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झारखण्ड चुनाव में टिकट बंटवारे के साथ भ्रष्टाचार और अपराध-मुक्ति अभियान को BJP की तिलांजलि

    • अशोक उपाध्याय
    • Updated: 18 नवम्बर, 2019 11:24 PM
  • 18 नवम्बर, 2019 11:24 PM
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राजनीति में 'शुचिता' का पाठ पढ़ाने वाली भाजपा (BJP) ने झारखण्ड विधानसभा चुनाव (Jharkhand assembly elections) में न केवल अन्य दलों से आए नेताओं को बड़ी संख्या में टिकट दे दिए बल्कि ऐसे नेताओं को भी शामिल किया जिनपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं.

भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक कैडर बेस्ड पार्टी है. ये बात इसके नेता बड़े गर्व से कहते हैं. वामपंथी दलों को छोड़कर शायद ही अन्य किसी पार्टी के पास भाजपा के जैसा समर्पित कैडर है. अपने इन्हीं विशेष गुणों के चलते भाजपा अन्य पार्टयों से अलग मानी जाती है. भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ लड़ाई भी इस पार्टी के महत्वपूर्ण मुद्दे हैं. प्रधानमंत्री मोदी से लेकर पार्टी का हर कार्यकर्ता कहता है कि इनकी पार्टी देश की जनता को पूर्ण रूप से भ्रष्टाचार और अपराध से मुक्ति दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है.

लेकिन वर्तमान झारखण्ड विधानसभा चुनाव (Jharkhand assembly elections) में भाजपा अपने कैडर के साथ कैसा वर्ताव कर रही है? भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ लड़ाई के वादे को कैसे निभा रही हैं, नजर डालते हैं इन बिन्दुओं पर.

झारखंड में भाजपा को न तो बाहरी उम्मीदवारों को टिकट देने से परहेज हैं न ही भ्रष्टाचार के आरोपी से

कैडर वाली पार्टी, पर बाहरी उम्मीदवारों पर भरोसा

भाजपा झारखण्ड में कई बाहरी उम्मीदवारों को टिकट दिया है. पार्टी ने पलामू, गढ़वा, लातेहार और चतरा जिले की कुल 11 सीटों में से केवल दो उम्मीदवार ऐसे हैं जो कि भाजपा के ओरिजिनल वर्कर हैं. मनिका निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी ने रघुपाल सिंह को उम्मीदवार बनाया है जो कि मूलतः भाजपा के कार्यकर्ता हैं. इसके अलावा किशुन कुमार दास को सिमरिया से टिकट दिया गया है जो कि प्रारम्भ से भाजपा से जुड़े हुए हैं. यानी केवल 18% मूल कार्यकर्ताओं को टिकट दिया गया है. अन्य सीटों पर बाहरी कार्यकर्ताओं को तरजीह दी गई है.

भारतीय जनता पार्टी (BJP) एक कैडर बेस्ड पार्टी है. ये बात इसके नेता बड़े गर्व से कहते हैं. वामपंथी दलों को छोड़कर शायद ही अन्य किसी पार्टी के पास भाजपा के जैसा समर्पित कैडर है. अपने इन्हीं विशेष गुणों के चलते भाजपा अन्य पार्टयों से अलग मानी जाती है. भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ लड़ाई भी इस पार्टी के महत्वपूर्ण मुद्दे हैं. प्रधानमंत्री मोदी से लेकर पार्टी का हर कार्यकर्ता कहता है कि इनकी पार्टी देश की जनता को पूर्ण रूप से भ्रष्टाचार और अपराध से मुक्ति दिलाने के लिए प्रतिबद्ध है.

लेकिन वर्तमान झारखण्ड विधानसभा चुनाव (Jharkhand assembly elections) में भाजपा अपने कैडर के साथ कैसा वर्ताव कर रही है? भ्रष्टाचार और अपराध के खिलाफ लड़ाई के वादे को कैसे निभा रही हैं, नजर डालते हैं इन बिन्दुओं पर.

