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पाकिस्तान में पुलिस का फौज-आईएसआई के खिलाफ मोर्चा खोलना इमरान खान की तबाही है

    • रमेश ठाकुर
    • Updated: 23 अक्टूबर, 2020 03:49 PM
  • 23 अक्टूबर, 2020 03:49 PM
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पाकिस्तान (Pakistan) में प्रधानमंत्री इमरान खान के ऊपर संकट के बादल गहरा गए हैं. मुल्क के हालात ख़राब हैं. पुलिस, सेना (Pakistan Army) और आईएसआई के खिलाफ आ गयी है पाकिस्तान की राजनीति में जैसे समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं इमरान खान (PM Imran Khan) की गद्दी किसी भी क्षण जा सकती है.

पाकिस्तान (Pakistan) कमाल का पड़ोसी देश है, जो किसी मुल्क में नहीं होता, वो वहां होता है. पाकिस्तान इस वक्त जिस आग में झुलसा हुआ है, वह आग सियासी नहीं, बल्कि कुछ और है? हालात ऐसे बन गए हैं कि अब सुरक्षा के लोग ही आपस में बगावत पर उतर आए हैं. दोनों ओर से तड़ातड़ गोलियां बरसाई जा रही हैं. मौजूदा इमरान सरकार मौन है. उनकी मौनता को ललकारते हुए पीएमएल नेता मरियम नवाज (Mariyam Nawaz) ने चूडिंयां भेजने को कह दिया है. बीते एकाध दिनों से पाकिस्तान की सड़कें विद्रोह की लपटों में सुलग रही हैं. ये विद्रोह जनता का नहीं, बल्कि सुरक्षा सिस्टम से जुड़े लोगों के बीच हो रहा है. राजनीतिक दलों के लोगों को तो हमने सार्वजनिक रूप से चाक-चैहराहों, गली, सड़कों आदि जगहों पर लड़ते देखा था, लेकिन ऐसा पहली मर्तबा देखने को मिल रहा है जब सुरक्षा से जुड़ा अमला ही आमने-सामने आकर एक दूसरे के खून का प्यासा है. कराची (Karachi) में तीन दिनों से सिंध पुलिस (Sindh Police) ने अपनी सेना और आईएसआई के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. मोर्चे की आड़ में भारी विद्रोह है. फ़ायरिंग, आगजनी और जमकर तोड़ फोड़ हो रही है.

पाकिस्तान में हालात बद से बदतर हैं जो किसी भी वक़्त इमरान खान की गद्दी छीन सकते हैं

पुलिस का विद्रोह जब पाकिस्तानी सेना के बर्दाश्त से बाहर हुआ तो फ़ायरिंग करनी शुरू कर दी जिसमें सिंध पुलिस के दर्जन भर से ज्यादा पुलिस अधिकारी मारे गए. तनातनी के बाद पुलिस के कुछ बड़े अधिकारी को आईएसआई ने जबरन कैद कर लिया, जिससे पुलिस विभाग और भड़क गया, पाकिस्तान के लोग इस वक्त तीन धड़ों में बटें हुए हैं. कुछ पुलिस के पक्ष में हैं, तो कुछ सेना और आईएसआई के समर्थन में.

मध्यम और गरीब वर्ग पुलिस के साथ है.आतंकियों के समर्थक लोग सेना-आईएसआई का साथ दे रहे हैं. कराची की सड़कों पर आधी रात के समय...

