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Bharat Bandh पर रॉबिन हुड बने योगेंद्र यादव को ट्विटर ने शीशा दिखा दिया!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 07 दिसम्बर, 2020 10:45 PM
  • 07 दिसम्बर, 2020 10:45 PM
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योगेंद्र यादव अपने को किसानों (Farmer Protest) का रॉबिन हुड समझ रहे हैं तो आलोचना होना, गाली पड़ना स्वाभाविक है. बाकी जो उन्होंने भारत बंद (Yogendra Yadav On BharatBandh) को लेकर कहा है और जैसी प्रतिक्रियाएं उसपर आई हैं इतना तो साफ़ है कि उन्होंने अपनी क्रेडिबिलिटी खुद खो दी है.

देश का किसान न केवल ख़फ़ा है बल्कि केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को समाप्त करने की मंशा से सड़कों पर है. सरकार और किसानों के बीच अभी तक जो भी बातचीत हुई है वो निरर्थक साबित हुई है और किसानों का आंदोलन और तीव्र हो गया है. अपनी मांगें मनवाने के लिए तेज होने लगा है. किसानों ने अपनी मांगों के मद्देनजर 8 दिसंबर को भारत बंद का आव्हान किया है. यूं तो सरकार के खिलाफ इस विरोध में तमाम लोग अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं मगर वो एक नाम जो खूब सुर्खियां बटोर रहा है वो पूर्व एआम आदमी पार्टी नेता योगेंद्र यादव का है. कृषि बिल 2020 (Yogendra Yadav On Farm BIll 2020) पर जैसा रुख योगेंद्र यादव का है साफ है कि वो खुद को किसानों और उनके हितों का रॉबिन हुड समझ बैठे हैं और इसे लेकर 8 दिसंबर को बंद (Bharat Bandh) बुलाने का ऐलान किया है. अभी बीते दिनों ही योगेन्द्र यादव ने सिंघु बॉर्डर के पास एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है और कहा है कि 8 तारीख को सुबह से शाम तक भारत का चक्का जाम रहेगा. दिल्ली के लोगों से मुखातिब होकर योगेंद्र यादव ने ये तक कह दिया कि इस दौरान एसेंशियल सर्विसेज जैसे दूध, फल और सब्जी पर पूरी तरह से रोक रहेगी.

किसान हितों पर भारत बंद की बात कहकर योगेंद्र यादव ने खुद मुसीबत मोल ली है

योगेंद्र यादव ने बड़ी बात कही है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. योगेंद्र कि बातों के मद्देनजर किसी जमाने में उनके साथी रह चुके कपिल मिश्रा ने ट्वीट किया है और कहा है कि 'योगेन्द्र यादव किसानों का नेता? ये शाहीन बाग-2 हैं.'

सरकार के खिलाफ अपने तल्ख तेवरों के चलते योगेंद्र न सिर्फ भाजपा बल्कि साधारण...

देश का किसान न केवल ख़फ़ा है बल्कि केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) को समाप्त करने की मंशा से सड़कों पर है. सरकार और किसानों के बीच अभी तक जो भी बातचीत हुई है वो निरर्थक साबित हुई है और किसानों का आंदोलन और तीव्र हो गया है. अपनी मांगें मनवाने के लिए तेज होने लगा है. किसानों ने अपनी मांगों के मद्देनजर 8 दिसंबर को भारत बंद का आव्हान किया है. यूं तो सरकार के खिलाफ इस विरोध में तमाम लोग अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं मगर वो एक नाम जो खूब सुर्खियां बटोर रहा है वो पूर्व एआम आदमी पार्टी नेता योगेंद्र यादव का है. कृषि बिल 2020 (Yogendra Yadav On Farm BIll 2020) पर जैसा रुख योगेंद्र यादव का है साफ है कि वो खुद को किसानों और उनके हितों का रॉबिन हुड समझ बैठे हैं और इसे लेकर 8 दिसंबर को बंद (Bharat Bandh) बुलाने का ऐलान किया है. अभी बीते दिनों ही योगेन्द्र यादव ने सिंघु बॉर्डर के पास एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है और कहा है कि 8 तारीख को सुबह से शाम तक भारत का चक्का जाम रहेगा. दिल्ली के लोगों से मुखातिब होकर योगेंद्र यादव ने ये तक कह दिया कि इस दौरान एसेंशियल सर्विसेज जैसे दूध, फल और सब्जी पर पूरी तरह से रोक रहेगी.

किसान हितों पर भारत बंद की बात कहकर योगेंद्र यादव ने खुद मुसीबत मोल ली है

योगेंद्र यादव ने बड़ी बात कही है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. योगेंद्र कि बातों के मद्देनजर किसी जमाने में उनके साथी रह चुके कपिल मिश्रा ने ट्वीट किया है और कहा है कि 'योगेन्द्र यादव किसानों का नेता? ये शाहीन बाग-2 हैं.'

