• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

लालू के फिर से जेल जाने के बाद क्या राहुल को RJD का साथ पसंद होगा

    • आईचौक
    • Updated: 29 अगस्त, 2018 04:30 PM
  • 24 दिसम्बर, 2017 05:13 PM
offline
बिहार के बदले समीकरण में कांग्रेस को आरजेडी से गठबंधन बनाये रखना मजबूरी है. मुश्किल ये है कि राहुल गांधी उसे सही कैसे ठहरायें?

चारा घोटाले में लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद उनकी पार्टी आरजेडी के नेता बीजेपी पर बुरी तरह बरस रहे हैं. बीजेपी 'जैसा बोया वैसा काटा' वाली नसीहत दे रही है, तो उसकी सहयोगी जेडीयू सजा को कानून का इंजेक्शन बता रही है. कांग्रेस ने अपने रिएक्शन में पूरी सावधानी बरती है. हालांकि, वो काफी डिफेंसिव लग रही है.

बीजेपी ने लालू और कांग्रेस के अलाएंस को 'भ्रष्टाचार का गठबंधन' बताया है. कांग्रेस का कहना है कि आपराधिक मामले और राजनीतिक गठबंधन दो अलग अलग चीजें हैं. लगे हाथ, ये भी जोड़ दिया है कि कानून को अपना काम करना चाहिये.

देखा जाये तो जिस तरह बीजेपी की सांप-छछूंदर की हालत 2G मामले में हो गयी थी, कांग्रेस, खासकर राहुल गांधी की लालू के मामले में नजर आ रही है.

कांग्रेस की कशमकश!

फर्ज कीजिए मनमोहन सरकार में वो ऑर्डिनेंस (जो कालांतर में दागी नेताओं के लिए रक्षा कवच साबित होता) अमल में आ गया होता तो क्या लालू प्रसाद को ये दिन देखने पड़ते? जेल जाते, जमानत पर छूटते या फिर अंदर से ही लालू प्रसाद चुनाव भी लड़ लेते और काफी संभावना थी कि जीत भी जाते. माना जाता है कि वो ऑर्डिनेंस लालू को बचाने के मकसद से ही तैयार किया गया था. मगर, ऐसा नहीं हो सका - क्योंकि राहुल गांधी को ये सब नहीं पसंद था. ये राहुल गांधी ही थे जिन्होंने उस अध्यादेश की कॉपी फाड़ कर अपना गुस्सा और विरोध साथ में प्रकट किया था. इतना ही नहीं राहुल गांधी ने उतना कड़ा विरोध नहीं किया होता तो नीतीश कुमार शायद ही महागठबंधन के नेता बन पाते - और फिर चुनाव बाद नीतीश कुमार नहीं बल्कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे होते.

खैर, ये वे संभावित बातें हैं जो हकीकत न बन पायीं. बावजूद इसके इनकी चर्चा इसलिए जरूरी हो जा रही है क्योंकि एक बार फिर वैसे ही हालात पैदा हो गये हैं. लालू प्रसाद चारा घोटाले के दूसरे केस में भी दोषी करार दिये गये हैं.

चारा घोटाले में लालू प्रसाद के जेल जाने के बाद उनकी पार्टी आरजेडी के नेता बीजेपी पर बुरी तरह बरस रहे हैं. बीजेपी 'जैसा बोया वैसा काटा' वाली नसीहत दे रही है, तो उसकी सहयोगी जेडीयू सजा को कानून का इंजेक्शन बता रही है. कांग्रेस ने अपने रिएक्शन में पूरी सावधानी बरती है. हालांकि, वो काफी डिफेंसिव लग रही है.

बीजेपी ने लालू और कांग्रेस के अलाएंस को 'भ्रष्टाचार का गठबंधन' बताया है. कांग्रेस का कहना है कि आपराधिक मामले और राजनीतिक गठबंधन दो अलग अलग चीजें हैं. लगे हाथ, ये भी जोड़ दिया है कि कानून को अपना काम करना चाहिये.

देखा जाये तो जिस तरह बीजेपी की सांप-छछूंदर की हालत 2G मामले में हो गयी थी, कांग्रेस, खासकर राहुल गांधी की लालू के मामले में नजर आ रही है.

कांग्रेस की कशमकश!

फर्ज कीजिए मनमोहन सरकार में वो ऑर्डिनेंस (जो कालांतर में दागी नेताओं के लिए रक्षा कवच साबित होता) अमल में आ गया होता तो क्या लालू प्रसाद को ये दिन देखने पड़ते? जेल जाते, जमानत पर छूटते या फिर अंदर से ही लालू प्रसाद चुनाव भी लड़ लेते और काफी संभावना थी कि जीत भी जाते. माना जाता है कि वो ऑर्डिनेंस लालू को बचाने के मकसद से ही तैयार किया गया था. मगर, ऐसा नहीं हो सका - क्योंकि राहुल गांधी को ये सब नहीं पसंद था. ये राहुल गांधी ही थे जिन्होंने उस अध्यादेश की कॉपी फाड़ कर अपना गुस्सा और विरोध साथ में प्रकट किया था. इतना ही नहीं राहुल गांधी ने उतना कड़ा विरोध नहीं किया होता तो नीतीश कुमार शायद ही महागठबंधन के नेता बन पाते - और फिर चुनाव बाद नीतीश कुमार नहीं बल्कि तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे होते.

