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तो क्या 28 फीसदी जीएसटी स्लैब से कुछ उत्पादों को हटाने के पीछे गुजरात और कांग्रेस है?

    • बिजय कुमार
    • Updated: 12 नवम्बर, 2017 04:40 PM
  • 12 नवम्बर, 2017 04:40 PM
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गुजरात चुनाव को देखते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी को जीएसटी में बदलाव करने पड़े. शायद भाजपा ये नहीं चाहती कि गुजरात के कारोबारियों सहित आम जनता को नाखुश कर वो राज्य में चुनाव लड़े...

जीएसटी काउंसिल की गुवाहाटी में हुई बैठक में 178 सामानों को 28 फीसदी के जीएसटी स्लैब से हटाकर नीचे के स्लैब में रखा गया है. इस फैसले का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि "इन नए टैक्स रेट को 15 नवंबर से लागू किया जाएगा. केन्द्र और राज्य सरकारें इसके लिए जरूरी नोटिफिकेशन जारी करेंगी. सरकार के इस फैसले से आम जनता और छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी. साथ ही यह सवाल भी उठने लगा है कि आखिर लागू होने के महज चार महीने बाद ही जीएसटी में इतने बड़े बदलावों की जरूरत क्यों पड़ गई.

वैसे सरकार ने इस बैठक से पहले कहा था कि इसमें जीएसटी लागू होने के तिमाही कि समीक्षा भी होगी जिससे ऐसा माना जा रहा था कि सरकार कुछ राहत देने वाली है क्योंकि लोगों और छोटे व्यापारियों में ऊंची दरों को लेकर कुछ रोष जरूर था. साथ इस तरह के बड़े फैसले लेने के बाद समय-समय पर जरुरत के हिसाब से उसमें बदलाव तो करना ही पड़ता है और सरकार हर संभव कोशिश करती है कि कुछ ऐसा किया जाये जिससे कि लोगों में रोष कम हो. मने देखा था कि नोटबंदी के समय कैसे कई बार नियमों में परिवर्तन करना पड़ा था.

जीएसटी आने के बाद गुजरात में ये पहला चुनाव है जहां कांग्रेस और भाजपा में मुकाबला कड़ा होने वाला है

कांग्रेस पार्टी का कहना है कि आगामी गुजरात चुनाव में हार के डर के कारण बीजेपी ने इस तरह का बदलाव किया है. पार्टी के प्रवक्ता कह रहे हैं कि राहुल गांधी ने जीएसटी मुद्दे को गुजरात में जिस तरह उठाया वो काफी प्रभावशाली रहा है और लोगों की तरफ से मिल रहे सकारात्मक संकेतों से बीजेपी को डर लगा और उसे ध्यान में रखकर सरकार ने ये कदम उठाया है. हमने देखा है कि कैसे राहुल ने लगभग हर मौके पर जीएसटी की 28 फीसदी कि दर का भारी विरोध किया है और इसे गब्बर सिंह टैक्स का नाम भी दिया जिसकी खूब चर्चा हो रही...

जीएसटी काउंसिल की गुवाहाटी में हुई बैठक में 178 सामानों को 28 फीसदी के जीएसटी स्लैब से हटाकर नीचे के स्लैब में रखा गया है. इस फैसले का ऐलान करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि "इन नए टैक्स रेट को 15 नवंबर से लागू किया जाएगा. केन्द्र और राज्य सरकारें इसके लिए जरूरी नोटिफिकेशन जारी करेंगी. सरकार के इस फैसले से आम जनता और छोटे कारोबारियों को बड़ी राहत मिलेगी. साथ ही यह सवाल भी उठने लगा है कि आखिर लागू होने के महज चार महीने बाद ही जीएसटी में इतने बड़े बदलावों की जरूरत क्यों पड़ गई.

वैसे सरकार ने इस बैठक से पहले कहा था कि इसमें जीएसटी लागू होने के तिमाही कि समीक्षा भी होगी जिससे ऐसा माना जा रहा था कि सरकार कुछ राहत देने वाली है क्योंकि लोगों और छोटे व्यापारियों में ऊंची दरों को लेकर कुछ रोष जरूर था. साथ इस तरह के बड़े फैसले लेने के बाद समय-समय पर जरुरत के हिसाब से उसमें बदलाव तो करना ही पड़ता है और सरकार हर संभव कोशिश करती है कि कुछ ऐसा किया जाये जिससे कि लोगों में रोष कम हो. मने देखा था कि नोटबंदी के समय कैसे कई बार नियमों में परिवर्तन करना पड़ा था.

जीएसटी आने के बाद गुजरात में ये पहला चुनाव है जहां कांग्रेस और भाजपा में मुकाबला कड़ा होने वाला है

कांग्रेस पार्टी का कहना है कि आगामी गुजरात चुनाव में हार के डर के कारण बीजेपी ने इस तरह का बदलाव किया है. पार्टी के प्रवक्ता कह रहे हैं कि राहुल गांधी ने जीएसटी मुद्दे को गुजरात में जिस तरह उठाया वो काफी प्रभावशाली रहा है और लोगों की तरफ से मिल रहे सकारात्मक संकेतों से बीजेपी को डर लगा और उसे ध्यान में रखकर सरकार ने ये कदम उठाया है. हमने देखा है कि कैसे राहुल ने लगभग हर मौके पर जीएसटी की 28 फीसदी कि दर का भारी विरोध किया है और इसे गब्बर सिंह टैक्स का नाम भी दिया जिसकी खूब चर्चा हो रही है.

पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम ने भी सरकार के इस फैसले को देर से उठाया गया कदम बताया और कहा कि सरकार ने गुजरात चुनाव को देखकर इस तरह का फैसला किया है. वहीं खुद राहुल गाँधी ने भी सरकार के फैसले का श्रेय कांग्रेस और गुजरात की जनता की लड़ाई को दिया.

वहीं दूसरी ओर बीजेपी नेता इस फैसले के लिए सरकार का धन्यवाद कर रहे हैं और कह रहे हैं की सरकार जनता के हित के लिए जो ठीक होगा वो करती रहेगी. वैसे कह सकते हैं कि गुजरात चुनाव को देखते हुए सत्तारूढ़ बीजेपी को जीएसटी में बदलाव करने पड़े हों क्योंकि पार्टी गुजरात के कारोबारियों सहित आम जनता को नाखुश कर चुनाव में नहीं जाना चाहती थी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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