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अब विपक्ष चुप रहे! पीएम मोदी का सूट-बूट कहां से आता है इसका जवाब मिल गया है...

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 13 जनवरी, 2018 10:57 AM
  • 13 जनवरी, 2018 10:57 AM
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अपने कपड़ों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न सिर्फ लोगों बल्कि विपक्ष के बीच चर्चा का केंद्र रहे हैं. ऐसे में उनके कपड़ों को लेकर आरटीआई का जो जवाब आया है वो कई मायनों में हैरत में डालने वाला है.

जब व्यक्ति किसी को नापसंद करता है तो, जिस व्यक्ति को वो पसंद नहीं कर रहा है उससे जुड़ी हर चीज उसे फूटी आंख भी नहीं सुहाती है. कुछ ऐसा ही मामला विपक्ष और पीएम मोदी के आलोचकों के साथ है. प्रधानमंत्री कुछ भी अच्छा कर लें, वो अपने आलोचकों की नजर में आलोचना के पात्र हैं, तो बस हैं और शायद हमेशा रहें. आलोचकों या विपक्ष को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि प्रधानमंत्री के अमुक चीज करने से या उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर लोगों ने न सिर्फ पीएम मोदी बल्कि भारत के बारे में भी बातें करना शुरू कर दिया है.

ताजा मामला प्रधानमंत्री के कपड़ों से जुड़ा है, जिसमें एक बार फिर आरटीआई के जरिये पीएमओ से, पीएम मोदी के कपड़ों पर हुए खर्च का हिसाब मांगा गया है. इस आरटीआई परपीएमओ का जवाब भी खासा दिलचस्प है. शायद इस आरटीआई के बाद, भविष्य में मोदी के कपड़ों से जुड़ी डिबेट पर सदा के लिए विराम लग जाये. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. आरटीआई एक्टिविस्ट रोहित सबरवाल ने अपने द्वारा डाली गयी आरटीआई में पीएमओ से सवाल पूछा था कि, पीएमओ ये बताए कि 1998 से लेकर अब तक देश के प्रधानमंत्रियों के कपड़े पर कितना खर्च हुआ है. ध्यान रहे कि इस अवधि में अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह भी शामिल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार अपने कपड़ों केचलते सुर्ख़ियों में आए हैं

आरटीआई एक्टिविस्ट रोहित सबरवाल की इस आरटीआई पर जवाब देते हुए पीएमओ ने अपना पक्ष साफ कर दिया है. पीएमओ का तर्क है कि पीएम मोदी की निजी पोशाक पर खर्च की जाने वाली रकम भारत सरकार द्वारा वहन नहीं की जाती है. साथ ही प्रधानमंत्री के विषय में पीएमओ ने ये भी बताया है कि प्रधानमंत्री को हमेशा से ही अच्छे कपड़ों का शौक रहा है, जिसे वो अपने पैसों से खरीदते हैं. इस जानकारी के बाद बीजेपी ने कहा है कि विपक्षी दलों को अब समझ...

जब व्यक्ति किसी को नापसंद करता है तो, जिस व्यक्ति को वो पसंद नहीं कर रहा है उससे जुड़ी हर चीज उसे फूटी आंख भी नहीं सुहाती है. कुछ ऐसा ही मामला विपक्ष और पीएम मोदी के आलोचकों के साथ है. प्रधानमंत्री कुछ भी अच्छा कर लें, वो अपने आलोचकों की नजर में आलोचना के पात्र हैं, तो बस हैं और शायद हमेशा रहें. आलोचकों या विपक्ष को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि प्रधानमंत्री के अमुक चीज करने से या उनके व्यक्तित्व से प्रभावित होकर लोगों ने न सिर्फ पीएम मोदी बल्कि भारत के बारे में भी बातें करना शुरू कर दिया है.

