• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
ह्यूमर

Unnao Rape case: विधायक सेंगर नहीं, मनचला तो ट्रक था!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 17 अक्टूबर, 2019 01:55 PM
  • 17 अक्टूबर, 2019 01:55 PM
offline
Unnao rape पीड़िता के साथ हुए सड़क हादसे की चार्जशीट दाखिल करने वाली सीबीआई ने उन्‍नाव विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को क्‍लीन चिट दे दी है ऐसे में सारी नजरें उस ट्रक पर हैं जो इस पूरे मामले में सबसे बड़ा विलेन है.

'शहर का किनारा. उसे छोड़ते ही भारतीय देहात का महासागर शुरू हो जाता था. वहीं एक ट्र्क खड़ा था. उसे देखते ही यकीन हो जाता था, इसका जन्म केवल सड़कों से बलात्कार करने के लिये हुआ है. जैसे कि सत्य के होते हैं, इस ट्रक के भी कई पहलू थे. पुलिसवाले उसे एक ऒर से देखकर कह सकते थे कि वह सड़क के बीच में खड़ा है, दूसरी ऒर से देखकर ड्राइवर कह सकता था कि वह सड़क के किनारे पर है. चालू फ़ैशन के हिसाब से ड्राइवर ने ट्रक का दाहिना दरवाजा खोलकर डैने की तरह फैला दिया था. इससे ट्रक की खूबसूरती बढ़ गयी थी. साथ ही यह ख़तरा मिट गया था कि उसके वहां होते हुये कोई दूसरी सवारी भी सड़क के ऊपर से निकल सकती है.'

बात अगर हिंदी व्यंग्य साहित्य की हो तो श्री लाल शुक्ल की 'राग दरबारी' को व्यंग्य विधा से जुड़े लोग क्लासिक बताते हैं. उपरोक्त पंक्तियां उसी 'क्लासिक' का इंट्रो हैं.

उन्नाव हादसे को अंजाम देने वाला ट्रक जिसकी नम्बर प्लेट पर कालिख पोत दी गई है

कितने कमाल की बात है ऊपर लिखी इन पंक्तियों में उपन्यास के लेखक ने ट्रक का जिक्र किया है. साथ ही इसमें बलात्कार, पुलिसवालों और ड्राइवर पर भी बात हुई है. मतलब मैं तो इस बात को डंके की चोट पर कह सकता हूं कि तब लिखे उस उपन्यास के इन 130 शब्दों ने गागर में सागर वाली बात को चरितार्थ किया है. ट्रक बलात्कार, पुलिसवाले और ड्राइवर फिर सुर्ख़ियों में हैं. कारण हैं उत्तर प्रदेश का बहुचर्चित उन्नाव रेप केस मामला.

बात दो महीने पहले की है. उन्नाव से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर 2018 में बलात्कार का आरोप लगाने वाली नाबालिग लड़की का एक्सीडेंट हुआ था. लड़की की गाड़ी पर रॉन्ग साइड से आ रहे ट्रक ने जोरदार टक्कर मारी थी. 90 के दशक में आई फिल्मों की तर्ज पर हुए इस...

'शहर का किनारा. उसे छोड़ते ही भारतीय देहात का महासागर शुरू हो जाता था. वहीं एक ट्र्क खड़ा था. उसे देखते ही यकीन हो जाता था, इसका जन्म केवल सड़कों से बलात्कार करने के लिये हुआ है. जैसे कि सत्य के होते हैं, इस ट्रक के भी कई पहलू थे. पुलिसवाले उसे एक ऒर से देखकर कह सकते थे कि वह सड़क के बीच में खड़ा है, दूसरी ऒर से देखकर ड्राइवर कह सकता था कि वह सड़क के किनारे पर है. चालू फ़ैशन के हिसाब से ड्राइवर ने ट्रक का दाहिना दरवाजा खोलकर डैने की तरह फैला दिया था. इससे ट्रक की खूबसूरती बढ़ गयी थी. साथ ही यह ख़तरा मिट गया था कि उसके वहां होते हुये कोई दूसरी सवारी भी सड़क के ऊपर से निकल सकती है.'

