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महाराष्ट्र सियासी संकट: बगावत से अब तक हुए ये 5 बड़े इशारे

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 22 जून, 2022 03:13 PM
  • 22 जून, 2022 03:13 PM
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महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार (MVA Government) पर सियासी संकट (Maharashtra political crisis) गहराता जा रहा है. शिवसेना किसी भी तरह से एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) समेत बागी विधायकों को वापस लाने की कोशिश में जुटी है. लेकिन, शिंदे ने इस बगावत को हिंदुत्व के साथ शिवसेना (Shiv Sena) को बचाने का नाम दे दिया है.

Maharashtra political crisis महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार में हुए विद्रोह की आग अब दावानल बन चुकी है. शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की सरकार इस आग में बुरी तरह से फंसती हुई नजर आने लगी है. कहा जा सकता है कि शिवसेना के दिग्गज नेता एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को 'हिंदुत्व' की ताकत का एहसास करा दिया है. क्योंकि, 30 से ज्यादा विधायक उद्धव ठाकरे सरकार के खिलाफ एकनाथ शिंदे के साथ खड़े दिखाई पड़ रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश और कर्नाटक की तरह महाराष्ट्र में भी 'ऑपरेशन लोटस' अपने प्रारब्ध को पा सकता है. वैसे, शिवसेना नेता संजय राउत इस बगावत के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. लेकिन, महाविकास आघाड़ी सरकार में हुई इस 'महाबगावत' से भाजपा पूरी तरह किनारा कर लिया है. घड़ी के हर बदलते कांटे के साथ महाराष्ट्र की राजनीति एक नया इशारा कर रही है. आइए जानते हैं कि बगावत से अब तक हुए इन 5 बड़े इशारों के बारे में...

महाराष्ट्र में शिवसेना लगातार महाविकास आघाड़ी सरकार को बचाने की कोशिश में लगी हुई है.

शिवसैनिक हैं, तो लौट आएंगे! क्या ये होगा...

राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बागी विधायकों और मंत्रियों को लेकर कहा कि 'एकनाथ शिंदे उनके भाई हैं. पुराने शिवसैनिक हैं. और, वह लौट आएंगे.' हालांकि, शिवसेना ने इस बगावत के बाद एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया था. और, संजय राउत ने शिवसेना के बागी विधायकों पर कार्रवाई की भी बात कही थी. लेकिन, शिवसेना के सामने नारायण राणे और छगन भुजबल जैसे उदाहरण पहले से ही हैं. शिवसैनिक होने का ये मतलब नहीं है कि हर बार नेता या विधायक लौट ही आए. वैसे, एकनाथ शिंदे की वापसी मुश्किल नजर आती है. क्योंकि, शिवसेना में लगातार उनके नजरअंदाज किया जा रहा था. इतना ही नहीं, कई बागी विधायक पहले से ही महाविकास आघाड़ी गठबंधन के तहत उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने के पक्षधर नहीं थे. क्योंकि, इस गठबंधन के चलते न केवल मराठी अस्मिता बल्कि, हिंदुत्व की राजनीति भी पशोपेश में फंस...

Maharashtra political crisis महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार में हुए विद्रोह की आग अब दावानल बन चुकी है. शिवसेना प्रमुख और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे की सरकार इस आग में बुरी तरह से फंसती हुई नजर आने लगी है. कहा जा सकता है कि शिवसेना के दिग्गज नेता एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को 'हिंदुत्व' की ताकत का एहसास करा दिया है. क्योंकि, 30 से ज्यादा विधायक उद्धव ठाकरे सरकार के खिलाफ एकनाथ शिंदे के साथ खड़े दिखाई पड़ रहे हैं. दावा किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश और कर्नाटक की तरह महाराष्ट्र में भी 'ऑपरेशन लोटस' अपने प्रारब्ध को पा सकता है. वैसे, शिवसेना नेता संजय राउत इस बगावत के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. लेकिन, महाविकास आघाड़ी सरकार में हुई इस 'महाबगावत' से भाजपा पूरी तरह किनारा कर लिया है. घड़ी के हर बदलते कांटे के साथ महाराष्ट्र की राजनीति एक नया इशारा कर रही है. आइए जानते हैं कि बगावत से अब तक हुए इन 5 बड़े इशारों के बारे में...

महाराष्ट्र में शिवसेना लगातार महाविकास आघाड़ी सरकार को बचाने की कोशिश में लगी हुई है.

शिवसैनिक हैं, तो लौट आएंगे! क्या ये होगा...

राज्यसभा सांसद संजय राउत ने बागी विधायकों और मंत्रियों को लेकर कहा कि 'एकनाथ शिंदे उनके भाई हैं. पुराने शिवसैनिक हैं. और, वह लौट आएंगे.' हालांकि, शिवसेना ने इस बगावत के बाद एकनाथ शिंदे को विधायक दल के नेता पद से हटा दिया था. और, संजय राउत ने शिवसेना के बागी विधायकों पर कार्रवाई की भी बात कही थी. लेकिन, शिवसेना के सामने नारायण राणे और छगन भुजबल जैसे उदाहरण पहले से ही हैं. शिवसैनिक होने का ये मतलब नहीं है कि हर बार नेता या विधायक लौट ही आए. वैसे, एकनाथ शिंदे की वापसी मुश्किल नजर आती है. क्योंकि, शिवसेना में लगातार उनके नजरअंदाज किया जा रहा था. इतना ही नहीं, कई बागी विधायक पहले से ही महाविकास आघाड़ी गठबंधन के तहत उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में सरकार बनाने के पक्षधर नहीं थे. क्योंकि, इस गठबंधन के चलते न केवल मराठी अस्मिता बल्कि, हिंदुत्व की राजनीति भी पशोपेश में फंस गई थी.