ताजा मामला प्रधानमंत्री के कपड़ों से जुड़ा है, जिसमें एक बार फिर आरटीआई के जरिये पीएमओ से, पीएम मोदी के कपड़ों पर हुए खर्च का हिसाब मांगा गया है. इस आरटीआई परपीएमओ का जवाब भी खासा दिलचस्प है. शायद इस आरटीआई के बाद, भविष्य में मोदी के कपड़ों से जुड़ी डिबेट पर सदा के लिए विराम लग जाये. जी हां बिल्कुल सही सुन रहे हैं आप. आरटीआई एक्टिविस्ट रोहित सबरवाल ने अपने द्वारा डाली गयी आरटीआई में पीएमओ से सवाल पूछा था कि, पीएमओ ये बताए कि 1998 से लेकर अब तक देश के प्रधानमंत्रियों के कपड़े पर कितना खर्च हुआ है. ध्यान रहे कि इस अवधि में अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह भी शामिल हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कई बार अपने कपड़ों केचलते सुर्ख़ियों में आए हैं

आरटीआई एक्टिविस्ट रोहित सबरवाल की इस आरटीआई पर जवाब देते हुए पीएमओ ने अपना पक्ष साफ कर दिया है. पीएमओ का तर्क है कि पीएम मोदी की निजी पोशाक पर खर्च की जाने वाली रकम भारत सरकार द्वारा वहन नहीं की जाती है. साथ ही प्रधानमंत्री के विषय में पीएमओ ने ये भी बताया है कि प्रधानमंत्री को हमेशा से ही अच्छे कपड़ों का शौक रहा है, जिसे वो अपने पैसों से खरीदते हैं. इस जानकारी के बाद बीजेपी ने कहा है कि विपक्षी दलों को अब समझ जाना चाहिए कि वह अब तक प्रधानमंत्री के कपड़ों को लेकर बेकार में हंगामा खड़ा कर रहे थे और व्यर्थ की पब्लिसिटी हासिल करने का काम कर रहे थे.

गौरतलब है कि ओबामा के भारत आने के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने एक सूट के चलते विवादों में आ गए थे. बताया जाता है कि मोदी ने तब जिस बंद गले के सूट को पहना था वो काफी महंगा था. साथ ही इसपर उनका पूरा नाम नरेंद्र दामोदर दास मोदी भी लिखा हुआ था. कांग्रेस ने इस सूट के लिए पीएम मोदी की जमकर आलोचना की थी और पार्टी के वर्तमान अध्यक्ष राहुल गांधी ने तब इसी सूट पर निशाना साधते हुए बीजेपी सरकार को सूट-बूट की सरकार कहा था.

ज्ञात हो कि विवादों के बाद, इस सूट को स्वच्छ भारत अभियान के लिए पैसा जुटाने के कारण नीलाम कर दिया गया था. इस सूट को तब गुजरात के एक व्यापारी लालजीभाई तुलसीबाई पटेल ने खरीदा था जिसके लिए उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से 4 करोड़ 31 लाख 31 हजार 311 रुपये की बोली लगाई थी.

पीएम मोदी के सूट को लेकर विवाद तब गहराया था जब ओबामा भारत आए थे

बहरहाल जब बात सूट, कपड़ों, विपक्ष, राहुल गांधी और प्रधानमंत्री के सन्दर्भ में हो ही रही है तो यहां ये बताना बेहद ज़रूरी है कि इस देश के प्रत्येक नागरिक को वो किस्से नहीं भूलने चाहिए जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के कपड़े धुलने के लिए जहाज के माध्यम से विदेश जाते थे. साथ ही हमें वो बातें भी नहीं भूलनी चाहिए जब पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के पास सर्दियों से बचने के लिए गर्म कपड़े न थे.

अंत में हम ये कहते हुए अपनी बात खत्म करेंगे कि अब जब आरटीआई के जरिये ये खुलासा हो ही चुका है कि प्रधानमंत्री मोदी सरकारी नहीं बल्कि खुद के पैसों से अपने को स्टाइलिश बनाते हैं तो विपक्ष खासतौर से राहुल गांधी को भी कपड़ों के कारण अपना इतिहास याद करते हुए इन बातों पर चुप्पी साध लेनी चाहिए. ऐसा इसलिए क्योंकि जब बात निकलती है तो दूर तक जाती है. साथ ही उन्हें ये भी याद रखना चाहिए कि, देश का प्रधानमंत्री अगर अच्छे कपड़े पहन रहा और लोगों से मिल रहा है तो इसमें कोई बुराई नहीं है. और इसपर राजनीति बिल्कुल नहीं होनी चाहिए. ध्यान रहे, देसी हों या विदेशी अच्छे और स्टाइलिश लोगों से हर कोई मिलना-जुलना और बातें करना हर कोई पसंद करता है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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