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ओवैसी का मुस्लिम कार्ड बनाम अमित शाह का हिंदू कार्ड!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 12 अक्टूबर, 2019 04:00 PM
  • 12 अक्टूबर, 2019 04:00 PM
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महाराष्ट्र चुनावों के मद्देनजर जो तेवर असदुद्दीन ओवैसी के थे साफ़ है कि वो मुस्लिम वोटों को रिझाने के लिए किसी भी सीमा तक जा सकते हैं. इसी तरह जैसे अमित शाह ने राष्ट्रवाद को मुद्दा बनाया है वो इस बात की पुष्टि कर देता है कि शाह इस चुनाव को बिलकुल भी हलके में नहीं ले रहे.

महाराष्ट्र में चुनाव हैं और जिस हिसाब से माहौल तैयार हुआ है माना जा रहा है कि इस चुनाव में भाजपा को बड़ा फायदा जरूर मिलने वाला है . बात महाराष्ट्र चुनाव की हो तो सूबे में कांग्रेस और एनसीपी बैक फुट पर हैं. सहयोगी दल होने के बावजूद मुख्य मुकाबला भाजपा, शिवसेना के बीच माना जा रहा है. बात महाराष्ट्र चुनावों की चल रही है तो मुसलमानों का जिक्र आना स्वाभाविक है. महाराष्ट्र में मुसलमानों की ठीक ठाक संख्या है जिनके वोटों पर किसी की नजर हो न हो मगर बात जब असदुद्दीन ओवैसी की आएगी तो कहा यही जाएगा कि ओवैसी न सिर्फ इन वोटों पर नजर गड़ाए बैठे हैं. बल्कि इन्हें हासिल करने के लिए उनके तरकश के तीर भी तैयार हैं.

बातों से स्पष्ट है कि चाहे ओवैसी हों या अमित शाह दोनों ही नेता महाराष्ट्र चुनावों के लिए गंभीर हैं

नांदेड़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी-कांग्रेस पर निशाना साधा. बल्कि उपस्थित मुस्लिम भीड़ को उकसाते हुए इस बात को भी कहा कि, 'अब खुदा के लिए सेकुलरिज्म को भूल जाओ और एकजुट होने का काम करो. ओवैसी ने कहा कि, हमको अपने नुमाइंदों की जरूरत है, भूल जाओ खुदा के लिए सेकुलरिज्म, अब अस्पताल में सेकुलरिज्म है हमारी जिम्मेदारी नहीं है अब ये कांग्रेस की जिम्मेदारी है. हमने 70 साल काफी हक अदा किया है.’

ओवैसी के अनुसार,'आज हमारे नुमाइंदे नहीं हैं, इसकी मिसाल है याकूब मेनन को फांसी मिली, कौन उसके खिलाफ आवाज़ उठी. याकूब मेनन को तुम बचा सकते थे, क्योंकि भारत सरकार के पास पावर है कि सुप्रीम कोर्ट की फांसी को उम्रकैद में बदल सकते हैं. लेकिन याकूब की बारी में नहीं हो सका लेकिन पंजाब के CM को मारने वाले के लिए ऐसा हो गया.’ ओवैसी ने कहा कि अगर हमारे (मुसलमानों) के 40-50 नुमाइंदे होते तो हम सभी को...

महाराष्ट्र में चुनाव हैं और जिस हिसाब से माहौल तैयार हुआ है माना जा रहा है कि इस चुनाव में भाजपा को बड़ा फायदा जरूर मिलने वाला है . बात महाराष्ट्र चुनाव की हो तो सूबे में कांग्रेस और एनसीपी बैक फुट पर हैं. सहयोगी दल होने के बावजूद मुख्य मुकाबला भाजपा, शिवसेना के बीच माना जा रहा है. बात महाराष्ट्र चुनावों की चल रही है तो मुसलमानों का जिक्र आना स्वाभाविक है. महाराष्ट्र में मुसलमानों की ठीक ठाक संख्या है जिनके वोटों पर किसी की नजर हो न हो मगर बात जब असदुद्दीन ओवैसी की आएगी तो कहा यही जाएगा कि ओवैसी न सिर्फ इन वोटों पर नजर गड़ाए बैठे हैं. बल्कि इन्हें हासिल करने के लिए उनके तरकश के तीर भी तैयार हैं.

बातों से स्पष्ट है कि चाहे ओवैसी हों या अमित शाह दोनों ही नेता महाराष्ट्र चुनावों के लिए गंभीर हैं

नांदेड़ में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए ओवैसी ने न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी-कांग्रेस पर निशाना साधा. बल्कि उपस्थित मुस्लिम भीड़ को उकसाते हुए इस बात को भी कहा कि, 'अब खुदा के लिए सेकुलरिज्म को भूल जाओ और एकजुट होने का काम करो. ओवैसी ने कहा कि, हमको अपने नुमाइंदों की जरूरत है, भूल जाओ खुदा के लिए सेकुलरिज्म, अब अस्पताल में सेकुलरिज्म है हमारी जिम्मेदारी नहीं है अब ये कांग्रेस की जिम्मेदारी है. हमने 70 साल काफी हक अदा किया है.’

