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क्या चूहों और केंकड़ों पर इल्जाम से समस्या का हल निकलेगा?

    • बिजय कुमार
    • Updated: 06 जुलाई, 2019 06:28 PM
  • 06 जुलाई, 2019 06:28 PM
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महाराष्ट्र की रत्नागिरी नदी पर तिवरे बांध के ढहने का जो कारण महाराष्ट्र के जल संरक्षण मंत्री ने बताया है उससे वो हंसी का पात्र बन गए हैं. आम लोगों से लेकर राजनीतिक पार्टियों से जुड़े लोग उनकी खूब आलोचनाएं कर रहे हैं.

महाराष्ट्र के रत्नागिरी नदी पर ढहे तिवरे बांध में 19 लोगों को जान गंवानी पड़ी है, जबकि चार लोग अब भी लापता हैं. इस हादसे से स्थानीय लोगों में सरकार और प्रशासन के प्रति नाराजगी है लेकिन महाराष्ट्र सरकार में मंत्री के बेतुके बयान ने मानो लोगों का गुस्सा और भी बढ़ा दिया हो. बता दें कि महाराष्ट्र सरकार के जल संरक्षण मंत्री तानाजी सावंत ने इस हादसे के लिए केकड़ों को जिम्मेदारी बताया है. तानाजी सावंत ने स्थानीय लोगों के हवाले से कहा कि बांध के पास भारी संख्या में मौजूद केंकडों ने बांध को कमजोर कर दिया.

उन्होंने कहा कि तिवरे गांव के बहुत से लोगों खासकर बुजुर्गों ने बताया कि बांध की दीवार में क्रैक आने से पहले उसकी दीवार के पास बड़ी संख्या में केकड़े देखे गए थे. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह उनकी राय नहीं बल्कि गांव के लोगों ने उन्हें बताया है. उनके इस बयान की आम लोग और राजनीतिक पार्टियों की ओर से खूब आलोचना हो रही है, तो वहीं सोशल मीडिया पर उन्हें हास्य का पात्र बनना पड़ रहा है.

केंकडों की वजह से बांध को कमजोर होकर टूट गया- तानाजी सावंत

वैसे इस हादसे के लिए तो प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है जिसने समय रहते इसपर ध्यान नहीं दिया क्योंकि 14 साल पुराना बांध अचानक से तो कमजोर नहीं हुआ होगा बल्कि धीरे-धीरे वो कमजोर हुआ होगा जिसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को होनी चाहिए थी और इसके रख-रखाव का भी इंतजाम होना चाहिए था. कहा जा सकता है कि समय रहते बांध की मरम्मत ना कराकर प्रशासन ने गलती की जिसका खामियाजा मासूम लोगों का उठाना पड़ा और ऐसे में राजनेताओं के ऐसे बयान और ठेस पहुंचाते हैं.

ऐसा नहीं है कि इस तरह का ये पहला बयान हो. इससे पहले महाराष्ट्र के ही तत्कालीन जल संपदा मंत्री गिरीश महाजन ने सितम्बर 2018 में अजीबोगरीब बयान दिया था....

महाराष्ट्र के रत्नागिरी नदी पर ढहे तिवरे बांध में 19 लोगों को जान गंवानी पड़ी है, जबकि चार लोग अब भी लापता हैं. इस हादसे से स्थानीय लोगों में सरकार और प्रशासन के प्रति नाराजगी है लेकिन महाराष्ट्र सरकार में मंत्री के बेतुके बयान ने मानो लोगों का गुस्सा और भी बढ़ा दिया हो. बता दें कि महाराष्ट्र सरकार के जल संरक्षण मंत्री तानाजी सावंत ने इस हादसे के लिए केकड़ों को जिम्मेदारी बताया है. तानाजी सावंत ने स्थानीय लोगों के हवाले से कहा कि बांध के पास भारी संख्या में मौजूद केंकडों ने बांध को कमजोर कर दिया.

उन्होंने कहा कि तिवरे गांव के बहुत से लोगों खासकर बुजुर्गों ने बताया कि बांध की दीवार में क्रैक आने से पहले उसकी दीवार के पास बड़ी संख्या में केकड़े देखे गए थे. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह उनकी राय नहीं बल्कि गांव के लोगों ने उन्हें बताया है. उनके इस बयान की आम लोग और राजनीतिक पार्टियों की ओर से खूब आलोचना हो रही है, तो वहीं सोशल मीडिया पर उन्हें हास्य का पात्र बनना पड़ रहा है.

केंकडों की वजह से बांध को कमजोर होकर टूट गया- तानाजी सावंत

वैसे इस हादसे के लिए तो प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है जिसने समय रहते इसपर ध्यान नहीं दिया क्योंकि 14 साल पुराना बांध अचानक से तो कमजोर नहीं हुआ होगा बल्कि धीरे-धीरे वो कमजोर हुआ होगा जिसकी जानकारी स्थानीय प्रशासन को होनी चाहिए थी और इसके रख-रखाव का भी इंतजाम होना चाहिए था. कहा जा सकता है कि समय रहते बांध की मरम्मत ना कराकर प्रशासन ने गलती की जिसका खामियाजा मासूम लोगों का उठाना पड़ा और ऐसे में राजनेताओं के ऐसे बयान और ठेस पहुंचाते हैं.

ऐसा नहीं है कि इस तरह का ये पहला बयान हो. इससे पहले महाराष्ट्र के ही तत्कालीन जल संपदा मंत्री गिरीश महाजन ने सितम्बर 2018 में अजीबोगरीब बयान दिया था. दरअसल, पुणे के खडकवासला बांध से शहर और जिले के चार इलाकों तक पानी पहुंचाने वाली नहर की एक दीवार गिर गई थी इसके पीछे की वजह बताते हुए मंत्री महोदय ने चूहों का दोषी ठहरा दिया था. महाजन ने कहा था, "इस दीवार को देखकर लग रहा है कि न तो किसी ने ब्लास्ट किया है और न ही हाथों से तोड़ा गया है. संभव है कि चूहों के कुतरने की वजह से नहर में एक छोटा सा छेद बन गया हो और पानी के तेज बहाव से वह छेद बड़ा हो गया होगा. यह दीवार कुतरने की वजह से ही गिरी है."

महाराष्ट्र ही क्यों कुछ ऐसे ही बयान के लिए बिहार भी सुर्ख़ियों में रहा था. बता दें कि सितंबर 2017 में बिहार के कई जिलों में भीषण बाढ़ आई थी और उस दौरान बिहार के जल संसाधन मंत्री ललन सिंह ने मीडिया से कहा कि चूहों के कारण बांध कमजोर हो गए, टूट गए और बाढ़ आ गई. यहीं नहीं राज्य से तो ये भी खबरें आयीं थीं कि राज्य में पुलिस द्वारा बरामद शराब चूहे पी गए. कह सकते हैं कि चूहे या केकड़े बांध को कुतर तो सकते हैं लेकिन इतना नहीं कि रातों-रात वो बांध ही तोड़ दें इसीलिए इसके पीछे की असल वजह प्रशासन की लापरवाही और ठीक ढंग से मरम्मत ना करना ही मानी जाएगी.  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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