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मायावती ने पहली बार बसपा को वोट नहीं दिया, मोदी विरोध जो न करा दे!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 06 मई, 2019 04:11 PM
  • 06 मई, 2019 04:11 PM
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अब इसे मोदी- शाह का विजय रथ रोकने के लिए राजनीतिक मज़बूरी कहें या सत्ता सुख हासिल करने की भूख मायावती ने पहली बार अपनी पार्टी से अलग जाकर साइकिल को वोट दिया और सपा को मजबूत किया है.

17 वीं लोकसभा के लिए पांचवे चरण का मतदान जारी है. यूपी की 14 सीटों पर मतदान सुबह 7 बजे से जारी है. क्या आम क्या खास, देश का प्रत्येक नागरिक कतार में है और अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर एक मजबूत सरकार चुनने को आतुर है. खबर सपा बसपा के खेमे से है और इनके वोटबैंक को प्रभावित करने वाली है. बताया जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी इंटर कॉलेज के बूथ पर वोट डाला है.

यूं तो किसी आम भारतीय की तरह मायावती का वोट डालना कोई बड़ी बात नहीं है. अहम है मायावती का उस पार्टी को वोट करना जो एक जमाने में उनकी पॉलिटिकल राइवल थी. लखनऊ में मायावती ने अपना बहुमूल्य मत समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार पूनम सिन्हा को दिया है. मायावती ने मतदाताओं से वोट का सही इस्तेमाल करने की अपील करते हुए कहा कि लोग ज्यादा से ज्यादा तादाद में वोट करने जाएं. ज्ञात हो कि पांचवें चरण में 7 राज्यों की 51 सीटों पर 674 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है.

ऐसे तमाम कारण हैं जो बताते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती का दिया वोट इतिहास में दर्ज होगा

ध्यान रहे कि लखनऊ से बसपा का कोई भी कैंडिडेट मैदान में नहीं है. केंद्र की सत्ता से मोदी को हटाने के लिए बने सपा बसपा गठबंधन ने लखनऊ के लिए पूनम सिन्हा के रूप में एक बड़ा दाव खेला है और माना यही जा रहा है कि इस चुनाव में पहली बार मायावती ने साइकिल का बटन दबाकर सपा को वोट दिया है.

गौरतलब है कि इससे पहले सपा बसपा 1993 में एक जुट हुए थे और तब यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार को टिकट मिलने के कारण मायावती ने अपना वोट उसे ही दिया था. अब चूंकि...

17 वीं लोकसभा के लिए पांचवे चरण का मतदान जारी है. यूपी की 14 सीटों पर मतदान सुबह 7 बजे से जारी है. क्या आम क्या खास, देश का प्रत्येक नागरिक कतार में है और अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर एक मजबूत सरकार चुनने को आतुर है. खबर सपा बसपा के खेमे से है और इनके वोटबैंक को प्रभावित करने वाली है. बताया जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ के सिटी मॉन्टेसरी इंटर कॉलेज के बूथ पर वोट डाला है.

यूं तो किसी आम भारतीय की तरह मायावती का वोट डालना कोई बड़ी बात नहीं है. अहम है मायावती का उस पार्टी को वोट करना जो एक जमाने में उनकी पॉलिटिकल राइवल थी. लखनऊ में मायावती ने अपना बहुमूल्य मत समाजवादी पार्टी से उम्मीदवार पूनम सिन्हा को दिया है. मायावती ने मतदाताओं से वोट का सही इस्तेमाल करने की अपील करते हुए कहा कि लोग ज्यादा से ज्यादा तादाद में वोट करने जाएं. ज्ञात हो कि पांचवें चरण में 7 राज्यों की 51 सीटों पर 674 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी है.

ऐसे तमाम कारण हैं जो बताते हैं कि 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती का दिया वोट इतिहास में दर्ज होगा

ध्यान रहे कि लखनऊ से बसपा का कोई भी कैंडिडेट मैदान में नहीं है. केंद्र की सत्ता से मोदी को हटाने के लिए बने सपा बसपा गठबंधन ने लखनऊ के लिए पूनम सिन्हा के रूप में एक बड़ा दाव खेला है और माना यही जा रहा है कि इस चुनाव में पहली बार मायावती ने साइकिल का बटन दबाकर सपा को वोट दिया है.

गौरतलब है कि इससे पहले सपा बसपा 1993 में एक जुट हुए थे और तब यूपी विधानसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार को टिकट मिलने के कारण मायावती ने अपना वोट उसे ही दिया था. अब चूंकि सपा बसपा गठबंधन ने पूनम सिन्हा को टिकट दिया है इसलिए ये पहला मौका है जब बसपा प्रमुख ने हाथी के अलावा किसी और बटन को दबाकर साइकिल को वोट दिया है.

बात अगर उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से अन्य कैंडिडेट की हो तो यहां से भाजपा ने केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को टिकट दिया है जबकि आचार्य प्रमोद कृष्णन को कांग्रेस की तरफ से रण विजय कर परचम लहराने की जिम्मेदारी मिली है. आपको बताते चलें कि लोकसभा चुनाव 2019 में मोदी-शाह के विजय रथ को उत्तर प्रदेश में रोकने के लिए अखिलेश यादव और मायावती ने कहा था कि दोनों पार्टियां गठबंधन कर रही है. साथ ही दोनों ही दलों ने ये भी बताया था कि बसपा 38 तो सपा ने 37 सीटों पर चुनाव लड़ेगी.

बहरहाल, उत्तर प्रदेश में सपा बसपा का ये गठबंधन मोदी शाह के विजय रथ को रोकने में कितना कारगर साबित होगा इसका फैसला 23 मई हो हो जाएगा. मगर जिस तरह मोदी विरोध के नाम पर मायावती ने एक ऐसे दल को अपना मत दिया है जिसकी कई मौकों पर उन्होंने आलोचना की है. ये बताता है कि जब बात कुर्सी और सत्ता सुख भोगने की आती है तो राजनीति में सारे गिले शिकवे मिट जाते हैं. उस समय व्यक्ति उस कहावत पर अमल करने का प्रयास करता है जिसके अंतर्गत जरूरत पड़ने पर गधे को भी पिता का दर्जा देकर निष्काम भाव से उसकी सेवा की जाती है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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