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Jamia Library CCTV video: मुंह पर कपड़ा, हाथ में पत्थर लेकर किताब पढ़ने वाले कौन थे?

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 16 फरवरी, 2020 10:46 PM
  • 16 फरवरी, 2020 10:46 PM
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जामिया हिंसा (Jamia Violence) के मद्देनजर जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी (Jamia Coordination Committee) के वायरल वीडियो (Jamia Viral Video) के बाद जो वीडियो दिल्ली पुलिस (Delhi Police) ने जारी किया है और जिस तरह उसमें हाथों में पत्थर लिए छात्र यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी (Jamia Library) में शरण लेते दिख रहे हैं. साफ़ हो गया है कि हिंसा के दौरान पुलिस का एक्शन बेवजह नहीं था.

दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (Jamia Millia Islamia) में बीते 15 दिसंबर को दिल्ली पुलिस द्वारा छात्रों पर बर्बरता को लेकर चल रहे विवाद में एक नया ट्विस्ट आया है. मामले को लेकर दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की क्राइम ब्रांच ने एक अनएडिटेड सीसीटीवी वीडियो (Viral Video) फुटेज जारी की है. इस फुटेज में हाथों में पत्थर लेकर लाइब्रेरी में घुसते हुए छात्र बड़ी ही आसानी के साथ देखे जा सकते हैं. दिल्ली पुलिस का दावा है कि क्रैक डाउन (Police Crack Down Jamia) के दौरन यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी (Jamia Library)  में क्षरण लेने के लिए आए ये छात्र वो दंगाई हैं जिन्होंने 15 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध (Anti CAA Protest Jamia) के नाम पर खूब जमकर उत्पात मचाया. बसें जलाई. तोड़ फोड़ की और पुलिस पर पथराव किया.

दिल्ली पुलिस से बचने के लिए हाथों में पत्थर लिए जामिया की लाइब्रेरी में घुसते दंगाई

वीडियो में साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि छात्र जामिया की लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रहे हैं कि तभी कुछ लोग मुंह ढंककर वहां प्रवेश करते हैं. लाइब्रेरी पहुंचे इन छात्रों के हाथों में ईंटें और पत्थर हैं. ये लोग आकर लाइब्रेरी का दरवाजा बंद कर देते हैं और टेबल खींचकर शांति के साथ बैठ जाते हैं.

ज्ञात हो कि दिल्ली पुलिस के इस वीडियो को जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी के उस वीडियो का काउंटर कहा जा सकता है. जो कमेटी ने जारी किया है और जिसे लेकर एकबार फिर से दिल्ली पुलिस की आलोचना हो रही है. जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी की तरफ से आए वीडियो में सुरक्षाबल लाइब्रेरी में मौजूद छात्रों पर डंडे बरसाते...

दिल्ली स्थित जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी (Jamia Millia Islamia) में बीते 15 दिसंबर को दिल्ली पुलिस द्वारा छात्रों पर बर्बरता को लेकर चल रहे विवाद में एक नया ट्विस्ट आया है. मामले को लेकर दिल्ली पुलिस (Delhi Police) की क्राइम ब्रांच ने एक अनएडिटेड सीसीटीवी वीडियो (Viral Video) फुटेज जारी की है. इस फुटेज में हाथों में पत्थर लेकर लाइब्रेरी में घुसते हुए छात्र बड़ी ही आसानी के साथ देखे जा सकते हैं. दिल्ली पुलिस का दावा है कि क्रैक डाउन (Police Crack Down Jamia) के दौरन यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी (Jamia Library)  में क्षरण लेने के लिए आए ये छात्र वो दंगाई हैं जिन्होंने 15 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध (Anti CAA Protest Jamia) के नाम पर खूब जमकर उत्पात मचाया. बसें जलाई. तोड़ फोड़ की और पुलिस पर पथराव किया.

दिल्ली पुलिस से बचने के लिए हाथों में पत्थर लिए जामिया की लाइब्रेरी में घुसते दंगाई

वीडियो में साफ़ तौर पर देखा जा सकता है कि छात्र जामिया की लाइब्रेरी में पढ़ाई कर रहे हैं कि तभी कुछ लोग मुंह ढंककर वहां प्रवेश करते हैं. लाइब्रेरी पहुंचे इन छात्रों के हाथों में ईंटें और पत्थर हैं. ये लोग आकर लाइब्रेरी का दरवाजा बंद कर देते हैं और टेबल खींचकर शांति के साथ बैठ जाते हैं.

ज्ञात हो कि दिल्ली पुलिस के इस वीडियो को जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी के उस वीडियो का काउंटर कहा जा सकता है. जो कमेटी ने जारी किया है और जिसे लेकर एकबार फिर से दिल्ली पुलिस की आलोचना हो रही है. जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी की तरफ से आए वीडियो में सुरक्षाबल लाइब्रेरी में मौजूद छात्रों पर डंडे बरसाते नजर आ रहे हैं. कमेटी ने दावा किया है कि 15 दिसंबर को जब नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ आंदोलन हुआ तो दिल्ली पुलिस ने जामिया के अंदर पढ़ रहे छात्रों पर लाठियां बरसाईं और उन्हें बेरहमी के साथ पीटा.

