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हिंदू महासभा के कृत्यों पर हिंदुओं में हीनभावना क्यों भरी जा रही है?

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 05 अक्टूबर, 2022 05:06 PM
  • 05 अक्टूबर, 2022 05:06 PM
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गांधी जयंती पर हिंदू महासभा (Hindu Mahasabha) कभी महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के पुतले को गोली मारती दिखाई पड़ती है. तो, कभी गांधी को 'महिषासुर' (Mahishasura) के तौर पर पेश कर देती है. क्योंकि, महात्मा गांधी की हत्या करने वाला नाथूराम गोडसे भी इसी हिंदू महासभा का सदस्य था. लेकिन, इस संगठन के कट्टरपंथी विचारों से पूरा हिंदू समुदाय इत्तेफाक नहीं रखता है.

अखिल भारतीय हिंदू महासभा एक ऐसा संगठन है, जो हर साल गांधी जयंती पर विवादों में घिरा रहता है. इस बार हिंदू महासभा ने कोलकाता की एक दुर्गा पूजा में महात्मा गांधी को 'महिषासुर' के तौर पर दिखाया है. जिसके बाद सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है. इस्लामिक एजेंडा चलाने वाली कथित पत्रकार राणा अयूब ने इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और आरएसएस से जोड़ दिया है. आसान शब्दों में कहें, तो हिंदू महासभा के नाम पर हिंदुओं में हीन भावना भरने वाला कथित बुद्धिजीवी गैंग एक्टिव हो गया है. वैसे, बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय के निर्देश पर एफआईआर दर्ज होने के बाद मूर्ति में महात्मा गांधी के चेहरे को बदल दिया गया है. लेकिन, अहम सवाल ये है कि हिंदू महासभा के कृत्यों पर हिंदुओं में हीनभावना क्यों भरी जा रही है?

हिंदू महासभा जो भी करेगी, उसे पूरे हिंदू समुदाय की स्वीकारोक्ति के तौर पर नहीं देखा जा सकता है.

गांधी जयंती पर हिंदू महासभा कभी महात्मा गांधी के पुतले को गोली मारती दिखाई पड़ती है. तो, कभी गांधी को 'असुर' के तौर पर पेश कर देती है. क्योंकि, महात्मा गांधी की हत्या करने वाला नाथूराम गोडसे भी इसी हिंदू महासभा का सदस्य था. और, इस संगठन के सदस्य देश के विभाजन से लेकर देश की आजादी में देरी जैसी तमाम बातों का जिम्मेदार महात्मा गांधी को मानते हैं. लेकिन, हिंदू महासभा के सदस्यों की संख्या लाखों-करोड़ों में नहीं है. क्या कुछ मुट्ठीभर लोगों को लिए पूरे हिंदू समुदाय को कठघरे में खड़ा करना सही हो सकता है? जबकि, इस देश का तकरीबन हर हिंदू इस संगठन के कट्टरपंथी विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है. इसके बावजूद हिंदू महासभा के कृत्यों पर हिंदुओं को दोषी ठहराकर उनमें हीनभावना भरने की एक सुनियोजित साजिश की जाती है.

सवाल ये है कि क्या भाजपा...

अखिल भारतीय हिंदू महासभा एक ऐसा संगठन है, जो हर साल गांधी जयंती पर विवादों में घिरा रहता है. इस बार हिंदू महासभा ने कोलकाता की एक दुर्गा पूजा में महात्मा गांधी को 'महिषासुर' के तौर पर दिखाया है. जिसके बाद सोशल मीडिया पर बवाल मचा हुआ है. इस्लामिक एजेंडा चलाने वाली कथित पत्रकार राणा अयूब ने इस मामले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा और आरएसएस से जोड़ दिया है. आसान शब्दों में कहें, तो हिंदू महासभा के नाम पर हिंदुओं में हीन भावना भरने वाला कथित बुद्धिजीवी गैंग एक्टिव हो गया है. वैसे, बताया जा रहा है कि गृह मंत्रालय के निर्देश पर एफआईआर दर्ज होने के बाद मूर्ति में महात्मा गांधी के चेहरे को बदल दिया गया है. लेकिन, अहम सवाल ये है कि हिंदू महासभा के कृत्यों पर हिंदुओं में हीनभावना क्यों भरी जा रही है?

हिंदू महासभा जो भी करेगी, उसे पूरे हिंदू समुदाय की स्वीकारोक्ति के तौर पर नहीं देखा जा सकता है.

गांधी जयंती पर हिंदू महासभा कभी महात्मा गांधी के पुतले को गोली मारती दिखाई पड़ती है. तो, कभी गांधी को 'असुर' के तौर पर पेश कर देती है. क्योंकि, महात्मा गांधी की हत्या करने वाला नाथूराम गोडसे भी इसी हिंदू महासभा का सदस्य था. और, इस संगठन के सदस्य देश के विभाजन से लेकर देश की आजादी में देरी जैसी तमाम बातों का जिम्मेदार महात्मा गांधी को मानते हैं. लेकिन, हिंदू महासभा के सदस्यों की संख्या लाखों-करोड़ों में नहीं है. क्या कुछ मुट्ठीभर लोगों को लिए पूरे हिंदू समुदाय को कठघरे में खड़ा करना सही हो सकता है? जबकि, इस देश का तकरीबन हर हिंदू इस संगठन के कट्टरपंथी विचारों से इत्तेफाक नहीं रखता है. इसके बावजूद हिंदू महासभा के कृत्यों पर हिंदुओं को दोषी ठहराकर उनमें हीनभावना भरने की एक सुनियोजित साजिश की जाती है.

सवाल ये है कि क्या भाजपा और आरएसएस या पीएम नरेंद्र मोदी ने कभी हिंदू महासभा की तरफदारी की है? जवाब हमेशा नहीं में ही आएगा. लेकिन, इसके बावजूद इसे भाजपा और आरएसएस से जोड़ कर सामने रख दिया जाता है. जिससे लोग ग्लानि और घृणा के वशीभूत होकर आरएसएस और भाजपा से दूर हो जाएं. हालांकि, ऐसा होता नहीं है. क्योंकि, जिस तरह से कुछ आतंकी मुस्लिमों के इस्लामिक जिहाद और कट्टरपंथी मुस्लिमों के 'सिर तन से जुदा' के नारे पर पूरे मुस्लिम समुदाय पर सवाल नहीं उठाया जाता है. उसी तरह से हिंदू महासभा के कुछ कट्टरपंथियों की वजह से बहुसंख्यक हिंदू समुदाय को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है. वैसे, हिंदू महासभा के नाम पर हिंदुओं में हीनभावना सिर्फ और सिर्फ सियासी फायदा उठाने और दिलाने की साजिश भर है. क्योंकि, इसी नाम के एक अन्य संगठन बंगाल प्रांतीय हिंदू महासभा ने इसे सुर्खियों में आने की कोशिश बताते हुए घटना की निंदा की है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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