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भारत के लिए ज्यादा मुश्किल नहीं होगा डीजल वाहन बैन करना, 75 हजार जानें बचेंगी!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 11 मई, 2023 12:52 PM
  • 11 मई, 2023 12:52 PM
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पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा गठित एक पैनल का कहना है कि भारत में 2027 तक पूरी तरह से डीजल गाड़ियां बंद हो जाएंगी. इस मामले पर सरकार या फिर पैनल का जो कहना हो, मगर ये बैन इसलिए भी लगना चाहिए क्योंकि अब बात लोगों की जान पर आ गयी है.

पिछले कुछ वक़्त से देखा गया है कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय डीजल गाड़ियों के प्रति कुछ ज्यादा ही गंभीर हुआ है. चूंकि ये गाड़ियां सीधे दौर पर पर्यावरण को प्रभावित कर रही हैं. पर्यावरणविदों द्वारा भी समय समय पर मांग यही उठाई गयी है कि इन गाड़ियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाए. अब तक डीजल गाड़ियों पर बैन को लेकर कयास ही लग रहे थे मगर इन गाड़ियों पर जैसा रुख मंत्रालय का है हो सकता है कि भारत में 2027 तक पूरी तरह से डीजल गाड़ियां बंद हो जाएं. दरअसल अभी हाल ही में पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा एक पैनल का गठन किया गया था. पैनल की तरफ से जो सुझाव सरकार को मिले हैं उसमें आने वाले वक़्त में इलेक्ट्रिक और गैस से चलने वाले वाहनों पर फोकस की बात तो की ही गयी है साथ ही डीजल गाड़ियों पर टोटल बैन के मुद्दे को भी पैनल ने प्रमुखता से उठाया है. पैनल द्वारा जो बातें कही गयी हैं उसके अनुसार दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में इलेक्ट्रिक और गैस से चलने वाले वाहनों पर स्विच करना चाहिए. क्योंकि ऐसे शहरों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है.

माना जाता है कि डीजल गाड़ियों का कोप यदि सबसे ज्यादा किसी को भोगना होता है तो वो सिर्फ और सिर्फ पर्यावरण है

पेट्रोलियम एंव प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ऑफिशियल वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र है कि, भारत, ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जकों में से एक है. रिपोर्ट में भारत के एनर्जी ट्रांजिशन पर भी विस्तृत चर्चा की गयी है और कहा गया है कि भारत आगामी 2070 के शुद्ध शून्य लक्ष्य को प्राप्त करने के अपने लक्ष्य पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसके लिए कुछ ख़ास तैयारियों की जरूरत होगी. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि, आगामी 2024 से सिटी ट्रांसपोर्टेशन में कोई भी डीजल बसें नहीं जोड़ी जानी चाहिए...

पिछले कुछ वक़्त से देखा गया है कि पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय डीजल गाड़ियों के प्रति कुछ ज्यादा ही गंभीर हुआ है. चूंकि ये गाड़ियां सीधे दौर पर पर्यावरण को प्रभावित कर रही हैं. पर्यावरणविदों द्वारा भी समय समय पर मांग यही उठाई गयी है कि इन गाड़ियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया जाए. अब तक डीजल गाड़ियों पर बैन को लेकर कयास ही लग रहे थे मगर इन गाड़ियों पर जैसा रुख मंत्रालय का है हो सकता है कि भारत में 2027 तक पूरी तरह से डीजल गाड़ियां बंद हो जाएं. दरअसल अभी हाल ही में पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा एक पैनल का गठन किया गया था. पैनल की तरफ से जो सुझाव सरकार को मिले हैं उसमें आने वाले वक़्त में इलेक्ट्रिक और गैस से चलने वाले वाहनों पर फोकस की बात तो की ही गयी है साथ ही डीजल गाड़ियों पर टोटल बैन के मुद्दे को भी पैनल ने प्रमुखता से उठाया है. पैनल द्वारा जो बातें कही गयी हैं उसके अनुसार दस लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में इलेक्ट्रिक और गैस से चलने वाले वाहनों पर स्विच करना चाहिए. क्योंकि ऐसे शहरों में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है.

माना जाता है कि डीजल गाड़ियों का कोप यदि सबसे ज्यादा किसी को भोगना होता है तो वो सिर्फ और सिर्फ पर्यावरण है

पेट्रोलियम एंव प्राकृतिक गैस मंत्रालय की ऑफिशियल वेबसाइट पर छपी एक रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र है कि, भारत, ग्रीनहाउस गैसों के सबसे बड़े उत्सर्जकों में से एक है. रिपोर्ट में भारत के एनर्जी ट्रांजिशन पर भी विस्तृत चर्चा की गयी है और कहा गया है कि भारत आगामी 2070 के शुद्ध शून्य लक्ष्य को प्राप्त करने के अपने लक्ष्य पर तेजी से आगे बढ़ रहा है, लेकिन इसके लिए कुछ ख़ास तैयारियों की जरूरत होगी. रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि, आगामी 2024 से सिटी ट्रांसपोर्टेशन में कोई भी डीजल बसें नहीं जोड़ी जानी चाहिए और 2030 तक ऐसी किसी भी सिटी बस को शामिल नहीं किया जाना चाहिए जो कि इलेक्ट्रिक नहीं हैं.

