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लापता जेएनयू छात्र नजीब की प्रताड़ना में लेफ्ट भी शामिल?

    • सरोज कुमार
    • Updated: 24 अक्टूबर, 2016 07:31 PM
  • 24 अक्टूबर, 2016 07:31 PM
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नजीब के लिए जेएनयू में हो रहे आंदोलन को लेकर भी AISA-SFI नेतृत्व वाले जेएनयूएसयू पर आरोप लग रहे हैं कि उसकी भूमिका अवसरवादी और समझौतापरस्त है.

अभी तक तो आपने मीडिया में यह सुना-पढ़ा होगा: लेफ्ट छात्र संगठनों का आरोप है कि नजीब की कथित पिटाई और गुमशुदगी का जिम्मेदार एबीवीपी है और एबीवीपी का आरोप है कि नजीब को लेफ्ट वालों ने ही कहीं छुपाया है. लेकिन अब तीसरा पक्ष भी उभरा है. दरअसल नजीब के छात्रावास माही-मांडवी के प्रेसीडेंट अलीमुद्दीन ने आरोप लगाया है कि जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू ) के अध्यक्ष मोहित पांडे और उनकी पार्टी AISA ने इस मामले को धार्मिक रंग देकर राजनीतिकरण कर दिया जबकि शुरुआत में नजीब की प्रताड़ना में खुद लेफ्ट छात्र संगठन AISA के सदस्य भी शामिल थे. यानी कि लेफ्ट के जो लोग अब नजीब को लेकर हंगामा मचा रहे हैं, उनमें से कुछ खुद भी नजीब की गुमशुदगी के जिम्मेदार हैं!

इसे भी पढ़ें: जेएनयू में क्यों उठता है अफजल गुरु का नाम?

अलीमुद्दीन के मुताबिक नजीब  के द्वारा विक्रांत (जिसे एबीवीपी का बताया जा रहा है) को कथित तौर पर थप्पड़ मारने के बाद छात्रावास में कुछ लोग काफी आक्रोशित थे और उसकी पिटाई करने पर उतारू थे. बाद में नजीब को पिटा भी गया. नजीब पर प्रशासनिक कार्रवाई का दबाव आक्रोशित लोगों, उसके रूममेट कासिम और कुछ लोगों ने बनाया और इस पर मोहित पांडे की भी सहमति थी.

 इस विवाद में वामदलों की भूमिका पर सवाल!

कासिम भी AISA से ही जुड़ा बताया जाता है. जबकि छात्रावास के वार्डेन पहले नजीब की पिटाई करने वालों पर कार्रवाई करना चाहते थे. अलीमुद्दीन तो यहां तक कहते हैं कि नजीब को पिटने वालों में AISA...

अभी तक तो आपने मीडिया में यह सुना-पढ़ा होगा: लेफ्ट छात्र संगठनों का आरोप है कि नजीब की कथित पिटाई और गुमशुदगी का जिम्मेदार एबीवीपी है और एबीवीपी का आरोप है कि नजीब को लेफ्ट वालों ने ही कहीं छुपाया है. लेकिन अब तीसरा पक्ष भी उभरा है. दरअसल नजीब के छात्रावास माही-मांडवी के प्रेसीडेंट अलीमुद्दीन ने आरोप लगाया है कि जेएनयू छात्रसंघ (जेएनयूएसयू ) के अध्यक्ष मोहित पांडे और उनकी पार्टी AISA ने इस मामले को धार्मिक रंग देकर राजनीतिकरण कर दिया जबकि शुरुआत में नजीब की प्रताड़ना में खुद लेफ्ट छात्र संगठन AISA के सदस्य भी शामिल थे. यानी कि लेफ्ट के जो लोग अब नजीब को लेकर हंगामा मचा रहे हैं, उनमें से कुछ खुद भी नजीब की गुमशुदगी के जिम्मेदार हैं!

इसे भी पढ़ें: जेएनयू में क्यों उठता है अफजल गुरु का नाम?

अलीमुद्दीन के मुताबिक नजीब  के द्वारा विक्रांत (जिसे एबीवीपी का बताया जा रहा है) को कथित तौर पर थप्पड़ मारने के बाद छात्रावास में कुछ लोग काफी आक्रोशित थे और उसकी पिटाई करने पर उतारू थे. बाद में नजीब को पिटा भी गया. नजीब पर प्रशासनिक कार्रवाई का दबाव आक्रोशित लोगों, उसके रूममेट कासिम और कुछ लोगों ने बनाया और इस पर मोहित पांडे की भी सहमति थी.

 इस विवाद में वामदलों की भूमिका पर सवाल!

कासिम भी AISA से ही जुड़ा बताया जाता है. जबकि छात्रावास के वार्डेन पहले नजीब की पिटाई करने वालों पर कार्रवाई करना चाहते थे. अलीमुद्दीन तो यहां तक कहते हैं कि नजीब को पिटने वालों में AISA  से जुड़े लोग भी शामिल थे. हालांकि अलीमुद्दीन एनएसयूआई से जुड़े बताए जाते हैं पर छात्रावास अध्यक्ष के बतौर भी उनका वर्जन अहम है. उनकी बातों से संकेत मिलता है कि लेफ्ट संगठन AISA से जुड़े लोग भी ऐसी परिस्थितियां बनाने में शामिल रहे जिससे नजीब प्रताड़ित हुआ.

नजीब के लिए जेएनयू में हो रहे आंदोलन को लेकर भी AISA-SFI  नेतृत्व वाले जेएनयूएसयू पर आरोप लग रहे हैं कि उसकी भूमिका अवसरवादी और समझौतापरस्त है. BAPSA  और कुछ अन्य लोगों का यह भी कहना है कि जेएनयूएसयू ने प्रशासन के घेराव में भी आम सहमति नहीं दिखाई और बिना आम सहमति के घेराव को वापस ले लिया. जाहिर है, इस मामले में लेफ्ट दूध का धुला नहीं है.

इसे भी पढ़ें: जेएनयू की अति-बैद्धिकता, लाल-आतंकवाद और बस्तर

जाहिर है, नजीब की सलामती और वापसी सबसे अहम है. उसकी मां का विलाप सुनकर किसी का भी सीना छलनी हो सकता है. अब नजीब को ही पता होगा कि आखिर वह क्यों या कैसे लापता हुआ है? लेकिन जिस तरह उसकी प्रताड़ना में एबीवीपी के साथ-साथ AISA की भूमिका रही, वह लेफ्ट की कलई खोलती है. एक तो AISA के लोग खुद उसकी प्रताड़ना में शामिल रहे और बाद में उसे सियासी तौर पर इस्तेमाल करने की कोशिश भी कर रहे हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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