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कंगना रनौत तो बहाना हैं, शिवसेना और BJP का असली पंगा समझिए...

    • मृगांक शेखर
    • Updated: 09 सितम्बर, 2020 06:26 PM
  • 09 सितम्बर, 2020 06:26 PM
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कंगना रनौत (Kangana Ranaut) को कोई खिलाड़ी समझे या मोहरा, बीएमसी (BMC) के एक्शन के बाद मराठी अस्मिता के नाम पर शिवसेना के बीजेपी पर हावी होने से तो रोक ही दिया है. जिस तरीके से कंगना रनौत उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को चैलेंज कर रही हैं, मदद तो बीजेपी को ही मिल रही है.

मुंबई में कंगना रनौत (Kangana Ranaut) का दफ्तर तोड़े जाने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी (BMC) की कार्रवाई पर स्टे लगा दिया है - और अपने वादे के मुताबिक डंके की चोट पर कंगना रनौत भी मुंबई पहुंच चुकी हैं. चंडीगढ़ से मुंबई एयरपोर्ट पहुंचते ही कंगना रनौते के समर्थन और विरोध में खूब नारेबाजी हुई. कंगना को समर्थन देने के लिए रामदास अठावले की पार्टी आरपीआई के कार्यकर्ता पहुंचे हुए थे तो विरोध जताने शिवसेना समर्थक कामगार यूनियन के लोग भी सामने से आ डटे थे.

सोशल मीडिया पर कंगना रनौत को फ्रंटफुट पर आगे बढ़कर खेलते हुए देखा जा रहा है, लेकिन असल बात तो ये है कि शिवसेना और बीजेपी की राजनीतिक जंग में कंगना रनौत मोहरा बन कर रह गयी हैं. तात्कालिक तेजी तो इसमें बिहार चुनाव की वजह से देखने को मिल रही है, लेकिन ये तूल तब ज्यादा पकड़ सकता है जब बिहार चुनाव के बाद बीजेपी महाराष्ट्र पर फोकस शुरू करेगी - और वही वक्त उद्धव ठाकरे (ddhav Thackeray) सरकार के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा.

बीएमसी के एक्शन पर सवालिया निशान लगा है

कंगना रनौत के मामले में बीएमसी ने हद से ज्यादा हड़बड़ी नहीं दिखायी होती तो मणिकर्णिका फिल्म का दफ्तर अपनी जगह यूं ही बना हुआ होता. बीएमसी को भी तो ये एहसास होगा ही कि मामला अदालत पहुंचा तो उसके जेसीबी पर हाईकोर्ट का हथौड़ा भारी पड़ेगा ही, लिहाजा गेट पर एक नोटिस चिपकाने के बाद घड़ी देखकर 24 घंटे होते ही बीएमसी ने अपने टास्क को अंजाम दे डाला.

ऐसा भी नहीं कि बीएमसी ने पहली बार किसी बॉलीवुड स्टार के खिलाफ ऐसी सख्ती दिखायी है. शाहरूख खान से लेकर कपिल शर्मा जैसी हस्तियां भी बीएमसी के निशाने पर आ चुकी हैं - लेकिन 24 घंटे में तोड़फोड़ की जैसी तत्परता बीएमसी ने कंगना रनौत के मामले में दिखायी है वो पहली बार देखने को मिला है.

कंगना रनौत के दफ्तर को तोड़े जाने को उनके और शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत की एक दूसरे के प्रति तीखी बयानबाजी के नतीजे के तौर पर देखा जा सका है. इंडिया टुडे के साथ बातचीत में...

मुंबई में कंगना रनौत (Kangana Ranaut) का दफ्तर तोड़े जाने के बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने बीएमसी (BMC) की कार्रवाई पर स्टे लगा दिया है - और अपने वादे के मुताबिक डंके की चोट पर कंगना रनौत भी मुंबई पहुंच चुकी हैं. चंडीगढ़ से मुंबई एयरपोर्ट पहुंचते ही कंगना रनौते के समर्थन और विरोध में खूब नारेबाजी हुई. कंगना को समर्थन देने के लिए रामदास अठावले की पार्टी आरपीआई के कार्यकर्ता पहुंचे हुए थे तो विरोध जताने शिवसेना समर्थक कामगार यूनियन के लोग भी सामने से आ डटे थे.

