• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

ममता-सोनिया मुलाकात: क्या 2024 चुनाव के लिए विपक्ष का चेहरा तय होगा?

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 27 जुलाई, 2021 09:03 PM
  • 27 जुलाई, 2021 09:03 PM
offline
बीती 21 जुलाई को शहीद दिवस के कार्यक्रम में ममता बनर्जी ने भाजपा को रोकने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट होकर देश बचाने की जो अपील की थी. उससे काफी हद तक ये स्पष्ट हो गया था कि भाजपा के खिलाफ राजनीतिक दलों को एकत्र करने की मुहिम में वो कांग्रेस को भी लेकर चल रही हैं. कांग्रेस नेताओं के साथ तृणमूल कांग्रेस मुखिया की ये प्रस्तावित मुलाकात इसी का नतीजा कही जा सकती है.

2024 के लोकसभा चुनाव में अभी करीब तीन साल का वक्त बाकी है. भाजपा (BJP) के खिलाफ एक सशक्त विपक्षी मोर्चा खड़ा करने की पहल शरद पवार ने की थी. लेकिन, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के 'मोदी के खिलाफ मोर्चा असंभव' वाले बयान के बाद इस मोर्चे की हवा निकल गई थी. खुद शरद पवार ने भी मान लिया था कि कांग्रेस को नजरअंदाज कर किसी मोर्चे का बनना मुश्किल है. शायद इन तमाम बयानों को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने एक नसीहत की तरह लिया है. पश्चिम बंगाल में 'खेला होबे' का नारा लगाकर भाजपा (BJP) के अरमानों पर पानी फेरने वाली ममता बनर्जी अपनी पहली दिल्ली की यात्रा पर हैं. तृणमूल कांग्रेस की ओर से जारी की गई ममता बनर्जी के दिल्ली दौरे की जानकारी के अनुसार, वो कांग्रेस के तीन नेताओं से मुलाकात करेंगी. हालांकि, इस लिस्ट में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम नहीं है. लेकिन, इस बात की पूरी संभावना है कि इन नेताओं से मुलाकात के बाद ममता बनर्जी और सोनिया गांधी के बीच भी भेंट हो सकती है.

यास तूफान की समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के साथ हुए विवाद के बाद ये पहला मौका होगा, जब ममता बनर्जी पीएम से मुलाकात करेंगी. माना जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस मुखिया ने भी भाजपा के खिलाफ एक सशक्त मोर्चा बनाने की जिम्मेदारी अघोषित तौर पर प्रशांत किशोर के कंधों पर डाली है. शायद यही वजह रही होगी कि प्रशांत किशोर ने हाल ही में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ मीटिंग की. बताया जा रहा था कि इस मीटिंग में सोनिया गांधी भी वर्चुअल तौर पर जुड़ी थीं. इस मीटिंग में किस बात को लेकर चर्चा हुई इस पर केवल कयास लगाए गए, जो अभी तक केवल कयास ही साबित भी हुए हैं. लेकिन, ममता बनर्जी के इस दिल्ली दौरे पर विपक्ष के नेताओं से मुलाकात की बात से काफी हद कर स्थितियां साफ होती नजर आ रही हैं. भाजपा विरोधी दलों के संयुक्त मोर्चे में कांग्रेस को शामिल किए बिना ममता बनर्जी के मिशन 2024 की राह आसान नहीं होने वाली है.

2024 के लोकसभा चुनाव में अभी करीब तीन साल का वक्त बाकी है. भाजपा (BJP) के खिलाफ एक सशक्त विपक्षी मोर्चा खड़ा करने की पहल शरद पवार ने की थी. लेकिन, चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर के 'मोदी के खिलाफ मोर्चा असंभव' वाले बयान के बाद इस मोर्चे की हवा निकल गई थी. खुद शरद पवार ने भी मान लिया था कि कांग्रेस को नजरअंदाज कर किसी मोर्चे का बनना मुश्किल है. शायद इन तमाम बयानों को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) ने एक नसीहत की तरह लिया है. पश्चिम बंगाल में 'खेला होबे' का नारा लगाकर भाजपा (BJP) के अरमानों पर पानी फेरने वाली ममता बनर्जी अपनी पहली दिल्ली की यात्रा पर हैं. तृणमूल कांग्रेस की ओर से जारी की गई ममता बनर्जी के दिल्ली दौरे की जानकारी के अनुसार, वो कांग्रेस के तीन नेताओं से मुलाकात करेंगी. हालांकि, इस लिस्ट में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का नाम नहीं है. लेकिन, इस बात की पूरी संभावना है कि इन नेताओं से मुलाकात के बाद ममता बनर्जी और सोनिया गांधी के बीच भी भेंट हो सकती है.

