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TMC की 'संजय राउत' बनने की ओर बढ़ चली हैं महुआ मोइत्रा

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 10 जुलाई, 2022 06:43 PM
  • 10 जुलाई, 2022 06:43 PM
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लीना मनिमेकलाई की फिल्म काली के आपत्तिजनक पोस्टर (Kaali Poster Controversy) का समर्थन करने के बाद अब महुआ मोइत्रा (Mahua Moitra) अपने बयान का बचाव करने उतरी हैं. और, अन्य विवादित बयानों को जन्म देने की ओर बढ़ती नजर आ रही हैं. आसान शब्दों में कहा जाए, तो महुआ मोइत्रा टीएमसी की 'संजय राउत' बनने की ओर बढ़ चली हैं.

तमाम राजनीतिक विश्लेषकों ने माना था कि महाराष्ट्र में उपजे सियासी संकट के पीछे शिवसेना के सांसद और प्रवक्ता संजय राउत के बयान और सत्ता पाने के लिए अपनाई गई रणनीतियां अहम वजह थीं. संभावना जताई जा रही थी कि अगर शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बगावत करने वाले विधायकों के खिलाफ संजय राउत आक्रामक बयान न देते, तो मामला सुलझाया जा सकता था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो आज जिस तरह से शिवसेना के टूटने की स्थिति बन चुकी है. कम से कम उस स्थिति से तो बचा ही जा सकता था. क्योंकि, आखिरी समय तक शिवसेना के बागी विधायक यही कहते रहे थे कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ही हमारे नेता हैं. खैर, ये तो बात हुई संजय राउत की. लेकिन, लीना मनिमेकलाई की फिल्म काली के आपत्तिजनक पोस्टर का समर्थन करने वाली तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा भी अब तृणमूल कांग्रेस की 'संजय राउत' बनने की ओर बढ़ चली हैं. आइए जानते हैं कैसे...

महुआ मोइत्रा का कहना है- वो अपने बयान का मरते दम तक बचाव करेंगी. जिसका सीधा मतलब है कि वह आगे भी विवादित बयान देंगी.

देवी काली पर विवादित बयान देकर पड़ गईं 'अकेली'

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2022 में शिरकत करने आईं महुआ मोइत्रा से लीना मनिमेकलाई की फिल्म काली को पोस्टर को लेकर सवाल पूछा गया था. जिस पर महुआ मोइत्रा ने कहा था कि 'उनके लिए काली मांस खाने वाली और शराब पीने वाली देवी हैं.' इस बयान पर विवाद होने के बाद महुआ मोइत्रा की टिप्पणी से उनकी ही पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने भी पल्ला झाड़ लिया था. जिसके जवाब में महुआ मोइत्रा ने तृणमूल कांग्रेस को ट्विटर पर अनफॉलो कर अपनी गुस्सा जाहिर किया है. हालांकि, महुआ अभी भी ममता बनर्जी को फॉलो कर रही हैं. लेकिन, काली पोस्टर विवाद बढ़ने के बाद से ही महुआ मोइत्रा का अपने बयानों पर नियंत्रण खो दिया है. वो अब लीना मनिमेकलाई की तरह ही खुद का भंडा फोड़ करने पर उतारू हो गई हैं. 

तमाम राजनीतिक विश्लेषकों ने माना था कि महाराष्ट्र में उपजे सियासी संकट के पीछे शिवसेना के सांसद और प्रवक्ता संजय राउत के बयान और सत्ता पाने के लिए अपनाई गई रणनीतियां अहम वजह थीं. संभावना जताई जा रही थी कि अगर शिवसेना के नेता एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में बगावत करने वाले विधायकों के खिलाफ संजय राउत आक्रामक बयान न देते, तो मामला सुलझाया जा सकता था. आसान शब्दों में कहा जाए, तो आज जिस तरह से शिवसेना के टूटने की स्थिति बन चुकी है. कम से कम उस स्थिति से तो बचा ही जा सकता था. क्योंकि, आखिरी समय तक शिवसेना के बागी विधायक यही कहते रहे थे कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ही हमारे नेता हैं. खैर, ये तो बात हुई संजय राउत की. लेकिन, लीना मनिमेकलाई की फिल्म काली के आपत्तिजनक पोस्टर का समर्थन करने वाली तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा भी अब तृणमूल कांग्रेस की 'संजय राउत' बनने की ओर बढ़ चली हैं. आइए जानते हैं कैसे...

महुआ मोइत्रा का कहना है- वो अपने बयान का मरते दम तक बचाव करेंगी. जिसका सीधा मतलब है कि वह आगे भी विवादित बयान देंगी.

देवी काली पर विवादित बयान देकर पड़ गईं 'अकेली'

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव ईस्ट 2022 में शिरकत करने आईं महुआ मोइत्रा से लीना मनिमेकलाई की फिल्म काली को पोस्टर को लेकर सवाल पूछा गया था. जिस पर महुआ मोइत्रा ने कहा था कि 'उनके लिए काली मांस खाने वाली और शराब पीने वाली देवी हैं.' इस बयान पर विवाद होने के बाद महुआ मोइत्रा की टिप्पणी से उनकी ही पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने भी पल्ला झाड़ लिया था. जिसके जवाब में महुआ मोइत्रा ने तृणमूल कांग्रेस को ट्विटर पर अनफॉलो कर अपनी गुस्सा जाहिर किया है. हालांकि, महुआ अभी भी ममता बनर्जी को फॉलो कर रही हैं. लेकिन, काली पोस्टर विवाद बढ़ने के बाद से ही महुआ मोइत्रा का अपने बयानों पर नियंत्रण खो दिया है. वो अब लीना मनिमेकलाई की तरह ही खुद का भंडा फोड़ करने पर उतारू हो गई हैं. 

