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योगी 2.0 में क्या खुद को पीएम मोदी जैसा बनाने की कोशिश में जुटे हैं आदित्यनाथ?

    • देवेश त्रिपाठी
    • Updated: 28 अप्रिल, 2022 03:59 PM
  • 28 अप्रिल, 2022 03:59 PM
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योगी 2.0 का एक महीना पूरा होने के साथ ही सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) की ओर से लिए जा रहे ताबड़तोड़ फैसलों ने सबको चौंका दिया है. कहा जा रहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) के नक्शेकदम पर चलते हुए सीएम योगी भी उत्तर प्रदेश में 'सिस्टम' को सुधारने में जुट गए हैं.

देश के कई राज्यों में हिजाब, रामनवमी शोभायात्रा पर पथराव, लाउडस्पीकर जैसे तमाम मुद्दे राजनीतिक और सामाजिक बवाल का कारण बन रहे हैं. लेकिन, योगी 2.0 के बाद से उत्तर प्रदेश में ये मुद्दे दूरबीन से देखने पर भी नजर नहीं आ रहे हैं. क्योंकि, सूबे के मुख्यमंत्री के तौर पर दोबारा शपथ लेने वाले योगी आदित्यनाथ का 'एक्शन' बोल रहा है. योगी 2.0 में मंत्रियों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों को उनकी संपत्ति का ब्यौरा देने के निर्देश हो या सरकारी कामकाज में मंत्रियों और अधिकारियों के परिजनों के हस्तक्षेप को रोकने निर्देश. माफियाओं और भ्रष्टाचारियों पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत बुलडोजर गरजाने के निर्देश हो या अधिकारियों को तैनाती की जगह ही निवास करने का निर्देश. सीएम बनने के साथ ही योगी आदित्यनाथ 'सिस्टम' को ठीक करने में जुटे हैं. योगी 2.0 में लिए जा रहे ताबड़तोड़ फैसले इशारा कर रहे हैं कि अपने दूसरे कार्यकाल सीएम योगी आदित्यनाथ खुद को पीएम नरेंद्र मोदी जैसा बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं.

 योगी आदित्यनाथ के मन में पीएम पद भले न हो. लेकिन, नरेंद्र मोदी बनने की उनकी चाहत साफ नजर आ रही है.

योगी का 'ना खाऊंगा, न खाने दूंगा'

'ना खाऊंगा, न खाने दूंगा' को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति का ध्येय वाक्य माना जाता है. गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के मंत्रियों के संपत्तियां घोषित करने का निर्देश दिया था. प्रधानमंत्री बनने के बाद केंद्र सरकार के मंत्रियों से भी नरेंद्र मोदी ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने के निर्देश दिए थे. दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी राजनीतिक शुचिता में यकीन रखते हैं. और, अपने मुख्यमंत्रित्व काल से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका कड़ा रुख रहा है. वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी पीएम मोदी के नक्शेकदम पर चलते हुए अपनी सरकार का एक महीना पूरा होने के साथ ही मंत्रियों और अधिकारियों को संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने का निर्देश दे दिया है. सीएम योगी ने साफ कर दिया...

देश के कई राज्यों में हिजाब, रामनवमी शोभायात्रा पर पथराव, लाउडस्पीकर जैसे तमाम मुद्दे राजनीतिक और सामाजिक बवाल का कारण बन रहे हैं. लेकिन, योगी 2.0 के बाद से उत्तर प्रदेश में ये मुद्दे दूरबीन से देखने पर भी नजर नहीं आ रहे हैं. क्योंकि, सूबे के मुख्यमंत्री के तौर पर दोबारा शपथ लेने वाले योगी आदित्यनाथ का 'एक्शन' बोल रहा है. योगी 2.0 में मंत्रियों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारियों को उनकी संपत्ति का ब्यौरा देने के निर्देश हो या सरकारी कामकाज में मंत्रियों और अधिकारियों के परिजनों के हस्तक्षेप को रोकने निर्देश. माफियाओं और भ्रष्टाचारियों पर जीरो टॉलरेंस नीति के तहत बुलडोजर गरजाने के निर्देश हो या अधिकारियों को तैनाती की जगह ही निवास करने का निर्देश. सीएम बनने के साथ ही योगी आदित्यनाथ 'सिस्टम' को ठीक करने में जुटे हैं. योगी 2.0 में लिए जा रहे ताबड़तोड़ फैसले इशारा कर रहे हैं कि अपने दूसरे कार्यकाल सीएम योगी आदित्यनाथ खुद को पीएम नरेंद्र मोदी जैसा बनाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं.

 योगी आदित्यनाथ के मन में पीएम पद भले न हो. लेकिन, नरेंद्र मोदी बनने की उनकी चाहत साफ नजर आ रही है.

योगी का 'ना खाऊंगा, न खाने दूंगा'

'ना खाऊंगा, न खाने दूंगा' को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस नीति का ध्येय वाक्य माना जाता है. गुजरात के मुख्यमंत्री रहने के दौरान नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के मंत्रियों के संपत्तियां घोषित करने का निर्देश दिया था. प्रधानमंत्री बनने के बाद केंद्र सरकार के मंत्रियों से भी नरेंद्र मोदी ने अपनी संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने के निर्देश दिए थे. दरअसल, पीएम नरेंद्र मोदी राजनीतिक शुचिता में यकीन रखते हैं. और, अपने मुख्यमंत्रित्व काल से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ उनका कड़ा रुख रहा है. वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी पीएम मोदी के नक्शेकदम पर चलते हुए अपनी सरकार का एक महीना पूरा होने के साथ ही मंत्रियों और अधिकारियों को संपत्ति का ब्यौरा सार्वजनिक करने का निर्देश दे दिया है. सीएम योगी ने साफ कर दिया है कि भ्रष्टाचार पर नकेल लगाने के लिए वह कदम उठाने से पीछे नही हटेंगे.