पाकिस्तान (Pakistan) कमाल का पड़ोसी देश है, जो किसी मुल्क में नहीं होता, वो वहां होता है. पाकिस्तान इस वक्त जिस आग में झुलसा हुआ है, वह आग सियासी नहीं, बल्कि कुछ और है? हालात ऐसे बन गए हैं कि अब सुरक्षा के लोग ही आपस में बगावत पर उतर आए हैं. दोनों ओर से तड़ातड़ गोलियां बरसाई जा रही हैं. मौजूदा इमरान सरकार मौन है. उनकी मौनता को ललकारते हुए पीएमएल नेता मरियम नवाज (Mariyam Nawaz) ने चूडिंयां भेजने को कह दिया है. बीते एकाध दिनों से पाकिस्तान की सड़कें विद्रोह की लपटों में सुलग रही हैं. ये विद्रोह जनता का नहीं, बल्कि सुरक्षा सिस्टम से जुड़े लोगों के बीच हो रहा है. राजनीतिक दलों के लोगों को तो हमने सार्वजनिक रूप से चाक-चैहराहों, गली, सड़कों आदि जगहों पर लड़ते देखा था, लेकिन ऐसा पहली मर्तबा देखने को मिल रहा है जब सुरक्षा से जुड़ा अमला ही आमने-सामने आकर एक दूसरे के खून का प्यासा है. कराची (Karachi) में तीन दिनों से सिंध पुलिस (Sindh Police) ने अपनी सेना और आईएसआई के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. मोर्चे की आड़ में भारी विद्रोह है. फ़ायरिंग, आगजनी और जमकर तोड़ फोड़ हो रही है.

पाकिस्तान में हालात बद से बदतर हैं जो किसी भी वक़्त इमरान खान की गद्दी छीन सकते हैं

पुलिस का विद्रोह जब पाकिस्तानी सेना के बर्दाश्त से बाहर हुआ तो फ़ायरिंग करनी शुरू कर दी जिसमें सिंध पुलिस के दर्जन भर से ज्यादा पुलिस अधिकारी मारे गए. तनातनी के बाद पुलिस के कुछ बड़े अधिकारी को आईएसआई ने जबरन कैद कर लिया, जिससे पुलिस विभाग और भड़क गया, पाकिस्तान के लोग इस वक्त तीन धड़ों में बटें हुए हैं. कुछ पुलिस के पक्ष में हैं, तो कुछ सेना और आईएसआई के समर्थन में.

मध्यम और गरीब वर्ग पुलिस के साथ है.आतंकियों के समर्थक लोग सेना-आईएसआई का साथ दे रहे हैं. कराची की सड़कों पर आधी रात के समय भी लोग प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी सेना के खिलाफ हाय-हाय के नारे लगा रहे हैं. इमरान खान का झुकाव फिलहाल सेना की ही और है. सभी को पता है कि पाकिस्तान की हुक़ूमत बिना सेना-आईएसआई के बिना नहीं चल सकती. वहां का प्रधानमंत्री सेना-आईएसआई का पुतला मात्र होता है.

कोई भी फैसला उनके इजाज़त के बिना नहीं ले सकता. अगर कोई जुर्रत भी करता है तो वहां की फौज सरकार का तख्तापलट करने में देर नहीं करती. इसलिए ना चाहते हुए भी इमरान खान पुलिस का पक्ष नहीं ले पा रहे. इमरान के इस रवैये से माहौल और गरमा गया है. कुल मिलाकर इमरान खान सरकार इस वक्त चारों तरफ से घिर चुकी है. हिंदुओं का धर्मांतरण का मसला भी गर्म है.

धर्मांंतरण को लेकर पिछले माह सरकार ने सीनेटर अनवारूल हक काकर की अध्यक्षता में एक आयोग गठित किया था जिसे हिंदुओं का धर्मांतरण की सच्चाई की जांच करनी थी. परसों आयोग ने अपनी रिपोर्ट सार्वजनिक की तो सरकार घिर गई. आयोग की जांच में खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान में हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन किया जाता है. वहां लंबे समय से चले रहे अत्याचार और धर्मांतरण के मामले पर अब पाकिस्तान संसद ने भी मुहर लगा दी है.

