• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

केशुभाई पटेल: वो मुख्यमंत्री जिसने गुजरात में कांग्रेस को न घर का छोड़ा न घाट का...

    • निधिकान्त पाण्डेय
    • Updated: 04 नवम्बर, 2022 07:03 PM
  • 04 नवम्बर, 2022 07:03 PM
offline
केशुभाई के पहले कार्यकाल के दौरान ही नरेंद्र मोदी बीजेपी के केंद्रीय संगठन में आ चुके थे.कहते हैं कि केशुभाई ने जब दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली तो सबसे पहले बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व से कहलवाकर नरेंद्र मोदी को गुजरात से दिल्ली भिजवा दिया क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि मोदी गुजरात में नेताओं या लोगों से मेल-मिलाप करें.

पीएम नरेंद्र मोदी ने कभी अपने गुरु से गुजरात की सत्ता ग्रहण की थी और मुख्यमंत्री बने थे. मोदी के ये गुरु थे केशुभाई पटेल.गुजरात की राजनीति में एक जाना पहचाना नाम. जिन्हें मरणोपरांत, 2021 में पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया. यही वो शख्सियत है जिसने गुजरात से कांग्रेस का पत्ता ऐसा साफ किया कि उसके बाद कांग्रेस गुजरात में कभी उठ नहीं पाई.

आइये जानते हैं केशुभाई पटेल के सफर बारे में.

24 जुलाई 1928 को जूनागढ़ के विस्वादर तालुके में उनका जन्म हुआ

1945 में वे आरएसएस से जुड़कर उसके प्रचारक बन गए

 60 के दशक में जनसंघ के साथ केशुभाई पटेल ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की. वे जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से भी एक थे.

एक दौर था जब केशुभाई और शंकर सिंह वाघेला मिलकर संघ और जनसंघ के संगठन को मजबूत बनाने के लिए गांव-गांव भटका करते थे. केशुभाई पटेल और शंकर सिंह वाघेला के इस एक दौर का जिक्र हमने क्यों किया इसके बारे में हम आपको जल्द ही बताएंगे.

पीएम मोदी के राजनीतिक गुरु माने जाते थे गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल

 

केशुभाई पटेल का सियासी सफर

1977 में केशुभाई पटेल ने राजकोट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता

बाद में उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूभाई पटेल की जनता मोर्चा सरकार में 1978 से 1980 तक कृषि मंत्री रहे

1980 में बीजेपी के गठन में भी केशुभाई पटेल साथ रहे और पार्टी के वरिष्ठ आयोजक बने और विधानसभा चुनाव जीतकर गुजरात बीजेपी में पैर मजबूत करते रहे.

1995 के चुनाव में केशुभाई पटेल के नेतृत्व में 182 में से 121 सीटें जीतकर बीजेपी ने ऐसा कमल खिलाया कि गुजरात में उनका कांटा साफ हो गया, कांग्रेस को...

पीएम नरेंद्र मोदी ने कभी अपने गुरु से गुजरात की सत्ता ग्रहण की थी और मुख्यमंत्री बने थे. मोदी के ये गुरु थे केशुभाई पटेल.गुजरात की राजनीति में एक जाना पहचाना नाम. जिन्हें मरणोपरांत, 2021 में पद्म भूषण सम्मान से नवाजा गया. यही वो शख्सियत है जिसने गुजरात से कांग्रेस का पत्ता ऐसा साफ किया कि उसके बाद कांग्रेस गुजरात में कभी उठ नहीं पाई.

आइये जानते हैं केशुभाई पटेल के सफर बारे में.

24 जुलाई 1928 को जूनागढ़ के विस्वादर तालुके में उनका जन्म हुआ

1945 में वे आरएसएस से जुड़कर उसके प्रचारक बन गए

 60 के दशक में जनसंघ के साथ केशुभाई पटेल ने अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की. वे जनसंघ के संस्थापक सदस्यों में से भी एक थे.