सोशल मीडिया पर कंगना रनौत को फ्रंटफुट पर आगे बढ़कर खेलते हुए देखा जा रहा है, लेकिन असल बात तो ये है कि शिवसेना और बीजेपी की राजनीतिक जंग में कंगना रनौत मोहरा बन कर रह गयी हैं. तात्कालिक तेजी तो इसमें बिहार चुनाव की वजह से देखने को मिल रही है, लेकिन ये तूल तब ज्यादा पकड़ सकता है जब बिहार चुनाव के बाद बीजेपी महाराष्ट्र पर फोकस शुरू करेगी - और वही वक्त उद्धव ठाकरे (ddhav Thackeray) सरकार के लिए सबसे ज्यादा चुनौतीपूर्ण होगा.

बीएमसी के एक्शन पर सवालिया निशान लगा है

कंगना रनौत के मामले में बीएमसी ने हद से ज्यादा हड़बड़ी नहीं दिखायी होती तो मणिकर्णिका फिल्म का दफ्तर अपनी जगह यूं ही बना हुआ होता. बीएमसी को भी तो ये एहसास होगा ही कि मामला अदालत पहुंचा तो उसके जेसीबी पर हाईकोर्ट का हथौड़ा भारी पड़ेगा ही, लिहाजा गेट पर एक नोटिस चिपकाने के बाद घड़ी देखकर 24 घंटे होते ही बीएमसी ने अपने टास्क को अंजाम दे डाला.

ऐसा भी नहीं कि बीएमसी ने पहली बार किसी बॉलीवुड स्टार के खिलाफ ऐसी सख्ती दिखायी है. शाहरूख खान से लेकर कपिल शर्मा जैसी हस्तियां भी बीएमसी के निशाने पर आ चुकी हैं - लेकिन 24 घंटे में तोड़फोड़ की जैसी तत्परता बीएमसी ने कंगना रनौत के मामले में दिखायी है वो पहली बार देखने को मिला है.

कंगना रनौत के दफ्तर को तोड़े जाने को उनके और शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता संजय राउत की एक दूसरे के प्रति तीखी बयानबाजी के नतीजे के तौर पर देखा जा सका है. इंडिया टुडे के साथ बातचीत में संजय राउत वैसे तो सीधे सीधे कुछ बोलने से बचने की कोशिश करते रहे, लेकिन बीएमसी के एक्शन को वो सही ठहरा रहे थे.

संजय राउत ने कहा कि अगर कोई कानून तोड़ता है तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जाता है, लेकिन जरूरी नहीं कि शिवसेना के पास भी उसकी जानकारी हो ही. दफ्तर में तोड़फोड़ की टाइमिंग को लेकर पूछे जाने पर संजय राउत का कहना रहा कि इसकी टाइमिंग क्या है इसका जवाब बीएमसी कमिश्नर ही दे सकते हैं. संजय राउत ने कहा कि आगे अदालत में भी इसका जवाब बीएमसी को ही देना है.

शिवसेना को ये निराश कर सकता है कि बीएमसी के एक्शन को महाराष्ट्र की सत्ता में साझीदार एनसीपी नेता शरद पवार ने भी ये सही नहीं माना है. शरद पवार ने तो बीएमसी के एक्शन में भेदभाव को लेकर भी सवाल उठाया है. महाराष्ट्र की गठबंधन वाली उद्धव ठाकरे सरकार में एनसीपी भी एक साझीदार है.

ये पहला मौका है जब किसी बॉलीवुड एक्टर ने ठाकरे परिवार चेतावनी देते हुए चुनौती दी हो!

एनसीपी प्रमुख शरद पवार का कहना है कि बीएमसी की कार्रवाई ने अनावश्यक रूप से कंगना रनौत को बोलने का मौका दे दिया है. शरद पवार ने मुंबई की दूसरी गैरकानूनी इमारतों की तरफ ध्यान दिलाते हुए कहा कि ये देखने की जरूरत है कि बीएमसी के अफसरों ने ये निर्णय क्यों लिया.

