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Farmers protest: कंगना रनौत के भारत बंद पर बयान ने उनका अगला कदम जाहिर कर दिया

    • मशाहिद अब्बास
    • Updated: 09 दिसम्बर, 2020 01:01 PM
  • 09 दिसम्बर, 2020 01:01 PM
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लोकतंत्र (Democracy) में हर नागरिक स्वतंत्र है अपना विचार व्यक्त करने के लिए वह आम हो या खास. लेकिन हर मुद्दों पर बोलने से वह लोग ज़रूर परहेज खाते हैं जो फैन फॉलोइंगकी चाह रखते हैं. मगर कंगना (Kangana Ranaut On Farmer Protest) हर किसी के खिलाफ मुखर होकर बता रही हैं कि अब वह राजनीति के मैदान पर भी शंखनाद करने ही जा रही हैं.

तीन नए कृषि कानून (Farm Bill 2020) पर मचा बवाल थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. किसानों का आंदोलन (Farmer Protest) लगातार जारी है और इस किसान आंदोलन पर बयानबाजी उससे भी ज़्यादा हावी है. पूरा आदोंलन एक तरफ है तो दूसरी तरफ सियासत है. सत्ता पक्ष इसके फायदे गिनाने में जुटा हुआ है तो विपक्षी दल इस कानून के नुकसान गिना अपनी सियासत चमकाने की जुगत में लगा हुआ है. ख़ैर ये तो सियासी दलों का काम ही है कि जब वह सत्ता में होंगें तो उनके द्वारा किया गया हर काम उनको सबसे फायदेमंद और अच्छा ही दिखाई देगा और विपक्षी दलों को उसमें खामियां ही खामियां दिखाई देंगी. सियासी दलों का बयानबाजी करना और आरोप-प्रत्यारोप करना तो उनका काम ही है लेकिन लोकतंत्र में ये काम सिर्फ सियासी दल ही नहीं किया करते हैं बल्कि लोकतंत्र में सियासी दल के अलावा आम नागरिक भी बेबाक तरीके से हर विषय पर अपनी राय और अपनी सोच ज़ाहिर कर सकता है. इसी आम नागरिकों के साथ कुछ हाईप्रोफाइल लोग भी हैं जो हर विषय हर मुद्दे पर बेबाक अंदाज़ में अपनी बात कहते हैं. उन्हीं बयानबाजी करने वालों में से एक बड़ा नाम है कंगना रनौत (Kangana Ranaut On Farmer Protest) का.

किसान आंदोलन पर अपने बयानों से कंगना एक के बाद एक मुसीबत मोल लेती जा रही हैं

कंगना रनौत बॅालीवुड की सफल अभिनेत्री हैं, कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है और अब उनका खुद का प्रोडक्शन हाउस है जहां वह फिल्मों का निर्माण भी करती हैं. कंगना रनौत बेहद तीखे बोल के लिए जानी जाती हैं. पहले तो वह केवल बॅालीवुड से जुड़े मुद्दों पर ही अपनी बात रखती थी लेकिन अब वह सियासत के मैदान से जुड़ी हर घटना पर बोलती हैं. सुशांत सिहं राजपूत आत्महत्या मिस्ट्री से कंगना अचानक से सुर्खियों में आ गई और तब से ही वह हर मुद्दे पर बोलती नज़र आ रही हैं. कंगना को...

तीन नए कृषि कानून (Farm Bill 2020) पर मचा बवाल थमने का नाम ही नहीं ले रहा है. किसानों का आंदोलन (Farmer Protest) लगातार जारी है और इस किसान आंदोलन पर बयानबाजी उससे भी ज़्यादा हावी है. पूरा आदोंलन एक तरफ है तो दूसरी तरफ सियासत है. सत्ता पक्ष इसके फायदे गिनाने में जुटा हुआ है तो विपक्षी दल इस कानून के नुकसान गिना अपनी सियासत चमकाने की जुगत में लगा हुआ है. ख़ैर ये तो सियासी दलों का काम ही है कि जब वह सत्ता में होंगें तो उनके द्वारा किया गया हर काम उनको सबसे फायदेमंद और अच्छा ही दिखाई देगा और विपक्षी दलों को उसमें खामियां ही खामियां दिखाई देंगी. सियासी दलों का बयानबाजी करना और आरोप-प्रत्यारोप करना तो उनका काम ही है लेकिन लोकतंत्र में ये काम सिर्फ सियासी दल ही नहीं किया करते हैं बल्कि लोकतंत्र में सियासी दल के अलावा आम नागरिक भी बेबाक तरीके से हर विषय पर अपनी राय और अपनी सोच ज़ाहिर कर सकता है. इसी आम नागरिकों के साथ कुछ हाईप्रोफाइल लोग भी हैं जो हर विषय हर मुद्दे पर बेबाक अंदाज़ में अपनी बात कहते हैं. उन्हीं बयानबाजी करने वालों में से एक बड़ा नाम है कंगना रनौत (Kangana Ranaut On Farmer Protest) का.