वहीं यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में चली लाठी पर दिल्ली पुलिस के अपने तर्क हैं. पुलिस ने कहा है कि जामिया हिंसा के दौरान विश्वविद्यालय के बाहर कुछ वाहनों को आग लगाने के बाद पुलिस घटना में शामिल लोगों का पता लगाने की कोशिश कर रही थी. पुलिस के अनुसार गहमागहमी बढ़ने और हिंसा के बाद, इन दंगाइयों का पीछा पुलिस द्वारा किया जा रहा था. दंगाइयों ने पुलिस से बचने के लिए लाइब्रेरी का सहारा लिया. पुलिस इनकी हरकातों को पहले ही भांप चुकी थी और उसने इन तक पहुंचने के लिए यूनिवर्सिटी के पीछे के गेट का प्रयोग किया और लाठी चार्ज किया.

बता दें कि ये वीडियो दिल्ली पुलिस ने लाइब्रेरी में घुसते दंगाइयों का ये वीडियो उस वक़्त जारी किया है. जब जामिया की तरफ से आया वीडियो लोगों की जुबान पर है. मांग की जा रही है कि 15 दिसंबर की शाम जबरन यूनिवर्सिटी में घुसकर लिखने पढने वाले छात्रों पर लाठी चलाने वाली दिल्ली पुलिस की जांच हो और उसपर सख्त से सख्त एक्शन लिया जाए.

गौरतलब है कि जेसीसी की तरफ से जो 48 सेकंड का वीडियो जारी हुआ है उसमें पैरामिलिटरी और पुलिस के जवाबों को विश्व विद्यालय के ओल्ड रीडिंग हॉल में घुसते और वहां पढ़ाई कर रहे छात्रों को बेरहमी के साथ डंडे मारते हुए दिखाया गया है. इस वीडियो ने एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने इस वीडियो को शेयर किया है और इसे लेकर राजनीतिक बयानबाजियों का दौर जारी हो गया है. प्रियंका गांधी ने जामिया में दिल्ली पुलिस द्वारा किये गए लाठीचार्ज को लेकर एक के बाद एक दो ट्वीट किये हैं और अपने इन ट्वीट्स  में उन्होंने सरकार और दिल्ली पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर तमाम तरह के गंभीर सवाल उठाए हैं.

बहरहाल, जामिया कॉर्डिनेशन कमेटी के जो भी दावे हो मगर जब हम दिल्ली पुलिस द्वारा जारी किये गए इस वीडियो को देखते हैं तो हमें घटना से जुड़ी तमाम परतें खुद बी खुद खुलती हुई नजर आती हैं. चूंकि पुलिस के वीडियो में हम हाथों में ईंट पत्थर लिए छात्रों को लाइब्रेरी में घुसते और उसका दरवाजा बंद करते देख रहे हैं. तो वो तमाम दावे जिनमें ये कहा जा रहा था कि लाइब्रेरी में पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले फेंके गए. पहली सूरत में ये बातें बनावटी प्रतीत होती नजर आ रही हैं.

ध्यान रहे कि जिस समय जामिया में पुलिस का क्रैक डाउन हुआ आंसू गैस के गोले भी खूब चर्चा में रहे. कहा गया कि निर्दोष छात्रों को व्यर्थ में परेशान करने के लिए पुलिस ने यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी के अन्दर आंसू गैस के गोले दागे.

चाहे जामिया की तरफ से जारी हुआ वीडियो हो या फिर पुलिस का वीडियो. दोनों पर ही अगर गौर किया जाए तो मिलता है कि दोनों ही वीडियो में आंसू गैस का गोला फेंके जाने के कोई निशान नहीं है. सवाल ये है कि जब पुलिस ने डंडे मारकर छात्रों को लाइब्रेरी से भगा दिया तो फिर खाली पड़ी लाइब्रेरी में आंसू गैस का गोला फेंके जाना कई मायनों में समझ के परे हैं.

पुलिस की तरफ से जारी हुए वीडियो ने सारी सच्चाई खोलकर रख दी है. जिस तरह हमने पहले छात्रों को ईंट पत्थरों के साथ पुस्तकालय में घुसते देखा और फिर जिस तरह पुलिस ने दंगाइयों को खदेड़ा. साफ़ है कि 15 दिसंबर को दिल्ली पुलिस से क्रैक डाउन के दौरान जो हुआ वो बेवजह नहीं हुआ. छात्रों ने वही काटा जो उस दिन उन्होंने खुद बोया था. कह सकते हैं कि यदि 15 दिसंबर 2019 को पुलिस स्थिति संभालने के लिए किताबों की आड़ में छुपे दंगाइयों पर लाठी न चलाती तो स्थिति कहीं ज्यादा भयावह होती और हम वो नजारा देखते जो डराने वाला होता.

इस पूरे मामले में कितनी हकीकत है? कितना फ़साना है? इसका पता हमें आगे की जांच में चल जाएगा मगर जो चीजें पुलिस के वीडियो में निकल कर सामने आ रही हैं उनसे इतना तो स्पष्ट हो गया है कि नागरिकता संशोधन कानून के नाम पर उत्पात मचाने वाले दंगाइयों ने अपने स्टूडेंट होने की आड़ ली. उन्हें लगा कि स्टूडेंट का तमगा है तो उनकी करतूतों पर पर्दा डल जाएगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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