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Mirzapur 2 का नाम होशियारपुर, दुर्जनपुर या हाथरस होता तो?

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 25 अक्टूबर, 2020 01:59 PM
  • 25 अक्टूबर, 2020 01:59 PM
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'मिर्जापुर 2' (Mirzapur 2) को लेकर स्थानीय सांसद अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) ने ऐतराज जताते हुए जांच और एक्शन की मांग की है - अगर उसका नाम होशियारपुर (Hoshiarpur Rape), दुर्जनपुर या हाथरस रख दिया जाये तो कोई दिक्कत नहीं होगी?

मिर्जापुर 2 (Mirzapur 2) को 23 अक्टूबर को रिलीज होना था, लेकिन एक दिन पहले ही OTT प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हो गयी. वेब सीरीज के रिलीज से पहले उसके ट्रेलर को देख कर तरह तरह के कयास लगाये जा रहे थे, लेकिन रिलीज के बाद मिली जुली प्रतिक्रिया देखी गयी है.

आम लोगों और समीक्षकों के अलावा राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आने लगी है - मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल को तो वेब सीरीज के कंटेंट को लेकर कड़ा ऐतराज जताया है - साथ ही जांच और एक्शन की भी मांग की है.

अब ये समझना जरूरी है कि अनुप्रिया पटेल को मिर्जापुर 2 के कंटेंट से ऐतराज है या नाम से?

अगर मिर्जापुर 2 का नाम कुछ और होता तो क्या अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) का नजरिया अलग होता - मसलन, होशियारपुर (Hoshiarpur Rape) या दुर्जनपुर या हाथरस?

वेब सीरीज के नाम में क्या रखा है?

फर्ज कीजिये मिर्जापुर 2 का नाम होशियारपुर या दुर्जनपुर या हाथरस होता तो भी क्या अनुप्रिया पटेल को ऐसी ही आपत्ति होती? समझा जा सकता है, हरगिज नहीं. अनुप्रिया पटेल का कहना है कि वेब सीरीज के जरिये मिर्जापुर को बदनाम करने की साजिश की जा रही है.

वेब सीरीज का नाम मिर्जापुर 2 जरूर है, लेकिन जिस कंटेंट पर उनको आपत्ति है वो सिर्फ मिर्जापुर ही नहीं, बलिया, जौनपुर, गाजीपुर और लखनऊ को लेकर भी है - और बिहार का सिवान भी है. निश्चित तौर पर कंटेंट के नाम पर ढेर सारा क्राइम और सेक्स का कॉकटेल परोसा गया है. साथ ही, खोखले और तार तार होते रिश्तों पर भी प्रकाश डाला गया है - समाज का जातीय ढांचा और धार्मिकता के ऐंगल से भी काफी कंटेंट परोसा गया है.

होशियारपुर फिलहाल एक बच्ची को रेप के बाद जला कर हत्या कर देने की वजह से खबरों में है. दुर्जनपुर, बलिया जिले का वो गांव हैं जहां एक हत्या के बाद वहां के बीजेपी विधायको हत्या के आरोपी के पक्ष में सड़क पर उतरने को तैयार हो गये थे - और अब उनका एक नया वीडियो वायरल हो रहा है. बताया तो ये गया था कि विधायक को जांच से दूर रहने की हिदायत मिली है, लेकिन नये वीडियो...

मिर्जापुर 2 (Mirzapur 2) को 23 अक्टूबर को रिलीज होना था, लेकिन एक दिन पहले ही OTT प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध हो गयी. वेब सीरीज के रिलीज से पहले उसके ट्रेलर को देख कर तरह तरह के कयास लगाये जा रहे थे, लेकिन रिलीज के बाद मिली जुली प्रतिक्रिया देखी गयी है.

आम लोगों और समीक्षकों के अलावा राजनीतिक प्रतिक्रिया भी आने लगी है - मिर्जापुर से सांसद अनुप्रिया पटेल को तो वेब सीरीज के कंटेंट को लेकर कड़ा ऐतराज जताया है - साथ ही जांच और एक्शन की भी मांग की है.

अब ये समझना जरूरी है कि अनुप्रिया पटेल को मिर्जापुर 2 के कंटेंट से ऐतराज है या नाम से?

अगर मिर्जापुर 2 का नाम कुछ और होता तो क्या अनुप्रिया पटेल (Anupriya Patel) का नजरिया अलग होता - मसलन, होशियारपुर (Hoshiarpur Rape) या दुर्जनपुर या हाथरस?

वेब सीरीज के नाम में क्या रखा है?

फर्ज कीजिये मिर्जापुर 2 का नाम होशियारपुर या दुर्जनपुर या हाथरस होता तो भी क्या अनुप्रिया पटेल को ऐसी ही आपत्ति होती? समझा जा सकता है, हरगिज नहीं. अनुप्रिया पटेल का कहना है कि वेब सीरीज के जरिये मिर्जापुर को बदनाम करने की साजिश की जा रही है.

