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मायावती के जन्मदिन का केक कटा... बंटा... और लुटा

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 16 जनवरी, 2019 10:24 PM
  • 16 जनवरी, 2019 10:24 PM
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केक लूटने की इन वीडियो को देखकर यूं तो बसपा-सपा और अन्य राजनीतिक पार्टियों से लेकर आम जनता तक की हंसी छूट ही जाएगी, लेकिन जब हंसी रुके तो ये जरूर सोचिएगा कि हमारे देश में कोई इतना गरीब क्यों है कि उसे लूटमार कर केक खाना पड़ रहा है.

जन्मदिन के मौके पर केक का कटना और दोस्तों-रिश्तेदारों में बांटना तो आम बात है. लेकिन अगर जन्मदिन मायावती का हो, तो बात कुछ और ही होती है. 15 जनवरी को मायावती ने अपना 63वां जन्मदिन मनाया और इस मौके पर उन्होंने 63 किलो का केक काटा. अमरोहा में इस खास मौके पर एक बड़ा आयोजन किया गया था. इस अवसर पर मायावती ने अपनी किताब 'अ ट्रैवलॉग ऑफ माइ स्ट्रगल-रिडेन लाइफ ऐंड बीएसपी मूवमेंट' का विमोचन भी किया. स्टेज पर सपा और बसपा का गठबंधन साफ दिख रहा था. लेकिन जब केक काटा गया, उसके बाद तस्वीर ही बदल गई.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने जन्मदिन पर केक काटा और उसके बाद बसपा नेताओं ने सपा नेताओं को अपने हाथों से केक खिलाया. यहां तक को सब ठीक था, लेकिन जैसे ही ये केक जनता में बांटना शुरू किया गया, वैसे ही अफरा-तफरी मच गई. केक पर भीड़ टूट पड़ी. देखते ही देखते पूरा केक वहां मौजूद लोग झपट्टा मार-मारकर ले गए. हालात ऐसे हो गए कि केक की लूट मच गई. यहां तक कि जिस बोर्ड के ऊपर केक था, वो भी भीड़ ने खींचकर अपनी ओर गिरा दिया और केक लूटने लगे. फिलहाल केक की लूट के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं.

बात सिर्फ केक की नहीं...

केक की लूट मचना ये दिखाता है कि वहां पहुंचे लोगों के हालात कैसे हैं. इससे ये दिखता है कि अभी भी एक वर्ग दो वक्त की रोटी के लिए तरसता है. वरना इस तरह लूटमार कर केक कौन खाएगा? केक लूटने वालों में एक बुजुर्ग शख्स भी है, जो स्टेज के परदे तक पर लगे केक को हाथों से निकाल कर खा रहा है.

जन्मदिन के मौके पर केक का कटना और दोस्तों-रिश्तेदारों में बांटना तो आम बात है. लेकिन अगर जन्मदिन मायावती का हो, तो बात कुछ और ही होती है. 15 जनवरी को मायावती ने अपना 63वां जन्मदिन मनाया और इस मौके पर उन्होंने 63 किलो का केक काटा. अमरोहा में इस खास मौके पर एक बड़ा आयोजन किया गया था. इस अवसर पर मायावती ने अपनी किताब 'अ ट्रैवलॉग ऑफ माइ स्ट्रगल-रिडेन लाइफ ऐंड बीएसपी मूवमेंट' का विमोचन भी किया. स्टेज पर सपा और बसपा का गठबंधन साफ दिख रहा था. लेकिन जब केक काटा गया, उसके बाद तस्वीर ही बदल गई.

बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने जन्मदिन पर केक काटा और उसके बाद बसपा नेताओं ने सपा नेताओं को अपने हाथों से केक खिलाया. यहां तक को सब ठीक था, लेकिन जैसे ही ये केक जनता में बांटना शुरू किया गया, वैसे ही अफरा-तफरी मच गई. केक पर भीड़ टूट पड़ी. देखते ही देखते पूरा केक वहां मौजूद लोग झपट्टा मार-मारकर ले गए. हालात ऐसे हो गए कि केक की लूट मच गई. यहां तक कि जिस बोर्ड के ऊपर केक था, वो भी भीड़ ने खींचकर अपनी ओर गिरा दिया और केक लूटने लगे. फिलहाल केक की लूट के वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहे हैं.

बात सिर्फ केक की नहीं...

केक की लूट मचना ये दिखाता है कि वहां पहुंचे लोगों के हालात कैसे हैं. इससे ये दिखता है कि अभी भी एक वर्ग दो वक्त की रोटी के लिए तरसता है. वरना इस तरह लूटमार कर केक कौन खाएगा? केक लूटने वालों में एक बुजुर्ग शख्स भी है, जो स्टेज के परदे तक पर लगे केक को हाथों से निकाल कर खा रहा है.

केक की लूट मचना ये दिखाता है कि वहां पहुंचे लोगों के हालात कैसे हैं.

स्टेज 'तोड़ने' पहुंच गए थे सपा कार्यकर्ता

जब कोई स्टेज बनाया जाता है तो उसकी एक क्षमता होती है. लेकिन जब यूपी में सपा की सरकार बनी थी और अखिलेश यादव ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब सपा के नेताओं ने स्टेज को अखाड़ा बना दिया था. अखिलेश यादव शपथ लेकर अभी स्टेज से हटे ही थे, कि सपा कार्यकर्ता स्टेज पर चढ़ गए. एक दो नहीं, बल्कि पूरी भीड़ स्टेज पर इतने लोग थे कि धक्का मुक्की होने लगी. सीधे खड़े होने की भी जगह नहीं थी. ये वीडियो देखकर आप भी समझ जाएंगे कि वहां पर हालात कैसे हो गए थे.

अखिलेश यादव के शपथ ग्रहण में तो सारे कार्यकर्ता ही थे, जो अपने समर्थकों को अपनी झलक दिखाने के चक्कर में धक्का मुक्की कर रहे थे. लेकिन मायावती के समारोह में केक लूटने वाले कार्यकर्ता ही नहीं, बल्कि आम जनता भी थी, जिसमें बच्चे भी थे. केक लूटने की इन वीडियो को देखकर यूं तो बसपा-सपा और अन्य राजनीतिक पार्टियों से लेकर आम जनता तक की हंसी छूट ही जाएगी, लेकिन जब हंसी रुके तो ये जरूर सोचिएगा कि हमारे देश में कोई इतना गरीब क्यों है कि उसे लूटमार कर केक खाना पड़ रहा है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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