बात अगर हिंदी व्यंग्य साहित्य की हो तो श्री लाल शुक्ल की 'राग दरबारी' को व्यंग्य विधा से जुड़े लोग क्लासिक बताते हैं. उपरोक्त पंक्तियां उसी 'क्लासिक' का इंट्रो हैं.

उन्नाव हादसे को अंजाम देने वाला ट्रक जिसकी नम्बर प्लेट पर कालिख पोत दी गई है

कितने कमाल की बात है ऊपर लिखी इन पंक्तियों में उपन्यास के लेखक ने ट्रक का जिक्र किया है. साथ ही इसमें बलात्कार, पुलिसवालों और ड्राइवर पर भी बात हुई है. मतलब मैं तो इस बात को डंके की चोट पर कह सकता हूं कि तब लिखे उस उपन्यास के इन 130 शब्दों ने गागर में सागर वाली बात को चरितार्थ किया है. ट्रक बलात्कार, पुलिसवाले और ड्राइवर फिर सुर्ख़ियों में हैं. कारण हैं उत्तर प्रदेश का बहुचर्चित उन्नाव रेप केस मामला.

बात दो महीने पहले की है. उन्नाव से भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर 2018 में बलात्कार का आरोप लगाने वाली नाबालिग लड़की का एक्सीडेंट हुआ था. लड़की की गाड़ी पर रॉन्ग साइड से आ रहे ट्रक ने जोरदार टक्कर मारी थी. 90 के दशक में आई फिल्मों की तर्ज पर हुए इस एक्सीडेंट में रेप पीड़िता की चाची और मौसी की मौके पर मौत हो गई थी. जबकि लड़की और उसका वकील बुरी तरह घायल हुए थे. दोनों को लखनऊ ट्रॉमा सेंटर में भर्ती करवाया गया था जहां वकील को वेंटिलेटर पर और पीड़िता को आईसीयू में रखा गया था.

घटना का जिम्मेदार ट्रक था. हां वही ट्रक जिसके मुंह के अगले हिस्से यानी नंबर प्लेट पर ग्रीस पोतकर नंबर छिपाए गए थे. कहा गया था कि विधायक और उसके गुर्गों ने ही ट्रक को वहां भेजा और अपना रसूख दिखाकर उसे ऐसी हरकत करने को बाध्य किया. बात बड़ी थी तो प्रशासन भी हरकत में आया और उसने ट्रक पर एक्शन लिया. पुलिस अगर ट्रक को रंगे हाथों पकड़ती तो कहा जा सकता था कि ट्रक निर्दोष है. मगर ट्रक रंगे मुंह पकड़ा गया जो सिद्ध कर देता है कि दाल में कुछ काला नहीं, बल्कि पूरी दाल ही काली है.  

मामले को लेकर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ पहले ही तमाम तरह की तीखी आलोचना झेल चुके थे. इसलिए राज्य सरकार ने जांच सीबीआई को सौंप दी. सीबीआई ने भी तात्काल प्रभाव में एक्शन लेते हुए विधायक समेत अन्य 9 लोगों पर हत्या, हत्या के प्रयास, आपराधिक साजिश और आपराधिक धमकी देने जैसे आरोपों को आधार बनाकर एफआईआर लिख दी अच्छा चूंकि विधायक जी पहले ही गिरफ्तार थे इसलिए उनको खोजने में पुलिस को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी. 

उन्नाव मामले में जो चार्जशीट सीबीआई ने दाखिल की है उसमें दोषी विधायक पर से सभी अभियोग हटा दिए गए हैं

चूंकि तब वारदात के लिए ट्रक का इस्तेमाल हुआ था. और जैसा इस देश में ट्रकों का इतिहास है, हमें तब ही लग गया था कि आज नहीं तो कल 'बुरी नजर वाले तेरा मुंह काला' कह कर निकल जाएगा. तब की बात अब सच हो गई है. एफआईआर के दो महीने बाद जो चार्जशीट सीबीआई ने पेश की है उसमें घटना को हादसा करार देते हुए विधायक और उनके साथियों पर से हत्या, हत्या के प्रयास, आपराधिक साजिश जैसे अभियोग हटा लिए गए हैं. ट्रक आज भी वहीं खड़ा है. उसी बेशर्मी के साथ मुंह में कालिख लगाए. अच्छा मजे की बात ये है कि मामले में पेश की गई चार्ज शीट में विधायक के ऊपर सिर्फ़ आपराधिक धमकी का आरोप लगाया गया है.