'हिंदुत्व' के बिना नहीं बचेगी शिवसेना

महाविकास आघाड़ी सरकार के खिलाफ बागी हुए शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने बगावत के पहला ट्वीट किया. जिसमें एकनाथ शिंदे ने लिखा कि 'हम बालासाहेब के सच्चे शिवसैनिक हैं. बालासाहेब ने हमें हिंदुत्व सिखाया है. हम सत्ता के लिए बालासाहेब के विचारों और धर्मवीर आनंद की सीख को कभी भी धोखा नहीं देंगे.' शिंदे का ये ट्वीट एक तरह से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के लिए नसीहत थी कि 'हिंदुत्व' को अपनाने के अलावा शिवसेना को बचाने का कोई विकल्प नहीं है. महाराष्ट्र की राजनीति के हिसाब से देखा जाए, तो राम मंदिर आंदोलन के दौरान जब अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी ने भाजपा को बाबरी विध्वंस से अलग कर लिया था. तब बालासाहेब ठाकरे ही थे, जो खुलकर कहते नजर आए थे कि अगर बाबरी मस्जिद को गिराने में एक भी शिवसैनिक शामिल हुआ होगा, तो उन्हें इसका गर्व होगा. आसान शब्दों में कहा जाए, तो अगर हिंदुत्व के नाम पर शिंदे के साथ विधायकों की संख्या बढ़ती है, तो शिवसेना के ही अस्तित्व पर संकट आ जाएगा.

भाजपा से गठबंधन ही एकमात्र 'विकल्प'

सूत्रों के हवाले से खबर सामने आई कि एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे के सामने वापसी के लिए एक शर्त रखी थी. शिंदे ने कहा था कि 'अगर पार्टी भाजपा के साथ फिर से गठबंधन करने को तैयार होती है. तो, ही वह वापसी करेंगे. क्योंकि, शिवसेना के कई विधायक एनसीपी और कांग्रेस के साथ गठबंधन कर बनाई गई महाविकास आघाड़ी सरकार में काम करने को लेकर तैयार नही हैं.' एकनाथ शिंदे को लेकर ये भी दावा किया गया कि उन्होंने ये बगावत शिवसेना को बचाने के लिए की है. वैसे, अब शिंदे 40 से ज्यादा विधायकों के अपने पक्ष में होने का दावा कर रहे हैं. और, इस संख्याबल के हिसाब से वह दल-बदल कानून के दायरे में भी नहीं आएंगे.

ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, सत्ता जाएगी...

एनसीपी चीफ शरद पवार इस बगावत को शिवसेना का आंतरिक मामला बताकर पहले ही पल्ला झाड़ चुके हैं. हालांकि, शिवसेना लगातार दावा कर रही है कि बागी विधायक वापस लौट आएंगे. शिवसेना सांसद संजय राउत ने महाराष्ट्र सियासी संकट पर बड़ा बयान देते हुए कहा है कि 'एकनाथ शिंदे ने कोई भी शर्त नहीं रखी है. वह एक सच्चे शिवसैनिक हैं, तो वापस आएंगे. सत्ता आती है, जाती है. ज्यादा से ज्यादा क्या होगा, सत्ता जाएगी. लेकिन, पार्टी की प्रतिष्ठा सबसे ऊपर होती है.' वहीं, संजय राउत ने एक ट्वीट के जरिये ये भी कहा कि 'महाराष्ट्र का राजनीतिक घटनाक्रम विधानसभा बर्खास्त करने की दिशा की ओर बढ़ रहा है.' देखा जाए, तो संजय राउत का ये ट्वीट शिवसेना के बागी विधायकों के लिए एक चेतावनी की ओर इशारा कर रहा है कि समय रहते लौट आइए, वरना विधायक पद जा सकता है.

राज्यपाल और मुख्यमंत्री हुए कोरोना पॉजिटिव

महाराष्ट्र सियासी संकट के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के बाद अब मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी कोरोना पॉजिटिव हो गए हैं. हालांकि, राज्यपाल और मुख्यमंत्री के कोरोना संक्रमित होने की वजह से सियासी संकट पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. लेकिन, विधानसभा भंग करने की सिफारिश से लेकर इसे लागू करने तक का फैसला भगत सिंह कोश्यारी और उद्धव ठाकरे को ही करना है. वैसे, कैबिनेट मीटिंग के बाद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बागी विधायकों को सीधी चेतावनी जारी कर दी है. शिवसेना की ओर से सभी विधायकों को सीएम आवास पर होने वाली बैठक में शामिल होने का आदेश दिया गया है. अगर ऐसा नहीं होता है, तो इन बागी विधायकों के खिलाफ सख्त कदम उठाया जाएगा.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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