संसदीय समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक होने के बाद पाकिस्तान के हिंदु संगठनों ने भी सरकार के खिलाफ हंगामा काटना शुरू कर दिया है. पाकिस्तान के सिंध इलाके में बीते एकाध वर्षों में सबसे ज्यादा धर्मांतरण के केस दर्ज हुए. जहां हिंदु लड़कियों को जबरन मुस्लिम बनाया गया. संसार भर में पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क है जहां मानव अधिकारों का खुले आम अलंघन होता है इसकी ताजा तस्वीर बीते मंगलवार को कराची में देखने को मिली.

सेना के खिलाफ नारेबाज़ी कर रही महिलाओं और बच्चों पर सेना ने बख्तरबंद वाहन चढ़ दिए जिसमें कई बच्चों और महिलाएं कुचल कर मर गईं. घायलों को अस्पतालों में भी भर्ती नहीं कराया गया. बच्चों ने तड़फ-तड़फ कर दम तोड़े दिए. पुलिस-सेना के बीच फैले विद्रोह में समूचा पाकिस्तान जल रहा है. शाॅपिंग माॅल, दुकानें, स्कूल-काॅलेज, सिनेमा हाॅल, बाजारें सभी बंद हैं. सेना के सिंध पुलिस पर गोलियां चलाने के बाद कराची में भीड़ इस कदर उग्र है जिसे सरकार को संभालना मुश्किल होता जा रहा है.

वहां की मीडिया पर भी सेना ने कब्ज़ा कर लिया है ताकि उनके खिलाफ कोई खबर बाहर न जा सके. सेना की समीक्षा के बिना कोई भी मीडिया हाउस खबर प्रसारित नहीं कर सकता। कुछ पत्रकारों को भी हिरासत में लिया गया है. पाकिस्तान के मौजूदा हालात पर भारत सरकार की भी पैनी नजर बनीं हुई है. इस्लामाबाद स्थिति अपने दूतावास के अधिकारियों और कर्मचारियों का अलर्ट पर रहने को कह दिया है.

दरअसल, बुधवार को वहां माहौल और खराब हो गया, जब सेना और सिंध पुलिस के बीच क्रॉस फ़ायरिंग में बड़ी संख्या में पाक सेना के जवानों की मौत हुई. पुलिस की एकजुटता को देखते हुए आईएसआई और फौज के हाथ पावं फूले हुए हैं. पूरे पाकिस्तान की पुलिस फौज के खिलाफ अंतिम लड़ाई के लिए कमर कस चुकी है. नवाज शरीफ के दामाद की अरेस्टिंग के बाद भी स्थिति बे काबू में है. उनके समर्थक भी इमरान सरकार के खिलाफ सड़कों पर हैं.

सेना-पुलिस के बीच उग्र आंदोलन लंबा चलेगा. संगर, घोटकी, सक्कर, खैरपुर, पूरनपुर, मीरपुर खास, और खैबर पख्तूनख्वा ऐसे क्षेत्र ग्रामीण और कस्बाई आबादी हैं जहां के लोग पुलिस का खुलकर साथ दे रहे हैं. महिलाएं, बच्चे, बूढे सभी लोग रातों में भी सड़कों पर हैं. चारों तरफ सेना और पुलिस के बीच फायरिंग हो रही है बावजूद इसके लोग डटे हुए हैं. सेना की फ़ायरिंग में सिंध पुलिस के दस टाॅप पुलिस अधिकारी मारे जाने के बाद आम पाकिस्तानियों में भयंकर आक्रोश उत्पन्न है.

कराची की सड़कों पर आधी रात तक लोग तोड़ फोड़, आगजनी करते रहे. गुस्साए लोग सेना प्रमुख बाजवा के भाई के आलीशान शॉपिंग मॉल में भी आगजनी कर दुकानों में तोड़ फोड़ की. फैले विद्रोह को शांत कराने के लिए इमरान खाने चीन का सहयोग मांगा है. लेकिन चीन ने अंदरूनी मसला कहके अपना पल्लाझाड़ लिया है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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