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मोदी के हिंदुत्व के आगे राहुल गांधी का हिंदू कार्ड गंगा में डूब गया, क्योंकि...

    • शरत कुमार
    • Updated: 14 दिसम्बर, 2021 06:22 PM
  • 14 दिसम्बर, 2021 06:22 PM
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राहुल गांधी यदि सही हैं तो मोदी की तरह जनता के दिलों में अपील क्यों नहीं करते? राहुल गांधी का 'हिंदू सच' शराब की दुकान पर बैठकर भजन गाने जैसा क्यों दिखाई देता है? राहुल गांधी सच, प्रेम करुणा, भाईचारा बोलते वक्त इतने ग़ुस्से और आक्रोश में रहते हैं कि ये शब्द अपनी संवेदनाएं खो देते हैं.

रात घर लौटने पर काशी मंदिर प्रांगण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दिया भाषण सुन रहा था. पत्नी बोली कि दिन भर तो टीवी पर यही चला है अब घर आकर क्यों सुन रहे हो? मैंने कहा दिन भर तो काम में लगा रहता हूं, लिखना है इसलिए सुन रहा हूं. पत्नी बोली कुछ उल्टा सीधा मत लिखना, मोदी ने बनारस में काम बहुत अच्छा काम किया है. इससे पहले देर सुबह गहलोत प्रशंसक एक मित्र सुनील शर्मा का फोन आया था. वो क्या करते हैं मुझे आजतक पता नहीं पर देश में कहीं कुछ भी हो रहा हो फोन लगाकर मुझे ज्ञान दे देते हैं. उन्होंने कहा मोदी ने आज धो दिया कल के राहुल के भाषण को. मोदी ने क्या डुबकी लगाई है. मेरे घर में तो मोदी मोदी हो रहा है. शाम टहलने एसएमएस स्टेडियम गया तो राहुल गांधी की बातों से भारी सहमति रखने वाले एक पत्रकार मिल गए. उन्होंने कहा कि आज जब मोदी मंदिर में जा रहे थे तब पत्नी भी टीवी पर प्रणाम कर रही थी. यह बातें मैं आपको इसलिए बता रहा हूं कि 'राहुल 2' के अवतार ने अब हिंदू और हिंदुत्ववादी की बहस को भारतीय राजनीति का पब्लिक डिसकोर्स बना दिया है. देश की जनता को 'हिंदू राहुल' और 'हिंदुत्ववादी मोदी' में से एक को चुनना है. पहली बार बीजेपी ने राहुल गांधी के किसी आरोप को तमग़ा बनाकर सीने पर सजा लिया है.

साफ़ है कि गंगा में डुबकी लगाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी के हिंदुत्व को कड़ी चुनौती दी है

ऐसा नहीं है कि किसी के कह देने भर से राहुल ग़लत हैं और मोदी सही है. जनतंत्र में दोनों अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा वाली पार्टियों की रीति नीति पर सही-ग़लत का फ़ैसला जनता को करना है. मगर कैसे हो, यह बड़ा सवाल है. जयपुर की रैली में भारी भीड़ के बीच राहुल गांधी ने कहा हिंदू सत्य है तो काशी के मंदिर में भक्तों के बीच मोदी ने कहा सत्य हमारा संस्कार...