झारखंड में भाजपा को न तो बाहरी उम्मीदवारों को टिकट देने से परहेज हैं न ही भ्रष्टाचार के आरोपी से

कैडर वाली पार्टी, पर बाहरी उम्मीदवारों पर भरोसा

भाजपा झारखण्ड में कई बाहरी उम्मीदवारों को टिकट दिया है. पार्टी ने पलामू, गढ़वा, लातेहार और चतरा जिले की कुल 11 सीटों में से केवल दो उम्मीदवार ऐसे हैं जो कि भाजपा के ओरिजिनल वर्कर हैं. मनिका निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी ने रघुपाल सिंह को उम्मीदवार बनाया है जो कि मूलतः भाजपा के कार्यकर्ता हैं. इसके अलावा किशुन कुमार दास को सिमरिया से टिकट दिया गया है जो कि प्रारम्भ से भाजपा से जुड़े हुए हैं. यानी केवल 18% मूल कार्यकर्ताओं को टिकट दिया गया है. अन्य सीटों पर बाहरी कार्यकर्ताओं को तरजीह दी गई है.

भ्रष्टाचार के आरोपी को टिकट पर व्हिसल ब्लोअर को नहीं

राजनीति में 'शुचिता' का पाठ पढ़ाने वाली भाजपा का आचरण झारखण्ड विधानसभा चुनाव में ठीक इसका उल्टा रहा है. इसने न केवल अन्य दलों से आए नेताओं को बड़ी संख्या में टिकट दे दिया बल्कि ऐसे नेताओं को भी शामिल किया जिनपर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र से भानु प्रताप शाही को टिकट दिया गया है. वो मधु कोड़ा की सरकार में मंत्री रहे थे और 130 करोड़ रुपये के दवा घोटाले के आरोपी हैं.

इसके ठीक विपरीत लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले और मधु कोड़ा को खनन घोटाला के मामले में जेल भेजने में अहम निभाने वाले सरयू राय को टिकट से वंचित कर दिया गया. वो झारखंड में पार्टी के कद्दावर नेता रहे हैं एवं रघुबर दास की सरकार में कैबिनेट मंत्री भी हैं. वो अब मुख्यमंत्री के खिलाफ निर्दलीय के प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं.

हत्या आरोपी को टिकट

हरियाणा प्रदेश के चुनाव में बहुमत नहीं आने के बाद सिरसा की भाजपा सांसद सुनीता दुग्गल विधायक गोपाल कांडा समेत 2 विधायकों को लेकर एक चार्टेड प्लेन से दिल्ली के लिए रवाना हुईं. जैसे ही ये फोटो सोशल मीडिया में आया, पार्टी के समर्थक एवं बड़े नेताओं ने भी कांडा के सहयोग से भाजपा को सरकार न बनाने की सलाह दी. भाजपा ने अपने कदम वापस खींच लिए और कांडा से दूरी बना ली.

गोपाल कांडा एयरहोस्टेस को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले के अभियुक्त हैं पर झारखण्ड में पार्टी ने शशिभूषण मेहता को टिकट दिया जो अपने ही स्कूल की शिक्षिका की हत्या के आरोपी हैं. ये कुछ ही दिन पहले बीजेपी में शामिल हुए हैं. यानी पार्टी ने कांडा एपिसोड से कोई भी सबक नहीं लिया.

झारखंड में भाजपा को न तो बाहरी उम्मीदवारों को टिकट देने से परहेज हैं न ही भ्रष्टाचार के आरोपी से. और तो और हत्या के आरोपी को टिकट देने में पार्टी को कोई झिझक नहीं हुई. चाल चरित्र और चेहरा का दम्भ भरने वाली पार्टी, जो अपने आपको 'पार्टी विथ द डिफरेंस' कहती है, उसका आचरण झारखंड चुनाव में अपने घोषित नीति के ठीक विपरीत है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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