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Jharkhand election result: हेमंत सोरेन जरा भी चूके तो फिर खिल उठेगा कमल!

    • आईचौक
    • Updated: 22 दिसम्बर, 2019 07:03 PM
  • 22 दिसम्बर, 2019 07:02 PM
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झारखंड चुनाव (Jharkhand Election Results) के एग्जिट पोल में शिकस्त की आशंका के बावजूद बीजेपी के सरकार नहीं बना पाने जैसी कोई बात नहीं लगती. अगर हेमंत सोरेन को बहुमत नहीं मिला तो मुश्किल सिर्फ रघुवर दास (BJP CM Raghubar Das) के लिए होगी, बीजेपी को नहीं.

तारीख वही है - 23, लेकिन महीना मई नहीं दिसंबर है. झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे (Jharkhand Election Results) आने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. एग्जिट पोल से लग रहा है कि सत्ताधारी बीजेपी (BJP CM Raghubar Das) के हिसाब से ये नतीजे आम चुनाव या महाराष्ट जैसे नहीं, बल्कि हरियाणा विधानसभा जैसे हो सकते हैं. हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी बहुमत से चूक गयी थी, लेकिन सरकार बनाने से नहीं!

बीजेपी के लिए अच्छी बात ये है कि हरियाणा जैसे जुगाड़ का इंतजार नहीं करना है. पिछली पारी में बीजेपी की रघुवर दास सरकार में हिस्सेदार रहे सुदेश महतो ने चुनावों के दौरान ही इस बात के संकेत दिये थे. दरअसल, सीटों को लेकर मतभेद होने पर महतो की पार्टी AJS ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ लिया था. महतो ही क्यों बीजेपी के सामने विकल्प और भी हैं - और सारे विकल्पों पर काम भी चालू है.

अब तो झारखंड में बीजेपी की सरकार बनने में एक ही बाधा है - हेमंत सोरेन (Hemant Soren) का किस्मत कनेक्शन!

मौसम वैज्ञानिक सुदेश महतो तो हैं ना!

जो लोग झारखंड की राजनीति से कम परिचित हैं या करीब से नहीं जानते उनके लिए सुदेश महतो की राजनीति समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है. सुदेश महतो को समझने का आसान तरीका यही है कि वो झारखंड के राम विलास पासवान हैं - मौसम वैज्ञानिक सुदेश महतो. जब से झारखंड बना है शायद ही कोई सरकार बनी हो जिसमें खुद सुदेश महतो या फिर उनकी पार्टी आजसू के कोटे से कोई मंत्री न हुआ हो.

देखना है सुदेश महतो झारखंड के सियासी मौसम के भविष्य का क्या अनुमान लगा कर बैठे हैं?

बीजेपी से गठबंधन तोड़ने से पहले ही सुदेश महतो ने चुनाव नतीजे आने के बाद सत्ता में हिस्सेदारी के संकेत दिये थे - अब सवाल ये है कि उनका इरादा बदल तो नहीं जाएगा?

सुदेश महतो को कुछ खास सीटें चाहिये थीं. बीजेपी की भी मजबूरी रही कि उसके लिए वे सीटें छोड़ना काफी मुश्किल रहा. ऐसी ही एक सीट थी जहां से विधायक तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे. वो कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी...

तारीख वही है - 23, लेकिन महीना मई नहीं दिसंबर है. झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजे (Jharkhand Election Results) आने में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. एग्जिट पोल से लग रहा है कि सत्ताधारी बीजेपी (BJP CM Raghubar Das) के हिसाब से ये नतीजे आम चुनाव या महाराष्ट जैसे नहीं, बल्कि हरियाणा विधानसभा जैसे हो सकते हैं. हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी बहुमत से चूक गयी थी, लेकिन सरकार बनाने से नहीं!

बीजेपी के लिए अच्छी बात ये है कि हरियाणा जैसे जुगाड़ का इंतजार नहीं करना है. पिछली पारी में बीजेपी की रघुवर दास सरकार में हिस्सेदार रहे सुदेश महतो ने चुनावों के दौरान ही इस बात के संकेत दिये थे. दरअसल, सीटों को लेकर मतभेद होने पर महतो की पार्टी AJS ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ लिया था. महतो ही क्यों बीजेपी के सामने विकल्प और भी हैं - और सारे विकल्पों पर काम भी चालू है.

अब तो झारखंड में बीजेपी की सरकार बनने में एक ही बाधा है - हेमंत सोरेन (Hemant Soren) का किस्मत कनेक्शन!

मौसम वैज्ञानिक सुदेश महतो तो हैं ना!

जो लोग झारखंड की राजनीति से कम परिचित हैं या करीब से नहीं जानते उनके लिए सुदेश महतो की राजनीति समझना थोड़ा मुश्किल हो सकता है. सुदेश महतो को समझने का आसान तरीका यही है कि वो झारखंड के राम विलास पासवान हैं - मौसम वैज्ञानिक सुदेश महतो. जब से झारखंड बना है शायद ही कोई सरकार बनी हो जिसमें खुद सुदेश महतो या फिर उनकी पार्टी आजसू के कोटे से कोई मंत्री न हुआ हो.

