• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

महबूबा का इमरान पर उतावलेपन वाला ऐतबार

    • आईचौक
    • Updated: 29 जुलाई, 2018 12:21 PM
  • 29 जुलाई, 2018 12:11 PM
offline
इमरान खान के प्रधानमंत्री बनने से महबूबा मुफ्ती को नये सिरे से पाकिस्तान से बातचीत की पैरवी का मौका मिला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान से बातचीत की सलाह देने से पहले महबूबा मुफ्ती को इमरान खान की मंशा भी समझनी होगी.

महबूबा मुफ्ती हमेशा ही पाकिस्तान से बातचीत की पक्षधर रही हैं. अब जबकि इमरान खान ने बातचीत की पेशकश कर दी है, फिर तो महबूबा को सलाहियत का हक भी बनता है.

जम्मू कश्मीर में बीजेपी के गठबंधन तोड़ देने के बाद से महबूबा मुफ्ती अपनी जमीन दुरूस्त करने में लगी हुई हैं. पाक चुनाव जीतने के बाद इमरान खान के बयान से महबूबा को बोलने का मौका भी मिल गया है. महबूबा को भले ही इमरान की बातें अच्छी लगें, लेकिन भारत के हिसाब से देखें तो पाकिस्तान में कोई बदलाव तो दूर - बल्कि, मंसूबे और खतरनाक होने के ही संकेत मिल रहे हैं.

नयी हुकूमत और छिपी हुई हकीकत

पाकिस्तान में हुए चुनाव की निष्पक्षता पर शुरू से ही सवाल उठने लगे थे. नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो ने न सिर्फ चुनाव में धांधली के इल्जाम लगाये बल्कि फिर से चुनाव कराने की भी मांग की है.

पाक चुनाव के निष्पक्ष होने पर जो सवाल उठ रहे हैं उस पर यूरोपियन यूनियन के पर्यवेक्षकों ने भी मुहर लगा दी है. चुनाव पर्यवेक्षक मिशन का मानना है कि 25 जुलाई को हुए चुनाव पर पाकिस्तान के राजनीतिक माहौल का नकारात्मक प्रभाव पड़ा और सभी दलों को प्रचार का बराबर मौका नहीं मिल पाया.

पर्यवेक्षकों की टीम का कहना है, "चुनाव में कई तरह की पाबंदियों का असर रहा. वोटिंग की प्रक्रिया तो पारदर्शी रही, लेकिन काउंटिंग में कुछ न कुछ गड़बड़ हुई है.’

सलाह तो अच्छी है, मगर मंसूबे भी समझें महबूबा...

पाकिस्तान चुनाव में इमरान खान की तहरिक-ए-इंसाफ को 117 सीटें मिली हैं, जबकि नवाज शरीफ की पीएमएल-एन ने 64 सीटें जीती हैं - और भुट्टो-जरदारी की पीपीपी 43 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही.

चुनाव नतीजे घोषित होने के पहले से ही कयास लगने शुरू हो गये थे कि गद्दी पर इमरान खान ही बैठने वाले हैं. इसके पीछे...

महबूबा मुफ्ती हमेशा ही पाकिस्तान से बातचीत की पक्षधर रही हैं. अब जबकि इमरान खान ने बातचीत की पेशकश कर दी है, फिर तो महबूबा को सलाहियत का हक भी बनता है.

जम्मू कश्मीर में बीजेपी के गठबंधन तोड़ देने के बाद से महबूबा मुफ्ती अपनी जमीन दुरूस्त करने में लगी हुई हैं. पाक चुनाव जीतने के बाद इमरान खान के बयान से महबूबा को बोलने का मौका भी मिल गया है. महबूबा को भले ही इमरान की बातें अच्छी लगें, लेकिन भारत के हिसाब से देखें तो पाकिस्तान में कोई बदलाव तो दूर - बल्कि, मंसूबे और खतरनाक होने के ही संकेत मिल रहे हैं.

नयी हुकूमत और छिपी हुई हकीकत

पाकिस्तान में हुए चुनाव की निष्पक्षता पर शुरू से ही सवाल उठने लगे थे. नवाज शरीफ और बिलावल भुट्टो ने न सिर्फ चुनाव में धांधली के इल्जाम लगाये बल्कि फिर से चुनाव कराने की भी मांग की है.

