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Unnao Case : रुतबा काम नहीं आया, कानून ने अपना काम कर दिया!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 21 दिसम्बर, 2019 06:38 PM
  • 21 दिसम्बर, 2019 06:38 PM
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उत्तर प्रदेश के Unnao में लड़की के साथ रेप के मामले में BJP से निकाले गए विधायक Kuldeep SIngh Senger को दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने उम्रकैद की सजा दी है. विधायक को सजा पहले ही मिल जाती म्मागर उनका ऊंचा रसूख ही वो कारण था जिसके चलते पीड़िता को इंसाफ मिलने में देरी हुई.

2017 में, उत्तर प्रदेश के उन्नाव में, एक लड़की के साथ बलात्कार (nnao Gangrape) करने के दोष में भाजपा से निकाले गए विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Senger) पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने रेप मामले पर फैसला देते हुए कुलदीप सिंह सेंगर को आजीवन कारावास (Kuldeep Singh SengerLife Imprisonment) की सजा सुनाई है. सेंगर पर कोर्ट ने 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. बताया जा रहा है कि फैसला सुनते साथ ही सेंगर फूट फूटकर रोने लगे. फैसले से कुलदीप सिंह सेंगर के घर वालों को गहरा आघात लगा है. सजा से पहले कोर्ट (Tis Hazari Court ON nnao Rape Case) में दी गई दलील के दौरान कुलदीप सिंह सेंगर के वकील ने तर्क दिया है कि विधायक की दो बेटियां और पत्नी है और उनपर परिवार की जिम्मेदारी भी है. भले ही सेंगर को बचाने की लाख कोशिशें हुई हों, मगर कोर्ट ने इन बातों की कोई परवाह नहीं की. सेंगर को दोषी माना गया है. अदालत के इस फैसले पर पीड़िता के परिवार ने संतोष जाहिर किया है. आपको बताते चलें कि सजा पर बहस के दौरान सीबीआई ने कोर्ट से अधिकतम सजा की मांग की थी. 16 दिसंबर को दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने सेंगर को धारा 376 और पॉक्सो के सेक्शन 6 के तहत दोषी ठहराया था. वहीं अदालत पहले ही इस बात को स्वीकार कर चुकी थी कि जल्दबाजी में कोई भी फैसला नहीं किय जाएगा. मामले में दिलचस्प बात ये है कि अदालत में उन्नाव रेप कांड को जघन्य साजिश, हत्या और दुर्घटनाओं से भरा हुआ बताया गया था.

उन्नाव मामले में कुलदीप सिंह सेंगर को सजा तो हुई पर इस सजा से लोग संतुष्ट नहीं हैं

ध्यान रहे कि आज भले ही कुलदीप सिंह सेंगर को मामले में दोषी पाते हुए सजा दे दी गई हो. लेकिन 2017 में हुए इस मामले में पीड़ित परिवार के लिए न्याय मिलना इतना भी आसान...

2017 में, उत्तर प्रदेश के उन्नाव में, एक लड़की के साथ बलात्कार (nnao Gangrape) करने के दोष में भाजपा से निकाले गए विधायक कुलदीप सिंह सेंगर (Kuldeep Singh Senger) पर कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने रेप मामले पर फैसला देते हुए कुलदीप सिंह सेंगर को आजीवन कारावास (Kuldeep Singh SengerLife Imprisonment) की सजा सुनाई है. सेंगर पर कोर्ट ने 25 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है. बताया जा रहा है कि फैसला सुनते साथ ही सेंगर फूट फूटकर रोने लगे. फैसले से कुलदीप सिंह सेंगर के घर वालों को गहरा आघात लगा है. सजा से पहले कोर्ट (Tis Hazari Court ON nnao Rape Case) में दी गई दलील के दौरान कुलदीप सिंह सेंगर के वकील ने तर्क दिया है कि विधायक की दो बेटियां और पत्नी है और उनपर परिवार की जिम्मेदारी भी है. भले ही सेंगर को बचाने की लाख कोशिशें हुई हों, मगर कोर्ट ने इन बातों की कोई परवाह नहीं की. सेंगर को दोषी माना गया है. अदालत के इस फैसले पर पीड़िता के परिवार ने संतोष जाहिर किया है. आपको बताते चलें कि सजा पर बहस के दौरान सीबीआई ने कोर्ट से अधिकतम सजा की मांग की थी. 16 दिसंबर को दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने सेंगर को धारा 376 और पॉक्सो के सेक्शन 6 के तहत दोषी ठहराया था. वहीं अदालत पहले ही इस बात को स्वीकार कर चुकी थी कि जल्दबाजी में कोई भी फैसला नहीं किय जाएगा. मामले में दिलचस्प बात ये है कि अदालत में उन्नाव रेप कांड को जघन्य साजिश, हत्या और दुर्घटनाओं से भरा हुआ बताया गया था.