शरद पवार ने ये भी कहा कि हर कोई जानता है कि मुंबई पुलिस सुरक्षा के लिए काम करती है, साथ ही शिवसेना को इशारों में समझाने की भी कोशिश की - 'आपको इन लोगों को प्रचार नहीं देना चाहिये.' ध्यान देने वाली बात ये है कि महाराष्ट्र सरकार में तो एनसीपी और कांग्रेस साझीदार हैं, लेकिन बीएमसी पर शिवसेना का ही कब्जा है.

महाराष्ट्र् में सत्ता की अगुवाई कर रही शिवसेना बीएमसी और मुंबई पुलिस से वैसे ही काम ले रही प्रतीत होती है जैसे बीजेपी के विरोधी केंद्र सरकार पर ED और सीबीआई जैसी केंद्रीय एजेंसियों के बेजा इस्तेमाल के आरोप लगाते रहे हैं. जरा याद कीजिये कैसे बीएमसी ने पटना के एसपी सिटी विनय तिवारी को एयरपोर्ट से उठाकर क्वांरटीन कर दिया था. सुशांत सिंह राजपूत केस में पटना में एफआईआर दर्ज होने के बाद विनय तिवारी जांच के काम से ड्यूटी पर मुंबई पहुंचे थे, लेकिन उनके रास्ते में बीएमसी के अफसर आकर खड़े हो गये. ये बात सुप्रीम कोर्ट को भी सुनवाई के दौरान ठीक नहीं लगी थी और कोर्ट की टिप्पणी रही कि इससे में गलत मैसेज जाएगा.

ऐसा लगता है कंगना रनौत ने पहले से ही लड़ाई का मन बना लिया था, 'मैंने सिर्फ अपने करियर को लेकर ही रिस्क नहीं लिया है, बल्कि मैंने अपनी जिंदगी को भी जोखिम में डाल दिया है.' जब कंगना रनौत को केंद्र सरकार ने सुरक्षा मुहैया करायी तो उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को धन्यवाद भी दिया था.

अपनी सुरक्षा व्यवस्था के साथ मुंबई पहुंच चुकीं, कंगना रनौत ने सीधे सीधे मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का नाम लेकर खूब खरी खोटी सुनायी है और भाषा भी ऐसी कि आज तक ठाकरे परिवार के लिए शायद ही किसी ने खुलेआम ऐसे बोलने की हिमाकत की हो - 'तुझे क्या लगता है...'

सवाल है कि कंगना रनौत में इतनी हिम्मत आयी कहां से? साफ है बगैर राजनीतिक संरक्षण के कंगना रनौत के लिए भी ये सब संभव नहीं था. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कंगना रनौत के खिलाफ बीएमसी के एक्शन को बदले की कार्रवाई और कायरतापूर्ण कृत्य बताया है. देवेंद्र फडणवीस का कहना है कि ऐसा करने से महाराष्ट्र का सम्मान नहीं होता.

कंगना रनौत ने एक साथ मुंबई पुलिस, महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी को टारगेट किया. कंगना ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो की मदद के नाम पर केंद्र सरकार से सुरक्षा की मांग की थी. नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ने सुशांत सिंह राजपूत केस में मुख्य आरोपी रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.

ऐसा लगता है जैसे कंगना रनौत के चुप न होने से शिवसेना के गुरूर को धक्का लगा है. अब तक किसी ने शिवसेना को कंगना की तरह चैलेंज नहीं किया है. एक तो जमाना वो भी रहा है कि फिल्मों के शांतिपूर्ण रिलीज के लिए बड़ी बड़ी फिल्मी हस्तियों को दरबार में हाजिरी लगानी पड़ती थी. कुछ दिन पहले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना नेता राज ठाकरे के सामने भी लोग हाथ जोड़े खड़े नजर आये थे - लेकिन कंगना रनौत ने उस गुरूर को चुनौती दे डाली है.