ओवैसी के अनुसार,'आज हमारे नुमाइंदे नहीं हैं, इसकी मिसाल है याकूब मेनन को फांसी मिली, कौन उसके खिलाफ आवाज़ उठी. याकूब मेनन को तुम बचा सकते थे, क्योंकि भारत सरकार के पास पावर है कि सुप्रीम कोर्ट की फांसी को उम्रकैद में बदल सकते हैं. लेकिन याकूब की बारी में नहीं हो सका लेकिन पंजाब के CM को मारने वाले के लिए ऐसा हो गया.’ ओवैसी ने कहा कि अगर हमारे (मुसलमानों) के 40-50 नुमाइंदे होते तो हम सभी को बचा सकते थे.

ओवैसी अपने बिगड़े बोल के लिए अक्सर सुर्खियां बटोरते हैं. बात जब भाजपा विरोध की आती है तो फिर ओवैसी की जुबान पकड़ना मुश्किल हो जाता है. नांदेड़ की इस रैली में ओवैसी ने इस बात का भी जिक्र किया कि 2014 और 19 में जिन लोगों ने भाजपा को वोट दिया उन्हें क्रिकेट की भाषा में 6 यानी की छक्का कहा जाता है. ओवैसी के इस बयान पर बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने कड़ी आपत्ति जताई है. अमित मालवीय ने सवाल करते करते हुए पूछा है कि यदि  6 प्रतिशत मुसलमानों ने पीएम मोदी और भाजपा के लिए 2014 और 19 में वोट किया है और वो ओवैसी के अनुसार छक्के हैं तो क्या ओवैसी का यही मत उन हिंदुओं के लिए भी है जिन्होंने हैदराबाद में उनके और औरंगाबाद में इम्तियाज़ जलील के लिए वोट किया?

यदि इन दोनों ही भाषणों में ओवैसी के तेवर का अवलोकन किया जाए तो मिलता है कि ओवैसी मुसलमानों की आड़ लेकर खुद के लिए वोट मांग रहे हैं. कह सकते हैं कि ओवैसी इस बात को भली प्रकार समझते हैं कि मुसलमानों के वोटों पर कब्ज़ा तभी किया जा सकता है जब उनकी दुखती रग दबाई जाए. साफ़ है कि नांदेड़ में जो जहर ओवैसी ने उगला है वो उसी दुखती रख पर वार है.

बात महाराष्ट्र चुनाव की चल रही है और ओवैसी के तुष्टिकरण का जिक्र हुआ है. जिस तरह नांदेड़ में ओवैसी ने मुस्लिम कार्ड खेला है ठीक उसी तरह शोलापुर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी अपना हिंदू कार्ड खेला है बस उनका अंदाज थोड़ा अलग है. अमित शाह ने अपने कार्ड में घुसपैठियों और कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटाए जाने को बड़ा मुद्दा बनाया है. शोलापुर की सभा में अमित शाह ने अपने भाषण में कश्मीर से धारा 370 हटाने का जिक्र किया. शाह ने कहा कि, 'अनुच्छेद 370 कश्मीर को देश के साथ जुड़ने नहीं दे रहा था, इसके कारण 41 हजार लोग वहां मारे गए हैं, लेकिन किसी प्रधानमंत्री में 370 को हटाने का साहस नहीं था.'

इसके अलावा अवैध घुसपैठियों पर बोलते हुए शाह ने कहा कि हर हाल में अवैध घुसपैठियों को देश छोड़ना होगा. अमित शाह ने इस बात को बड़ी ही प्रमुखता से बल दिया कि जब जब 2024 के चुनाव में वोट मांगने आएंगे हमारा यही प्रयास रहेगा कि देश में अवैध रूप से वास करने वाले लोग देश छोड़कर चले गए हों. देश में NRC की वकालत की बात करने वाले अमित शाह की बातों से साफ़ था कि उनके एजेंडे में जहां एक तरफ राष्ट्रवाद शामिल है. तो वहीं उतनी ही प्रमुखता उन्होंने NRC और धारा 370 जैसे मुद्दों को दे रखी है.

महाराष्ट्र चुनाव में कौन बाजी मारता है इसका फैसला वक़्त करेगा. मगर चुनावों में जैसा प्रचार चल रहा है उससे ये तो स्पष्ट हो गया है कि ओवैसी और अमित शाह इस चुनाव के लिए गंभीर हैं और इसे बिलकुल भी हलके में नहीं ले रहे हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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