वेब सीरीज का नाम मिर्जापुर 2 जरूर है, लेकिन जिस कंटेंट पर उनको आपत्ति है वो सिर्फ मिर्जापुर ही नहीं, बलिया, जौनपुर, गाजीपुर और लखनऊ को लेकर भी है - और बिहार का सिवान भी है. निश्चित तौर पर कंटेंट के नाम पर ढेर सारा क्राइम और सेक्स का कॉकटेल परोसा गया है. साथ ही, खोखले और तार तार होते रिश्तों पर भी प्रकाश डाला गया है - समाज का जातीय ढांचा और धार्मिकता के ऐंगल से भी काफी कंटेंट परोसा गया है.

होशियारपुर फिलहाल एक बच्ची को रेप के बाद जला कर हत्या कर देने की वजह से खबरों में है. दुर्जनपुर, बलिया जिले का वो गांव हैं जहां एक हत्या के बाद वहां के बीजेपी विधायको हत्या के आरोपी के पक्ष में सड़क पर उतरने को तैयार हो गये थे - और अब उनका एक नया वीडियो वायरल हो रहा है. बताया तो ये गया था कि विधायक को जांच से दूर रहने की हिदायत मिली है, लेकिन नये वीडियो में यूपी बीजेपी अध्यक्ष को विधायक सुरेंद्र सिंह पर फूल बरसाते देखा जा रहा है. वीडियो सही है, इस बात की पुष्टि किसी ने नहीं की है. वैसे सुरेंद्र सिंह के ऐसे कई वीडियो वायरल हो रहे हैं जिनमें उनकी जय जयकार हो रही है!

मिर्जापुर 2 को कोई और नाम दे दिया गया होता तो क्या हकीकत बदल जाती?

होशियारपुर और हाथरस को लेकर बीजेपी नेताओं ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है - पूछा जा रहा है कि दोनों भाई-बहन हाथरस की तरह 'पिकनिक' होशियारपुर क्यों नहीं जा रहे हैं?

मौका-ए-वारदात पिकनिक स्पॉट कैसे?

पंजाब के होशियारपुर में 6 साल की एक बच्ची के साथ बलात्कार के बाद उसकी हत्या कर देने का मामला सामने आया है. पुलिस के मुताबिक पीड़ित बच्ची की अधजली लाश एक घर में मिली है. पुलिस ने दो आरोपियों को हत्या, बलात्कार और पॉक्सो एक्ट के तहत गिरफ्तार किया है.

पीड़ित बच्ची एक प्रवासी मजदूर की बेटी थी. जहां से पीड़ित बच्ची का शव मिला है उसका परिवार उसी गांव में रह रहा था. जो आरोपी गिरफ्तार किये गये हैं बच्ची का शव भी उनके घर से ही मिला है. बच्ची के पिता की शिकायत के आधार पर ही पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार किया है.

होशियारपुर की घटना को लेकर मोदी सरकार के दो केंद्रीय मंत्रियों निर्मला सीतारमण और प्रकाश जावड़ेकर ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी और उनकी बहन को कठघरे में खड़ा करने की कोशिश की है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि पंजाब में कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार है.

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का सवाल है - 'मैं आज कांग्रेस पार्टी से पूछना चाहती कि क्या जहां आपकी सरकार नहीं है वहां अगर रेप होता है तो उसके खिलाफ आप भाई-बहन गाड़ी में बैठकर पिकनिक की तरह प्रदर्शन करने जाएंगे, मगर होशियापुर क्योंकि वहां कांग्रेस की सरकार है तो आप उस पर एक भी बात नहीं बोलेंगे क्या?'

निर्मला सीतारमण पूछ रही हैं, 'हर मुद्दे पर ट्वीट करने वाले राहुल गांधी जी ने होशियारपुर में बच्ची से हैवानियत पर एक भी ट्वीट नहीं किया. जबकि इस घटना को तीन दिन हो गये.'

निश्चित तौर पर राहुल गांधी अगर हाथरस जाएंगे और होशियारपुर पर खामोशी अख्तियार कर लेंगे तो सवाल तो पूछे जाएंगे ही. राहुल गांधी अगर गोरखपुर के अस्पताल जाएंगे और कोटा के अस्पताल की तरफ देखेंगे तक नहीं - सवाल तो पूछे ही जाएंगे.

अगर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा हाथरस को लेकर योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांग सकती हैं तो कैप्टन अमरिंदर सिंह से क्यों नहीं? और वैसे ही राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से क्यों नहीं? वो भी तब जब कांग्रेस के ही तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट भी कांग्रेस सरकार को ही दोषी मान रहे हों.

