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मप्र में फफक-फफक कर रोता किसान बता रहा है क‍ि कर्ज माफी सिर्फ छलावा ही था

    • पारुल चंद्रा
    • Updated: 01 जनवरी, 2019 11:49 AM
  • 01 जनवरी, 2019 11:46 AM
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कहते हैं पुरुषों के लिए रोना आसान नहीं होता. वो अंदर से मजबूत होते हैं. लेकिन खेत में मेहनत करने वाले किसानों के दिल शायद अब बहुत कमजोर हो चुके हैं. कलेक्टर के पैरों में गिरकर रो रहे किसान का ये वीडियो किसानों का सच बता रहा है.

मध्यप्रदेश में किसानों का कर्ज माफ हो गया. इसके लिए राजनीति गर्म हुई, लोगों ने कर्जमाफी के नुकसान भी बताए, लेकिन कर्जमाफी से किसानों की सेहत पर कितना फर्क पड़ जाएगा? परेशानियां हर मोड़ पर किसानों का इंतजार करती हैं. आज एक किसान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार चाहे कितने ही कर्ज माफ कर दे, लेकिन हमारे देश के किसानों का दशा बदलने नहीं वाली.

मामला मध्यप्रदेश के शिवपुरी का है. एक 30 साल का युवा किसान जिला कलेक्टर के पैरों में गिरकर रो रहा है. उसकी बेबसी उसे फफक-फफक कर रोने को मजबूर कर रही है, उसके शब्दों से उसकी परेशानी को समझा जा सकता है.

किसान कलेक्टर के पैरों में गिरकर रो पड़ा...लेकिन उनका दिल न पसीजा

ये किसान अपने खेत में बिजली का कनेक्शन लगवाने की अर्जी लेकर जिला कलेक्टर से मिलने उनके दफ्तर गया था. दोपहर दो बजे तक मुलाकात के लिए इंतजार भी किया. लेकिन जिला कलेक्टर ने उसे मिलने का समय ही नहीं दिया. जब कलेक्टर बाहर जाने के लिए ऑफिस से निकलीं तो किसान के सब्र का बांध टूट गया. कलेक्टर ने चलते-चलते बात सुनी भी और रटे रटाए लहजे में कह दिया कि यहीं बैठो किसी को भेजकर जांच करवाई जाएगी.

गौर से देखें तो किसान के हाथों में सूखी हुई घास नजर आ रही है. ये घास उसके खेत की है, जो पानी नहीं होने की वजह से सूख रही है. ट्रांसफार्मर के लिए 6 महीने से सुपरवाइज़र को 40 हजार रुपए दे रखे हैं जिससे 5 हार्स पॉवर का कनेक्शन मिल जाए, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई.

मध्यप्रदेश में किसानों का कर्ज माफ हो गया. इसके लिए राजनीति गर्म हुई, लोगों ने कर्जमाफी के नुकसान भी बताए, लेकिन कर्जमाफी से किसानों की सेहत पर कितना फर्क पड़ जाएगा? परेशानियां हर मोड़ पर किसानों का इंतजार करती हैं. आज एक किसान का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है. जिसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सरकार चाहे कितने ही कर्ज माफ कर दे, लेकिन हमारे देश के किसानों का दशा बदलने नहीं वाली.

मामला मध्यप्रदेश के शिवपुरी का है. एक 30 साल का युवा किसान जिला कलेक्टर के पैरों में गिरकर रो रहा है. उसकी बेबसी उसे फफक-फफक कर रोने को मजबूर कर रही है, उसके शब्दों से उसकी परेशानी को समझा जा सकता है.

किसान कलेक्टर के पैरों में गिरकर रो पड़ा...लेकिन उनका दिल न पसीजा

ये किसान अपने खेत में बिजली का कनेक्शन लगवाने की अर्जी लेकर जिला कलेक्टर से मिलने उनके दफ्तर गया था. दोपहर दो बजे तक मुलाकात के लिए इंतजार भी किया. लेकिन जिला कलेक्टर ने उसे मिलने का समय ही नहीं दिया. जब कलेक्टर बाहर जाने के लिए ऑफिस से निकलीं तो किसान के सब्र का बांध टूट गया. कलेक्टर ने चलते-चलते बात सुनी भी और रटे रटाए लहजे में कह दिया कि यहीं बैठो किसी को भेजकर जांच करवाई जाएगी.

गौर से देखें तो किसान के हाथों में सूखी हुई घास नजर आ रही है. ये घास उसके खेत की है, जो पानी नहीं होने की वजह से सूख रही है. ट्रांसफार्मर के लिए 6 महीने से सुपरवाइज़र को 40 हजार रुपए दे रखे हैं जिससे 5 हार्स पॉवर का कनेक्शन मिल जाए, लेकिन अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई.

किसान के हाथ में सूखी हुई घास देखी जा सकती है. उसे डर था कि कहीं फसल भी इसी तरह सूख न जाए.

किसान के हाथों में सूखी हुई घास उसके डर को बढ़ा रही थी, कि कहीं उसकी फसल भी इस घास की तरह सूख न जाए. अगर फसल बर्बाद हो गई तो परिवार भूखों मरने के कगार पर पहुंच जाएगा. उसका डर ही कलेक्टर के ऑफिस तक ले गया और जब उसने कलेक्टर को जाते देखा और उसे लगा कि उसकी सुनवाई नहीं हो रही तो वो रो पड़ा. यहां खास बात ये भी है कि सरकारी कलेक्टर जो एक महिला हैं, उनका दिल उस बिलखते हुए किसान के लिए जरा भी नहीं पसीजा. वो तब भी नहीं रुकीं जब वो किसान उनके पैरों में गिर पड़ा, वो तब भी नहीं रुकीं जब वो अपनी व्यथा सुनाने की कोशिश कर रहा था...तो फिर उस सूखी घास को देखकर ही वो क्या रुकतीं.

कहते हैं पुरुषों के लिए रोना आसान नहीं होता. वो अंदर से मजबूत होते हैं. लेकिन खेत में मेहनत करने वाले किसानों के दिल शायद अब बहुत कमजोर हो चुके हैं. इतने कमजोर कि आए दिन उनकी आत्महत्याओं की खबर सुनते हैं. आज इस किसान को बिलखता देख बहुतों के दिल भर आए. कहने को तो ये एक है, लेकिन हमारे देश के किसानों की दशा को दर्शाने के लिए ये एक ही काफी है. कर्ज माफी तो सिर्फ किसान की एक समस्या है, जिसपर राजनीति के दौर हमेशा चला करते हैं. लेकिन वीडियो देखकर समझ आता है कि किसानों के साथ सिर्फ एक ही समस्या नहीं होती. उसे हर जगह संघर्ष करना होता है. फसल उगाने के लिए संघर्ष, फसल खराब न हो जाए उसके लिए संघर्ष, प्राकृतिक आपदा आए, उसके लिए संघर्ष फिर फसल बेचने के लिए संघर्ष. और जानते हैं हमारी सरकार का रवैया कैसा है? ठीक उस महिला कलेक्टर की तरह जिसपर आंसुओं का असर नहीं होता.

ये भी पढ़ें-

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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