देखना है सुदेश महतो झारखंड के सियासी मौसम के भविष्य का क्या अनुमान लगा कर बैठे हैं?

बीजेपी से गठबंधन तोड़ने से पहले ही सुदेश महतो ने चुनाव नतीजे आने के बाद सत्ता में हिस्सेदारी के संकेत दिये थे - अब सवाल ये है कि उनका इरादा बदल तो नहीं जाएगा?

सुदेश महतो को कुछ खास सीटें चाहिये थीं. बीजेपी की भी मजबूरी रही कि उसके लिए वे सीटें छोड़ना काफी मुश्किल रहा. ऐसी ही एक सीट थी जहां से विधायक तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे. वो कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी ज्वाइन कर लिये लेकिन सीटें बदलने को तैयार न होते. वो भला दूसरी सीट के लिए भी कैसे राजी होते - और बीजेपी के लिए भी जीत की गारंटी तो वही सीट थी.

एग्जिट पोल के बाद चुनाव नतीजे का सबसे ज्यादा इंतजार तो अर्जुन मुंडा को होगा!

जब बीजेपी ने सुदेश महतो की बात नहीं मानी तो ऐसी सीटों पर महतो की पार्टी आजसू ने उम्मीदवार उतार दिये - और आखिरकार गठबंधन टूट गया. ये सब होने से पहले कभी सुदेश महतो तो कभी आजसू नेता ये संकेत भी देने की कोशिश करते रहे - गठबंधन तो चुनाव बाद भी हो सकता है.

सुदेश महतो को ये उम्मीद रही होगी कि अगर ज्यादा सीटें जीत गये तो अच्छे से बारगेन कर लेंगे - बहरहाल, अब तो मौका भी आ गया है.

अब बस एक ही सवाल बचता है - कहीं सुदेश महतो के इरादे बदल तो नहीं जाएंगे?

अगर नुकसान हुआ तो सिर्फ रघुवर दास को होगा - BJP को नहीं!

सिर्फ इंडिया टुडे एक्सिस माय इंडिया पोल ही नहीं, RSS के भी सर्वे में बीजेपी को जितनी सीटें मिलने का अनुमान है, वे बहुमत तक नहीं पहुंच पा रही हैं. सर्वे को शामिल करते हुए कुछ मीडिया रिपोर्ट में बीजेपी के प्लान बी का भी जिक्र है - माना जा रहा है कि रघुबर दास सरकार को बहुमत नहीं मिला तो बीजेपी हाईकमान झारखंड के एक बड़े आदिवासी नेता को भी तैयार रहने को कहा है. मतलब ये कि अगर बीजेपी की सीटें बहुमत से कम पड़ीं तो बीजेपी रघुवर दास की जगह आदिवासी नेता को आगे कर सकती है.

समझने वाली बात ये है कि ये आदिवासी नेता कौन हो सकता है?

समझना बहुत मुश्किल नहीं है - ये आदिवासी नेता कोई और नहीं बल्कि केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा हैं. अर्जुन मुंडा को रघुवर दास से मतभेदों के चलते ही केंद्र में समाजोजित किया गया है. अब तो ये भी आसानी से समझ लेना चाहिये कि एग्जिट पोल के बाद अर्जुन मुंडा भी इंतजार में ही बैठे हैं. बताते हैं कि अर्जुन मुंडा ने आलाकमान की मर्जी जानते ही सक्रियता भी बढ़ा दी है और बीजेपी के प्लान बी की रणनीतियां तैयार कर रहे हैं.

बीजेपी की पहली कोशिश तो रघुवर दास को ही फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठाने की होगी, लेकिन गोवा की तरह अगर समर्थन देने वाले किसी खास नाम के पक्ष और विपक्ष में अड़ गये तो पार्टी निश्चित तौर पर महाराष्ट्र दोहराने का जोखिम नहीं ही उठाएगी.

सुदेश महतो तो रघुवर दास की सरकार में शामिल रहे ही, लेकिन उनके मुकाबले अर्जुन मुंडा से उनकी केमिस्ट्री ज्यादा अच्छी रही है. अगर अर्जुन मुंडा को मौका मिलता है तो निर्दलीय विधायकों के अलावा दूसरे दलों के विधायक भी मंत्री बनाये जाने की उम्मीद में पाला बदल सकते हैं. वैसे भी जिन नेताओं को रघुवर दास की नाराजगी के चलते टिकट नहीं मिला पाला बदलने वाले तो ज्यादातर वे ही हैं.

कुल मिलाकर लग तो यही रहा है कि अगर नतीजे भी एग्जिट पोल के इर्द गिर्द आते हैं तो घाटे में रघवर दास ही रहेंगे - न कि बीजेपी. निगाहें तो रघुवर दास की जमशेदपुर सीट पर भी टिकी हैं. ऐसा न हो जो पिछली बार अर्जुन मुंडा के साथ हुआ वैसा ही रघुवर दास के साथ हो जाये - वैसे ये सारी बातें नतीजे आने तक ही वैलिड हैं.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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