पाक चुनाव के निष्पक्ष होने पर जो सवाल उठ रहे हैं उस पर यूरोपियन यूनियन के पर्यवेक्षकों ने भी मुहर लगा दी है. चुनाव पर्यवेक्षक मिशन का मानना है कि 25 जुलाई को हुए चुनाव पर पाकिस्तान के राजनीतिक माहौल का नकारात्मक प्रभाव पड़ा और सभी दलों को प्रचार का बराबर मौका नहीं मिल पाया.

पर्यवेक्षकों की टीम का कहना है, "चुनाव में कई तरह की पाबंदियों का असर रहा. वोटिंग की प्रक्रिया तो पारदर्शी रही, लेकिन काउंटिंग में कुछ न कुछ गड़बड़ हुई है.’

सलाह तो अच्छी है, मगर मंसूबे भी समझें महबूबा...

पाकिस्तान चुनाव में इमरान खान की तहरिक-ए-इंसाफ को 117 सीटें मिली हैं, जबकि नवाज शरीफ की पीएमएल-एन ने 64 सीटें जीती हैं - और भुट्टो-जरदारी की पीपीपी 43 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही.

चुनाव नतीजे घोषित होने के पहले से ही कयास लगने शुरू हो गये थे कि गद्दी पर इमरान खान ही बैठने वाले हैं. इसके पीछे फौज की बड़ी भूमिका की चर्चा जोर शोर से चर्चा रही. नवाज शरीफ को कानूनी तरीके से बेदखल करने और बगैर तरीके से उनकी दलील सुने उन्हें सजा सुनाने के चलते शक और गहराता गया.

अब तो अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के पूर्व विश्लेषणकर्ता ब्रुस रीडेल की चेतावनी भी सामने आ चुकी है - 'दुनिया का सबसे खतरनाक देश और ज्यादा खतरनाक होने वाला है.'

दक्षिण एशिया मामलों के विशेषज्ञ रीडेल ने इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ इमरान खान का सत्ता में आना है. वैसे भी पाकिस्तान की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले हर किसी को इमरान खान पाक फौज की कठपुतली से ज्यादा नहीं लग रहे हैं.

महबूबा की मोदी सरकार को सलाह

जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र की मोदी सरकार को पाकिस्तान से बातचीत शुरू करने की सलाह दी है. महबूबा ने ये सलाह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने जा रहे इमरान खान के भारत की तरफ दोस्ती के हाथ बढ़ाने को लेकर दी है.

पीडीपी नेता का कहना है, "पाकिस्तान में नयी सरकार बन रही है... एक नया प्रधानमंत्री भी... उन्होंने दोस्ती की पेशकश की है. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से गुजारिश करना चाहती हूं कि वो इस ऑफर को सकारात्मक तरीके से लें."

चुनाव नतीजे आने के बाद राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान इमरान खान ने कहा था कि वो पड़ोसी मुल्कों से अच्छे ताल्लुकात रखना चाहते हैं. इमरान ने कहा था कि बातचीत के लिए भारत अगर एक कदम आगे बढ़ेगा तो हम दो कदम आगे आएंगे.

भारत तो बातचीत चाहता ही, पहले इरादे तो बदले पाकिस्तान

इमरान खान ने बातचीत की पेशकश के साथ पाकिस्तानी राग कश्मीर भी गाकर तुरंत ही सुना दिया. जम्मू-कश्मीर में मानव अधिकारों के उल्लंघन की बात कर इमरान ने ये भी जता दिया कि किसी को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिये कि भारत के प्रति पाकिस्तान के रूख में कोई तब्दीली भी आयी है.

बेशक इमरान खान पेशेवर क्रिकेटर रहे हैं, लेकिन उनकी पॉलिटिक्स किसी भी तरीके से पाक साफ नहीं लग रही है जिसकी असली वजह है उनकी सोच. इमरान ने जिस अंदाज में कश्मीर का मसला उछाला उसी से साफ हो गया था कि उनके इरादे क्या हैं? उनके इरादे क्या कहें - वो तो फौज के भोंपू भर बन कर रह गये हैं. मालूम नहीं महबूबा मुफ्ती को इन बातों से कोई फर्क भी पड़ता है या नहीं?

इन्हें भी पढ़ें :

पड़ोसियों से अच्छे ताल्लुकात की बात से बेमेल इमरान खान का राग कश्मीर!

इमरान खान की इस बात से भारत को क्यों सतर्क रहने की ज़रूरत है

क्रिकेट की बात छोड़िये इमरान खान का असली चेहरा देखिये


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