोपाल में एक प्रदर्शन के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह वॉटर कैनन के बीच पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स पर चढ़ते नजर आए हैं. दिग्विजय के इस अंदाज को कोई देखे न देखे. प्रतिक्रिया दे न दे. मगर दिग्विजय सिंह के इस वीडियो को राहुल गांधी समेत कांग्रेस के आरामतलब नेताओं को ज़रूर देखना चाहिए और हो सके तो प्रेरणा लेनी चाहिए.

2014 के आम चुनाव से पहले देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों और जनसभाओं पर गौर करिये. यदि उन रैलियों का विश्लेषण आज किया जाए तो कई बातें हमें हैरत में डाल देंगी. मिलेगा कि ज्यादातर रैलियों में नरेंद्र मोदी ने न केवल कांग्रेस को मां बेटे की पार्टी कहा था बल्कि कहीं न कहीं ये भी संदेश दिया था कि जब बात मुद्दों की राजनीति की आएगी तो कांग्रेस उसे करने में असमर्थ होगी. 14 के बाद 19 में भी हार का मुंह देखने वाली कांग्रेस को कुछ बड़े सबक मिले हों लेकिन बात फिर वही रही कि कांग्रेस पार्टी मुद्दों को भुनाने में कच्ची है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और 19 के चुनाव में मिली शर्मनाक हार के बाद अपना इस्तीफा देकर आलोचकों की आलोचना का शिकार हुए राहुल गांधी की तरफ से मुद्दे तो बखूबी उठाए जाते हैं मगर जल्द ही वो उन्हें छोड़ देते हैं. वहीं एक पार्टी के रूप में कांग्रेस पार्टी की हालत राहुल गांधी से भी बुरी है आरामतलबी का लेवल कुछ ऐसा है कि कांग्रेस का नेता ट्विटर और फेसबुक पर तो थोड़ी बहुत राजनीति कर भी लेता है मगर जब बात ग्राउंड जीरो पर आने की होती है तो मामला देखते बनता है. चूंकि आदत होती नहीं है तो कांग्रेस के प्रदर्शनों में दिशा, दशा, नेतृत्व तीनों का आभाव रहता है. कांग्रेस और कांग्रेसी नेताओं के राजनीति करने के तरीके से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी वाकिफ हैं मगर उनके अंदाज जुदा हैं. उनके पास हिम्मत है और लगन भी.

अब वक़्त आ गया है कि दिग्विजय सिंह जैसा अंदाज ही कांग्रेस को अपने विरोध प्रदर्शनों में अपनाना चाहिए

जैसा इन दिनों दिग्विजय सिंह का अंदाज है कहना गलत नहीं है कि हिम्मत ही वो कारण है जिसके चलते न तो उन्होंने वाटर कैनन की परवाह की. न ही उन्होंने बैरिकेड पर चढ़ने से गुरेज किया. भोपाल में एक प्रदर्शन में...

2014 के आम चुनाव से पहले देश के वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियों और जनसभाओं पर गौर करिये. यदि उन रैलियों का विश्लेषण आज किया जाए तो कई बातें हमें हैरत में डाल देंगी. मिलेगा कि ज्यादातर रैलियों में नरेंद्र मोदी ने न केवल कांग्रेस को मां बेटे की पार्टी कहा था बल्कि कहीं न कहीं ये भी संदेश दिया था कि जब बात मुद्दों की राजनीति की आएगी तो कांग्रेस उसे करने में असमर्थ होगी. 14 के बाद 19 में भी हार का मुंह देखने वाली कांग्रेस को कुछ बड़े सबक मिले हों लेकिन बात फिर वही रही कि कांग्रेस पार्टी मुद्दों को भुनाने में कच्ची है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष और 19 के चुनाव में मिली शर्मनाक हार के बाद अपना इस्तीफा देकर आलोचकों की आलोचना का शिकार हुए राहुल गांधी की तरफ से मुद्दे तो बखूबी उठाए जाते हैं मगर जल्द ही वो उन्हें छोड़ देते हैं. वहीं एक पार्टी के रूप में कांग्रेस पार्टी की हालत राहुल गांधी से भी बुरी है आरामतलबी का लेवल कुछ ऐसा है कि कांग्रेस का नेता ट्विटर और फेसबुक पर तो थोड़ी बहुत राजनीति कर भी लेता है मगर जब बात ग्राउंड जीरो पर आने की होती है तो मामला देखते बनता है. चूंकि आदत होती नहीं है तो कांग्रेस के प्रदर्शनों में दिशा, दशा, नेतृत्व तीनों का आभाव रहता है. कांग्रेस और कांग्रेसी नेताओं के राजनीति करने के तरीके से मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी वाकिफ हैं मगर उनके अंदाज जुदा हैं. उनके पास हिम्मत है और लगन भी.

अब वक़्त आ गया है कि दिग्विजय सिंह जैसा अंदाज ही कांग्रेस को अपने विरोध प्रदर्शनों में अपनाना चाहिए

जैसा इन दिनों दिग्विजय सिंह का अंदाज है कहना गलत नहीं है कि हिम्मत ही वो कारण है जिसके चलते न तो उन्होंने वाटर कैनन की परवाह की. न ही उन्होंने बैरिकेड पर चढ़ने से गुरेज किया. भोपाल में एक प्रदर्शन में शामिल हुए दिग्विजय सिंह ने राहुल गांधी समेत कांग्रेस पार्टी के तमाम आरामतलब नेताओं को बता दिया है कि यदि हिम्मत हो तो अकेला चना भाड़ फोड़कर परिणाम अपने पक्ष में कर सकता है.