किसान आंदोलन पर अपने बयानों से कंगना एक के बाद एक मुसीबत मोल लेती जा रही हैं

कंगना रनौत बॅालीवुड की सफल अभिनेत्री हैं, कई सुपरहिट फिल्मों में काम किया है और अब उनका खुद का प्रोडक्शन हाउस है जहां वह फिल्मों का निर्माण भी करती हैं. कंगना रनौत बेहद तीखे बोल के लिए जानी जाती हैं. पहले तो वह केवल बॅालीवुड से जुड़े मुद्दों पर ही अपनी बात रखती थी लेकिन अब वह सियासत के मैदान से जुड़ी हर घटना पर बोलती हैं. सुशांत सिहं राजपूत आत्महत्या मिस्ट्री से कंगना अचानक से सुर्खियों में आ गई और तब से ही वह हर मुद्दे पर बोलती नज़र आ रही हैं. कंगना को अपने बयानबाजी के चलते कई बार विवादों का भी सामना करना पड़ा है लेकिन विवाद के बाद वह पहले से भी ज़्यादा तीखे बोल बोलकर एंट्री मारती हैं.

नए कृषि कानून को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है. बहुत सारी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हैं. इनमें कई तस्वीर तो वाकई आंदोलन की ही है लेकिन ऐसी बहुत सारी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन के नाम से वायरल है जो किसान आंदोलन की है ही नहीं. गलत तस्वीरें गलत दावों के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती है जिसका शिकार अच्छे अच्छे विद्वान तक हो जाते हैं. इन्हीं फर्जी दावों का शिकार कंगना भी हुयी थी और उस फर्जी दावे पर भरोसा करते हुए कंगना ने ट्वीट किया था कि किसान आंदोलन में शाहीन बाग वाली दादी भी मौजूद हैं, जोकि पैसों के लिए किसी भी आंदोलन का हिस्सा बन सकती हैं.

कंगना के इस दावे के बाद जब न्यूज़ चैनलों ने पड़ताल की और खुद वह दादी बोल पड़ी जिसको कंगना शाहीनबाग वाली बता रही थी तो कंगना को शर्मसार होना पड़ गया. उनको जब लगा कि उनका दावा गलत है तो उन्होंने अपना ट्वीट ही डिलीट कर डाला. इससे पहले भी वह किसान आंदोलन पर ट्वीट कर चुकी थी जिसमें वह चारों ओर से घिर गई थी.कंगना रनौत किसानों के सीधे खिलाफ ही उतर आयी, पहले तो वह किसानों के आंदोलन के खिलाफ बोल रही थी लेकिन अब किसानों के भारत बंद पर भी वह आगबबूला हो बैठी हैं.

किसानों को तंज मारते हुए कंगना ने एक कविता के कुछ लाइन अपने ट्वीटर अकाउंट पर पोस्ट किए. उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'आओ भारत को बंद कर देते हैं, यूं तो तूफानों की कमी नहीं इस नाव को, मगर लाओ कुल्हाड़ी कुछ छेद भी कर देते हैं, रह रह के रोज़ मरती है हर उम्मीद यहां, देशभक्तों से कहो अपने लिए देश का एक टुकड़ा अब तुम भी मांग लो, आ जाओ सड़क पे और तुम भी धरना दो, चलो आज यह क़िस्सा ही ख़त्म करते हैं'

कंगना के इस ट्वीट पर भी उनकी काफी आलोचना हो रही है. अब हालत यह हो गई है कि कंगना अपने खिलाफ बोलने वालों को सीधा ब्लॅाक कर दे रही हैं. कंगना हर दिन किसी न किसी नए विवाद में पड़ती ही जा रही हैं. कंगना का भारत बंद के खिलाफ गुस्सा होना भी उनके लिए घातक साबित होता दिखाई दे रहा है. पर एक सवाल जो हर किसी के मन में खड़ा हो रहा है वह यह है कि आखिर कंगना इतने तीखे बोल क्यों बोलती नज़र आ रही हैं और उनका लक्ष्य क्या है.

इसका जवाब कंगना के करियर को देखकर ही तलाशा जा सकता है कि कंगना हमेशा से ही मुखर रही हैं और अब उनका राजनीतिक मुद्दों पर मुखर होना साफ दर्शाता है कि वह राजनीति के मैदान में भी अपनी छाप छोड़ना चाहती हैं और अभी से वो इसके लिए ज़मीन तैयार करती नज़र आ रही हैं. कंगना अभी सिर्फ उस रंग में रंग जाना चाह रही हैं जो उनको भाजपा के एजेंडे के मुताबिक फिट बैठ जाए.

अभी महाराष्ट्र और हिमाचल प्रदेश दोनों ही जगहों के चुनावों में वक्त है कंगना की राजनीति में इंट्री भी इन्हीं दो में से एक राज्यों में होनी है, कंगना की राजनीति में इंट्री तो तय है वह भी बखूबी जानती हैं कि किस मुद्दे पर बोलना चाहिए कहां नहीं, अगर उनका मकसद राजनीति में आने का न होता तो वह कभी भी खुलकर किसानों या फिर अन्य तबकों के खिलाफ न बोलती. उनका मुखर होकर बोलना ही इस बात का संकेत है कि वह आने वाले राजनीति में शंखनाद तो करेंगी ही.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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