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मायावती ही सपा-बसपा गठबंधन की नेता, मुलायम-अखिलेश नतमस्तक

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 20 अप्रिल, 2019 04:48 PM
  • 19 अप्रिल, 2019 04:48 PM
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अखिलेश यादव के मायावती के साथ हाथ मिलाने के तीन महीने बाद मुलायम सिंह भी साथ हो लिये हैं. करीब ढाई दशक बाद मायावती के साथ मंच साझा करते हुए मुलायम सिंह ने एहसान माना भी और एहसानमंद दिखे भी. मायावती ने भी जता दिया गठबंधन की नेता वही हैं.

मुलायम सिंह यादव के लिए वोट मांगने मैनपुरी पहुंची मायावती के प्रति समाजवादी पार्टी नेता ने कई बार आभार जताया और माना - 'मैं एहसानमंद हूं.' आत्मविश्वास से लबालब नजर आ रहीं मायावती ने मुलायम सिंह को जिताने की लोगों से अपील तो की, लेकिन ये भी जता दिया कि वो 2 जून 1995 का गेस्टहाउस कांड भूली नहीं हैं. पूरी रैली में मायावती का दबदबा दिखा और मुलायम सिंह यादव एहसानमंद नजर आये. अखिलेश यादव के हाव भाव से भी एक बार फिर यही देखने को मिला कि यूपी के सपा-बसपा गठबंधन की नेता सिर्फ मायावती हैं, कोई और नहीं.

जिताओगे क्या?

हाल तक मुलायम सिंह यादव यूपी में सपा-बसपा गठबंधन से खफा थे और ये कह कर नाराजगी जतायी थी कि आधी सीटें तो पहले ही हार गये - नेताओं और कार्यकर्ताओं को कैसे संभालोगे? मुलायम सिंह यादव की ये टिप्पणी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बेटे अखिलेश यादव के लिए थी.

मायावती के साथ चुनावी मंच साझा करने आये मुलायम सिंह पर उम्र का पूरा असर नजर आ रहा था. अपने भाषण में मुलायम सिंह ने 6 बार मायावती का नाम लिया और एक बार बहुजन समाज पार्टी का भी किया. इसी तरह मायावती ने मुलायम सिंह और साइकल का जिक्र 16 बार, महागठबंधन का 10 बार, एनडीए/बीजेपी का 8 बार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 11 बार, अच्छे दिन 1 बार, दलित 2 बार और 3 बार रोजगार की चर्चा की. अखिलेश यादव ने अपने भाषण में मुलायम सिंह का नाम 8 बार, मायावती का 2 बार, महागठबंधन 6 बार, प्रधानमंत्री मोदी का नाम 3 बार, विकास 4 बार, चाय और चायवाला 4 बार, किसान 6 बार, नया भारत और प्रधानमंत्री 4 बार, पिछड़ा और ओबीसी 3 बार और दलित शब्द का जिक्र 1 बार किया. मुलायम सिंह यादव का भाषण काफी छोटा रहा और उसमें भी सबसे ज्यादा जोर एक ही सवाल पर रहा - 'जिताओगे क्या?'

1. "आपसे कहना चाहते हैं मैनपुरी में आकर हम... चुनाव में हमें भारी बहुमत से जिता देना. पहले जिताते आए हो, पहले से ज्यादा जिताना. मेरे भाषण आप बहुत सुन चुके हैं, ज्यादा नहीं बोलूंगा... मैनपुरी के लोगों आखिरी बार हम आपके कहने पर...

