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Islamabad temple की अधूरी कहानी ने पाकिस्तान को पूरा बेनकाब कर दिया

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 08 जुलाई, 2020 05:12 PM
  • 08 जुलाई, 2020 05:12 PM
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जिस तरह पाकिस्तान के इस्लामाबाद में एक हिंदू मंदिर (Islamabad Hindu Mandir foundation Demolished) तोड़ा गया और जिस बेशर्मी के साथ लोग इस मुहीम के समर्थन में आए साफ़ है कि एक मुल्क के रूप में पूरा पाकिस्तान (Pakistan) और पीएम इमरान खान (Imran Khan ) बेनकाब हुए हैं.

सिंतबर 2019. पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने N में जोरदार भाषण दिया था और दुनिया को इस्लामोफोबिया (Islamophobia) से अवगत कराया था. इमरान खान ने बताया था कि कैसे आज एक एजेंडे के तहत मुसलमानों (Muslims) को फंसाया जा रहा है. उन्हें बदनाम किया जा रहा है. इमरान की उस स्पीच से तो यही लग रहा था कि उनके दिल में दूसरे संप्रदायों के प्रति बहुत आदर है, और उनके शासन में गैर-इस्लामी लोगों के साथ बराबरी का सलूक किया जा रहा है. इस्लामोफोबिया पर बोलते हुए इमरान ने ये तक कहा था कि आज मुसलमानों के साथ जिस तरह का भेदभाव हो रहा है वो मुसलमानों को और ज्यादा रेडिकल (Radicalisation) बना रहा है. सवाल ये है कि क्या ये सच है? तो सवाल यह है कि जिस शहर इस्लामाबाद में बैठकर वे राज करते हैं, वहां एक निर्माणाधीन मंदिर को गिराने की नींव कैसे तैयार हुई? एक बेहद अल्पसंख्यक हिंदू आबादी ने आखिर कौन सी उकसावे की कार्रवाई की थी, जिसके कारण उसे यह सजा दी गई? पाकिस्तान के हुक्मरान, मौलवी से लेकर आम नागरिक तक इस मंदिर के खिलाफ खड़े हो गए. ऐसा क्यों हुआ? हद तो तब हो गई जब एक वीडियो वायरल होने लगा जिसमें अबोध बच्चे हिंदुुुुुओं को मार डालने की धमकी देते सुने गए. एक ऐसे दौर में जब यूएई जैसे इस्लामिक अरब मुल्क में भव्य मंदिर बनाए जा रहे हैं, वहीं पाकिस्तान में एक मंदिर को लेकर हुए बवाल ने मुल्क को बेनकाब किया है.

एक इस्लामाबाद में श्री कृष्ण का मंदिर तोड़कर पाकिस्तान ने अपनी नीचता का परिचय दे दिया है

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. पाकिस्तान के इस्लामाबाद में भगवान कृष्ण के एक मंदिर का निर्माण हो रहा था. एक मुस्लिम मुल्क में...

सिंतबर 2019. पाकिस्तान (Pakistan) के प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने N में जोरदार भाषण दिया था और दुनिया को इस्लामोफोबिया (Islamophobia) से अवगत कराया था. इमरान खान ने बताया था कि कैसे आज एक एजेंडे के तहत मुसलमानों (Muslims) को फंसाया जा रहा है. उन्हें बदनाम किया जा रहा है. इमरान की उस स्पीच से तो यही लग रहा था कि उनके दिल में दूसरे संप्रदायों के प्रति बहुत आदर है, और उनके शासन में गैर-इस्लामी लोगों के साथ बराबरी का सलूक किया जा रहा है. इस्लामोफोबिया पर बोलते हुए इमरान ने ये तक कहा था कि आज मुसलमानों के साथ जिस तरह का भेदभाव हो रहा है वो मुसलमानों को और ज्यादा रेडिकल (Radicalisation) बना रहा है. सवाल ये है कि क्या ये सच है? तो सवाल यह है कि जिस शहर इस्लामाबाद में बैठकर वे राज करते हैं, वहां एक निर्माणाधीन मंदिर को गिराने की नींव कैसे तैयार हुई? एक बेहद अल्पसंख्यक हिंदू आबादी ने आखिर कौन सी उकसावे की कार्रवाई की थी, जिसके कारण उसे यह सजा दी गई? पाकिस्तान के हुक्मरान, मौलवी से लेकर आम नागरिक तक इस मंदिर के खिलाफ खड़े हो गए. ऐसा क्यों हुआ? हद तो तब हो गई जब एक वीडियो वायरल होने लगा जिसमें अबोध बच्चे हिंदुुुुुओं को मार डालने की धमकी देते सुने गए. एक ऐसे दौर में जब यूएई जैसे इस्लामिक अरब मुल्क में भव्य मंदिर बनाए जा रहे हैं, वहीं पाकिस्तान में एक मंदिर को लेकर हुए बवाल ने मुल्क को बेनकाब किया है.