यास तूफान की समीक्षा बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के साथ हुए विवाद के बाद ये पहला मौका होगा, जब ममता बनर्जी पीएम से मुलाकात करेंगी. माना जा रहा है कि तृणमूल कांग्रेस मुखिया ने भी भाजपा के खिलाफ एक सशक्त मोर्चा बनाने की जिम्मेदारी अघोषित तौर पर प्रशांत किशोर के कंधों पर डाली है. शायद यही वजह रही होगी कि प्रशांत किशोर ने हाल ही में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ मीटिंग की. बताया जा रहा था कि इस मीटिंग में सोनिया गांधी भी वर्चुअल तौर पर जुड़ी थीं. इस मीटिंग में किस बात को लेकर चर्चा हुई इस पर केवल कयास लगाए गए, जो अभी तक केवल कयास ही साबित भी हुए हैं. लेकिन, ममता बनर्जी के इस दिल्ली दौरे पर विपक्ष के नेताओं से मुलाकात की बात से काफी हद कर स्थितियां साफ होती नजर आ रही हैं. भाजपा विरोधी दलों के संयुक्त मोर्चे में कांग्रेस को शामिल किए बिना ममता बनर्जी के मिशन 2024 की राह आसान नहीं होने वाली है.

राहुल गांधी के खिलाफ सीधे तौर पर मोर्चा खोलने वाले जी-23 नेताओं में शामिल नेता से मुलाकात के कई संदर्भ निकल रहे हैं.

कांग्रेस को नजरअंदाज नहीं कर पाएंगी ममता

एक बात तो तय हो चुकी है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद ममता बनर्जी और भाजपा के बीच शुरू हुए रण का अंत अब 2024 लोकसभा चुनाव में ही होगा. विपक्षी राजनीति का केंद्र बनकर उभरीं ममता बनर्जी भाजपा विरोधी राजनीतिक दलों के गठबंधन का संभावित चेहरा हो सकती हैं. लेकिन, बीती 21 जुलाई को शहीद दिवस के कार्यक्रम में ममता बनर्जी ने भाजपा को रोकने के लिए विपक्षी दलों को एकजुट होकर देश बचाने की जो अपील की थी. उससे काफी हद तक ये स्पष्ट हो गया था कि भाजपा के खिलाफ राजनीतिक दलों को एकत्र करने की मुहिम में वो कांग्रेस को भी लेकर चल रही हैं. कांग्रेस नेताओं के साथ तृणमूल कांग्रेस मुखिया की ये प्रस्तावित मुलाकात इसी का नतीजा कही जा सकती है. ममता बनर्जी अब तक के तमाम मनमुटाव को भूलकर मिशन 2024 के लिए एक मजबूत विकल्प खोजने की ओर आगे बढ़ रही हैं.

ममता बनर्जी की जिन कांग्रेस नेताओं से मुलाकात होने वाली है, उनमें कमलनाथ, आनंद शर्मा और अभिषेक मनु सिंघवी का नाम शामिल है. इस लिस्ट में कांग्रेस आलाकमान के खिलाफ जी-23 नेताओं में शामिल आनंद शर्मा का नाम चौंकाने वाला कहा जा सकता है. राहुल गांधी के खिलाफ सीधे तौर पर मोर्चा खोलने वाले जी-23 नेताओं में शामिल नेता से मुलाकात के कई संदर्भ निकल रहे हैं. क्या ममता बनर्जी मिशन 2024 के लिए कांग्रेस के आंतरिक झगड़ों को सुलझाने में भी मदद करेंगी? जाहिर तौर पर इस मुलाकात में कमलनाथ और अभिषेक मनु सिंघवी कांग्रेस के पक्ष की बातचीत ही करेंगे. लेकिन, आनंद शर्मा से मिलकर वो कांग्रेस की कमजोरी को टटोलना चाहेंगी. आनंद शर्मा से मुलाकात के दौरान यह स्थिति साफ हो जाएगी कि कांग्रेस कितनी शिद्दत से राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद पर काबिज कराने के प्रयास कर सकती है.