अपने बयान के लिए संघियों को दोष और हिंदुओं पर निशाना

काली पोस्टर विवाद के बढ़ने के बाद महुआ मोइत्रा को ट्रोल किया जाने लगा. जिसके जवाब में महुआ ने ट्वीट किया कि 'आप सभी संघियों के लिए- झूठ बोलने से आप अच्छे हिंदू नहीं बनेंगे. मैंने कभी किसी फिल्म या पोस्ट का समर्थन नहीं किया और न ही धूम्रपान शब्द का जिक्र किया. मेरा सुझाव है कि आप मेरी मां काली के तारापीठ में जाकर देखें कि भोग के तौर पर क्या भोजन और पेय चढ़ाया जाता है.' हो सकता है कि तारापीठ में देवी काली को भोग के तौर पर शराब और मांस चढ़ाया जाता हो. लेकिन, इसका मतलब ये नही है कि देवी काली उन चीजों को ग्रहण कर रही हैं. खैर, अपने ट्वीट में महुआ मोइत्रा ने संघियों (आरएसएस समर्थक) को निशाने पर लिया था. लेकिन, महुआ मोइत्रा इस बात से इनकार नहीं कर सकती हैं कि उनकी ये प्रतिक्रिया लीना मनिमेकलाई की फिल्म के विवादित पोस्टर से जुड़े सवाल पर ही आई थी. 

अब कह रहीं- ऐसे भारत में नहीं रहना...

महुआ मोइत्रा ने अपने बयान का बचाव करने के लिए फिर से तर्क गढ़ा. उन्होंने एक ट्वीट करते हुए कहा कि 'मैं ऐसे भारत में नही रहना चाहती हूं, जहां मुझे अपने धर्म के बारे में बोलने की आजादी नही हो. मैं ऐसे भारत में नही रहना चाहती हूं, जहां हिंदू धर्म के बारे में भाजपा की एकात्मक पितृसत्तात्मक ब्राह्मणवादी विचार आगे बढ़ेगा और बाकी के लोग धर्म के इर्द-गिर्द घूमेंगे. मैं अपनी बात का समर्थन मरते दम तक करती रहूंगी. मेरे खिलाफ एफआईआर कीजिए- इस धरती की हर अदालत में मैं आपको देखूंगी.' खैर, भारत में सभी को बोलने की आजादी है. लेकिन, महुआ मोइत्रा ये भूल रही हैं कि बोलने की आजादी की भी एक सीमा होती है. क्योंकि, वामपंथी विचारधारा से उपजी सेकुलर और लिबरल सोच हिंदुत्व विरोध पर ही आकर रुक जाती है.

मेरी राय

महुआ मोइत्रा उस तृणमूल कांग्रेस की नेता है, जो अपने अल्ट्रा सेकुलरिज्म के लिए मशहूर है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो हिंदुत्व को कठघरे में खड़ा करने और अपने मुस्लिम वोट बैंक को बचाने के लिए तृणमूल कांग्रेस के नेता किसी भी हद तक जा सकते हैं. देवी काली को लेकर दिए गए विवादित बयान के बचाव में महुआ मोइत्रा खुलकर भाजपा और संघ की विचारधारा का विरोध कर रही हैं. हालांकि, वह लोगों को समझाने में नाकामयाब ही रही हैं कि उनके बयान के लिए संघ और भाजपा किस तरह से दोषी हो सकते हैं? दरअसल, महुआ मोइत्रा के साथ समस्या केवल इतनी ही है कि वह वामपंथी विचारधारा के हिंदुत्व विरोधी एजेंडे के उस अल्ट्रा रूप को पा चुकी हैं. जो उन्हें अपने विचारों के लिए भी दक्षिणपंथी विचारधारा को दोषी ठहराने का अधिकार दे देता है.

खैर, ये बात तो तय है कि महुआ मोइत्रा देवी काली पर विवादित बयान देने के बाद उसके बचाव में और भी कई विवादों को जन्म देंगी. क्योंकि, उन्होंने खुद ही कहा है कि वह अपनी बात का मरते दम तक बचाव करेंगी. लेकिन, इस बचाव का नुकसान निश्चित रूप से तृणमूल कांग्रेस को भुगतना पड़ेगा. अगर यह काली पोस्टर विवाद ज्यादा लंबा खिंचता है. तो, यह महुआ मोइत्रा और तृणमूल कांग्रेस दोनों के लिए ही एक बड़ा सियासी झटका बन सकता है. क्योंकि, भले ही पश्चिम बंगाल का हिंदू समाज बुद्धिजीविता के मामले में भारत के नागरिकों से बहुत आगे हो. लेकिन, बुद्धिजीविता में अगर वामपंथ के हिंदुत्वविरोधी एजेंडे का मिश्रण न हो, तो वह कभी ये नहीं सिखाती है कि अपने धर्म की परंपराओं या देवी-देवताओं का अपमान किया जाए.

लेकिन, महुआ मोइत्रा इतनी आसानी से रुकने वाली नही हैं. तो, भविष्य में उनके बयानों से भाजपा के लिए पश्चिम बंगाल की राह जरूर आसान नजर आने लगी है. कहना गलत नहीं होगा कि जिस तरह से महाराष्ट्र में उपजे सियासी संकट के लिए संजय राउत जिम्मेदार माने जा रहे थे. अब महुआ मोइत्रा भी तृणमूल कांग्रेस की 'संजय राउत' बनने की ओर बढ़ चली हैं.


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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