उन्नाव मामले में कुलदीप सिंह सेंगर को सजा तो हुई पर इस सजा से लोग संतुष्ट नहीं हैं

ध्यान रहे कि आज भले ही कुलदीप सिंह सेंगर को मामले में दोषी पाते हुए सजा दे दी गई हो. लेकिन 2017 में हुए इस मामले में पीड़ित परिवार के लिए न्याय मिलना इतना भी आसान नहीं था. ऐसा इसलिए क्योंकि कुलदीप सिंह सेंगर उन्नाव और आस पास में एक दबंग की तरह देखे जाते हैं. इसके अलावा एक बड़ा क्षत्रिय चेहरा होने के कारण इन्हें सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ भी खूब पसंद करते थे.

सीएम योगी, कुलदीप सिंह सेंगर पर कितने मेहरबान थे इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब इस मामले ने तूल पकड़ा प्रायः योगी आदित्यनाथ और भाजपा अपने विधायक को बचाते हुए ही नजर आए. बाकी बात बलात्कारी विधायक की चल रही है तो बता दें कि विधायक कुलदीप सिंह सेंगर भी इस बात को लेकर पूरी तरफ बेफिक्र थे और ये उनकी बेफिक्री और अपने लोगों पर भरोसा ही  था, जिसके चलते 28 जुलाई 2019 को जो हुआ उसकी कल्पना शायद ही कभी किसी ने की हो.

ध्यान रहे कि 28 जुलाई 2019 को पीड़िता अपने चाची और वकील के साथ उनकी कार से केस के सिलसिले में कहीं जा रही थी. तभी हाइवे पर एक ट्रक ने उनकी कार को टक्कर मार दी. जिससे पीड़िता के परिजनों की मौके मौत हो गई, जबकि वो और उनके वकील गंभीर रूप से घायल हो गए. अगर हम 28 जुलाई 2019 को घटी उस घटना का अवलोकन करें तो मिलता है कि जिस वक़्त ये वारदात हुई उस वक़्त लड़की के साथ कोई भी सुरक्षाकर्मी नहीं था.

तब मामले को लेकर कहा यही गया था कि विधायक की तरफ से लड़की का मुंह बंद रखने के लिए बड़ी साजिश की गई थी. इस मामले में सेंगर पर हत्या, हत्या की कोशिश, आपराधिक साजिश और आपराधिक धमकी के लिए मामला दर्ज किया गया. एफआईआर में सेंगर के भाई मनोज सिंह सेंगर, शशि सिंह और उनके सहयोगियों सहित 10 लोगों को नामजद किया गया

अब जबकि उन्नाव मामले पर फैसला आ गया है माना जा रहा है कि ये उस फैसला उस दर्द के मुकाबले कहीं ज्यादा कम है जो उस लड़की ने सहा है.

बहरहाल, बात इस फैसले पर असंतोष की चल रही है तो बता दें कि सोशल मीडिया पर एक बड़ा वर्ग है जो खुल कर सामने आया है और मांग कर रहा है भाजपा के दागी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्रकैद नहीं बल्कि फांसी की सजा दी जाए.

वहीं तमाम लोग ऐसे भी हैं जिनका कहना है कि आज नहीं तो कल कुलदीप सिंह सेंगर कैसे भी करके बाहर आ जाएंगे. लोग मांग कर रहे हैं कि सेंगर के साथ भी वही अंजाम होना चाहिए जो हैदराबाद में उन दोषियों के साथ हुआ जिन्होंने डॉक्टर का बलात्कार किया था फिर उसे जिंदा जलाया था.

उन्नाव ममाले पर आए फैसले के बाद लोग ये भी कह रहे हैं कि जब बलात्कार के आरोपियों को मौत की सजा मिलेगी तभी उनका दिमाग ठिकाने आएगा.

खैर कुलदीप सिंह सेंगर को सजा तो हो गई है मगर इस मामले में सही इंसाफ तब होता जब उसे निर्भया मामले के आरोपियों की तरह फांसी के तख्ते पर लटकाया जाता. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि यदि ऐसा होता तो उन लोगों को प्रेरणा जरूर मिलती जो अपने ऊंचे रसूख के कारण ये सोचते हैं कि उनका कुछ नहीं होगा और वो कुछ भी कर लें जिंदा बच जाएंगे. बाकी बात न्याय की चल रही हो तो न्याय सभी के लिए बराबर है अब वो चाहे कुलदीप सिंह सेंगर हों या फिर निर्भया मामले में अपनी फांसी का इंतजार करते 4 दोषी. फैसला हम जनता पर छोड़ते हैं

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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