रिपोर्ट बताती है कि भारत बड़े पैमाने पर ऊर्जा आयात पर निर्भर नहीं रह सकता है और उसे अपने स्वयं के स्त्रोतों का विकास करना चाहिए. भारत केप्राथमिक ऊर्जा स्रोत कोयला, तेल, प्राकृतिक गैस और परमाणु हैं. हालांकि बायोमास एनर्जी का एक अन्य स्रोत है, लेकिन इसका उपयोग कम हो रहा है. ध्यान रहे भारत का शुमार विश्व के उन चुनिंदा देशों में है जहां डीजल की मांग हमेशा से ही ज्यादा रही है. वहीं बात अगर खपत की हो तो भारत में जितने भी पेट्रोलियम उत्पाद हैं उनमें डीजल की खपत लगभग 40% है और इसमें भी रोचक ये कि भारत में जो भारी वाहन चलते हैं उनमें डीजल का ही इस्तेमाल होता है.

कई हज़ार मौतों की वजह है डीजल

जैसा कि ज्ञात है गाड़ियों से निकलने वाला धुंआ वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है. शायद आपको जानकार हैरत हो कि सिर्फ 2015 में दुनिया भर में 3.8 लाख (3,85,000) से अधिक मौतों का जिम्मेदार डीजल था और इसमें भी हैरान करने वाली बात ये है कि तब डीजल के चलते 75,000 मौतें सिर्फ भारत में हुईं थीं.

ध्यान रहे पूर्व में इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन (आईसीसीटी), जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के मिलकेन इंस्टीट्यूट स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ और कोलोराडो बोल्डर विश्वविद्यालय द्वारा एक शोध कराया गया था. शोध में जो बातें निकल कर बाहर आईं वो हैरान करने वाली थीं. शोध में पाया गया कि भारत में परिवहन के कारण होने वाली मौतों की कुल संख्या में से 66 प्रतिशत डीजल वाहनों के कारण हुईं. अध्ययन में पाया गया कि 2015 में सड़क पर चलने वाले डीजल वाहन दुनिया भर में परिवहन से होने वाले प्रदूषण से पैदा हुई लगभग आधी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए जिम्मेदार थे.

तब जो मौतें डीजल से भारत में हुईं उनमें 2.5 प्रतिशत मौतें नई दिल्ली में, 1.8 प्रतिशत कोलकाता में, 1 प्रतिशत मुंबई में, 0.4 प्रतिशत हैदराबाद में, 0.4 प्रतिशत बेंगलुरु में, 0.3 प्रतिशत पुणे और 0.3 प्रतिशत चेन्नई में हुई. चूंकि डीजल का धुंआ हर साल भारत में हजारों जिंदगियों को लीलता है तो बेहतर यही है कि सरकार को इसे पूर्णतः प्रतिबंधित कर देना चाहिए. या फिर एक उपाय और है. लोग डीजल का नाममात्र का उपयोग करें इसका एकमात्र तरीका यही है कि इसे सरकार द्वारा आम आदमी के लिए महंगा कर दिया जाए.

क्या कारण हैं कि लोग डीजल पसंद करते हैं?

पेट्रोल पावरट्रेन की तुलना में डीजल इंजनों की उच्च ईंधन बचत एक कारक है. चूंकि डीजल इंजन उच्च-वोल्टेज स्पार्क इग्निशन (स्पार्क प्लग) का उपयोग नहीं करते हैं, और इस प्रकार प्रति किलोमीटर कम ईंधन का उपयोग होता है इसलिए इन्हें ग्राहकों द्वारा हाथों हाथ किया जाता है. जैसा कि हम पहले ही इस बात को जाहिर कर चुके है भारत में भारी वाहनों में डीजल का ही इस्तेमाल होता है और ये सिर्फ इसलिए किया जाता है क्योंकि हाई कम्प्रेशन रेश्यो के चलते प्रति किलोमीटर चलने में कम तेल खर्च होता है.

तो आखिर क्यों लगना चाहिए डीजल पर बैन

सारी बातें अपनी जगह है लेकिन बात क्योंकि अब लोगों की जान की आ गयी है और जैसा कि हम बता ही चुके हैं सिर्फ 2015 में डीजल ने हिंदुस्तान में 75,000 जानें ली थीं इसलिए सरकार को चेत जाना चाहिए और तत्काल प्रभाव में डीजल गाड़ियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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