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बिहार में एनडीए की एकजुटता बनाम महागठबंधन का बिखराव

    • सुजीत कुमार झा
    • Updated: 25 मार्च, 2019 07:15 PM
  • 25 मार्च, 2019 07:13 PM
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एक तरफ एनडीए पूरी तरह से एकजुट है. वहीं दूसरी ओर महागठबंधन के भीतर सिर-फुटव्वल है. महागठबंधन के सहयोगी दल में ही नहीं बल्कि आरजेडी-कांग्रेस के भीतर भी सीटों को लेकर काफी विवाद है. कांग्रेस की स्थिति तो और भी खराब है.

बिहार में चुनावी बिसात बिछ चुकी है. यहां सीधा मुकाबला एनडीए और महागबंधन के के बीच है. एनडीए ने अपने 40 में से 39 उम्मीदवारों को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है लेकिन महागबंधन को अपने पहलवानों को उतारने में भारी मगजमारी करनी पड रही है. महागठबंधन ने अब तक 9 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है. वामदलों ने महागबंधन में जगह नहीं मिलने के बाद कई लोकसभा क्षेत्रों मे अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. आरजेडी से निष्कासित सांसद पप्पू यादव ने भी ऐलान किया है कि वो मधेपुरा और पूर्णिया से चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में बीजेपी विरोधी वोटों का बंटना बिहार में तय माना जा रहा है.

अब तक की जो स्थिति है उससे यही कहा जा सकता है कि एक तरफ एनडीए पूरी तरह से एकजुट है. वहीं दूसरी ओर महागठबंधन के भीतर सिर-फुटव्वल है. महागठबंधन के सहयोगी दल में ही नहीं बल्कि आरजेडी-कांग्रेस के भीतर भी सीटों को लेकर काफी विवाद है. कांग्रेस की स्थिति तो और भी खराब है. औरंगाबाद के अलावा कई अन्य सीटों को लेकर कांग्रेस के नेता खुलकर प्रदेश नेतृत्व पर आरोप लगा रहे हैं. दो चरणों के लिए नामांकन की प्रक्रिया जारी है लेकिन कांग्रेस की स्थिति ऐसी है कि अभी तक कांग्रेसी दिल्ली दरबार का चक्कर लगा रहे हैं. और दिल्ली से दूसरे चरण के उम्मीदवारों की घोषणा हो रही है.

एकजुट एनडीए लेकिन महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं

महागठबंधन के भीतर सबसे बड़े दल आरजेडी में भी सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है. सीतामढ़ी, उजियारपुर लोकसभा सीट को लेकर खुलकर विवाद सामने आ गया है. सीतामढी सीट पूर्व सांसद सीताराम यादव का टिकट कटने की संभावना से ही उनके समर्थक पिछले दो दिनों से राबड़ी आवास से लेकर प्रदेश कार्यालय तक हंगामा कर रहे हैं. शनिवार को राजद कार्यकर्ताओं नें राबड़ी देवी के आवास पर हंगामा किया था वहीं रविवार को...

बिहार में चुनावी बिसात बिछ चुकी है. यहां सीधा मुकाबला एनडीए और महागबंधन के के बीच है. एनडीए ने अपने 40 में से 39 उम्मीदवारों को चुनावी अखाड़े में उतार दिया है लेकिन महागबंधन को अपने पहलवानों को उतारने में भारी मगजमारी करनी पड रही है. महागठबंधन ने अब तक 9 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है. वामदलों ने महागबंधन में जगह नहीं मिलने के बाद कई लोकसभा क्षेत्रों मे अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं. आरजेडी से निष्कासित सांसद पप्पू यादव ने भी ऐलान किया है कि वो मधेपुरा और पूर्णिया से चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में बीजेपी विरोधी वोटों का बंटना बिहार में तय माना जा रहा है.

