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43 डिग्री तापमान में सचिन पायलट की यात्रा के सियासी मायने क्या हैं?

    • शरत कुमार
    • Updated: 12 मई, 2023 05:36 PM
  • 12 मई, 2023 05:36 PM
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सचिन पायलट अभी निर्णय लेने वाले पद पर नहीं रहे हैं. इसलिए टेस्टेड नहीं है. उपमुख्यमंत्री के रूप में काम काज की तारीफ होती है. ईमानदार नेता की छवि रही है. अगर, सचिन पायलट को निकाला जाता है तो उस सहानुभूति में राजस्थान में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता है.

सचिन पायलट 43 डिग्री तापमान में अजमेर-जयपुर हाईवे पर कोलतार की सड़कों पर जला देने वाली धूप में जयपुर की ओर निकल पड़ें हैं? लोग पूछ रहे हैं नजरों में जयपुर है क्या? जिस तरह से इस आग बरसाती गर्मी में बड़ी संख्या में लोग पायलट के साथ पदयात्रा पर निकले हैं ये कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी हो सकती है. पायलट सुबह 1.10 पर जयपुर से अकेले ट्रेन से अजमेर के लिए निकले. 12 बजे अजमेर पहुंचते हीं कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया. फिर एक बजे सभा स्थल पर आए तो पहले वसुंधरा राजे सरकार के भ्रष्टाचार पर बरसे और फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खुद के ऊपर लगाए आरोपों पर कहा मेरे राजनैतिक जीवन में एक फूटी कौड़ी का भी आरोप कोई नहीं लगा सकता है. उसके बाद पेपरलीक और बजरी के मसले पर अशोक गहलोत का नाम लिए बिना जमकर प्रहार किया.

सचिन पायलट ने संदेश दे दिया है कांग्रेस या अशोक गहलोत का उन्हें कमज़ोर समझना एक बड़ी और भारी भूल है

पूरे रास्ते में सभी जाति के लोगों का हूजुम सड़कों पर दिखाई दे रहा था. लोग अपने पैसे और साधनों से आ रहे थे. हर जगह पानी और शरबत के स्टाल लगे थे. एक जगह तो टनों वजनी माला क्रेन से पहनाई गई. लोग कह रहे हैं कि पायलट का प्लान क्या है?

-वो कांग्रेस आलाकमान को अपनी ताकत और लोकप्रियता का अहसास कराना चाहते हैं ताकि पार्टी में उनका कोई रोल तय हो.

-पायलट की पहली प्राथमिकता कांग्रेस में बने रहने की है. सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से हस्तक्षेप की उम्मीद कर रहे हैं.

-कांग्रेस से चाहते हैं अशोक गहलोत के हर सभा और मंच पर पायलट पर बीजेपी से पैसा लेने और सरकार गिराने की साजिश लगाने के सिलसिले को रोका जाए. पायलट जब बोलते हैं तो गहलोत के खिलाफ बोला यह तो चर्चा होती है मगर गहलोत लगातार रोजाना पायलट पर आरोप लगाते हैं...

सचिन पायलट 43 डिग्री तापमान में अजमेर-जयपुर हाईवे पर कोलतार की सड़कों पर जला देने वाली धूप में जयपुर की ओर निकल पड़ें हैं? लोग पूछ रहे हैं नजरों में जयपुर है क्या? जिस तरह से इस आग बरसाती गर्मी में बड़ी संख्या में लोग पायलट के साथ पदयात्रा पर निकले हैं ये कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी हो सकती है. पायलट सुबह 1.10 पर जयपुर से अकेले ट्रेन से अजमेर के लिए निकले. 12 बजे अजमेर पहुंचते हीं कार्यकर्ताओं ने भव्य स्वागत किया. फिर एक बजे सभा स्थल पर आए तो पहले वसुंधरा राजे सरकार के भ्रष्टाचार पर बरसे और फिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खुद के ऊपर लगाए आरोपों पर कहा मेरे राजनैतिक जीवन में एक फूटी कौड़ी का भी आरोप कोई नहीं लगा सकता है. उसके बाद पेपरलीक और बजरी के मसले पर अशोक गहलोत का नाम लिए बिना जमकर प्रहार किया.

सचिन पायलट ने संदेश दे दिया है कांग्रेस या अशोक गहलोत का उन्हें कमज़ोर समझना एक बड़ी और भारी भूल है

पूरे रास्ते में सभी जाति के लोगों का हूजुम सड़कों पर दिखाई दे रहा था. लोग अपने पैसे और साधनों से आ रहे थे. हर जगह पानी और शरबत के स्टाल लगे थे. एक जगह तो टनों वजनी माला क्रेन से पहनाई गई. लोग कह रहे हैं कि पायलट का प्लान क्या है?

-वो कांग्रेस आलाकमान को अपनी ताकत और लोकप्रियता का अहसास कराना चाहते हैं ताकि पार्टी में उनका कोई रोल तय हो.