कंगना ने अयोध्या से लेकर कश्मीर तक जोड़ा

कंगना रनौत ने अपने वीडियो मैसेज में उद्धव ठाकरे को कोसते हुए अयोध्या से कश्मीर तक की याद दिलायी है. कंगना ने अपने साथ हुई बीएमसी की कार्रवाई को कश्मीरी पंडितों के साथ हुए व्यवहार से जोड़ने की कोशिश की है. कंगना रनौता का कहना है कि अयोध्या के साथ ही साथ वो कश्मीर पर भी फिल्म बनाएंगी. कश्मीर पर फिल्में तो बहुत बनी हैं, लेकिन कंगना की फिल्म कश्मीरी पंडितो पर हुए अत्याचार पर फोकस रहेगी, फिल्म स्टार ने ऐसा संकेत दिया है.

मुंबई पहुंचने से पहले कंगना रनौत ट्विटर पर अपने दफ्तर की तस्वीरें लगातार शेयर करती रहीं - और #DeathofDemocrecy हैशटैग का इस्तेमाल कर रही थीं. कंगना रनौत ने इस बात से भी इनकार किया कि उनके दफ्तर में किसी तरह का कोई अवैध निर्माण हुआ है, साथ ही, बीएमसी को याद दिलाया कि कैसे कोविड 19 की वजह से 30 सितंबर तक किसी भी तरह के निर्माण के गिराने पर पाबंदी लगी हुई है. कंगना के समर्थन में सोशल मीडिया पर लोग बीएमसी के एक्शन को कोर्ट की अवमानना भी बता रहे हैं.

कंगना रनौत ने मणिकर्णिका फिल्म के दफ्तर को राम मंदिर बताया है और शिवसेना को बाबर बताते हुए ऐलान किया है कि मंदिर फिर बनेगा - जय श्रीराम.

बाबर कहे जाने पर शिवसेना सांसद संजय राउत का ने कहा - बाबरी तोड़ने वाले हम लोग ही हैं तो वे हमे क्या कह रहे हैं? वैसे संजय राउत ने ये भी साफ करने की कोशिश की कि शिवसेना की तरफ से ये मामला अब खत्म हो चुका है. संजय राउत ने कहा, 'मेरे लिए विषय खत्म हो चुका है, लेकिन अब जो कर रही है वो सरकार के हाथ में है. शिवसेना कभी कटघरे में खड़ी नहीं होती है, अगर कोई महाराष्ट्र के सम्मान के साथ खेलता है तो जनता नाराज होती है.'

ये ऐसी लड़ाई है जिसमें हर पक्ष फायदे में है, सिवा महाराष्ट्र के लोगों के. वे तो कोरोना से आयी मुसीबतों से वैसे ही जूझ रहे हैं जैसे पहले. पुणे और कोल्हापुर जैसे कई इलाकों में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ते देखे जा रहे हैं.

कंगना रनौत के बहाने शिवसेना को फायदा ये मिल रहा है कि वो मुंबई गौरव, मराठी मानुष, महाराष्ट्र की अस्मिता और शिवाजी के नाम पर बीजेपी विरोधियों को एकजुट करने की कोशिश कर रही है. ये ऐसा मुद्दा है जिस पर एनसीपी और महाराष्ट्र कांग्रेस शिवसेना के साथ देने के अलावा कुछ और नहीं सोच सकते.

कंगना रनौत के दफ्तर को मंदिर बताते हुए अयोध्या से जुड़ी धार्मिक भावनाओं और कश्मीर के साथ राष्टवाद से जोड़कर उन लोगों का समर्थन हासिल करने की कोशिश की है जो बीजेपी को सपोर्ट करते हैं. शिवसेना के खिलाफ बीजेपी को ऐसे ही मुद्दे की जरूरत है जिसकी बदौलत वो मराठी मानुष और मराठी अस्मिता में फंसे बगैर शिवसेना को कठघरे में खड़ा कर सके - क्योंकि बिहार के बाद और पश्चि्म बंगाल चुनाव से पहले बीजेपी का अगला एजेंडा महाराष्ट्र सरकार ही तो है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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