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कर्ज माफी तो नहीं लेकिन उसकी काट में छुपा है मोदी का हर दांव

    • आईचौक
    • Updated: 05 जनवरी, 2019 07:55 PM
  • 05 जनवरी, 2019 07:55 PM
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मोदी सरकार किसान कल्याण स्कीम पर जोर शोर से जुटी हुई है. अब तक तो ऐसा नहीं लगा है कि कर्ज माफी को लेकर कोई प्लान है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान से इतना तो लगता है किसानों को कुछ बड़ा मिलने वाला है.

2019 को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्या इरादा है ये तो साल के पहले ही दिन मालूम हो गया था. गुरदासपुर रैली के बाद से प्रधानमंत्री मोदी पिछले 24 घंटे में असम और मणिपुर से लेकर झारखंड और ओडिशा तक का दौरा कर चुके हैं. हर दौरे में बाकी मुद्दों के अलावा दो चीजों का जिक्र जरूर और जोर शोर से कर रहे हैं - एक कांग्रेस शासन के रक्षा सौदे और दूसरा, किसानों की समस्याएं. रक्षा सौदों को लेकर कांग्रेस को घेरने की बड़ी वजह राहुल गांधी का राफेल डील को लेकर लगातार हमलावर रूख है. किसान कर्जमाफी के जिक्र के पीछे तीन राज्यों में बीजेपी की हार खास वजह है.

एक सभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब से राजदार मिशेल वापस लाया गया है, तब से कांग्रेस के नामदार के चेहरे की रौनक चली गई. उनकी आंखें फटी-फटी हैं और वो अनाप-शनाप बोल रहे हैं. फिर मोदी समझाते हैं, 'चौकीदार के कारण आज लोग परेशान हैं... चौकीदार मजबूती से खड़ा है, जिसके चलते भ्रष्टाचारियों और राजदारों को दिक्कत हो रही है... जितने भी राजदार विदेश में घूम रहे हैं, उनको वापस लाया जाएगा और राज उगलवाए जाएंगे.' किसानों की समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री कर्ज माफी की चर्चा करना नहीं भूलते - और उसमें कांग्रेस की राजनीति समझाते हैं.

कर्ज माफी की धारणा खत्म करना चाहते हैं मोदी

कर्ज माफी के नाम पर कांग्रेस को वोट देकर किसानों ने अपनी समस्याएं मुख्यधारा की राजनीति से तो जोड़ ही दिया है. कर्ज माफी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के मन में जो भी बात चल रही हो, एक बात तो पक्की है जहां कहीं भी पहुंचते हैं किसान और कर्ज माफी की चर्चा जरूर करते हैं. पहली कोशिश तो प्रधानमंत्री मोदी की यही होती है कि जैसे भी हो किसानों का कांग्रेस से मोहभंग हो सके. इसके लिए वो बीजेपी और कांग्रेस की नीतियों का फर्क समझाते हैं.

1. वोट बैंक या अन्नदाता: प्रधानमंत्री मोदी लोगों को समझाते हैं कि उनकी सरकार किसानों को अन्नदाता की तरह देखती है, जबकि कांग्रेस उन्हें सिर्फ एक वोट बैंक समझती है. मोदी बताते...

2019 को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का क्या इरादा है ये तो साल के पहले ही दिन मालूम हो गया था. गुरदासपुर रैली के बाद से प्रधानमंत्री मोदी पिछले 24 घंटे में असम और मणिपुर से लेकर झारखंड और ओडिशा तक का दौरा कर चुके हैं. हर दौरे में बाकी मुद्दों के अलावा दो चीजों का जिक्र जरूर और जोर शोर से कर रहे हैं - एक कांग्रेस शासन के रक्षा सौदे और दूसरा, किसानों की समस्याएं. रक्षा सौदों को लेकर कांग्रेस को घेरने की बड़ी वजह राहुल गांधी का राफेल डील को लेकर लगातार हमलावर रूख है. किसान कर्जमाफी के जिक्र के पीछे तीन राज्यों में बीजेपी की हार खास वजह है.

एक सभा में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जब से राजदार मिशेल वापस लाया गया है, तब से कांग्रेस के नामदार के चेहरे की रौनक चली गई. उनकी आंखें फटी-फटी हैं और वो अनाप-शनाप बोल रहे हैं. फिर मोदी समझाते हैं, 'चौकीदार के कारण आज लोग परेशान हैं... चौकीदार मजबूती से खड़ा है, जिसके चलते भ्रष्टाचारियों और राजदारों को दिक्कत हो रही है... जितने भी राजदार विदेश में घूम रहे हैं, उनको वापस लाया जाएगा और राज उगलवाए जाएंगे.' किसानों की समस्याओं को लेकर प्रधानमंत्री कर्ज माफी की चर्चा करना नहीं भूलते - और उसमें कांग्रेस की राजनीति समझाते हैं.