एक इस्लामाबाद में श्री कृष्ण का मंदिर तोड़कर पाकिस्तान ने अपनी नीचता का परिचय दे दिया है

जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. पाकिस्तान के इस्लामाबाद में भगवान कृष्ण के एक मंदिर का निर्माण हो रहा था. एक मुस्लिम मुल्क में मंदिर ये बात लोगों को बुरी लगी और उसके बाद जो कुछ भी मंदिर के साथ हुआ वो शर्मसार करने वाला है. तमाम ऐसे वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं जिनमें लोगों को इस निर्माणाधीन मंदिर की नींव और बाउंडरी तक को तोड़ते हुए देखा जा सकता है. वीडियो कई मायनों में विचलित करने वाला है

एक मुस्लिम मुल्क में मंदिर का निर्माण लोगों को किस तरह अखर रहा है और कैसे लोग इस मुद्दे को लेकर नीचता पर उतर आए हैं इसे उस वीडियो से भी समझ सकते हैं जिसमें एक पिता अपने मासूम और अबोध से हिंदुओं को चुन चुन कर मारने की बात कर रहा है. वीडियो में बच्चा इमरान खान से संबोधित है और कह रहा है कि 'खान साहब अगर इस्लामाबाद में मंदिर बना तो ये याद रखना मैं उन हिंदुओं को चुन चुन के मारूंगा. समझ गए. अल्लाह हाफिज' जैसा इस वीडियो का कंटेंट है सबसे पहले तो इमरान खान को इस व्यक्ति को गिरफ्तार कराना और सख्त से सख्त सजा दिलवानी चाहिए.

मामले को गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर सकलैन शाह नाम के यूजर ने ट्वीट किया है हम चाहते हैं कि पश्चिमी देशों में मुसलमानों के साथ सम्मानभरा व्यवहार किया जाए पर हम उस ईसाई की हत्या कर देते हैं जो हमारे घर के बगल में आकर रहने लगता है. हम चाहते हैं कि बर्लिन जैसे शहरों में ढेरों मस्जिदें हों पर हम इस्लामाबाद में एक हिंदू मंदिर बर्दाश्त नहीं कर सकते. हम पाखंडी हैं. धर्म के नकली संरक्षक और अराजकता के एजेंट.

मामला प्रकाश में आने के बाद मुसलमानों का पढ़ा लिखा वर्ग सामने आया है जो घटना को लेकर पाकिस्तान और पाकिस्तान की हुकूमत की तीखी आलोचना कर रहा है. लोग सवाल कर रहे हैं कि आखिर ये पाकिस्तान में रहने वाले माइनॉरिटीज के लिए असहिष्णुता का कौन सा लेवल है? लोग उस इस्लामाबाद में 73 साल में बनने वाले एकमात्र हिन्दू मंदिर का विरोध कर रहे हैं जो कई मायनों में विचलित करने वाला है.

वहीं बात अगर पाकिस्तानी हुक्मरानों की हो तो मामले पर उनका रवैया भी विचलित करने वाला है. कहा जा रहा है कि आखिर इस्लामाबाद में मंदिर बनने की जरूरत ही क्या है? क्यों नहीं उन मंदिरों को सही कराया जा रहा है जो पाकिस्तान में पहले से ही मौजूद हैं.

बात एकदम सीधी और साफ़ है ताली एक हाथ से नहीं बजती. एक तरफ तो पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कश्मीरी लोगों के अधिकारों की बातें करते हैं और कहते हैं कि आम कश्मीरियों के साथ भारत में जुल्म हो रहा है. अब इमरान ये बताएं जो उनके देश में एक हिंदू मंदिर के साथ हुआ और जिस तरह लोग बेचैन हुए आखिर वो क्या है? आखिर कोई कैसे इस तरह दो चेहरे दिखा सकता है.

बहरहाल जिस तरह पाकिस्तान में हिंदू मंदिर तोड़ा गया और जिस बेशर्मी के साथ लोग इस मुहीम के समर्थन में आए साफ़ है कि इस्लामाबाद में मंदिर तोड़े जाने की घटना के बाद कोई एक शख्स नहीं बल्कि एक मुल्क के रूप में पूरा पाकिस्तान बेनकाब हुआ है. घटना न सिर्फ विचलित करने वाली है बल्कि निंदनीय है और मामला कुछ ऐसा है कि इमरान खान को गैरत का परिचय देते हुए तत्काल प्रभाव से अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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