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NaMo app बन गया है मोदी और अमित शाह के लिए चुनावी हथियार

    • अनुज मौर्या
    • Updated: 15 जनवरी, 2019 06:10 PM
  • 15 जनवरी, 2019 06:10 PM
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17 जून 2015 को लांच हुआ Narendra Modi app अब अपनी उपयोगिता साबित कर रहा है. बीजेपी इस app के जरिए वो जानकारी जुटा रही है, जिसका इस्‍तेमाल 2019 के लोकसभा चुनाव की रणनीति बनाने में किया जाएगा.

लोकसभा चुनाव बेहद करीब आ चुके हैं और इसी के मद्देनजर सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी रणनीति बनाने में जुट गई हैं. जहां एक ओर विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने की रणनीति बना रही है और महागठबंधन तैयार कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार सीधे जनता से कुछ सवालों के जवाब लेकर सर्वे कर रही है. ये सर्वे नरेंद्र मोदी के Namo App पर किया जा रहा है, जिसमें कुछ सवालों पर लोगों से उनका फीडबैक मांगा जा रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सत्ताधारी दल के रूप में चुनाव लड़ने जा रही है, जिसमें चुनौतियां भी काफी अधिक हैं. ऐसे में पीएम मोदी सीधे ग्राउंड लेवल से मिली जानकारी जुटाने में लगे हैं.

लोगों से मिले फीडबैक का इस्तेमाल दो लेवल पर किया जा सकता है. एक तो मोदी की पॉलिसी के लिए, जिसका जिक्र उनके भाषणों में सुनने को मिलेगा. और दूसरा भाजपा की राजनीतिक के लिए, जो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के काम आएगा. लोगों का फीडबैक बताएगा कि उनके इलाके में क्या हालात हैं. लोग खुश हैं या परेशान? और अगर परेशान हैं तो वहां के स्थानीय भाजपा नेता उसका समाधान करने के लिए कुछ कर भी रहे हैं या नहीं? सर्वे से मिली जानकारी से आगे की रणनीति बनाई जाएगी. पीएम मोदी ने लोगों से सर्वे में भाग लेने और अपने दोस्तों को भी सर्वे में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करने का आग्रह किया है. इसका एक छोटा सा वीडियो उन्होंने ट्वीट भी किया है.

मोदी सरकार की नीतियों पर राय मांगी जा रही है:

पहले बात करते हैं उन फीडबैक की, जो मोदी सरकार ने अपने शासनकाल में लागू की हैं. बीजेपी इन नीतियों को लेकर लोगों का रुझान जान रही है, ताकि उसके आधार पर नेताओं के भाषण और बाकी कैंपेन तैयार करवाए जाएं. जिन नीतियों पर फोकस करके रेटिंग मांगी गईं, वे कुछ इस प्रकार हैं:

किफायती स्वास्थ्य सुविधाएं- मोदी केयर...

लोकसभा चुनाव बेहद करीब आ चुके हैं और इसी के मद्देनजर सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी रणनीति बनाने में जुट गई हैं. जहां एक ओर विपक्षी पार्टियां एकजुट होकर मोदी सरकार को सत्ता से बाहर करने की रणनीति बना रही है और महागठबंधन तैयार कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर मोदी सरकार सीधे जनता से कुछ सवालों के जवाब लेकर सर्वे कर रही है. ये सर्वे नरेंद्र मोदी के Namo App पर किया जा रहा है, जिसमें कुछ सवालों पर लोगों से उनका फीडबैक मांगा जा रहा है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सत्ताधारी दल के रूप में चुनाव लड़ने जा रही है, जिसमें चुनौतियां भी काफी अधिक हैं. ऐसे में पीएम मोदी सीधे ग्राउंड लेवल से मिली जानकारी जुटाने में लगे हैं.

लोगों से मिले फीडबैक का इस्तेमाल दो लेवल पर किया जा सकता है. एक तो मोदी की पॉलिसी के लिए, जिसका जिक्र उनके भाषणों में सुनने को मिलेगा. और दूसरा भाजपा की राजनीतिक के लिए, जो बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के काम आएगा. लोगों का फीडबैक बताएगा कि उनके इलाके में क्या हालात हैं. लोग खुश हैं या परेशान? और अगर परेशान हैं तो वहां के स्थानीय भाजपा नेता उसका समाधान करने के लिए कुछ कर भी रहे हैं या नहीं? सर्वे से मिली जानकारी से आगे की रणनीति बनाई जाएगी. पीएम मोदी ने लोगों से सर्वे में भाग लेने और अपने दोस्तों को भी सर्वे में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करने का आग्रह किया है. इसका एक छोटा सा वीडियो उन्होंने ट्वीट भी किया है.

