• होम
  • सियासत
  • समाज
  • स्पोर्ट्स
  • सिनेमा
  • सोशल मीडिया
  • इकोनॉमी
  • ह्यूमर
  • टेक्नोलॉजी
  • वीडियो
होम
सियासत

सपा के 'गुंडों' का बिगड़ा अंदाज कहीं चुनाव से पहले अखिलेश को महंगा न पड़ जाए!

    • रीवा सिंह
    • Updated: 02 जनवरी, 2022 05:00 PM
  • 02 जनवरी, 2022 04:26 PM
offline
कानपुर का एक वीडियो वायरल हुआ था. कुछ होनहारों ने मोदी की कानपुर रैली के दौरान हंगामा करने की कोशिश की और कोशिश में रंग लाने के लिये कार से तोड़-फोड़ की. कार पर भाजपा का झण्डा लगा था, वीडियो वायरल हुआ तो पार्टी कार्यकर्ता कटघरे में आ गये.

सत्ता का नशा और कुर्सी की लालसा ने राजनीति की जो दुर्गति की है वह किसी से छिपी नहीं है. इसी क्रम में एक और उदाहरण पेश है. मानवीय मूल्यों की बातें करते नेताओं पर अब कम ही भरोसा होता है और हो भी कैसे, कार्यकर्ता जो इतने होनहार हैं. हाल ही में कानपुर का एक वीडियो वायरल हुआ था. कुछ होनहारों ने मोदी की कानपुर रैली के दौरान हंगामा करने की कोशिश की और कोशिश में रंग लाने के लिये कार से तोड़-फोड़ की. कार पर भाजपा का झण्डा लगा था, वीडियो वायरल हुआ तो पार्टी कार्यकर्ता कटघरे में आ गये.

सवालों की बौछारें हुईं. तकनीक बड़ी अजीब चीज़ है, आप पलक झपकते हिट हो जाते हैं. पहले की तरह चप्पलें नहीं घिसनी पड़तीं लेकिन उसी तकनीक ने इन कार्यकर्ताओं को औंधे मुंह गिरा दिया.

कुछ होनहारों ने मोदी की कानपुर रैली के दौरान हंगामा करने की कोशिश की और कोशिश में रंग लाने के लिये कार को भी निशाना बनाया है 

वायरल वीडियो से जो चेहरे सामने आये उन्हें दामाद की तरह ढूंढा गया. पांच कर्मठ योद्धा जब पकड़े गये तो पुलिस ने सांस ली लेकिन यह क्या! ये तो भाजपा के कार्यकर्ता ही नहीं हैं! तो फिर भाजपा का झण्डा लगे कार संग तोड़-फोड़ क्यों कर रहे थे? हीरो बनने वाले ये होनहार हैं कौन? जवाब है - अखिलेश भैया की समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता.

अब सवालों का मुख भाजपा से सपा की ओर घूम गया. सपा कार्यकर्ता तोड़-फोड़ कर क्यों रहे थे, पहली बात. दूसरी बात यह कि कार्यकर्ताओं ने अनुशासन की घुट्टी पी रखी हो ऐसा कहीं नहीं लिखा लेकिन गुंडागर्दी ही करनी थी तो अपने नाम पर करते, भाजपा के नाम पर क्यों? छवि-निर्मिति हेतु? ब्राण्ड मैनेजमेंट के पाठ्यक्रम में इसे एक अध्याय के रूप में जोड़ा जाना चाहिए.

नाम में कुछ रखा हो न हो लेकिन धरती पर जो भी आया उसे नाम ज़रूर मिला...