खैर, ये वे संभावित बातें हैं जो हकीकत न बन पायीं. बावजूद इसके इनकी चर्चा इसलिए जरूरी हो जा रही है क्योंकि एक बार फिर वैसे ही हालात पैदा हो गये हैं. लालू प्रसाद चारा घोटाले के दूसरे केस में भी दोषी करार दिये गये हैं.

क्या करें, क्या ना करें... ये कैसी मुश्किल...

हाल फिलहाल ये तो देखने को मिला कि लालू के प्रति राहुल के नजरिये में बदलाव आया है. पहले जैसी तल्खी भी नहीं देखने को मिली है. लेकिन राहुल गांधी कैसे समझाएंगे कि जिस मसले पर वो लालू से दूरी बनाये रखते थे या हमेशा उनके विरोध में खड़े रहते थे - अब उन्हें उससे परहेज नहीं रहा. फिर विरोधी तो पूछेंगे ही ऐसा राहुल गांधी ने क्यों किया?

लालू पर क्या हो स्टैंड?

राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जब सोनिया गांधी ने विपक्षी नेताओं को लंच पर बुलाया था - उसी वक्त लालू की पटना रैली पर सहमति बनी थी. लेकिन जब रैली हुई तो न सोनिया गांधी पहुंचीं और न ही राहुल गांधी. तब भी यही माना गया कि लालू की छवि के चलते दोनों नेताओं ने मंच शेयर न करने का फैसला किया. हालांकि, उन्हीं लालू के साथ सोनिया गांधी ने पटना की स्वाभिमान रैली में मंच साझा किया था.

लालू की पटना रैली में सोनिया और राहुल के मैसेज सुनाये गये. राहुल ने विदेश में किसी कार्यक्रम की व्यस्तता की दुहाई दी और रैली की कामयाबी की शुभकामनाएं.

ये साथ तो पसंद है, लेकिन...

राजनीति में दिलचस्पी रखने वालों की समझ यही बनी कि सोनिया के विदेशी मूल पर लालू के सपोर्ट के चलते उन्होंने हमेशा साथ दिया. लेकिन नीतीश कुमार ने जब सीबीआई की एफआईआर के बाद तेजस्वी के इस्तीफे को लेकर राहुल से मुलाकात की तो उन्होंने उसमें दखल देने से इंकार कर दिया. बाद में जब नीतीश ने पाला बदल कर बीजेपी से हाथ मिला लिया तो राहुल ने उन्हें धोखेबाज करार दिया.

हाल ही में तेजस्वी ने ट्विटर पर एक फोटो शेयर की तो राहुल के साथ नये रिश्तों की झलक देखने को मिली. थोड़े ही दिन पहले लालू प्रसाद ने राहुल गांधी को देश का अगला प्रधानमंत्री बताया था - और फिर तेजस्वी ने भी उसे एनडोर्स किया.

खास बात ये है कि लालू प्रसाद भले ही अब भी आरजेडी के अध्यक्ष हैं, लेकिन एक तरीके से अपनी विरासत तेजस्वी को सौंप चुके हैं. उधर, सोनिया गांधी भी अध्यक्ष की कुर्सी राहुल को सौंप चुकी हैं. वैसे भी राहुल को लालू और मुलायम सिंह यादव से तो परहेज रहा है, लेकिन तेजस्वी और अखिलेश को वो खूब पसंद करते हैं. एक मुश्किल ये भी है कि नीतीश ने झटका देते हुए विरोधी खेमा अपना लिया है और कांग्रेस का अपना आधार बिहार में बेहद कमजोर हो चुका है - ऐसे में राहुल गांधी के लिए आरजेडी से दोस्ती का हाथ खींचना आसान नहीं है. फिर भी जब बीजेपी अयोध्या के साथ साथ लालू पर भी कांग्रेस का स्टैंड पूछेगी तो राहुल गांधी को बताना ही होगा. मुश्किल तो है, लेकिन सियासत में ऐसी मजबूरियां भी तो आम बात हैं.

इन्हें भी पढ़ें :

कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद विपक्ष में राहुल का नेतृत्व कितनों को मंजूर होगा

राहुल गांधी के खिलाफ साजिश! तेजस्वी जनता माफ़ न करेगी तुमको ...

किस्मत ने राहुल गांधी को कुर्सी दिलायी वक्त 'नसीबवाला' बना रहा है

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