मोदी सरकार की नीतियों पर राय मांगी जा रही है:

पहले बात करते हैं उन फीडबैक की, जो मोदी सरकार ने अपने शासनकाल में लागू की हैं. बीजेपी इन नीतियों को लेकर लोगों का रुझान जान रही है, ताकि उसके आधार पर नेताओं के भाषण और बाकी कैंपेन तैयार करवाए जाएं. जिन नीतियों पर फोकस करके रेटिंग मांगी गईं, वे कुछ इस प्रकार हैं:

किफायती स्वास्थ्य सुविधाएं- मोदी केयर (आयुष्‍मान भारत) मोदी सरकार की एक बड़ी घोषणा है, लेकिन अभी तक इसका लाभ सभी लोगों तक नहीं पहुंचा है. लोग अपने सुझाव में ये बता सकते हैं कि उनके इलाके में स्वास्थ्य सुविधाओं की क्या हालत है.

किसानों की समृद्धि- पीएम मोदी घोषणा कर चुके हैं कि 2022 तक किसानों को मिलने की आय दोगुनी हो जाएगी. एमएसपी बढ़ाने की भी बात कही गई और ये दावा किया कि मोदी सरकार किसानों की हितैषी है. हालांकि, गुजरात चुनाव से लेकर हाल ही में हुए राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ चुनाव में ये किसानों का गुस्सा ही भाजपा की हार का कारण बना. ये देखना दिलचस्प होगा कि लोग पीएम मोदी को क्या फीडबैक देते हैं.

भ्रष्टाचार मुक्त सरकार- पीएम मोदी खुद और पूरी बीजेपी इस बात पर दम भरती आई है कि शासन के स्‍तर पर पिछले साल में कोई घोटाले नहीं हुए. हालांकि, राहुल गांधी और कांग्रेस राफेल डील को सबसे बड़ा घोटाला बताकर माहौल गरमाए हुए हैं.

स्वच्छ भारत- प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने स्वच्छ भारत अभियान शुरू किया था और खुले में शौच से मुक्ति पाने के लिए कई कदम उठाए. बहुत सारे शौचालय भी बनाए गए. लेकिन अब बारी है पूरे काम की रिपोर्ट जानने की और ये रिपोर्ट खुद जनता मोदी ऐप के जरिए देगी. पीएम मोदी ने खुद ही लोगों से इस पर उनकी राय मांगी है.

राष्ट्र सुरक्षा- उरी हमले के बाद पाकिस्‍तानी घुसपैठियों और आतंकियों को सबक सिखाने के लिए 29 सितंबर 2016 को पाकिस्तान में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक की गई थी. सर्जिकल स्ट्राइक ने उस गुस्से की आग को बुझाने में अहम भूमिका अदा की. अब नमो ऐप के जरिए पीएम मोदी ने राष्ट्र सुरक्षा पर भी लोगों की राय मांगी है, देखते हैं लोग उसका क्या जवाब देते हैं.

अर्थव्यवस्था- नवंबर 2016 में हुई नोटबंदी को कोई कैसे भूल सकता है. कालेधन को सिस्टम से निकाल फेंकने के उद्देश्य से की गई नोटबंदी के बाद कालाधन नहीं मिल सका. यूं तो नोटबंदी के बाद हुए यूपी चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को जीत हासिल हुई, लेकिन उसका राजनीति पर कैसा असर पड़ रहा है ये अभी तक साफ नहीं है. हो सकता है 2019 के चुनावों में नोटबंदी एक अहम भूमिका निभाए. यही वजह है कि लोगों से पीएम मोदी ने उनकी राय मांगी है.

इंफ्रास्ट्रक्चर- आए दिन पीएम मोदी किसी न किसी पुल या सड़क का उद्घाटन करते हैं. यानी ये कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में काफी काम हो रहा है. लेकिन ये भी जानना जरूरी है कि उससे लोगों को कितना फायदा हो रहा है और इसका पता तभी चलेगा जब लोगों से बात की जाएगी, उनका फीडबैक लिया जाएगा.