कोटा अस्पताल में जब बच्चों की मौत की घटना हुई थी, उन्हीं दिनों प्रियंका गांधी वाड्रा CAA विरोध प्रदर्शनकारियों के घर घर जाकर सहानुभूति जता रही थीं. तभी मायावती ने सवाल उठाया था कि प्रियंका गांधी कोटा जाकर अपने बच्चे गवां चुके परिवारों से क्यों नहीं मुलाकात कर रहीं? ऐसा भी नहीं कि प्रियंका गांधी मायावती के ताना मारने के बाद राजस्थान नहीं गयीं, लेकिन जयपुर से ही एक शादी अटेंड कर लौट आयीं.

लेकिन सवाल तो ये भी उठता है कि बीजेपी नेताओं की नजर में हाथरस किसी पिकनिक स्पॉट जैसा क्यों है?

राजनीतिक विरोध अपनी जगह है लेकिन कोई मौका-ए-वारदात पिकनिक जैसा भी हो सकता है क्या?

सवाल ये भी उठता है कि क्यों बीजेपी नेताओं को गोरखपुर अस्पताल में बच्चों की मौत मायने नहीं रखती? ऊपर से सवाल उठता है तो अपनी तरफ से नया रिसर्च ही पेश कर देते हैं - अगस्त में तो बच्चे मरते ही हैं.

क्यों होशियारपुर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा को जाना चाहिये और हाथरस किसी बड़े बीजेपी नेता को नहीं जाना चाहिये?

जब देश का कानून सबके लिए बराबर है. पूरे देश में हर अपराध की बराबर सजा है, तो बलात्कार जैसे अपराध को सियासी चश्मे से अलग अलग क्यों देखा जाता है - और ऐसा सभी के साथ है चाहे वे कांग्रेस के नेता हों या फिर बीजेपी के?

फिर तो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के कुछ न बोलने और होशियारपुर और हाथरस को पिकनिक जैसा बताने में फर्क ही कहां बचता है?

पूर्व केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने कहा है कि मिर्जापुर का सांसद होने के नाते वो वेब सीरीज की जांच और उस पर कार्रवाई करने की मांग कर रही हैं. अनुप्रिया पटेल का आरोप है कि वेब सीरीज के माध्यम से मिर्जापुर को बदनाम करने के साथ ही जातीय वैमनस्यता फैलायी जा रही है.

शायद ठीक कह रही हैं अनुप्रिया पटेल, लेकिन क्या उनको अपनी पार्टी अपना दल की सहयोगी बीजेपी विधायक का स्टैंड ऐसा नहीं लगता. जब बैरिया के बीजेपी विधायक कहते हैं कि वो एक क्षत्रिय होने के नाते हत्या के आरोपी का बचाव कर रहे हैं. जिसकी हत्या हुई है वो दूसरी जाति का है - और जिस पर हत्या का आरोप है वो दूसरी जाति का. अब अगर ऐसे में स्थानीय जनप्रतिनिधि एक पक्ष का बचाव करता है. हत्या के आरोपी के परिवार के घर पहुंच कर आंसू बहाता है - और उसके पक्ष में सड़क पर उतरने की चेतावनी देता है. लोग तो उसे कंधे पर बिठा कर घुमा ही रहे हैं, बीजेपी के ही नेता उस पर फूल बरसाते हैं तो वो क्या सोशल समरसता की मिसाल पेश की जा रही है?

अनुप्रिया पटेल को इलाके की बदनामी तब क्यों नहीं समझ में आयी थी जब सोनभद्र के उभ्भा गांव में दलितों का नरसंहार हुआ. बेशक प्रियंका गांधी वाड्रा वहां राजनीतिक वजहों से ही गयी थीं - और जी भर के राजनीति किया भी. अगर प्रियंका गांधी के जाने से पूरे देश की नजर उस घटना की तरफ नहीं जाती तो इलाका बदनामी से तो बच ही जाता.

सिनेमा समाज का आईना होता है और अब वेब सीरीज उसी समाज का नया वर्चुअल आईना है. सिनेमा में सच्चाई को परदे में रख कर दिखाने की कोशिश होती है - क्योंकि उस पर सेंसर बोर्ड की कैंची तेजी से चलती है. वेब सीरीज हकीकत है. डिजिटल हकीकत. वर्चुअल हकीकत. डिजिटल आईना. वर्चुअल आईना.

मिर्जापुर महज एक काल्पनिक नाम है और वास्तविक दुनिया में ऐसे नाम के किसी जगह का होना महज एक संयोग हो सकता है - कहने को तो ये लाइन डिस्क्लेमर का हिस्सा है, लेकिन यही वो पतली सी दीवार है जो सच्चाई को परदे में रखती है. मौका नहीं मिलने पर परदा गिर जाता है - और मौका मिलते ही उठ भी जाता है!

इन्हें भी पढ़ें :

Mirzapur 2 review: महफ़िल लूटने के फेर में खुद लुट बैठा मिर्जापुर का सीजन 2

हाथरस केस में जातिवाद का जहर घोलने वाले कौन हैं?

बलिया कांड क्या है? यदि ये 'जंगलराज' नहीं तो बिहार को BJP डरा क्यों रही है?


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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