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ममता बनर्जी की बंगाल पुलिस का हाथ एक सिख की पगड़ी तक पहुंचना साधारण बात नहींं

    • आईचौक
    • Updated: 11 अक्टूबर, 2020 03:50 PM
  • 11 अक्टूबर, 2020 03:50 PM
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पश्चिम बंगाल (West Bengal) और राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) चर्चा में हैं. कारण बना है हावड़ा पुलिस द्वारा एक सिख युवक (Sikh) के साथ बदसलूकी. घटना के बाद जैसा माहौल बंगाल में तैयार हुआ है अवश्य ही ममता बनर्जी की लोकप्रियता प्रभावित करेगा.

सियासत के लिहाज से 2021 दिलचस्प है. वजह? पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Elections). चाहे पीएम मोदी (PM Modi) हों या फिर देश के गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) गुजरे दो तीन सालों में जैसा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का रुख रहा है किसी न किसी बहाने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को सवालों के घेरे में रखा और तमाम तरह के गंभीर आरोप लगाए. नतीजा ये निकला कि भाजपा के इन आरोपों ने तृणमूल समर्थकों (Trinmool Congress) को नाराज किया और वर्तमान में जैसे हालात हैं, भाजपा और तृणमूल समर्थकों के बीच खूनी संघर्ष एक आम बात हो गई है. बात बीते दिनों की है बंगाल में बीजेपी नेता मनीष शुक्ला की हत्या हुई थी. भाजपा नेता की इस हत्या पर एक बार फिर ममता सरकार विपक्ष मुख्यतः भाजपा के निशाने पर आई हैं. बंगाल में संघ भाजपा नेताओं / कार्यकर्ताओं की मौत को भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाया है और प्रदर्शन तेज हो गए हैं. ऐसे ही एक प्रदर्शन में पुलिसिया कार्रवाई हुई है और एक सिख (Sikh) बॉडी गार्ड के साथ जो कुछ ममता बनर्जी और उनकी पुलिस ने किया, उसने मामले को एक अलग ही एंगल दे दिया है. घटना के बाद सिख समुदाय ममता बनर्जी के खिलाफ आ गया है और मांग की है कि सिख युवक से बदसलूकी करने वाले पुलिस कर्मियों के ख़िलाफ़ सख्त से सख्त एक्शन लिया जाए. यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर देश दुनिया के सिख ममता बनर्जी के खिलाफ सड़कों पर होंगे.

ममता की पुलिस ने जो बंगाल में सिख व्यक्ति के साथ किया उससे पूरी कम्युनिटी में रोष है

बता दें कि पश्चिम बंगाल के हावड़ा में भाजपा कार्यकर्ताओं की पुलिस से झड़प के दौरान एक सिख की पिटाई और पगड़ी उतारने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. भाजपा ने इसे 43 साल के भटिंडा निवासी बलविंदर सिंह का अपमान बताया है. पार्टी ने कहा कि पुलिस...

सियासत के लिहाज से 2021 दिलचस्प है. वजह? पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव (West Bengal Elections). चाहे पीएम मोदी (PM Modi) हों या फिर देश के गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) गुजरे दो तीन सालों में जैसा भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का रुख रहा है किसी न किसी बहाने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) को सवालों के घेरे में रखा और तमाम तरह के गंभीर आरोप लगाए. नतीजा ये निकला कि भाजपा के इन आरोपों ने तृणमूल समर्थकों (Trinmool Congress) को नाराज किया और वर्तमान में जैसे हालात हैं, भाजपा और तृणमूल समर्थकों के बीच खूनी संघर्ष एक आम बात हो गई है. बात बीते दिनों की है बंगाल में बीजेपी नेता मनीष शुक्ला की हत्या हुई थी. भाजपा नेता की इस हत्या पर एक बार फिर ममता सरकार विपक्ष मुख्यतः भाजपा के निशाने पर आई हैं. बंगाल में संघ भाजपा नेताओं / कार्यकर्ताओं की मौत को भाजपा ने बड़ा मुद्दा बनाया है और प्रदर्शन तेज हो गए हैं. ऐसे ही एक प्रदर्शन में पुलिसिया कार्रवाई हुई है और एक सिख (Sikh) बॉडी गार्ड के साथ जो कुछ ममता बनर्जी और उनकी पुलिस ने किया, उसने मामले को एक अलग ही एंगल दे दिया है. घटना के बाद सिख समुदाय ममता बनर्जी के खिलाफ आ गया है और मांग की है कि सिख युवक से बदसलूकी करने वाले पुलिस कर्मियों के ख़िलाफ़ सख्त से सख्त एक्शन लिया जाए. यदि ऐसा नहीं होता है तो फिर देश दुनिया के सिख ममता बनर्जी के खिलाफ सड़कों पर होंगे.

