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महाराष्ट्र की राजनीति में भी BJP 'कर्नाटक' मोड़ तक पहुंच चुकी है!

    • आईचौक
    • Updated: 24 नवम्बर, 2019 04:27 PM
  • 24 नवम्बर, 2019 04:27 PM
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सुप्रीम कोर्ट से तत्काल फ्लोर टेस्ट को लेकर कोई आदेश न मिलने के बाद महाराष्ट्र में BJP सहित सारे राजनीक दल एक्टिव हो गये हैं. NCP अध्यक्ष शरद पवार ने तो उद्धव ठाकरे को भरोसा दिलाने के लिए विधायकों की परेड ही करा डाली है.

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मामले में फ्लोर टेस्ट को लेकर कोई आदेश तो नहीं जारी किया लेकिन सभी पक्षों को नोटिस देकर जवाब जरूर मांगा है. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर तक की मोहलत दी है.

महाराष्ट्र में बनी देवेंद्र फडणवीस सरकार को लेकर अदालत में काफी दिलचस्प बहस तो हुई ही - NCP विधायक दल के नये नेता जयंत पाटील ने राज्यपाल से मिलकर विधायकों के हस्ताक्षर वाला एक नया पत्र सौंपा है.

22 घंटे बड़े महत्वपूर्ण हैं

महाराष्ट्र का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाने के बाद 22 घंटे का वक्त काफी महत्वपूर्ण हो गया है. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है. मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस खन्ना की पीठ ने अदालत में मौजूद पक्षों को सुनने के बाद करीब 12.30 बजे सुनवाई की नयी तारीख अगले दिन 25 नवंबर को 10.30 बजे मुकर्रर की - और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार का पक्ष और राज्यपाल का पत्र पेश करने को कहा.

बीजेपी और कुछ निर्दलीय विधायकों की तरफ से पेश सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने बोले - 'राज्यपाल के अधिकार पर सवाल नहीं हो सकता. अनुच्छेद 361 में उन्हें छूट है, राज्यपाल और राष्ट्रपति को विषेशाधिकार है.'

पीठ के सदस्य जस्टिस रमना ने कहा, 'मिस्टर रोहतगी, सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे को सेटल कर चुका है. राज्यपाल किसी को भी मुख्यमंत्री के पद का शपथ नहीं दिला सकता है.'

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद युद्ध स्तर पर जुटे सभी राजनीतिक दल

मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में रविवार को सुनवाई पर भी सवाल उठाये, हालांकि, 2018 में कर्नाटक के मामले...

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र के मामले में फ्लोर टेस्ट को लेकर कोई आदेश तो नहीं जारी किया लेकिन सभी पक्षों को नोटिस देकर जवाब जरूर मांगा है. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बहुमत साबित करने के लिए 30 नवंबर तक की मोहलत दी है.

महाराष्ट्र में बनी देवेंद्र फडणवीस सरकार को लेकर अदालत में काफी दिलचस्प बहस तो हुई ही - NCP विधायक दल के नये नेता जयंत पाटील ने राज्यपाल से मिलकर विधायकों के हस्ताक्षर वाला एक नया पत्र सौंपा है.

22 घंटे बड़े महत्वपूर्ण हैं

महाराष्ट्र का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच जाने के बाद 22 घंटे का वक्त काफी महत्वपूर्ण हो गया है. शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया है. मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस खन्ना की पीठ ने अदालत में मौजूद पक्षों को सुनने के बाद करीब 12.30 बजे सुनवाई की नयी तारीख अगले दिन 25 नवंबर को 10.30 बजे मुकर्रर की - और सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार का पक्ष और राज्यपाल का पत्र पेश करने को कहा.

बीजेपी और कुछ निर्दलीय विधायकों की तरफ से पेश सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने बोले - 'राज्यपाल के अधिकार पर सवाल नहीं हो सकता. अनुच्छेद 361 में उन्हें छूट है, राज्यपाल और राष्ट्रपति को विषेशाधिकार है.'

पीठ के सदस्य जस्टिस रमना ने कहा, 'मिस्टर रोहतगी, सुप्रीम कोर्ट पहले ही इस मुद्दे को सेटल कर चुका है. राज्यपाल किसी को भी मुख्यमंत्री के पद का शपथ नहीं दिला सकता है.'

