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Marital rape पर कानून बने ना बने, लेकिन हालात बहुत भयानक हैं!

    • प्रवीण शेखर
    • Updated: 12 मई, 2022 08:56 PM
  • 12 मई, 2022 08:29 PM
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जहां तक वैवाहिक बलात्कार (marital rape) की बात है, पारिवारिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार लगभग 3 में से 1 महिला ने यौन, शारीरिक हिंसा का सामना किया है. इसकी बारीकी में जाएं तो हालात रोंगटे खड़े करने वाले हैं.

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण के मुद्दे पर एक खंडित फैसला सुनाया, जिसमें से एक न्यायाधीश ने प्रावधान को खत्म करने का समर्थन किया, और दूसरे ने कहा कि यह असंवैधानिक नहीं है. खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की इजाजत दिया है. अधिकांश सोशल एक्टिविस्ट कोर्ट के इस विभाजित फैसले से निराश रहे, परन्तु इस नवीनतम आदेश ने कम से कम वैवाहिक बलात्कार और पति-पत्नी की हिंसा के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है.

इस संदर्भ में आइए जानते हैं कि कितने प्रतिशत महिलाएं अपने पति द्वारा यौन और शारीरिक शोषण का शिकार होती हैं.

मैरिटल रेप पर जो बातें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 ने कही हैं वो चौंकाने वाली हैं

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, 18-49 आयु वर्ग की 3 में से लगभग 1 भारतीय महिला को किसी न किसी रूप में पति-पत्नी के दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है; और लगभग 6% ने यौन हिंसा का सामना किया है.

बता दें की ठीक पिछले हफ्ते स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 रिलीज किया था.

NFHS-5 सर्वेक्षण (2019-21) 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों (Ts) के 707 जिलों में लगभग 6.37 लाख नमूना घरों में आयोजित किया गया था, जिसमें जिला स्तर तक 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों शामिल थे.

यौन हिंसा के रूप

महिलाओं द्वारा सबसे अधिक रिपोर्ट की जाने वाली यौन हिंसा का रूप यह है कि उनके पति ने यौन संबंध बनाने के लिए शारीरिक बल का प्रयोग किया जब वे नहीं चाहती थीं (5%).

4% ने बताया कि उनके पति ने उन्हें धमकियों या अन्य तरीकों से यौन क्रिया करने के लिए मजबूर किया जो वे नहीं चाहती थीं.

3% ने...

दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को वैवाहिक बलात्कार के अपराधीकरण के मुद्दे पर एक खंडित फैसला सुनाया, जिसमें से एक न्यायाधीश ने प्रावधान को खत्म करने का समर्थन किया, और दूसरे ने कहा कि यह असंवैधानिक नहीं है. खंडपीठ ने सभी पक्षों को सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने की इजाजत दिया है. अधिकांश सोशल एक्टिविस्ट कोर्ट के इस विभाजित फैसले से निराश रहे, परन्तु इस नवीनतम आदेश ने कम से कम वैवाहिक बलात्कार और पति-पत्नी की हिंसा के मुद्दे को सुर्खियों में ला दिया है.

इस संदर्भ में आइए जानते हैं कि कितने प्रतिशत महिलाएं अपने पति द्वारा यौन और शारीरिक शोषण का शिकार होती हैं.

मैरिटल रेप पर जो बातें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 ने कही हैं वो चौंकाने वाली हैं

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, 18-49 आयु वर्ग की 3 में से लगभग 1 भारतीय महिला को किसी न किसी रूप में पति-पत्नी के दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है; और लगभग 6% ने यौन हिंसा का सामना किया है.

बता दें की ठीक पिछले हफ्ते स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 रिलीज किया था.

NFHS-5 सर्वेक्षण (2019-21) 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों (Ts) के 707 जिलों में लगभग 6.37 लाख नमूना घरों में आयोजित किया गया था, जिसमें जिला स्तर तक 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों शामिल थे.

यौन हिंसा के रूप

महिलाओं द्वारा सबसे अधिक रिपोर्ट की जाने वाली यौन हिंसा का रूप यह है कि उनके पति ने यौन संबंध बनाने के लिए शारीरिक बल का प्रयोग किया जब वे नहीं चाहती थीं (5%).

4% ने बताया कि उनके पति ने उन्हें धमकियों या अन्य तरीकों से यौन क्रिया करने के लिए मजबूर किया जो वे नहीं चाहती थीं.

3% ने बताया कि उनके पति ने उन्हें वे यौन क्रिया करने के लिए मजबूर किया जो वे नहीं चाहती थीं.

NFHS-5 सर्वेक्षण के महत्वपूर्ण निष्कर्ष:

सर्वेक्षण में कहा गया है कि 32% विवाहित महिलाओं ने शारीरिक, यौन या भावनात्मक हिंसा का सामना किया है.

27% ने सर्वेक्षण से पहले के 12 महीनों में कम से कम एक प्रकार की हिंसा का सामना किया है.

29% विवाहित महिलाओं ने वैवाहिक शारीरिक हिंसा का अनुभव किया है.

और 14% ने भावनात्मक हिंसा का सामना किया है.

शारीरिक हिंसा के कृत्यों में, सबसे आम प्रकार का थप्पड़ है, जो 25% विवाहित महिलाओं द्वारा रिपोर्ट किया गया है.

12% महिलाओं ने बताया कि उन्हें धक्का दिया गया, हिलाया गया या उन पर कुछ फेंका गया.

2% महिलाओं ने बताया कि उनके पति ने उन्हें जानबूझकर गला घोंटने या जलने की कोशिश की.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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