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भाग नेता भाग : लड्डू मिलेंगे या ठन-ठन गोपाल

    • राकेश चंद्र
    • Updated: 16 जनवरी, 2017 04:55 PM
  • 16 जनवरी, 2017 04:55 PM
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दल-बदल लेने वाले नेताओं की पद की लालसा जब पूरी नहीं होगी, तब यही नेता वापसी के लिए उन्हीं नेताओं के आगे झुके हुए दिखेंगे जिन्हें आज गरिया रहे हैं.

'लालू-नीतीश मिल सकते हैं तो कुछ भी संभव है', यह कहना है नए नवेले कांग्रेसी नवजोत सिंह सिद्धू का. आज खूब गुर्राये बादल पर. ध्यान भी आया तो पूरे 10 साल बाद. सिद्धू यह भूल गए कि क्रिकेट के बाद अगर उन्हें किसी ने इस मुकाम तक पहुंचाया तो वह थी बीजेपी. खैर मौकापरस्ती ही राजनीति का नाम है. आज बदल को गरिया रहे हैं, कल हो सकता है फिर कांग्रेस को भी गरिया दें.  

 कांग्रेसी बनते ही बादल पर खूब बरसे सिद्धू

इधर सिद्धू कांग्रेस मैं शामिल हुए उधर उत्तराखंड में भी कांग्रेस को एक और झटका लग गया, जब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व मंत्री यशपाल आर्य अपने पुत्र के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. भारतीय लोकतंत्र में यह पहला उदाहरण नहीं है जब नेताओं की चुनाव के समय बड़े पैमाने पर अदला बदली हो रही हो. पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की अगर बात करें तो मानो नेताओं के लिए उनकी मन मुरादों को पूरा करने का समय आया गया है, दौड़ शुरू हो गई है लेकिन कहां जाकर खत्म होगी यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा. कहीं आसमान से लटके तो खजूर पर अटके वाली कहावत सही न हो जाए. जब पद की लालसा पूरी नहीं होगी तब यही नेता वापसी के लिए उन्हीं नेताओं के आगे झुके हुए दिखेंगे जिन्हें आज गरिया रहे हैं.

ये भी पढ़ें- सिद्धू ने कांग्रेस का दामन थामा- तो अब 'ठोको ताली'

एक नजर उन नेताओं पर जिन्होंने हाल ही...

'लालू-नीतीश मिल सकते हैं तो कुछ भी संभव है', यह कहना है नए नवेले कांग्रेसी नवजोत सिंह सिद्धू का. आज खूब गुर्राये बादल पर. ध्यान भी आया तो पूरे 10 साल बाद. सिद्धू यह भूल गए कि क्रिकेट के बाद अगर उन्हें किसी ने इस मुकाम तक पहुंचाया तो वह थी बीजेपी. खैर मौकापरस्ती ही राजनीति का नाम है. आज बदल को गरिया रहे हैं, कल हो सकता है फिर कांग्रेस को भी गरिया दें.  

 कांग्रेसी बनते ही बादल पर खूब बरसे सिद्धू

इधर सिद्धू कांग्रेस मैं शामिल हुए उधर उत्तराखंड में भी कांग्रेस को एक और झटका लग गया, जब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व मंत्री यशपाल आर्य अपने पुत्र के साथ बीजेपी में शामिल हो गए. भारतीय लोकतंत्र में यह पहला उदाहरण नहीं है जब नेताओं की चुनाव के समय बड़े पैमाने पर अदला बदली हो रही हो. पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की अगर बात करें तो मानो नेताओं के लिए उनकी मन मुरादों को पूरा करने का समय आया गया है, दौड़ शुरू हो गई है लेकिन कहां जाकर खत्म होगी यह तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा. कहीं आसमान से लटके तो खजूर पर अटके वाली कहावत सही न हो जाए. जब पद की लालसा पूरी नहीं होगी तब यही नेता वापसी के लिए उन्हीं नेताओं के आगे झुके हुए दिखेंगे जिन्हें आज गरिया रहे हैं.

ये भी पढ़ें- सिद्धू ने कांग्रेस का दामन थामा- तो अब 'ठोको ताली'

एक नजर उन नेताओं पर जिन्होंने हाल ही में पार्टियां बदली हैं

उत्तराखंड

शुरुआत उत्तराखंड से, जहां विधायकों ने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी, इनमें पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, हरक सिंह रावत, अमृता रावत, सुबोध उनियाल, प्रदीप बत्रा, उमेश शर्मा, सैला रानी रावत, शैलेन्द्र मोहन और अब यशपाल आर्य.

उत्तर प्रदेश

स्वामी प्रसाद मौर्या, रीता बहुगुणा जोशी, बृजेश पाठक, राजा महेंद्र अरिदमन सिंह, अशोक प्रधान, इंदरपाल सिंह, ममतेश, हरविंदर कुमार, महावीर राणा, रोशनलाल, ओम कुमार, प्रदीप चौधरी, श्याम प्रकाश ने बीजेपी से नाता जोड़ा.

पंजाब

नवजोत सिंह सिद्धू, डॉ नवजोत कौर सिद्धू , परगट सिंह, सरवन सिंह फिल्लौर, इन्दर सिंह, राजविंदर कौर, महेशइंद्र सिंह, सतपाल गोसाईं, डॉ दलजीत सिंह, अशोक परासर पप्पी, जनमोहन शर्मा, हंस राज हंस, ने कांग्रेस से नाता जोड़ा. इसके अलावा सुखपाल सिंह ने कांग्रेस छोड़कर आप से नाता जोड़ा. वहीं सुरेंद्र पल सिंह (कांग्रेस) ने अकाली से नाता जोड़ा.

गोवा

कांग्रेस के पांडुरंग मडकैकर ने बीजेपी से हाथ मिलाया, कांग्रेस के एक विधायक मौविन गोडिन्हो ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. गोवा के कृषि मंत्री भी महाराष्ट्रवादी गोमांतक पार्टी जल्द ही ज्वाइन करने वाले हैं.

मणिपुर

पूर्व कांग्रेसी मंत्री बिरेन व फ्रांसिस नगजोक्पा, वाई एरेबोट, व इसके अलावा दो अन्य कांग्रसी विधायकों ने बीजेपी का दामन थामा.

कुल मिलकर अगर पांचो राज्यों की स्थिति को देखा जाए तो उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड मणिपुर में नेताओं का रुख बीजेपी की पक्ष में दिख रहा है, वहीं पंजाब में कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दे रहा है, उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के पक्ष में कुछ दिखाई नहीं पड़ता है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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