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद युद्ध स्तर पर जुटे सभी राजनीतिक दल

मुकुल रोहतगी ने सुप्रीम कोर्ट में रविवार को सुनवाई पर भी सवाल उठाये, हालांकि, 2018 में कर्नाटक के मामले में तो आधी रात को ही सुनवाई हुई थी. मुकुल रोहतगी ने एक सवाल और उठाया कि सीधे सुप्रीम कोर्ट आने की जगह ये लोग पहले हाई कोर्ट क्यों नहीं गये? तुषार मेहता ने भी ये सवाल उठाया था.

देवेंद्र फडणवीस के सरकार बनाने को चैलेंज कर रहे वकीलों को तो इंतजार रहा कि सुप्रीम कोर्ट फौरन फ्लोर टेस्ट के लिए कोई आदेश जारी करे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. सुप्रीम कोर्ट में शिवसेना की तरफ से कपिल सिब्बल और NCP की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी की दलीलों के खिलाफ सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और बीजेपी विधायकों की तरफ से मुकुल रोहतगी ने बहस की. बहस काफी दिलचस्प रही और ऐसा लगा जैसे बचाव पक्ष की पूरी कोशिश जैसे भी संभव हो ज्यादा से ज्यादा वक्त लेने की रही.

चल क्या रहा है?

सुप्रीम कोर्ट से थोड़ी मोहलत मिल जाने के बाद महाराष्ट्र की राजनीति से जुड़े सभी दल एक्टिव हो गये हैं. बीजेपी ने विधायकों की मीटिंग बुलायी है. तेजी से बदलते घटनाक्रम में डिप्टी सीएम अजित पवार काफी कमजोर नजर आने लगे हैं. NCP विधायक दल के नये नेता जयंत पाटील राजभवन भी पहुंचे. अजित पवार को विधायक दल के नेता से हटा कर जयंत पाटील को नया नेता बनाया गया है.

NCP विधायक दल के नये नेता जयंत पाटील ने 51 विधायकों के समर्थन का दावा किया है. पाटील ने 51 विधायकों के हस्ताक्षर वाल एक पत्र भी राजभवन में दे दिया है. जयंत पाटील का कहना है कि विधायकों की लिस्ट में अजित पवार का भी नाम है, लेकिन उनकी दस्तखत नहीं है.

जयंत पाटील ने ये भी कहा कि वो अजित पवार से मुलाकात कर मनाने की कोशिश करेंगे. पता चला है कि शरद पवार और सुप्रिया सुले ने अजित पवार के भाई श्रीनिवास से इस सिलसिले में बात की है. पार्टी नेतृत्व की कोशिश है कि अजित पवार डिप्टी सीएम के पद से इस्तीफा दे दें.

पहले अजित पवार को विधायक दल के नेता पद से हटाना और फिर विधायक दल के नये नेता का राजभवन पहुंचकर विधायकों के हस्ताक्षर वाला पत्र सौंपना - ये सब एनसीपी के अपना पक्ष मजबूत करने की कवायद लगती है.

फिर भी सवाल उठता है कि जब 49 ही विधायक शरद पवार के पास लौटे हैं तो 51 ने हस्ताक्षर कैसे कर दिये? एनसीपी की तरफ से अभी तक 49 विधायकों के लौट आने और दो के संपर्क में होने का दावा किया गया है.

ये सब मैनेज करने के अलावा शरद पवार अपने विधायकों से भी मिल कर उनसे बात कर रहे हैं और कोशिश है कि नये नवेले महागठबंधन में भी भरोसा बना रहे. कांग्रेस ने तो शरद पवार पर भी उंगली उठा ही दी थी. बाद में कांग्रेस नेता थोड़े नरम पड़े.

शरद पवार अपने विधायकों की उद्धव ठाकरे के सामने कुछ कुछ वैसे ही परेड करा रहे हैं जैसे अक्सर राज्यपाल या राष्ट्रपति के सामने राजनीतिक दल कराते हैं. इस बीच एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक ने एक दिलचस्प ट्वीट किया है -

चौंकाने वाला एक दावा भी एनसीपी की तरफ से हुआ है. NCP नेता जितेंद्र आव्हाड का दावा है कि बीजेपी के राज्यसभा सांसद संजय काकडे उनकी पार्टी में में शामिल हो रहे हैं. जितेंद्र आव्हाड के ये बयान देने से कुछ ही देर पहले संजय काकडे ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी, लेकिन पूछे जाने पर निजी मुलाकात बताया था.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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