मुलायम सिंह यादव के लिए वोट मांगने मैनपुरी पहुंची मायावती के प्रति समाजवादी पार्टी नेता ने कई बार आभार जताया और माना - 'मैं एहसानमंद हूं.' आत्मविश्वास से लबालब नजर आ रहीं मायावती ने मुलायम सिंह को जिताने की लोगों से अपील तो की, लेकिन ये भी जता दिया कि वो 2 जून 1995 का गेस्टहाउस कांड भूली नहीं हैं. पूरी रैली में मायावती का दबदबा दिखा और मुलायम सिंह यादव एहसानमंद नजर आये. अखिलेश यादव के हाव भाव से भी एक बार फिर यही देखने को मिला कि यूपी के सपा-बसपा गठबंधन की नेता सिर्फ मायावती हैं, कोई और नहीं.

जिताओगे क्या?

हाल तक मुलायम सिंह यादव यूपी में सपा-बसपा गठबंधन से खफा थे और ये कह कर नाराजगी जतायी थी कि आधी सीटें तो पहले ही हार गये - नेताओं और कार्यकर्ताओं को कैसे संभालोगे? मुलायम सिंह यादव की ये टिप्पणी समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बेटे अखिलेश यादव के लिए थी.

मायावती के साथ चुनावी मंच साझा करने आये मुलायम सिंह पर उम्र का पूरा असर नजर आ रहा था. अपने भाषण में मुलायम सिंह ने 6 बार मायावती का नाम लिया और एक बार बहुजन समाज पार्टी का भी किया. इसी तरह मायावती ने मुलायम सिंह और साइकल का जिक्र 16 बार, महागठबंधन का 10 बार, एनडीए/बीजेपी का 8 बार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 11 बार, अच्छे दिन 1 बार, दलित 2 बार और 3 बार रोजगार की चर्चा की. अखिलेश यादव ने अपने भाषण में मुलायम सिंह का नाम 8 बार, मायावती का 2 बार, महागठबंधन 6 बार, प्रधानमंत्री मोदी का नाम 3 बार, विकास 4 बार, चाय और चायवाला 4 बार, किसान 6 बार, नया भारत और प्रधानमंत्री 4 बार, पिछड़ा और ओबीसी 3 बार और दलित शब्द का जिक्र 1 बार किया. मुलायम सिंह यादव का भाषण काफी छोटा रहा और उसमें भी सबसे ज्यादा जोर एक ही सवाल पर रहा - 'जिताओगे क्या?'

1. "आपसे कहना चाहते हैं मैनपुरी में आकर हम... चुनाव में हमें भारी बहुमत से जिता देना. पहले जिताते आए हो, पहले से ज्यादा जिताना. मेरे भाषण आप बहुत सुन चुके हैं, ज्यादा नहीं बोलूंगा... मैनपुरी के लोगों आखिरी बार हम आपके कहने पर खड़े हुए हैं. भारी बहुमत से हमें जिताना... जिताओगे क्या?"

2. "आज महिलाओं का शोषण हो रहा है... बहुत जबर्दस्त तरीके से... इसके लिए हमने लोकसभा में सवाल उठाया. संकल्प लिया गया कि महिलाओं का शोषण नहीं होने दिया जाएगा."

3. "आज हमारी आदरणीय मायावती जी आई हैं... हम उनका स्वागत करते हैं... मैं आपके इस एहसान को कभी नहीं भूलूंगा. मायावती जी का बहुत सम्मान करना हमेशा. समय-समय पर उन्होंने हमारा साथ दिया है."

सपा-बसपा गठबंधन के वक्त भी मायावती ने इस बात का अच्छे से एहसास कराया था कि वो लखनऊ के गेस्ट हाउस कांड को न भूली हैं न कभी भूलेंगी, ठीक वैसे ही जैसे लालू प्रसाद ने नीतीश कुमार को लेकर महागठबंधन की प्रेस कांफ्रेंस में मुलायम सिंह की मौजूदगी में जहर पीने जैसी मिसाल दी थी. गठबंधन की ओर से मुलायम सिंह के लिए वोट मांगने मैनपुरी पहुंची मायावती ने गेस्ट हाउस कांड की पूरी तारीख का जिक्र कर साफ कर दिया कि उस घटना को वो जिंदगी भर नहीं भूल पाएंगी.