एक दौर था जब केशुभाई और शंकर सिंह वाघेला मिलकर संघ और जनसंघ के संगठन को मजबूत बनाने के लिए गांव-गांव भटका करते थे. केशुभाई पटेल और शंकर सिंह वाघेला के इस एक दौर का जिक्र हमने क्यों किया इसके बारे में हम आपको जल्द ही बताएंगे.

पीएम मोदी के राजनीतिक गुरु माने जाते थे गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री केशुभाई पटेल

 

केशुभाई पटेल का सियासी सफर

1977 में केशुभाई पटेल ने राजकोट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता

बाद में उन्होंने लोकसभा से इस्तीफा दे दिया और गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूभाई पटेल की जनता मोर्चा सरकार में 1978 से 1980 तक कृषि मंत्री रहे

1980 में बीजेपी के गठन में भी केशुभाई पटेल साथ रहे और पार्टी के वरिष्ठ आयोजक बने और विधानसभा चुनाव जीतकर गुजरात बीजेपी में पैर मजबूत करते रहे.

1995 के चुनाव में केशुभाई पटेल के नेतृत्व में 182 में से 121 सीटें जीतकर बीजेपी ने ऐसा कमल खिलाया कि गुजरात में उनका कांटा साफ हो गया, कांग्रेस को महज 45 सीटें ही मिलीं.

14 मार्च 1995 को केशुभाई पटेल ने गुजरात के 10वें मुख्यमंत्री का कार्यभार संभाला

केशुभाई ने अपने मंत्रिमंडल में ऐसे किसी भी विधायक को जगह नहीं दी, जो शंकर सिंह वाघेला का करीबी माना जाता हो. हमने आपसे थोड़ी देर पहले चर्चा की थी, एक दौर की, जब केशुभाई और वाघेला एक साथ प्रचार किया करते थे. ये दूसरा दौर था जिसमें एक ही पार्टी में रहते हुए भी उन दोनों के बीच दूरियां आ गई थीं. बस, शंकर सिंह वाघेला ने 47 विधायकों के साथ बगावत कर दी और केशुभाई पटेल की पहली पारी महज 7 महीने में ही सिमट गई. बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने बीच का रास्ता निकालते हुए केशुभाई पटेल को विदा किया और सुरेश मेहता गुजरात के अगले मुख्यमंत्री बने.

इसके बाद शंकर सिंह वाघेला ने अपनी पार्टी बनाई और मुख्यमंत्री भी बने, लेकिन साल भर ही टिक सके.1998 में फिर विधानसभा चुनाव हुए. केशुभाई पटेल के नेतृत्व में बीजेपी ने गुजरात की 182 सीटों में से 117 का आंकड़ा छुआ लेकिन कांग्रेस को केवल 60 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा. 4 मार्च 1998 को केशुभाई पटेल दूसरी बार गुजरात के मुख्यमंत्री बने.

इस बीच में आपको एक डेवेलपमेंट और बताता चलूं कि केशुभाई के पहले कार्यकाल के दौरान ही नरेंद्र मोदी बीजेपी के केंद्रीय संगठन में आ चुके थे.कहते हैं कि केशुभाई ने जब दूसरी बार सीएम पद की शपथ ली तो सबसे पहले बीजेपी के केन्द्रीय नेतृत्व से कहलवाकर नरेंद्र मोदी को गुजरात से दिल्ली भिजवा दिया क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि मोदी गुजरात में नेताओं या लोगों से मेल-मिलाप करें.

लेकिन विडंबना देखिये कि केशुभाई पटेल के सामने फिर से संकट खड़ा हो गया जब दो उपचुनाव में बीजेपी को हार मिली और कांग्रेस ने जीत दर्ज की. फिर 26 जनवरी 2001 को हुए भुज भूकंप की स्थिति न संभाल पाने के कारण बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व ने ही दिल्ली से मोदी को गुजरात भेजा. केशुभाई पटेल को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और नरेंद्र मोदी ने और 7 अक्टूबर 2001 को गुजरात के सीएम का पदभार संभाला. केशुभाई और मोदी में चाहे उतार-चढ़ाव वाला रिश्ता रहा हो लेकिन मोदी ने कई बार मंचों से केशुभाई पटेल को अपना राजनीतिक गुरु बताया है.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