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इमरान खान की इस बात से भारत को क्यों सतर्क रहने की ज़रूरत है

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 27 जुलाई, 2018 10:06 PM
  • 27 जुलाई, 2018 10:06 PM
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इतिहास गवाह है कि जब-जब कश्मीर मुद्दे पर भारत ने पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की कोशिश की है, बदले में पाकिस्तान ने हमारी पीठ में छुरा ही भोंका है.

पाकिस्तान चुनाव में जीत हासिल करने के बाद तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के मुखिया इमरान खान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंध बनाने की वकालत करते हुए कश्मीर मुद्दे पर कहा कि 'अगर भारत इस मसले पर एक कदम आगे बढ़ता है तो हम दो कदम आगे बढ़ेंगे'. लेकिन इतिहास गवाह है कि जब-जब कश्मीर मुद्दे पर भारत ने पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की कोशिश की है, बदले में पाकिस्तान ने हमारी पीठ में छुरा ही भोंका है.

'अगर भारत इस मसले पर एक कदम आगे बढ़ता है तो हम दो कदम आगे बढ़ेंगे'

आइये जानते हैं कैसे पाकिस्तान ने हमारे साथ वार्ता के बाद ना'पाक' हरकतें की हैं-

फरवरी 1999: भारत और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज़ शरीफ के बीच लाहौर समझौता हुआ. बदले में मई महीने के अंत में पाकिस्तान ने कारगिल पर कब्ज़ा कर लिया जिसमें 527 भारतीय जवान शहीद हुए.  

जुलाई 2001: भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के बीच आगरा समिट हुआ. बदले में पाकिस्तान ने दिसम्बर में भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला करवा दिया जिसमें 14  लोगों की जानें चली गई थीं.

सितम्बर 2008: भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी ने व्यापार समझौता किया लेकिन एक महीने के बाद ही यानि नवम्बर में पाकिस्तान ने मुंबई पर आतंकवादी हमला करवा दिया था जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई थी.

जुलाई 2015: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ रूस के उफ़ा शहर में जॉइंट स्टेटमेंट जारी किये. जुलाई महीने के...

पाकिस्तान चुनाव में जीत हासिल करने के बाद तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के मुखिया इमरान खान ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर संबंध बनाने की वकालत करते हुए कश्मीर मुद्दे पर कहा कि 'अगर भारत इस मसले पर एक कदम आगे बढ़ता है तो हम दो कदम आगे बढ़ेंगे'. लेकिन इतिहास गवाह है कि जब-जब कश्मीर मुद्दे पर भारत ने पाकिस्तान के साथ संबंध सुधारने की कोशिश की है, बदले में पाकिस्तान ने हमारी पीठ में छुरा ही भोंका है.

'अगर भारत इस मसले पर एक कदम आगे बढ़ता है तो हम दो कदम आगे बढ़ेंगे'

आइये जानते हैं कैसे पाकिस्तान ने हमारे साथ वार्ता के बाद ना'पाक' हरकतें की हैं-

फरवरी 1999: भारत और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और नवाज़ शरीफ के बीच लाहौर समझौता हुआ. बदले में मई महीने के अंत में पाकिस्तान ने कारगिल पर कब्ज़ा कर लिया जिसमें 527 भारतीय जवान शहीद हुए.  

जुलाई 2001: भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ के बीच आगरा समिट हुआ. बदले में पाकिस्तान ने दिसम्बर में भारतीय संसद पर आतंकवादी हमला करवा दिया जिसमें 14  लोगों की जानें चली गई थीं.

सितम्बर 2008: भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली ज़रदारी ने व्यापार समझौता किया लेकिन एक महीने के बाद ही यानि नवम्बर में पाकिस्तान ने मुंबई पर आतंकवादी हमला करवा दिया था जिसमें 166 लोगों की मौत हो गई थी.

जुलाई 2015: भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ रूस के उफ़ा शहर में जॉइंट स्टेटमेंट जारी किये. जुलाई महीने के अंत में और अगले ही महीने अगस्त में आतंकवादियों ने उधमपुर और गुरदासपुर में पुलिस चौकियों पर हमले कर 6 जवानों को शहीद और 3 नागरिकों को मौत के घाट उतर दिया था, जिसमें पाकिस्तान के हाथ होने की पुष्टि हुई थी.

दिसम्बर 2015: बात 25 दिसम्बर 2015 की है जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अफ़ग़ानिस्तान से लौटते वक़्त आश्चर्यजनक रूप से उस समय के तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को उनको जन्मदिन की बधाई देने लाहौर पहुंच गए थे, लेकिन हमारे पड़ोसी पाकिस्तान ने नए साल पर यानि एक हफ्ते बाद ही पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर आतंकवादी हमला करवाकर 7 जवानों को शहीद व 1 नागरिक को मरवा डाला था.

इस प्रकार पाकिस्तान के इन कारनामों को देखते हुए इमरान खान जो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बनने की कगार पर हैं उनके वक़्तव्य पर कैसे विश्वास किया जा सकता है?

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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