ममता की पुलिस ने जो बंगाल में सिख व्यक्ति के साथ किया उससे पूरी कम्युनिटी में रोष है

बता दें कि पश्चिम बंगाल के हावड़ा में भाजपा कार्यकर्ताओं की पुलिस से झड़प के दौरान एक सिख की पिटाई और पगड़ी उतारने के मामले ने तूल पकड़ लिया है. भाजपा ने इसे 43 साल के भटिंडा निवासी बलविंदर सिंह का अपमान बताया है. पार्टी ने कहा कि पुलिस ने सिख समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाई है. वहीं मामला चर्चा में आने के बाद बंगाल पुलिस ने सफ़ाई दी है और कहा है कि उसकी ऐसी कोई मंशा नहीं थी.अपनी सफ़ाई में बंगाल पुलिस ने ये भी कहा है कि बलविंदर से पिस्टल छीनने के दौरान पगड़ी अपने आप गिर गई.

गौरतलब है कि भाजपा नेता प्रियंगु पांडेय की सुरक्षा में तैनात बलविंदर सिंह के पास से पुलिस ने एक 9 एमम की पिस्तौल भी जब्त की है. हिरासत में लिए जाने के बाद बलविंदर सिंह ने पिस्तौल का लाइसेंस भी दिखाया जो कि अगले साल जनवरी तक मान्य है. बलविंदर सिंह भारतीय सेना का एक पूर्व सैनिक है जो कि राष्ट्रीय राइफल्स बटालियान में अपनी सेवाएं दे चुके हैं.

अब जबकि मामला प्रकाश में आ गया है और इसके चलते जब ममता बनर्जी चौतरफा आलोचनाओं का सामना कर रही हों. ये तस्वीर बंगाल में ममता की पुलिस की बर्बरता की प्रतिनिधि तस्वीर बन गयी है. घटना के बाद ममता बनर्जी की तुलना औरंगज़ेब से की जा रही है और कहा जा रहा है कि किसी जमाने में सिक्खों पर ऐसे ही जुल्म मुग़ल बादशाह औरंगजेब ने किए थे.

हावड़ा पुलिस या फिर ममता बनर्जी और उनकी पार्टी घटना को लेकर कुछ भी कहें लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि ममता बनर्जी की तरफ से एक बड़ा ब्लंडर हुआ है. भले ही ममता की पुलिस बलविंदर सिंह की बंदूक को एक बड़ा मुद्दा बना रही हो और ये कह रही हो कि जो उसने किया वो बंदूक छीनने के उद्देश्य से किया लेकिन ये दलील तब कमज़ोर पड़ती है जब हम बलविंदर सिंह के प्रति हावड़ा पुलिस का रवैया देखते हैं.

गौरतलब है कि ममता बनर्जी की पुलिस ने ने वही किया जो हालिया दिनों में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया. नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में दिल्ली के जामिया में प्रदर्शन के लिए उतरे छात्रों को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने किया मगर बंगाल में जो हुआ उस पर चर्चा इस लिए हो रही है क्यों कि यहां मुद्दा एक सिख और उसके केश हैं. सिख धर्म में केश की क्या अहमियत है इस बात को दुनिया जानती है और शायद बंगाल पुलिस भी जानती ही होगी.

साफ है कि ये तस्वीर बंगाल में हुए बवाल की प्रतिनिधि तस्वीर है. भविष्य में जब जब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के जुल्म ओ सितम की बात होगी इस तस्वीर की दुहाई दी जाएगी और बताया जाएगा कि ममता और उनकी पुलिस ने जो वो हर तरह से अशोभनीय है. आज भले ही मामले को लेकर सियासी से लेकर धार्मिक रंग दिए जा रहे हों लेकिन इस तस्वीर ने बता दिया है कि 'बंदूक' के नाम पर जैसी सिख युवक के साथ बदसलूकी की गई इस तर्क में दम तो बिल्कुल नहीं है.

अंत में बस हम ये कहकर अपनी बात को विराम देंगे कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को हिसाब देना होगा. चूंकि 2021 के विधानसभा चुनावों में ज्यादा वक़्त नहीं है तो ममता को अपने पैकअप की तयारी अभी से कर लेनी चाहिए। ऐसी घटनाओं और इस तानाशाही के बाद शायद ही बंगाल की जनता ममता को दूसरा मौका दे.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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