राहुल गांधी पर्दे की पीछे से निभाते रहेंगे भूमिका

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान विपक्षी दलों को तालमेल और साझा रणनीति के अभाव का खामियाजा भुगतना पड़ा था. ममता बनर्जी के नेतृत्व में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर इस बार ये गलती दोहराना नहीं चाहेंगे. विपक्षी दलों के नेताओं से लगातार की जा रही मुलाकात इस ओर एक बड़ा कदम माना जा सकता है. हालांकि, पीके इस बात से इनकार करते रहे हैं. लेकिन, ये बात भी तय है कि तमाम सियासी दलों को बातचीत की मेज पर लाने का काम प्रशांत किशोर से बेहतर शायद ही कोई कर कर सके. टीएमसी सुप्रीमो के दिल्ली दौरे पर कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात काफी हद तक कहानी साफ कर रही है. पीके के साथ कांग्रेस आलाकमान की मुलाकात के बाद ममता बनर्जी का दिल्ली दौरे पर कांग्रेसी नेताओं से मुलाकात के लिए तैयार होना ज्यादा चौंकाता नही है.

सोनिया गांधी के 2024 तक कांग्रेस का अध्यक्ष बने रहने की खबरों से एक बात स्पष्ट हो जाती है कि राहुल गांधी फिलहाल विपक्ष का चेहरा बनने नहीं जा रहे हैं. वैसे भी मिशन 2024 के लिए अभी काफी समय बचा हुआ है. और, ममता बनर्जी इस पूरे समय में अपने लिए संभावनाओं को टटोलने के साथ कांग्रेस की रणनीति पर भी नजर बनाए रखेंगी. पांच दिवसीय दिल्ली दौरे पर ममता बनर्जी कांग्रेस नेताओं से मुलाकात करें और सोनिया गांधी को नजरअंदाज कर दें. ये मुश्किल नजर आता है. भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों को लामबंद करने की कोशिश बिना कांग्रेस को साथ लिए संभव नहीं है. और, इसके लिए सोनिया गांधी से मुलाकात बहुत जरूरी है. ममता-सोनिया की मीटिंग को लेकर आधिकारिक तौर पर कोई घोषणा नहीं हुई है. लेकिन, राजनीति में सभी चीजें आधिकारिक तौर पर होती भी नही हैं.

मिशन 2024 के तहत टीएमसी सुप्रीमो की नजर पीएम की कुर्सी पर तो है. लेकिन, ये बात ममता बनर्जी को भी पता है कि कांग्रेस को किनारे रखते हुए आम सहमति बना पाना टेढ़ी खीर है. ममता बनर्जी के दिल्ली दौरे पर अगर सोनिया गांधी से उनकी मुलाकात होती है, तो बातचीत का मुद्दा विपक्ष का चेहरे ही होगा. वैसे भी 2019 के बाद से अब तक राहुल गांधी जिस तरह पर्दे के पीछे से कांग्रेस के मुखिया बने हुए हैं. हो सकता है कि उसी तरह इस गठबंधन में भी राहुल गांधी पार्श्व से ही सारी भूमिकाएं निभाएं. वहीं, यूपीए के तमाम सहयोगी दलों का साथ कांग्रेस को मिलना तय ही है. तो, राहुल गांधी इस भाजपा विरोधी दलों के गठबंधन के अघोषित चेहरे अपनेआप ही हैं. वहीं, अगर ममता बनर्जी खुद को चेहरा बनाने पर अड़ती हैं, तो 2019 की तरह ये गठबंधन बनने से पहले ही फेल हो जाएगा.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