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खालिद वानी आतंकी या शहीद?

    • अरविंद मिश्रा
    • Updated: 14 दिसम्बर, 2016 05:18 PM
  • 14 दिसम्बर, 2016 05:18 PM
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जम्मू कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार हिज्बुल मजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के भाई खालिद वानी के नाम पर घर वालों के लिए 4 लाख रुपए का मुआवजा मंजूर किया है.

नोटबंदी के बाद से आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में मचा कोहराम बंद हो गया था. भारत सरकार ने भी इसका क्रेडिट लिया था. भारतीय सेना अपनी बड़ी कार्रवाई में आतंक का सौदागर बुरहान को मौत के घाट उतारा था. तब सरहद पार बैठे मौत के आतंकियों ने इस ऑपरेशन को भारत की दहशतगर्दी बताकर घाटी में खूब हंगामा कराया था. बहरहाल, आतंकी बुरहान को तो उसके किए की सज़ा मिल गई. मगर अब एक बार फिर से वानी परिवार का नाम खबरों की वजह बन रहा है.

खबरों कि वजह है- जम्मू कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार हिज्बुल मजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के भाई खालिद वानी के नाम पर घर वालों के लिए 4 लाख रुपए का मुआवजा मंजूर किया जाना. खालिद वानी 13 अप्रैल 2015 को सेना के साथ हुई एक मुठभेड़ में मारा गया था.

 सेना के साथ हुई एक मुठभेड़ में मारा गया था खालिद वानी

सरकार की हो रही आलोचना

अगर जानकारों की माने तो महबूबा मुफ्ती की सरकार द्वारा खालिद वानी की मौत के बदले मुआवजा देने की घोषणा करना सीधे तौर पर सेना के रुख का विरोध करता है. सेना ने साफ किया था कि खालिद हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी था और उसकी मौत मुठभेड़ के दौरान हुई थी. अगर सेना की बातों को माना जाए तो किसी भी आतंकवादी या चरमपंथी की मौत के एवज में मुआवजा नहीं दिया जा सकता.

जो मुआवजा वानी परिवार को दिया जाना है, वह उन आम नागरिकों को मिलता है जो कि आतंकी वारदातों या फिर आतंकवादियों के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई में अपनी जांन गंवाते हैं. जानकारों का कहना है कि यह सीधे तौर पर मुआवजे के नियमों का उल्लंघन है. साथ ही, इसे सेना का मनोबल तोड़ने वाला फैसला भी बताया जा रहा...

नोटबंदी के बाद से आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद घाटी में मचा कोहराम बंद हो गया था. भारत सरकार ने भी इसका क्रेडिट लिया था. भारतीय सेना अपनी बड़ी कार्रवाई में आतंक का सौदागर बुरहान को मौत के घाट उतारा था. तब सरहद पार बैठे मौत के आतंकियों ने इस ऑपरेशन को भारत की दहशतगर्दी बताकर घाटी में खूब हंगामा कराया था. बहरहाल, आतंकी बुरहान को तो उसके किए की सज़ा मिल गई. मगर अब एक बार फिर से वानी परिवार का नाम खबरों की वजह बन रहा है.

खबरों कि वजह है- जम्मू कश्मीर की महबूबा मुफ्ती सरकार हिज्बुल मजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के भाई खालिद वानी के नाम पर घर वालों के लिए 4 लाख रुपए का मुआवजा मंजूर किया जाना. खालिद वानी 13 अप्रैल 2015 को सेना के साथ हुई एक मुठभेड़ में मारा गया था.

 सेना के साथ हुई एक मुठभेड़ में मारा गया था खालिद वानी

सरकार की हो रही आलोचना

अगर जानकारों की माने तो महबूबा मुफ्ती की सरकार द्वारा खालिद वानी की मौत के बदले मुआवजा देने की घोषणा करना सीधे तौर पर सेना के रुख का विरोध करता है. सेना ने साफ किया था कि खालिद हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी था और उसकी मौत मुठभेड़ के दौरान हुई थी. अगर सेना की बातों को माना जाए तो किसी भी आतंकवादी या चरमपंथी की मौत के एवज में मुआवजा नहीं दिया जा सकता.

जो मुआवजा वानी परिवार को दिया जाना है, वह उन आम नागरिकों को मिलता है जो कि आतंकी वारदातों या फिर आतंकवादियों के खिलाफ की गई सैन्य कार्रवाई में अपनी जांन गंवाते हैं. जानकारों का कहना है कि यह सीधे तौर पर मुआवजे के नियमों का उल्लंघन है. साथ ही, इसे सेना का मनोबल तोड़ने वाला फैसला भी बताया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- बुरहान वानी के पिता के लिए कश्मीर की लड़ाई राजनीतिक नहीं धार्मिक!

खालिद के मुठभेड़ पर भी गंभीर सवाल

महबूबा सरकार द्वारा ऐलान किए गए इस मुआवजे में साफ तौर पर खालिद को 'आम नागरिक' बताया गया है. सेना द्वारा आतंकी ठहराए गए व्यक्ति को पीड़ित मानकर उसके परिवार को मुआवजा दिए जाने की घोषणा से राज्य सरकार की खासी आलोचना हो रही है. मालूम हो कि वानी परिवार लंबे समय से खालिद के मुठभेड़ को फर्जी बताता आ रहा है

कौन था खालिद वानी

25 वर्षीय खालिद इग्नू से राजनीति विज्ञान में एम.ए कर रहा था. जबकि सेना का कहना है कि वह हिजबुल मुजाहिद्दीन का आतंकी था, उसे सेना ने मुठभेड़ में मार गिराया था. वहीं खालिद वानी के परिवार का कहना है कि खालिद को यातना देकर मारा गया था, उसके सिर पर चोट थी और उसका दांत टूटा हुआ था, जबकि उसके शरीर पर गोली का कोई निशान नहीं था. खालिद के परिवार का दावा है कि खालिद अपनी मां से कहकर पिकनिक गया था, जबकि कुछ ही देर बाद उसका शव जंगलों में मिला था.

बुरहान वानी

बुरहान वानी की मौत के बाद से घाटी में अशांति

8 जुलाई 2016 को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी को सेना के साथ हुई एक मुठभेड़ के दौरान मार गिराया गया था. बुरहान की मौत के बाद कश्मीर घाटी में हिंसक प्रदर्शनों की शुरूआत हो गई थी जो कि 4 महीनें से ज्यादा वक्त तक जारी रहे थे. बुरहान को पाकिस्तान ने शहीद का दर्जा दिया था, जिस पर काफी विवाद हुआ था. भारत ने इस पर कड़ा एतराज भी जताया था

बुरहान की मौत के बाद हिंसक प्रदर्शनों के चलते घाटी के कई इलाकों में आम जनजीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ था. इसके साथ ही हिंसा के दौरान घाटी में 80 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों अन्य लोग घायल हुए थे.

ये भी पढ़ें- एक कश्मीर के दो वानी, रास्ते और मंजिलें अलग अलग

अब चूंकि जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा खालिद वानी को मुआवजा देने का एलान हो चुका है ऐसे में फिर से जम्मू-कश्मीर की PDP-BJP गठबंधन सरकार पर इसका क्या असर होता है, ये तो समय ही बताएगा लेकिन इतना तो साफ है कि आने वाले समय में वहां राजनीतिक सरगर्मियां तेज ज़रूर होंगी.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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