इतना ही नहीं, योगी 2.0 के मंत्रियों को बाकायदा 'डू एंड डोंट्स' की एक लिस्ट जारी की गई है. जिसमें मंत्रियों को मिलने वाले महंगे तोहफों को ससम्मान इनकार जैसी बातें कही गई हैं. वहीं, योगी 2.0 के मंत्रियों को हर साल सीएम कार्यालय में अपनी संपत्ति का ब्यौरा देने का निर्देश भी दिया गया है. आसान शब्दों में कहा जाए, तो मंत्रियों की संपत्तियों पर सीधे सीएम योगी आदित्यनाथ नजर बनाए रखेंगे. वैसे, बहुत हद तक संभव है कि भविष्य में मंत्रियों और अधिकारियों की संपत्तियों पर आने वाली 'आंतरिक रिपोर्ट' पर योगी 2.0 में कार्रवाई भी नजर आए. वहीं, मंत्रियों को भाषणबाजी से इतर जनता के लिए काम करने पर जोर देने का निर्देश भी जारी किया गया. विधायकों को हर सप्ताहांत में अपने विधानसभा क्षेत्र में जनता दरबार लगाकर समस्याओं का हल करने के निर्देश भी जारी किया गया है.

योगी का डंडा, यूपी में नो दंगा

2002 के गुजरात दंगों का तात्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को दोषी ठहराने की तमाम राजनीतिक कोशिशें हुई. लेकिन, नरेंद्र मोदी ने अपनी प्रशासनिक क्षमता के साथ राजनीतिक आरोपों को दरकिनार करते हुए खुद को एक सफल मुख्यमंत्री के तौर पर स्थापित किया. यह पीएम मोदी की कानून-व्यवस्था पर मजबूत पकड़ का ही उदाहरण माना जा सकता है कि 2002 के बाद से अब तक गुजरात में कभी सांप्रदायिक दंगों की स्थिति नहीं बनी है. भले ही नरेंद्र मोदी पीएम बन गए हों. लेकिन, अपने गृहराज्य में उनकी उपस्थिति कमजोर नही पड़ी है. पीएम मोदी की तरह ही योगी आदित्यनाथ ने भी उत्तर प्रदेश में पहली बार सीएम बनने के साथ ही कानून-व्यवस्था को चाक-चौबंद करने का बीड़ा उठाया. अपराधियों के इनकाउंटर से लेकर दंगाईयों की संपत्ति पर बुलडोजर का इस्तेमाल तक योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश को 'दंगा मुक्त प्रदेश' बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है. योगी आदित्यनाथ की सत्ता में दोबारा सीएम बनकर वापसी उन पर लगने वाले प्रशासनिक अनुभव की कमी के आरोपों को धूल-धूसरित करती नजर आ रही है.

लाउडस्पीकर डाउन, मंदिर-मस्जिद लाइन में

लाउडस्पीकर को लेकर कई राज्यों में बवाल मचा हुआ है. लेकिन, जैसे ही इस मामले ने उत्तर प्रदेश में एंट्री ली. सीएम योगी आदित्यनाथ ने सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश के अनुसार लाउडस्पीकर बजाने का फरमान जारी कर दिया. धर्म के मसले पर सीएम योगी दो टूक बात कह चुके हैं कि 'धर्म व्यक्तिगत आस्था का विषय है. सरकार सभी धर्मों का सम्मान करती है. लेकिन, इसका भद्दा प्रदर्शन कर दूसरों को परेशान करना स्वीकार नहीं किया जाएगा.' आसान शब्दों में कहा जाए, तो बवाल होने से पहले ही उसे रोकने के लिए सीएम योगी एक्शन मोड में नजर आ जाते हैं. वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों पर कार्रवाई कर योगी आदित्यनाथ ने 'सिस्टम' के पेंच टाइट करने में भी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है. सत्ता में दोबारा वापसी के बाद खराब प्रदर्शन करने वाले आईएएस-आईपीएस समेत अलग-अलग विभागों के कई अधिकारियों को सस्पेंड करने की कार्रवाई हो चुकी है. अधिकारियों और राज्य कर्मचारियों को समय से दफ्तर आने जैसी सामान्य चीजों का सख्ती से पालन करने और तैनाती वाले स्थानों पर ही निवास करने के निर्देश जारी किए गए हैं.

यूपी में नेतृत्व का पर्याय बनते योगी

हिंदीभाषी राज्यों में सीएम योगी आदित्यनाथ को अगले प्रधानमंत्री के तौर पर देखने वालों की कमी नही है. हालांकि, 2024 में नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल की ओर कदम बढ़ाते नजर आएंगे. तो, सीएम योगी के पास खुद को नरेंद्र मोदी की तरह ही एक सर्वस्वीकार्य नेता के तौर पर स्थापित करने की कोशिश का एक लंबा मौका है. फिलहाल उनका ध्यान देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में अपनी छवि को एक कुशल प्रशासक के तौर पर बनाए रखने पर ही नजर आ रहा है. और, नरेंद्र मोदी की तरह ही वह धीरे-धीरे अपनी कमियों को खत्म करने की कोशिशें में जुटे हैं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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