मैनपुरी में मंच साझा कर मायावती ने मुलायम पर किया एहसान!

2 जून 1995 का जोर देकर जिक्र करते हुए मायावती ने कहा, "कभी-कभी ऐसी परिस्थितियां आती हैं जब आपको देश के हित में कई कठिन फैसले लेने होते हैं."

रैली में जुटी भीड़ से मायावती गदगद नजर आयीं, बोलीं भी - "भीड़ देखकर लग रहा है कि आप लोग मुलायम सिंह यादवजी को रेकॉर्ड मतों से जिताएंगे."

मुलायम और मायावती के साथ साथ अखिलेश यादव ने भी समाजवादी पार्टी को मैनपुरी से रिकॉर्ड वोटों से जिताने की अपील की और भरोसा भी जताया कि ऐसा होकर रहेगा.

कौन असली कौन नकली?

पहले की ही तरह मैनपुरी में भी मायावती बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के प्रति बराबर हमलावर रहीं. मोदी की किसान सम्मान स्कीम और राहुल गांधी की न्याय योजना को भी हवाई बताते हुए मायावती ने स्थाई नौकरी देने का वादा किया.

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रैलियों में खुद की जाति के जिक्र पर भी मायावती ने हमला बोला. मुलायम सिंह यादव को पिछड़ों का असली नेता बताते हुए मायावती बोलीं, "मुलायम सिंह को यहां के लोग असली और अपना नेता मानकर चलते हैं... यह नकली और फर्जी पिछड़े वर्ग के नहीं हैं, ये पीएम मोदी की तरह नकली पिछड़े नहीं है."

मायावती ने काफी जोर देकर अपने भाषण का वो हिस्सा पढ़ा जहां लिखा था, "नकली और फर्जी व्यक्ति पिछड़े वर्गों का कभी भी भला नहीं कर सकता है."

मुलायम को जिताने की अपील के साथ ही मायावती ने लोगों को वोट देने का तरीका भी समझाया, "आप लोग साइकल चुनाव चिह्न को भूलना नहीं. तो आप लोग साइकल के सामने वाले बटन को दबाकर अपना वोट देना."

मायावती के असली और नकली पिछड़े की परिभाषा को अखिलेश यादव ने आगे बढ़ाया और कहा कि वो कागज पर पिछड़े हैं और हम लोग जन्म से पिछड़े हैं. गौर करने वाली एक बात और रही कि अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में बनाये गये एक्सप्रेसवे का क्रेडिट बीएसपी को भी दे दिया. गठबंधन से पहले यही अखिलेश यादव मायावती शासन में हुए विकास के कामों को पत्थर के हाथी और पार्क से याद दिलाया करते थे.

अखिलेश यादव ने कहा कि बसपा और सपा ने मिल कर दिल्ली का रास्ता करीब कर दिया है, इसलिए आप लोग वोट देकर सपा और बसपा के लिए दिल्ली का रास्ता करीब कर दें.

पूरे जोश में आने पर अखिलेश यादव बोले, "हमें प्रधानमंत्री की कुर्सी छीननी है."

ये तो नहीं मालूम कि मंच पर मुलायम सिंह यादव ने मायावती के प्रति जो आभार और सम्मान भाव प्रकट किया उसमें थोड़ा बहुत अफसोस भी रहा या नहीं, लेकिन मायावती आत्मविश्वास से लबालब नजर आ रही थीं. मुलायम सिंह यादव ने मायावती का एहसान माना तो बीएसपी नेता ने अपनी बातों और हाव भाव से जताया भी. अखिलेश यादव को देख कर तो पहले से ही लगता है कि गठबंधन में मायावती का ही दबदबा है, मंच पर मुलायम सिंह की मौजूदगी में भी मायावती ने अपने हाव भाव से ये जताने की पूरी कोशिश की कि सपा-बसपा गठबंधन तो वो ही चला रही हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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