• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

ज्योतिरादित्य स‍िंध‍िया के कांग्रेस छोड़ने की वजह है सोनिया-राहुल के बीच का मतभेद!

    • नवेद शिकोह
    • Updated: 11 मार्च, 2020 10:31 PM
  • 11 मार्च, 2020 10:31 PM
offline
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के कद्दावर नेताओं में शुमार ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia ) के कांग्रेस (Congress) छोड़ने की एक बड़ी वजह जहां सेंट्रल लीडरशिप का उन्हें नकारना था तो वहीं दूसरा कारण उस मतभेद को माना जा रहा है जो राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के बीच चल रहा है.

पुराने लोग कुर्सी का मोह छोड़ें और नई ऊर्जावान पीढ़ी को मौका दें. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की सियासी हलचल ने सभी दलों को कुछ ऐसा ही आईना दिखाया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने सिर्फ कांग्रेस (Congress) से रिश्ता नहीं छोड़ा है बल्कि गांधी परिवार (Gandhi Family) और सिंधिया परिवार (Scindia Family) के पुराने रिश्तों के सिलसिले पर विराम लगा दिया है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बेहद करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया जिनका जनाधार भी है, वो कांग्रेस (Congress) में सक्रिय युवा नेता के तौर पर उभरते हुए नजर आ रहे थे. मेहनत भी करते रहे. मोदी लहर (Modi Wave) के दौरान भी मध्यप्रदेश में कांग्रेस के जीतने मे सिंधिया का भी महत्त्वपूर्ण योगदान था. माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के करीबी दोस्त थे और और इसी तरह राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया में मित्रवत रिश्ता रहा. इन सब के बावजूद कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को क्यों इतना नजरअंदाज किया कि उन्हें कांग्रेस से रिश्ता तोड़कर भाजपा (BJP) से रिश्ता जोड़ना पड़ा? वजह बहुत गहरी और स्पष्ट होने के साथ राजनीति दलों को संदेश देने वाली है.

एमपी में ज्योतिरादित्य के जाने की एक वजह सोनिया और राहुल के बीच के मतभेद को भी माना जा रहा है

मध्यप्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे आउटडेटेड नेताओं के आगे युवा और ऊर्जावान ज्योतिरादित्य सिंधिया को साइ लाइन किया जा रहा था. ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपने पति राजीव गांधी के साथ के पुराने कांग्रेस नेताओं पर ज्यादा भरोसा है और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और अपने पुत्र राहुल गांधी के करीबी ज्योतिरादित्य जैसे युवाओं पर ज्यादा विश्वास नही है.

मध्यप्रदेश में सियासी हलचल के दौरान...

पुराने लोग कुर्सी का मोह छोड़ें और नई ऊर्जावान पीढ़ी को मौका दें. मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की सियासी हलचल ने सभी दलों को कुछ ऐसा ही आईना दिखाया है. ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) ने सिर्फ कांग्रेस (Congress) से रिश्ता नहीं छोड़ा है बल्कि गांधी परिवार (Gandhi Family) और सिंधिया परिवार (Scindia Family) के पुराने रिश्तों के सिलसिले पर विराम लगा दिया है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के बेहद करीबी ज्योतिरादित्य सिंधिया जिनका जनाधार भी है, वो कांग्रेस (Congress) में सक्रिय युवा नेता के तौर पर उभरते हुए नजर आ रहे थे. मेहनत भी करते रहे. मोदी लहर (Modi Wave) के दौरान भी मध्यप्रदेश में कांग्रेस के जीतने मे सिंधिया का भी महत्त्वपूर्ण योगदान था. माधवराव सिंधिया (Madhavrao Scindia) राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) के करीबी दोस्त थे और और इसी तरह राहुल गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया में मित्रवत रिश्ता रहा. इन सब के बावजूद कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया को क्यों इतना नजरअंदाज किया कि उन्हें कांग्रेस से रिश्ता तोड़कर भाजपा (BJP) से रिश्ता जोड़ना पड़ा? वजह बहुत गहरी और स्पष्ट होने के साथ राजनीति दलों को संदेश देने वाली है.

एमपी में ज्योतिरादित्य के जाने की एक वजह सोनिया और राहुल के बीच के मतभेद को भी माना जा रहा है

मध्यप्रदेश में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह जैसे आउटडेटेड नेताओं के आगे युवा और ऊर्जावान ज्योतिरादित्य सिंधिया को साइ लाइन किया जा रहा था. ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपने पति राजीव गांधी के साथ के पुराने कांग्रेस नेताओं पर ज्यादा भरोसा है और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और अपने पुत्र राहुल गांधी के करीबी ज्योतिरादित्य जैसे युवाओं पर ज्यादा विश्वास नही है.

मध्यप्रदेश में सियासी हलचल के दौरान चर्चाओं के रंगों में ये बात भी सोशल मीडिया पर आयी है कि मध्यप्रदेश की कांग्रेस सरकार के गतिरोध की नौबत की मुख्य वजह सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बीच एक मत ना होना है. उत्तर प्रदेश में पिछले विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी के टूटने और फिर हारने की वजह भी कुछ ऐसी ही था. मुलायम सिंह यादव का विश्वास पुराने और अपने साथ के सपा नेताओं पर भरोसा था.

साथ ही वो अपने भाई शिवपाल यादव की पार्टी में अहमियत बर्करार रखना चाहते थे. इसके विपरीत मुलायम पुत्र अखिलेश यादव अपने मनपसंद युवा सपाइयों को आगे लाना चाहते थे.  इस जिद में अखिलेश यादव ने पिता मुलायम की आदेश के बाद भी चाचा शिवपाल को निकाल बाहर कर दिया. अंत में मुलायम सिह भी पार्टी के अध्यक्ष पद से बाहर होकर संरक्षक तक सीमित हो गये.

यानी दो पीढ़ियों के बीच यदि सांमजस्य बनाने के बजाये यदि युवा नेताओं को आगे बढ़ने से रोका गया तो भी बर्बादी है.और पुरानों को नजरअंदाज किया गया तब भी बेहतर नतीजे नहीं आते. चर्चा है कि मां सोनिया गांधीऔर बेटे राहुल गांधी राजनीति फैसलों में एकमत नहीं है.

ज्योतिरादित्य को पावर दिये जाने को लेकर आपस में काफी मतभेद चल रहे थे. मध्यप्रदेश जीतने के बाद पहले तो ज्योतिरादित्य को मुख्यमंत्री बनने का सपना पूरा नहीं हुआ. कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनाने के बाद वो चाहते थे कि उन्हें एमपी कांग्रेस की कमान दे दी जाये. ये भी ही हुआ, इसके बाद राज्यसभा जाने की ख्वाहिश भी पूरी नहीं की गयी. लगातार ऐसा क्यों होता रहा कि वो कुंठित होते रहे और अंत में कांग्रेस को टाटा कहना पड़ा. कुछ लोगों को ये लग रहा है कि सोनिया और राहुल के बीच मतभेद का नतीजा है मध्यप्रदेश का गतिरोध.

ये भी पढ़ें -

Jyotiraditya Scindia के इस्तीफे ने सोशल मीडिया पर होली को और रंगीन बना दिया

MP govt crisis: कांग्रेस की अंतर्कलह और संभावित समझौता फॉर्मूला!

Congress: मध्यप्रदेश के बाद राजस्थान का गढ़ बचाने की चुनौती!


इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