कर्ज माफी की धारणा खत्म करना चाहते हैं मोदी

कर्ज माफी के नाम पर कांग्रेस को वोट देकर किसानों ने अपनी समस्याएं मुख्यधारा की राजनीति से तो जोड़ ही दिया है. कर्ज माफी को लेकर प्रधानमंत्री मोदी के मन में जो भी बात चल रही हो, एक बात तो पक्की है जहां कहीं भी पहुंचते हैं किसान और कर्ज माफी की चर्चा जरूर करते हैं. पहली कोशिश तो प्रधानमंत्री मोदी की यही होती है कि जैसे भी हो किसानों का कांग्रेस से मोहभंग हो सके. इसके लिए वो बीजेपी और कांग्रेस की नीतियों का फर्क समझाते हैं.

1. वोट बैंक या अन्नदाता: प्रधानमंत्री मोदी लोगों को समझाते हैं कि उनकी सरकार किसानों को अन्नदाता की तरह देखती है, जबकि कांग्रेस उन्हें सिर्फ एक वोट बैंक समझती है. मोदी बताते हैं कि भाजपा और कांग्रेस में ये सबसे बड़ा अंतर है.

2. कर्ज लेने की जरूरत क्यों पड़ी: प्रधानमंत्री मोदी ये भी समझाते हैं कि कांग्रेस शासन की लापरवाही के चलते ही किसानों का बुरा हाल हो रखा है. मोदी पूछते हैं - कांग्रेस की सरकारों ने समय रहते किसान हितों की परियोजनाओं को पूरा कर दिया होता तो आज किसानों को कर्ज लेने की जरूरत नहीं पड़ती.

3. गुमराह कर रही है कांग्रेस: फिर मोदी बताते हैं कि पहले तो कांग्रेस ने किसानों को कर्ज लेने पर मजबूर किया और अब कर्ज माफी के नाम पर उनको गुमराह कर रही है.

कर्ज माफी न सही, पर किसानों को मोदी सरकार से सौगात मिलने वाली है

दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी कर्ज माफी को लेकर अब तक बनी धारणा खत्म करना चाहते हैं. मोदी लोगों को ये बताना चाहते हैं कि कर्ज माफी की जगह ऐसे बहुतेरे उपाय हैं जिनके दूरगामी नतीजे हो सकते हैं और किसानों की समस्याओं का स्थाई समाधान निकल सकता है.

और भी रास्ते हैं किसानों के कल्याण के

किसानों के अच्छे दिन लाने के लिए कर्ज माफी ही एक मात्र इलाज नहीं है, ऐसा समझाते हुए मोदी एक रैली में कहते हैं, 'देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए देश के किसानों को ताकतवर बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं... हम किसानों और देश की सेवा को अपना धर्म मानकर कार्य कर रहे हैं... बीच से बाजार तक नई व्यवस्था खड़ी करके हम किसान को सशक्त कर रहे हैं.'

लगे हाथ प्रधानमंत्री मोदी ये भी बता देते हैं कि वो चाहें तो कर्ज माफी उनके लिए कोई ज्यादा मुश्किल काम नहीं हैं. मोदी कहते हैं, 'अगर किसानों को वोट बैंक का हिस्सा बनाकर रखना होता तो मेरे लिए काफी आसान था... एक लाख करोड़ की विभिन्न योजनाओं की जगह इतने की कर्ज माफी करके किसानों में बांट देता, लेकिन इससे सिर्फ इस पीढ़ी का भला होता... लेकिन योजनाओं से पांच-पांच पीढ़ियों का भला होगा.'

मोदी के इस बयान के बीच खबर आ रही है कि दो हफ्ते के भीतर कैबिनेट किसानों के लिए राहत पैकेज पर फैसला ले सकती है. देश में चार ऐसे राज्य हैं किसानों कर्ज की समस्या से निजात दिलाने के लिए सिस्टम तैयार किया गया है. मोदी सरकार के सामने भी इस मामले में दो मॉडल ऐसे हैं जो ज्यादा व्यावहारिक लगते हैं - एक ओडिशा मॉडल और दूसरा तेलंगाना मॉडल.

सूत्रों के हवाले से आयी खबर के मुताबिक केंद्र सरकार किसानों के खाते में सीधे ₹10 हजार भेजने की योजना पर विचार कर रही है. ओडिशा में लागू इस स्कीम पर ₹1.4 लाख करोड़ का खर्च आता है. दूसरा तेलंगाना मॉडल है जिसमें किसानों को साल में दो बार प्रति एकड़ ₹4 हजार दिये जाते हैं. जो भी स्कीम आये, ये रकम किसानों को बीज, उर्वरक और खेती के सामान खरीदने के लिए दिये जाएंगे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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