अब तक की जो स्थिति है उससे यही कहा जा सकता है कि एक तरफ एनडीए पूरी तरह से एकजुट है. वहीं दूसरी ओर महागठबंधन के भीतर सिर-फुटव्वल है. महागठबंधन के सहयोगी दल में ही नहीं बल्कि आरजेडी-कांग्रेस के भीतर भी सीटों को लेकर काफी विवाद है. कांग्रेस की स्थिति तो और भी खराब है. औरंगाबाद के अलावा कई अन्य सीटों को लेकर कांग्रेस के नेता खुलकर प्रदेश नेतृत्व पर आरोप लगा रहे हैं. दो चरणों के लिए नामांकन की प्रक्रिया जारी है लेकिन कांग्रेस की स्थिति ऐसी है कि अभी तक कांग्रेसी दिल्ली दरबार का चक्कर लगा रहे हैं. और दिल्ली से दूसरे चरण के उम्मीदवारों की घोषणा हो रही है.

एकजुट एनडीए लेकिन महागठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं

महागठबंधन के भीतर सबसे बड़े दल आरजेडी में भी सबकुछ ठीक-ठाक नहीं है. सीतामढ़ी, उजियारपुर लोकसभा सीट को लेकर खुलकर विवाद सामने आ गया है. सीतामढी सीट पूर्व सांसद सीताराम यादव का टिकट कटने की संभावना से ही उनके समर्थक पिछले दो दिनों से राबड़ी आवास से लेकर प्रदेश कार्यालय तक हंगामा कर रहे हैं. शनिवार को राजद कार्यकर्ताओं नें राबड़ी देवी के आवास पर हंगामा किया था वहीं रविवार को नाराज समर्थकों नें प्रदेश अध्यक्ष के चैंबर में घुसकर जमकर ड्रामा किया. एनडीए को चुनावी अखाड़ा में पटखनी देने के लिए विपक्षी पार्टियों के गोलबंदी की बिहार में हवा निकली हुई है. वामपंथी पार्टियों को महागठबंधन के भीतर भाव नहीं देने की वजह से कई सीटों पर वाम पार्टियां अपना उम्मीदवार उतारेंगी. बेगूसराय से कन्हैया कुमार को सीपीआई ने मैदान में उतार दिया है. इसके अलावे खगडिया से भी पार्टी चुनाव लडने जा रही हैं. मोतिहारी और मधुबनी पर विचार चल रहा है सीपीएम उजियारपुर से चुनाव लड रहा है कि सीपीआईएमएल ने आरा सीट पर आरजेडी के समर्थन के बावजूद पांच जगहों से अपने उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है. ऐसे में बीजेपी विरोधी वोटो का बंटना तो तय है.

जिस तरह से आरजेडी कांग्रेस में सीटों को लेकर विवाद जारी है उससे एक बात स्पष्ट हो गई है कि इस खाई को पाटना इतना आसान नहीं होगा. चुनाव के दरमियान भीतरघात की पूरी संभावना है. औरंगाबाद कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है लेकिन उक्त सीट को हम पार्टी के खाते में डाल दिया गया है. इस निर्णय के खिलाफ कांग्रेस के भीतर उबाल है. उग्र नेताओं ने सदकात आश्रम में प्रदर्शन किया है और कहा है कि इस निर्णय से महागठबंधन को नुकसान होगा. वहीं सीतामढ़ी और उजियारपुर से भी नाराज राजद कार्यकर्ताओं ने पार्टी नेतृत्व को स्पष्ट कर दिया कि अपना निर्णय बदलें या फिर भीतरघात के लिए तैयार रहें.

एनडीए की एकजुटता का प्रमाण इसी से मिलता है कि ये गठबंधन संयुक्त रूप से उम्मीदवारों की घोषणा के बाद अब चुनावी प्रचार की तैयारी में जुटा है. एनडीए के नेता संयुक्त रूप से सभी चालीसों सीटों पर प्रचार के लिए रणनीति बनाने मे जुटे हैं. 28 मार्च के बाद एनडीए नेता बड़े स्तर पर प्रचार शुरू करेंगे. वहीं महागठबंधन के नेता अभी लोकसभा और उस उम्मीदवार का विवाद सुलझाने में ही जुटे हैं. मजे की बात ये है कि बीजेपी विरोधी दल ये भी कह रहे हैं कि बीजेपी विरोधी मतों को बंटने नहीं देंगे लेकिन अपना उम्मीदवार खड़ा करने से बाज नहीं आ रहे हैं. हांलाकि महागठबंधन नेताओं को उम्मीद है कि सबकुछ ठीकठाक हो जायेगा.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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