सत्ता का नशा और कुर्सी की लालसा ने राजनीति की जो दुर्गति की है वह किसी से छिपी नहीं है. इसी क्रम में एक और उदाहरण पेश है. मानवीय मूल्यों की बातें करते नेताओं पर अब कम ही भरोसा होता है और हो भी कैसे, कार्यकर्ता जो इतने होनहार हैं. हाल ही में कानपुर का एक वीडियो वायरल हुआ था. कुछ होनहारों ने मोदी की कानपुर रैली के दौरान हंगामा करने की कोशिश की और कोशिश में रंग लाने के लिये कार से तोड़-फोड़ की. कार पर भाजपा का झण्डा लगा था, वीडियो वायरल हुआ तो पार्टी कार्यकर्ता कटघरे में आ गये.

सवालों की बौछारें हुईं. तकनीक बड़ी अजीब चीज़ है, आप पलक झपकते हिट हो जाते हैं. पहले की तरह चप्पलें नहीं घिसनी पड़तीं लेकिन उसी तकनीक ने इन कार्यकर्ताओं को औंधे मुंह गिरा दिया.

कुछ होनहारों ने मोदी की कानपुर रैली के दौरान हंगामा करने की कोशिश की और कोशिश में रंग लाने के लिये कार को भी निशाना बनाया है 

वायरल वीडियो से जो चेहरे सामने आये उन्हें दामाद की तरह ढूंढा गया. पांच कर्मठ योद्धा जब पकड़े गये तो पुलिस ने सांस ली लेकिन यह क्या! ये तो भाजपा के कार्यकर्ता ही नहीं हैं! तो फिर भाजपा का झण्डा लगे कार संग तोड़-फोड़ क्यों कर रहे थे? हीरो बनने वाले ये होनहार हैं कौन? जवाब है - अखिलेश भैया की समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता.

अब सवालों का मुख भाजपा से सपा की ओर घूम गया. सपा कार्यकर्ता तोड़-फोड़ कर क्यों रहे थे, पहली बात. दूसरी बात यह कि कार्यकर्ताओं ने अनुशासन की घुट्टी पी रखी हो ऐसा कहीं नहीं लिखा लेकिन गुंडागर्दी ही करनी थी तो अपने नाम पर करते, भाजपा के नाम पर क्यों? छवि-निर्मिति हेतु? ब्राण्ड मैनेजमेंट के पाठ्यक्रम में इसे एक अध्याय के रूप में जोड़ा जाना चाहिए.

नाम में कुछ रखा हो न हो लेकिन धरती पर जो भी आया उसे नाम ज़रूर मिला है. सो, इन होनहारों के नाम हैं - चिन केसरवानी, अंकर पटेल, अंकेश यादव, सुकान्त शर्मा और सुशील राजपूत. कोई जातिगत भेदभाव नहीं है, निकृष्टता में सब अव्वल हैं. अब समाजवादी पार्टी ने इनपर कार्रवाई करते हुए इन पांचों को निष्कासित कर दिया है. पुलिस अन्य उपद्रवियों की तलाश में है.

ये भी पढ़ें -

योगी आदित्यनाथ के मुख्य सचिव कहीं अरविंद शर्मा जैसी नयी मुसीबत तो नहीं

बीआर आंबेडकर से वामन मेश्राम तक, जिन्होंने गांधी को महात्मा नहीं माना

सऊदी विदेश मंत्री के आगे हेकड़ी करना शाह महमूद को भारी पड़ना ही था...

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

ये भी पढ़ें

Read more!

संबंधि‍त ख़बरें

  • offline
    अब चीन से मिलने वाली मदद से भी महरूम न हो जाए पाकिस्तान?
  • offline
    भारत की आर्थिक छलांग के लिए उत्तर प्रदेश महत्वपूर्ण क्यों है?
  • offline
    अखिलेश यादव के PDA में क्षत्रियों का क्या काम है?
  • offline
    मिशन 2023 में भाजपा का गढ़ ग्वालियर - चम्बल ही भाजपा के लिए बना मुसीबत!
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.

Read :

  • Facebook
  • Twitter

what is Ichowk :

  • About
  • Team
  • Contact
Copyright © 2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today.
▲