-पायलट की पहली प्राथमिकता कांग्रेस में बने रहने की है. सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से हस्तक्षेप की उम्मीद कर रहे हैं.

-कांग्रेस से चाहते हैं अशोक गहलोत के हर सभा और मंच पर पायलट पर बीजेपी से पैसा लेने और सरकार गिराने की साजिश लगाने के सिलसिले को रोका जाए. पायलट जब बोलते हैं तो गहलोत के खिलाफ बोला यह तो चर्चा होती है मगर गहलोत लगातार रोजाना पायलट पर आरोप लगाते हैं लेकिन कांग्रेस आलाकमान रोक नहीं लगाता है.

-कांग्रेस अगर कोई घास नहीं डालती है तो अपनी पार्टी बनाएं और इस चुनाव में कांग्रेस को हराकर 2028 तक अपनी पार्टी खड़ी कर सरकार बनाएं. हनुमान बेनीवाल और किरोड़ी लाल मीणा के अलावा दलित नेता चंद्रशेखर को साथ लिया जाए.

-हालात बनते हैं तो बीजेपी में जाएं मगर वसुंधरा राजे ऐसा होने नहीं देंगी, बीजेपी के अंदर झगड़ा शुरू हो जाएगा.

अजमेर से जयपुर 125 किलोमीटर दूर है मगर, सत्ता तक पहुंचने के लिए राजनैतिक वक्त काफी लगने वाला है. राजनीति में ये दूरी सालों की हो सकती है. इस पदयात्रा में पायलट की दिवानगी हर तरफ दिख रही है. कोई पायलट की टीशर्ट पहना है तो कोई शरीर पर पायलट लिखवा रखा है. सचिन पायलट इसलिए जा रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस की राजनीति में बेचारे बना दिए गए हैं. सचिन पायलट छोटे बच्चे के साथ मिलते हुए अपने पोस्ट पर लिखते हैं--  इन आंखों के सपने हजार है. दिल में हैं अनेकों उम्मीदें, इनके सुनहरे भविष्य के निर्माण के लिए, हम तत्पर है, तैयार हैं.

पायलट की सभाओं में भीड़ की वजह क्या है?

-कांग्रेस में पेपरलीक के मसले और बेरोजगारी की वजह से युवा वर्ग गहलोत सरकार से नाराज है.

-पायलट को लेकर लोगों में एक उम्मीद है. पढ़े लिखे नई पीढ़ी के नौजवान नजर आते हैं तो कभी खराब बयानबाजी नहीं करते हैं. महिलाओं और बच्चों में भी लोकप्रिय है.

-कांग्रेस में एक बड़ा वर्ग मौजूदा सत्ता से नाराज है उसे पायलट से आस दिखती है. इसीलिए कांग्रेस में करीब 25 विधायकों और मंत्रियों का अब भी समर्थन है. इसके अलावा नीचे के कार्यकरताओं और गहलोत के द्वारा किनारे किए गए वरिष्ठ नेतओं का समर्थन रहा है.

-पायलट के पास बड़ा जातीय आधार है और मीणा-जाट जैसी जातियों का भरपूर समर्थन है. पिता रजेश पायलट की विरासत और नाम का साथ है.

-पायलट अभी निर्णय लेनेवाले पद पर नही रहे हैं. इसलिए टेस्टेड नही है. उपमुख्यमंत्री के रूप में काम काज की तारीफ होती है...ईमानदार नेता की छवि रही है.

भले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत खुश हो जाएं कि पांव का कांटा निकला मगर, कांग्रेस के लिए अच्छी खबर नहीं है, कांग्रेस के लिए शुभ खबर नहीं है. गांधी परिवार के बाहर कद्दावर नेता हैं, सचिन पायलट ! अगर, सचिन पायलट को निकाला जाता है तो उस सहानुभूति में कांग्रेस को बड़ा नुकसान हो सकता हैं. और इनके अलावा कोई नेता दिख भी नहीं रहा है. जो भारतीय राजनीति में हर जगह पर जाकर जो कांग्रेस पार्टी का प्रचार कर सके.

कर्नाटक में जब स्टार प्रचारक की सूची में सचिन पायलट को नहीं रखा गया था, तो ऐसा कहा गया था कि कांग्रेस को ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस को पता लगा चुका है कि शायद सचिन पायलट किसी ऐजेंसी के संपर्क में हैं. मगर, सचिन पायलट वाकई कांग्रेस छोड़ना चाह रहे हैं या कुछ भी नहीं मिल रह हैं तो विकल्पहीन हो गए हैं ? जनसंघर्ष यात्रा के जो भी वीडियो जारी किया है उसमे, उनकी लाचारी दिखती है कि मैं यहां क्या करूं ?

कब तक बैठे बैठे सिविलाइंस के अपने आवास ने टीवी देखता रहूं कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहां - कहां जा रहे हैं और क्या क्या बोल रहे हैं ? कोई सुननेवाला नहीं है तो मैं कब तक अपनी राजनैतिक हत्या करवाऊं.

इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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