सरकार के खिलाफ अपने तल्ख तेवरों के चलते योगेंद्र न सिर्फ भाजपा बल्कि साधारण लोगों के निशाने पर भी आ गए हैं. किसान हितों पर खुद को घिरता देख योगेंद्र यादव अपना पक्ष तो रख रहे हैं मगर अब जैसा उनका लहजा है, वो देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप तो लगा रहे हैं लेकिन एक एक कदम फूंक फूंककर उठा रहे हैं.

ध्यान रहे कि केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मामले के मद्देनजर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की है जिसमें उन्होंने किसान आंदोलन पर सक्रिय विपक्षी पार्टियों पर जमकर हमला बोला है. अपनी पत्रकार वार्ता में रविशंकर प्रसाद ने योगेंद्र यादव का नाम लेकर उनकी आलोचना की है. रविशंकर प्रसाद ने कहा है कि 'योगेंद्र यादव ने कभी मोदी सरकार पर APMC एक्ट खत्म करने का आरोप लगाया था. जब हमने कहा कि यह राज्यों को करना चाहिए. तब भी उन्होंने हमारी आलोचना की, कहा कि आप क्यों नहीं कर रहे हैं. लेकिन जब हमने सच में किया तो अब वो विरोध कर रहे हैं.'

इस आरोप पर अपना पक्ष रखते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि बीजेपी का मुझसे विशेष स्नेह है. रविशंकर जी ने मेरा नाम लेकर बोला. अमित शाह जी ने मेरा नाम लेकर शर्त लगाई कि ये नहीं शामिल होंगे मीटिंग में. हमने 3 साल पहले ट्वीट में APMC में सुधार की बात जरूर की थी लेकिन ये तो बिगाड़ है. आप तो APMC को ख़त्म कर रहे हैं. आप अटल जी के समय वाला मॉडल सुधार कीजिये न.'

पहले से ज़्यादा सरकार के सरकारी खरीद के दावे पर उन्होंने कहा कि 'इसी सरकार की समिति ने खरीद बंद करने का सुझाव दिया. हरियाणा और पंजाब को केंद्र सरकार ने चिट्ठी लिखकर कहा कि आप खरीद कम कीजिए. 1 साल के खरीद के आंकड़े से कुछ भी साबित नहीं होता. यह सब दिखावा है.'

अपने ऊपर लगे आरोपों पर सत्ता पक्ष के नेताओं को योगेंद्र यादव जो कहना हो कहें लेकिन जिस तरह वो किसानों के रॉबिन हुड बने हैं वो लोगों को नागवार गुजरा है. बात सीधी और एकदम साफ है. आदमी चाहे योगेंद्र यादव हों या फिर कोई और नेता जब आदमी खलीफा बनेगा या फिर ये कहें कि ख़ुद को रॉबिनहुड समझेगा तो उसकी आलोचना भी होगी और तमाम मौके ऐसे भी आएंगे जब वो गाली भी खाएगा. इसी मामले को देखें तो जैसा कि हम अवगत करा चुके हैं देश का आम आदमी उन्हें आड़े हाथों ले रहा है तो आइए नजर डालें उन प्रतिक्रियाओं पर जिन्होंने सोशल मीडिया का माहौल दिलचस्प कर दिया है.

सोशल मीडिया पर लोग योगेंद्र यादव की अलग अलग तस्वीरें ट्वीट कर रहे हैं और कह रहे हैं कि जैसी मौके की नजाकत होती है योगेंद्र यादव वैसा रूप धर लेते हैं और देश और देश की जनता के सामने आ जाते हैं.

 

लोग ये भी कह रहे हैं कि ये योगेंद्र यादव का हर बार का नाटक है वो बने ही हैं धरनों  में आने और जाने के लिए.

यूजर्स किस हद तक नाराज हैं इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वो ये तक तक कह रहे हैं कि वो निकलेंगे और योगेंद्र यादव  कर पाएं कर लें.

लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर योगेंद्र यादव हैं कौन? उनकी हैसियत ही क्या है.

योगेंद्र यादव के मद्देनजर जो प्रतिक्रियाएं आ रही हैं वो उन्हें फायदा देती हैं या नुकसान ये तो बात की बात है लेकिन जैसा उनके प्रति आम लोगों का रुख हैं उन्होंने अपनी बेकद्री खुद करा ली है. मामले पर लोगों का रुख देखकर ये कहना भी अतिश्योक्ति नहीं है कि योगेंद्र यादव अपने को किसानों का रॉबिन हुड समझ रहे हैं वो एक अलग चीज है लेकिन जिस तरह उन्होंने भारत बंद को लेकर तमाम बातें कहीं हैं, उन्होंने अपनी क्रेडिबिलिटी खुद खो दी है. 

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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