रात घर लौटने पर काशी मंदिर प्रांगण में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दिया भाषण सुन रहा था. पत्नी बोली कि दिन भर तो टीवी पर यही चला है अब घर आकर क्यों सुन रहे हो? मैंने कहा दिन भर तो काम में लगा रहता हूं, लिखना है इसलिए सुन रहा हूं. पत्नी बोली कुछ उल्टा सीधा मत लिखना, मोदी ने बनारस में काम बहुत अच्छा काम किया है. इससे पहले देर सुबह गहलोत प्रशंसक एक मित्र सुनील शर्मा का फोन आया था. वो क्या करते हैं मुझे आजतक पता नहीं पर देश में कहीं कुछ भी हो रहा हो फोन लगाकर मुझे ज्ञान दे देते हैं. उन्होंने कहा मोदी ने आज धो दिया कल के राहुल के भाषण को. मोदी ने क्या डुबकी लगाई है. मेरे घर में तो मोदी मोदी हो रहा है. शाम टहलने एसएमएस स्टेडियम गया तो राहुल गांधी की बातों से भारी सहमति रखने वाले एक पत्रकार मिल गए. उन्होंने कहा कि आज जब मोदी मंदिर में जा रहे थे तब पत्नी भी टीवी पर प्रणाम कर रही थी. यह बातें मैं आपको इसलिए बता रहा हूं कि 'राहुल 2' के अवतार ने अब हिंदू और हिंदुत्ववादी की बहस को भारतीय राजनीति का पब्लिक डिसकोर्स बना दिया है. देश की जनता को 'हिंदू राहुल' और 'हिंदुत्ववादी मोदी' में से एक को चुनना है. पहली बार बीजेपी ने राहुल गांधी के किसी आरोप को तमग़ा बनाकर सीने पर सजा लिया है.

साफ़ है कि गंगा में डुबकी लगाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राहुल गांधी के हिंदुत्व को कड़ी चुनौती दी है

ऐसा नहीं है कि किसी के कह देने भर से राहुल ग़लत हैं और मोदी सही है. जनतंत्र में दोनों अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा वाली पार्टियों की रीति नीति पर सही-ग़लत का फ़ैसला जनता को करना है. मगर कैसे हो, यह बड़ा सवाल है. जयपुर की रैली में भारी भीड़ के बीच राहुल गांधी ने कहा हिंदू सत्य है तो काशी के मंदिर में भक्तों के बीच मोदी ने कहा सत्य हमारा संस्कार है.

राहुल ने कहा हमारा शास्त्र हमें कुचलना नहीं सिखाता तो मोदी ने कहा कि हमारा शास्त्र हमें स्नेह सिखाता है. राहुल ने कहा हिंदू सच के लिए लड़ता, मरता है. तो मोदी ने कहा कि काशी अविनाशी है यहां तो मृत्यु भी मंगल है. राहुल ने कहा कि महाभारत में श्रीकृष्ण ने कहा कि सत्य के लिए भाई को मारो तो मोदी ने कहा कि संहारक शिव ही सत्य है. राहुल ने कहा हिंदुत्ववादी नफ़रत फैलाते हैं तो मोदी ने कहा कि काशी मथुरा अयोध्या सोमनाथ मिलकर राष्ट्र को एक सूत्र में बांधते हैं.

काशी में करुणा है, प्रेम है. राहुल ने कहा कि हिंदुत्ववादी डरपोक और कायर होते हैं तो मोदी ने कहा कि जब सामने औरंगजेब आया तो उसे शिवाजी मिले. हमलावर मसूद आया तो राजा सुहलदेव मिले. राहुल ने कहा कि हिंदुत्ववादी गरीब को कुचलते हैं तो मोदी कॉरिडोर निर्माण में लगे मज़दूरों को नमन कर उनके साथ खाना खाते नज़र आए. दोनों की बातों से सही ग़लत का फ़ैसला नहीं हो सकता है.

तो सवाल उठता है कि फिर राहुल यदि सही हैं तो मोदी की तरह जनता के दिलों में अपील क्यों नहीं करते? राहुल गांधी का 'हिंदू सच' शराब की दुकान पर बैठकर भजन गाने जैसा क्यों दिखाई देता है? राहुल गांधी सच, प्रेम करुणा, भाईचारा बोलते वक्त इतने ग़ुस्से और आक्रोश में रहते हैं कि ये शब्द अपनी संवेदनाएं खो देते हैं. इसके उलट मोदी जब स्नेह बोलते हैं तो वाणी और चेहरे से स्नेह झलकता है. प्रेम बोलते हैं तो चेहरा मुस्कुराता दिखता है.

