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बागपत में भाषण, एक्सप्रेस वे पर रोड-शो, निशाने पर कैराना

    • अमित अरोड़ा
    • Updated: 27 मई, 2018 07:49 PM
  • 27 मई, 2018 07:49 PM
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चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार कैराना में 26 मई, शनिवार शाम 5 बजे के बाद किसी प्रकार के राजनीतिक प्रचार पर निषेध है. प्रधानमंत्री मोदी जानते हैं कि प्रौद्योगिकी के इस युग में चुनाव आयोग के ऐसे नियम अर्थहीन हो चुके हैं.

कैराना में 28 मई को उपचुनाव है, जिसका चुनाव प्रचार 26 मई, शनिवार शाम को खत्म हो गया. प्रचार समाप्त हो जाने के बावज़ूद, रविवार को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन कर प्रधानमंत्री मोदी ने कैराना की जनता को अपनी सरकार का विकास संदेश दे दिया.

चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार कैराना में 26 मई, शनिवार शाम 5 बजे के बाद किसी प्रकार के राजनीतिक प्रचार पर निषेध है. प्रधानमंत्री मोदी जानते हैं कि प्रौद्योगिकी के इस युग में चुनाव आयोग के ऐसे नियम अर्थहीन हो चुके हैं. आज प्रौद्योगिकी के माध्यम से, देश क्या विदेश से भी, अपने लक्षित दर्शकों को बड़ी आसानी से संबोधित किया जा सकता है. कोई इसे प्रधानमंत्री मोदी का नियमों से खिलवाड़ कहेगा, तो कोई इसे प्रौद्योगिकी के उत्तम प्रयोग की परिभाषा देगा.

ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री ने यह तरीका पहली बार अपनाया है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दिन नरेंद्र मोदी नेपाल में अलग-अलग मंदिरों में दर्शन कर, कर्नाटक के मतदाता को 'प्रभावित' कर रहे थे. गुजरात विधानसभा चुनाव के समय मोदी ने अपना मतदान करने के बाद, एक 'अनौपचारिक रोड़-शो' भी किया. कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक और गुजरात, दोनों समय प्रधानमंत्री के इस कदम का विरोध किया. 2014 के लोकसभा चुनाव कई चरणों में हुए थे. उस समय भी नरेंद्र मोदी ने मतदान के दिन अगले चरण के स्थानों पर जाकर चुनावी प्रचार किया था.

सोशल मीडिया और प्रौद्योगिकी के युग में चुनाव आयोग के कुछ नियम अपना प्रभाव खो चुके हैं. आज दुनिया बहुत छोटी हो गई है. ज़मीनी दूरी का महत्व धीरे-धीरे ख़त्म होता जा रहा है. यह वास्तविकता चुनाव आयोग जितनी जल्दी समझ ले उतना अच्छा है. अभी तो केवल प्रधानमंत्री मोदी ने इस नीति को अपनाया है. दूसरे राजनीतिक दल भी इसे जल्द अपनाएंगे, यह बात तय है.

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कैराना में 28 मई को उपचुनाव है, जिसका चुनाव प्रचार 26 मई, शनिवार शाम को खत्म हो गया. प्रचार समाप्त हो जाने के बावज़ूद, रविवार को दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे का उद्घाटन कर प्रधानमंत्री मोदी ने कैराना की जनता को अपनी सरकार का विकास संदेश दे दिया.

चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार कैराना में 26 मई, शनिवार शाम 5 बजे के बाद किसी प्रकार के राजनीतिक प्रचार पर निषेध है. प्रधानमंत्री मोदी जानते हैं कि प्रौद्योगिकी के इस युग में चुनाव आयोग के ऐसे नियम अर्थहीन हो चुके हैं. आज प्रौद्योगिकी के माध्यम से, देश क्या विदेश से भी, अपने लक्षित दर्शकों को बड़ी आसानी से संबोधित किया जा सकता है. कोई इसे प्रधानमंत्री मोदी का नियमों से खिलवाड़ कहेगा, तो कोई इसे प्रौद्योगिकी के उत्तम प्रयोग की परिभाषा देगा.

ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री ने यह तरीका पहली बार अपनाया है. कर्नाटक विधानसभा चुनाव के दिन नरेंद्र मोदी नेपाल में अलग-अलग मंदिरों में दर्शन कर, कर्नाटक के मतदाता को 'प्रभावित' कर रहे थे. गुजरात विधानसभा चुनाव के समय मोदी ने अपना मतदान करने के बाद, एक 'अनौपचारिक रोड़-शो' भी किया. कांग्रेस पार्टी ने कर्नाटक और गुजरात, दोनों समय प्रधानमंत्री के इस कदम का विरोध किया. 2014 के लोकसभा चुनाव कई चरणों में हुए थे. उस समय भी नरेंद्र मोदी ने मतदान के दिन अगले चरण के स्थानों पर जाकर चुनावी प्रचार किया था.

सोशल मीडिया और प्रौद्योगिकी के युग में चुनाव आयोग के कुछ नियम अपना प्रभाव खो चुके हैं. आज दुनिया बहुत छोटी हो गई है. ज़मीनी दूरी का महत्व धीरे-धीरे ख़त्म होता जा रहा है. यह वास्तविकता चुनाव आयोग जितनी जल्दी समझ ले उतना अच्छा है. अभी तो केवल प्रधानमंत्री मोदी ने इस नीति को अपनाया है. दूसरे राजनीतिक दल भी इसे जल्द अपनाएंगे, यह बात तय है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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