जिस तरह का ये मामला हुआ है यदि कल की डेट में किसी प्रतियोगी परीक्षा में 'मानव जीवन पर रसूख का महत्त्व' टॉपिक से कोई 20 नंबर का निबंध आता है तो छात्र उत्तर पुस्तिका में उन्नाव रेप केस और उन्नाव सड़क हादसा बतौर उदाहरण लिख सकते हैं. हिंदी में पूरे नंबर नहीं मिलते इसलिए छात्रों को 20 में से 16-17 नंबर मिलना तय है. इस मामले में विधायक जी के रसूख और वर्चस्व का फायदा ट्रक ड्राइवर को भी मिला है. सीबीआई की चार्ज शीट में ‘हादसे’ में शामिल ट्रक के ड्राइवर आशीष पाल पर भी हत्या, हत्या की कोशिश या साज़िश का चार्ज नहीं लगाया गया. सीबीआई ने आशीष पाल पर आईपीसी के प्रावधानों के तहत तेज़ रफ्तार से वाहन चलाने और मानव जीवन को खतरे में डालने का आरोप लगाया. दिलचस्प बात ये है कि ऐसे अपराध में जुर्माना और दो वर्ष तक की सजा हो सकती है.

कोई कुछ कर ले. कितनी भी बातें क्यों न हो जाएं. सीबीआई क्या एफबीआई, रॉ, मोसाद किसी को भी जांच के लिए क्यों न बुला लिया जाए मगर इस मामले में जिस तरह राजनीतिक लाभ के लिए सुबूत गयाहों के अलावा कानून के साथ मजाक किया जा रहा है वो ये साफ़ कर देता है कि आज नहीं तो कल विधायक छूट जाएंगे. विधायक जी छूटे भी क्यों न? जिस हिसाब से उन्हें सूबे को अपराध मुक्त का दावा करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का संरक्षण मिला है वो खुद इस बात की तस्दीख कर देता है कि सारी खुदाई एक तरफ पार्टी से जुड़ा भाई एक तरफ.

जितना प्रयास योगी आदित्यनाथ ने कुलदीप सिंह सेंगर को बचाने के लिए किया. यदि उसका आधा भी उन्होंने ये पता लगाने के लिए किया होता कि कालिख पुते ट्रक ने ऐसा क्यों किया? जिसके कारण पूरे प्रशासन पर कालिख पुत गई तो बात कुछ और रहती. बाकी हमारा मुद्दा ट्रक है. ट्रक किसी का सगा नहीं होता. ट्रक से कोई गलती नहीं होती. जब जगह मिलेगी वो पास देकर निकल जाएगा और वासे ही निकल जाएंगे उन्नाव से भाजपा के दागी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर जो ऐसा बहुत कुछ कर चुके हैं जिसके चलते लोकतंत्र शर्मिंदा हुआ है.

ये भी पढ़ें -

उन्नाव रेप पीड़िता की कहानी एक प्रभावशाली नेता के खिलाफ जंग से काम नहीं है

5 सबूत, जो उन्नाव रेप पीड़िता के साथ हुए सड़क हादसे को साजिश बनाते हैं

nnao Rape Case : सुप्रीम कोर्ट ने योगी आदित्यनाथ की भी मदद की है!

 


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    टमाटर को गायब कर छुट्टी पर भेज देना बर्गर किंग का ग्राहकों को धोखा है!
  • offline
    फेसबुक और PubG से न घर बसा और न ज़िंदगी गुलज़ार हुई, दोष हमारा है
  • offline
    टमाटर को हमेशा हल्के में लिया, अब जो है सामने वो बेवफाओं से उसका इंतकाम है!
  • offline
    अंबानी ने दोस्त को 1500 करोड़ का घर दे दिया, अपने साथी पहनने को शर्ट तक नहीं देते
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