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करूणानिधि समाधि विवाद : तमिलनाडु की सियासत के दो सितारे चले गए मगर कड़वाहट बरकरार है

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 07 अगस्त, 2018 10:32 PM
  • 07 अगस्त, 2018 10:32 PM
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करूणानिधि की मौत के बाद उनकी समाधी को लेकर विवाद और मामले का मद्रास हाई कोर्ट जाना साफ बता देता है कि एआईएडीएमके और डीएमके के बीच का तनाव शायद ही कभी खत्म हो.

दक्षिण की राजनीति के एक महत्वपूर्ण स्तम्भ और अपने बागी बर्ताव के कारण सम्पूर्ण भारत की राजनीति को प्रभावित कर चर्चा में रहने वाले द्रविड़ राजनीति के पुरोधा करूणानिधि नहीं रहे. लम्बी बीमारी से लड़ने के बाद 94 वर्ष की आयु में उनका चेन्नई के कावेरी अस्पताल में निधन हो गया है. करूणानिधि की मौत के बाद तमिलनाडु की राजनीति एक बार फिर चर्चा में है कारण है उनका अंतिम संस्कार. मरीना बीच पर करुणानिधि के समाधि के लिए जगह नहीं मिलने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. मद्रास हाईकोर्ट के कार्याकारी चीफ जस्टिस एचजी रमेश डीएमके की याचिका पर रात 10.30 बजे सुनवाई करने के लिए राजी हो गए हैं. तमिलनाडु सरकार ने करुणानिधि के अंतिम संस्कार के लिए मरीना बीच पर जगह देने से इनकार कर दिया है. डीएमके समर्थकों द्वारा मांग की जा रही थी कि करूणानिधि की समाधी को मरीना बीच पर स्थापित किया जाए.

एक बार फिर करूणानिधि की समाधी को लेकर डीएमके और एआईडीएमके के रिश्तों में कड़वाहट देखने को मिल रही है

बताया जा रहा है कि एमके स्टालिन और कनीमोझी समेत वरिष्ठ डीएमके नेताओं ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी से मुलाकात कर मरीना बीच पर करुणानिधि के समाधि के लिए अनुमति मांगी थी. खबरों के अनुसार जिसे राज्य के मुख्यमंत्री ने बिना वक़्त गंवाए खारिज कर दिया. मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद तनाव होना लाजमी था. डीएमके समर्थकों को जैसे ही सूचना मिली कि राज्य सरकार ने मरीना बीच पर समाधि के लिए जगह देने से इनकार कर दिया है वैसे ही वो हिंसक हो गए.

खबर ये भी है कि समर्थकों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए हैं जिससे राज्य के पुलिस महकमे...

दक्षिण की राजनीति के एक महत्वपूर्ण स्तम्भ और अपने बागी बर्ताव के कारण सम्पूर्ण भारत की राजनीति को प्रभावित कर चर्चा में रहने वाले द्रविड़ राजनीति के पुरोधा करूणानिधि नहीं रहे. लम्बी बीमारी से लड़ने के बाद 94 वर्ष की आयु में उनका चेन्नई के कावेरी अस्पताल में निधन हो गया है. करूणानिधि की मौत के बाद तमिलनाडु की राजनीति एक बार फिर चर्चा में है कारण है उनका अंतिम संस्कार. मरीना बीच पर करुणानिधि के समाधि के लिए जगह नहीं मिलने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. मद्रास हाईकोर्ट के कार्याकारी चीफ जस्टिस एचजी रमेश डीएमके की याचिका पर रात 10.30 बजे सुनवाई करने के लिए राजी हो गए हैं. तमिलनाडु सरकार ने करुणानिधि के अंतिम संस्कार के लिए मरीना बीच पर जगह देने से इनकार कर दिया है. डीएमके समर्थकों द्वारा मांग की जा रही थी कि करूणानिधि की समाधी को मरीना बीच पर स्थापित किया जाए.

एक बार फिर करूणानिधि की समाधी को लेकर डीएमके और एआईडीएमके के रिश्तों में कड़वाहट देखने को मिल रही है

बताया जा रहा है कि एमके स्टालिन और कनीमोझी समेत वरिष्ठ डीएमके नेताओं ने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ई पलानीस्वामी से मुलाकात कर मरीना बीच पर करुणानिधि के समाधि के लिए अनुमति मांगी थी. खबरों के अनुसार जिसे राज्य के मुख्यमंत्री ने बिना वक़्त गंवाए खारिज कर दिया. मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए इस निर्णय के बाद तनाव होना लाजमी था. डीएमके समर्थकों को जैसे ही सूचना मिली कि राज्य सरकार ने मरीना बीच पर समाधि के लिए जगह देने से इनकार कर दिया है वैसे ही वो हिंसक हो गए.

खबर ये भी है कि समर्थकों ने बैरिकेड्स तोड़ दिए हैं जिससे राज्य के पुलिस महकमे में हडकंप मच गया है. डीएमके नेता वाइको राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा लिए गए इस फैसले से खासे आहत दिखे. राज्य सरकार के इस फैसले पर वाइको का कहना है कि यह अमानवीय है. वाइको ने ये भी सवाल किया है कि आखिर क्यों हम अपने नेता की समाधि मरीना बीच पर नहीं बना सकते.

मामला कितना गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मरीना बीच पर करुणानिधि के समाधि के लिए जगह नहीं मिलने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है. मद्रास हाईकोर्ट के कार्याकारी चीफ जस्टिस एचजी रमेश डीएमके की याचिका पर रात 10.30 बजे सुनवाई करने के लिए राजी हो गए हैं.

भारतीय राजनीति में करूणानिधि का कद कितना विशाल था इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि केंद्र सरकार ने फैसला किया है कि करुणानिधि अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ होगा. राजधानी दिल्ली के अलावा सभी राज्यों की राजधानी और तमिलनाडु में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा.

बहरहाल अब चूंकि तमिलनाडु की राजनीति के दोनों बड़े पुरोधा करूणानिधि और जयललिता हमारे बीच नहीं है मगर मामले को देखकर ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं है कि डीएमके और एआईएडीएमके के रिश्तों में कड़वाहटआज भी बरक़रार है. भले ही रस्मी तौर पर एआईएडीएमके के नेताओं ने करूणानिधि को श्रद्धांजलि दी हो मगर ऐसी श्रद्धांजलि का क्या फायदा जब नौबत आधी रात में कचहरी का दरवाजा खुलवाने पर आ गई है.

भले ही करूणानिधि की मौत पर राज्य के मुख्यमंत्री ने अपना तुगलकी फरमान सुनाया हो मगर हम उन्हें ये याद दिलाना चाहेंगे कि ये वही करूणानिधि हैं जिन्होंने एआईएडीएमके सुप्रीमो जयललिता की मौत पर कहा था कि तमिलनाडु की राजनीति में जयललिता का जलवा हमेशा कायम रहेगा.  

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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