ध्यान रहे कि मध्य प्रदेश के भोपाल में वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह पर एक प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने न केवल वाटर कैनन का इस्तेमाल किया बल्कि उनकी पुलिस के साथ तीखी बहस भी हुई है. हम दिग्विजय सिंह की शान में कसीदे यूं ही नहीं रच रहे तारीफ करने के पीछे हमारे पास माकूल वजहें हैं. आइये सबसे पहले मामला समझ लें.

क्या था मामला

दरअसल हुआ कुछ यूं है कि भोपाल के गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में एक पार्क की ज़मीन को निजी संस्था को देने का कांग्रेस नेता विरोध करने पहुंचे थे. दिग्विजय सिंह के लिए ये अपनी राजनीति चमकाने का बड़ा मौका था. अतः पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी मौके पर पहुंचे. बीते दिन ही यहां संस्था के कार्यालय का भूमिपूजन हुआ, जिसका कांग्रेस पार्टी ने विरोध किया.

प्रदर्शन के नाम पर अराजकता न फैले इसलिए भोपाल पुलिस और प्रशासन की तरफ से यहां बैरिकेडिंग की गई थी. पुलिस द्वारा लगाए गए इन बेरिकेड्स का उद्देश्य कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रोकना था. चूंकि प्रदर्शन का नेतृत्व स्वयं दिग्विजय सिंह कर रहे थे इसलिए मौके पर अफरा तफरी का माहौल था इसलिए स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को वाटर कैनन का इस्तेमाल करना पड़ा.

क्योंकि मामले को कांग्रेस पार्टी की तरफ से खूब हाई लाइट किया जा रहा है तो एमपी कांग्रेस भी कहां मौके पर चौका मारने से चूकने वाला था. एमपी कांग्रेस ने ट्वीट किया है कि शिवराज का दमन. पार्क की ज़मीन आरएसएस को देने का विरोध करने पहुंचे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह जीजी एवं अन्य वरिष्ठ नेताओं पर शिवराज ने वॉटर कैनन का उपयोग कर ब्रिटिश राज की याद दिला दी. शिवराज जी, प्रदर्शन लोकतंत्र में प्रदत्त अधिकार है, आपके दमन से कांग्रेसी डरने वाले नहीं.

जमीन के संदर्भ में पूर्व मुख्यमंत्री मध्य प्रदेश दिग्विजय सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. दिग्विजय सिंह के अनुसार नियम कायदों को ताक पर रखते हुए प्रशासन ने दबाव में आकर पार्क की ज़मीन संस्था को दे दी है. जिसका विरोध इंडस्ट्रियल एरिया एसोसिएशन के लोग भी कर रहे है. भले ही आज भूमिपूजन हो गया हो लेकिन कांग्रेस आने वाले दिनों में शिलान्यास का पत्थर आकर तोड़ देगी.

भोपाल में घटित इस घटना में मामला कांग्रेस बनाम बीजेपी तो था ही साथ ही यहां लड़ाई दिग्विजय सिंह बनाम शिवराज सिंह चौहान है तो घटना के बाद पुलिस भी हरकत में आई है और दिग्विजय समेत कांग्रेस के 10 बड़े नेताओं और 200 कार्यकर्ताओं के खिलाफ भोपाल में एफआईआर हुई है. दिग्विजय और बाकी लोगों पर आरोप है कि उन्होंने प्रशासनिक गाइडलाइन के बावजूद धरने को अंजाम दिया और शासकीय आदेशों का उल्लंघन किया .

बताते चलें कि दिग्विजय पर आपदा प्रबंधन की धारा 188, 147 के तहत मामला दर्ज हुआ है. घटना के मद्देनजर पुलिस का कहना यही है कि वीडियो फुटेज के आधार पर प्रदर्शनकारियों की पहचान की जाएगा और उनके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा.

मामला कितना सीरियस है? अभी इसपर आगे क्या क्या और कितनी राजनीति होगी? क्या इस घटना के जरिये दिग्विजय सिंह खोया विश्वास अर्जित करने में कामयाब होंगे? सवालों की लंबी फेहरिस्त है जिनके जवाब वक़्त की गर्त में छिपे हैं. लेकिन जो रॉबिन हुड जैसा अंदाज एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का है वो खासा दिलचस्प है.

कह सकते हैं कि इसे कोई देखे न देखे. इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दे न दे मगर उम्र के इस पड़ाव में भोपाल में पुलिस से भिड़ते और बैरोकेड पर चढ़ते दिग्विजय सिंह के इस वीडियो को राहुल गांधी समेत कांग्रेस के आरामतलब नेताओं को ज़रूर देखना चाहिए और हो सके तो इससे प्रेरणा लेनी चाहिए.

राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी दोनों को याद रखना होगा कि राजनीति ट्विटर पर ट्वीट करने से नहीं बल्कि ऐसे ही होती है. यदि भविष्य में भोपाल की तर्ज पर अन्य जगहों पर भी पार्टी और पार्टी के नेता ऐसी गतिविधियों को अंजाम देते हैं तो शायद पार्टी अपना खोया गौरव हासिल करने में कामयाब हो जाए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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