मोदी का हिंदू राज एक श्रेष्ठ भारत की भावना भरता है जिसमें गर्व की अनुभूति होती है मगर राहुल का हिंदू राज चाकू और पीछे से वार की हिंसक भंगिमा लिए दिखाई दे रहा है. राहुल गांधी के पास ह्यूमर बिल्कुल नहीं है. भाषण में भावनाओं के आरोह-अवरोह का भारी अभाव है.

इसके लिए मोदी विरोधी मोदी को नेता नहीं बल्कि अभिनेता करार देते हैं. मगर क्या नेता की पहली आहर्ता यह नहीं है कि वह अपनी बातों को जनता तक सही तरीक़े से पहुंचा पाए. मोदी देश के मिज़ाज को बेहतर समझते हैं तो इसमें किसी को खीज कर गाली देने की ज़रूरत नहीं है. मोदी जानते हैं कि इस देश की बड़ी आबादी औसत बुद्धि के भावुक है इसलिए दिल में उतरने की कोशिश करते हैं.

जबकि राहुल उम्मीद करते हैं कि भारत की जनता उनकी बातों को दिमाग़ लगाकर समझे. राहुल जनता को यह समझाने की कोशिश करते नज़र आते हैं कि हिंदुत्ववादी देश को पीछे ले जा रहे हैं और इन्हें विकास से कोई मतलब नहीं है. तब प्रधानमंत्री विकास को हिंदुत्व से जोड़ देते हैं और कहते हैं कि हम काशी का पुनरुत्थान कर रहे हैं तो समुद्र में ऑप्टिकल फ़ाइबर भी जा रहे हैं.

जब वह काशी के मंदिर कॉरिडोर से करतारपुर कॉरिडोर और हेमकुंड साहिब का ज़िक्र करते हैं तो समझना चाहिए कि उनके हिंदुत्ववादी ज़ेहन में पंजाब की सत्ता भी है. जबकि राहुल मंच से नदारद पंजाब सीएम चन्नी को वहीं मानकर पुकारते नजर आते हैं. राहुल गांधी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जयपुर और बनारस में तय कर दिया है- एजेंडा अब हार्ड हिन्दूत्व और सॉफ़्ट हिंदुत्व नहीं है बल्कि असली और नक़ली हिन्दू दर्शन का है.

राहुल गांधी जयपुर के पूरे भाषण में समझाते नज़र आए कि कैसे BJP का हिंदुत्व देश को तोड़ने वाला है, तो बनारस में काशी मंदिर से खड़े होकर नरेंद्र मोदी पूरे देश के मंदिरों का नाम लेकर उनको जोड़कर यह समझाने में लगे रहे कैसे धर्म के ज़रिए ही यह देश एक सूत्र में बंधा हुआ है. किसके साथ सच है और किसकी बातों में कितना दम है यह कहना आसान नहीं है. क्योंकि कांग्रेस का हिंदू और BJP के हिंदुत्व को समझाने वाले के दम और उसकी बातों की दमदारी में बड़ा अंतर है.

राहुल के समझाने में कमतर होने का मतलब यह नहीं है कि कांग्रेस के विचार में कोई कमी है. असल संकट कांग्रेस के लिए यह है कि वैचारिक मज़बूती से ज़्यादा उन्हें राहुल गांधी की मज़बूती की फिक्र है. जैसे कल राजस्थान के नेताओं से पूछा गया कि राहुल गांधी ने हिन्दू और हिंदुत्व को लेकर जो बोला है उस पर आपको क्या कहना है तो नेताओं का जवाब था कि राहुल गांधी ने जो कहा है वह सही है.

वह यह नहीं बता रहे थे कि क्या सही है और क्या ग़लत है. राहुल गांधी कहते हैं कि हिन्दू सच है, तो कांग्रेसी कहते हैं कि राहुल गांधी ही सच है. तो समझ लीजिए बड़ा संकट है. और जब तक कांग्रेसी यह समझ नहीं पाएंगे या फिर राहुल गांधी इन्हें समझा नहीं पाएंगे तो नरेंद्र मोदी के गंगा में डुबकी के आगे कांग्रेस सुबगती ही नज़र आएगी.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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