गरीबों का उद्धार- गरीब तबके के लोगों की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए पीएम मोदी ने जो भी किया है, उससे लोग कितने खुश हैं या नाराज हैं, इसकी रिपोर्ट भी नमो ऐप से मिलेगी. पीएम मोदी ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी का आरक्षण दिया है. बेशक इससे सवर्ण खुश हैं, लेकिन दलित और पिछले वर्ग के लोग भी पीएम मोदी से उतना ही खुश हैं या नहीं, ये देखना दिलचस्प होगा.

नौकरियां- ये वो वादा है, जिसे पीएम मोदी ने पिछले लोकसभा चुनाव में किया था. वादा था हर साल 2 करोड़ नौकरियां पैदा करने का, लेकिन इसमें मोदी सरकार असफल रही. राहुल गांधी भी आए दिन पीएम मोदी को नौकरियां पैदा करने का वादा याद दिलाते हुए आड़े हाथों लेते हैं. खैर, देश का युवा नौकरी न मिलने से परेशान है या नहीं और उसे इस बार पीएम मोदी से कुछ उम्मीद है या नहीं, नमो ऐप का सर्वे देखकर इन सबका अंदाजा लगाया जा सकेगा.

गांव में बिजली- पिछले ही साल अप्रैल के दौरान मोदी सरकार ने दावा किया था कि देश के सभी गांवों का विद्युतीकरण हो चुका है. हालांकि, उसके तुरंत बाद ही सोशल मीडिया पर कई लोगों ने अपने गांव के हालात बयां करने शुरू किए और बताया कि वहां बिजली नहीं पहुंची है. जहां पहुंची है वहां पर सिर्फ बिजली के तार लगे हैं, उनमें करंट नहीं है. खैर, सोशल मीडिया पर तो कई फर्जीवाड़े भी होते हैं, लेकिन नमो ऐप उस तस्वीर को साफ करने में पीएम मोदी की काफी मदद करेगा कि ग्रामीण लोगों को बिजली मिल रही है या नहीं.

पीएम मोदी सीधे ग्राउंड लेवल से मिली जानकारी जुटाने में लगे हैं, जिसका इस्तेमाल पॉलिसी बनाने और राजनीति दोनों में हो सकेगा.

बीजेपी की राजनीति का फीडबैक:

लोगों से नमो ऐप पर मिले फीडबैक के जरिए भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को 2019 के लोकसभा चुनावों की रणनीति बनाने में काफी मदद मिलेगी. देखिए राजनीतिक लिहाज से इस सर्वे में लोगों से क्या-क्या सवाल पूछे गए हैं.

1- जब आप वोट देने जाते हैं तो इनमें से कौन से मुद्दों को ध्यान में रखते हैं- सफाई, नौकरी, शिक्षा, कानून व्यवस्था, महंगाई, भ्रष्टाचार, किसान वेलफेयर.

2- अपने चुनाव क्षेत्र के तीन सबसे लोकप्रिय भाजपा नेताओं के नाम बताइए.

3- क्या आपको लगता है कि भारत सरकार का काम करने का तरीका पहले से बेहतर हुआ है? हां या ना?

4- क्या अब आप देश के भविष्य को लेकर पहले के मुकाबले अधिक सकारात्मक हैं?

5- क्या आपके चुनाव क्षेत्र में महागठबंधन का कोई असर दिखाई दे रहा है?

6- क्या आप भाजपा के लिए वॉलिंटरियर बनना पसंद करेंगे?

7- क्या आपने भाजपा को डोनेशन दिया है?

8- क्या आपने नमो के प्रोडक्ट लिए?

ये सारी जानकारियां जब भाजपा के पास होंगी तो पीएम मोदी अपने भाषणों में उनका जिक्र कर सकेंगे. अच्छे कामों को अपने प्रचार के तौर पर इस्तेमाल करेंगे और जहां कमी रह गई है, उसे सुधारने की कोशिश करेंगे. वहीं भाजपा अध्यक्ष अमित शाह इस फीडबैक के आधार पर ही 2019 के लोकसभा चुनाव का घोषणा पत्र तैयार करेंगे और इस बात का भी फैसला करेंगे कि किस सीट पर कौन से नेता को चुनाव लड़ने के लिए खड़ा करना उचित होगा. विपक्षी पार्टियों ने मिलकर सरकार के खिलाफ जो महागठबंधन बनाया है, उसकी जमीनी हकीकत का भी एक अंदाजा लगाया जा सकेगा. देखा जाए तो ये सर्वे मोदी सरकार की राजनीति के लिए रणनीति बनाने में मददगार साबित होगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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