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'ये पंजाब है भारत नहीं,' स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानियों का खुला खेल फिर शुरू हो गया है!

    • बिलाल एम जाफ़री
    • Updated: 17 अप्रिल, 2023 07:04 PM
  • 17 अप्रिल, 2023 07:04 PM
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तो क्या अमृतसर स्थित गोल्डन टेम्पल का स्टाफ ने मान बैठा है कि पंजाब, भारत का हिस्सा नहीं है? सवाल इसलिए क्योंकि चेहरे पर तिरंगा लगाकर स्वर्ण मंदिर में एंट्री करने वाली लड़की के साथ जो हुआ, उसने गोल्डन टेम्पल के प्रशासन की नीयत पर सवालिया निशान लगा दिए हैं.

हम भारतीयों का घूमने फिरने का शौक किसी परिचय का मोहताज नहीं है. हममें से कई लोग हैं जो बीटिंग रिट्रीट समारोह के लिए अटारी-वाघा सीमा पर जाते हैं. टीवी पर कई ऐसे विजुअल्स और तस्वीरें आई हैं जिनमें हमने अटारी-वाघा सीमा पर जाने वाले लोगों को तिरंगे के टैटू में देखा है. जिक्र घूमने का हुआ है तो तमाम लोग ऐसे भी हैं जिनके यात्रा कार्यक्रम में पहले अटारी वाघा होता है फिर अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर का दर्शन करना। सवाल ये है कि भारत में रहने के बावजूद क्या तिरंगा किसी को अखर सकता है? क्या कोई ऐसा भी है जिसे तिरंगा एक फूटी आंख भी नहीं भाता? शायद आप ये कहें कि जब बात भारत के संदर्भ में हो रही हो तो ऐसा असभव है. लेकिन ऐसा हुआ है और स्वर्ण मंदिर में हुआ है.

जी हां अमृतसर में एक लड़की को गोल्डन टेंपल में प्रवेश करने से रोक दिया गया. बताया जा रहा है कि लड़की ने अपने चेहरे पर तिरंगे का टैटू बनाया हुआ था. घटना का वीडियो भी इंटरनेट पर वायरल हुआ है. यदि उस वीडियो को देखें तो उसमें गुरुद्वारा समिति का कार्यकर्ता लड़की से ये कहते हुए पाया जा रहा है कि ये भारत नहीं पंजाब है. दिलचस्प ये कि जब लड़की और आस पास के लोग गुरूद्वारे में काम करने वाले व्यक्ति को टोकते हैं तो वो और उग्र हो जाता है. सवाल ये है कि क्या गोल्डन टेम्पल के स्टाफ ने भी ये मान लिया है कि पंजाब भारत का हिस्सा नहीं है? कहीं ऐसा तो नहीं कि परिसर को एक बार फिर खालिस्तान समर्थकों ने अपने आगोश में ले लिया है.

स्वर्ण मंदिर में जो लड़की के साथ हुआ है साफ़ बताता है कि एक बार फिर पूरा परिसर खालिस्तानियों की भेंट चढ़ गया है

चूंकि वीडियो सामने आ चुका था इसलिए विवाद का होना लाजमी था. विवाद और गुरूद्वारे के इस रुख पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के जनरल सेक्रेटरी गुरचरण सिंह ग्रेवाल...

हम भारतीयों का घूमने फिरने का शौक किसी परिचय का मोहताज नहीं है. हममें से कई लोग हैं जो बीटिंग रिट्रीट समारोह के लिए अटारी-वाघा सीमा पर जाते हैं. टीवी पर कई ऐसे विजुअल्स और तस्वीरें आई हैं जिनमें हमने अटारी-वाघा सीमा पर जाने वाले लोगों को तिरंगे के टैटू में देखा है. जिक्र घूमने का हुआ है तो तमाम लोग ऐसे भी हैं जिनके यात्रा कार्यक्रम में पहले अटारी वाघा होता है फिर अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर का दर्शन करना। सवाल ये है कि भारत में रहने के बावजूद क्या तिरंगा किसी को अखर सकता है? क्या कोई ऐसा भी है जिसे तिरंगा एक फूटी आंख भी नहीं भाता? शायद आप ये कहें कि जब बात भारत के संदर्भ में हो रही हो तो ऐसा असभव है. लेकिन ऐसा हुआ है और स्वर्ण मंदिर में हुआ है.

जी हां अमृतसर में एक लड़की को गोल्डन टेंपल में प्रवेश करने से रोक दिया गया. बताया जा रहा है कि लड़की ने अपने चेहरे पर तिरंगे का टैटू बनाया हुआ था. घटना का वीडियो भी इंटरनेट पर वायरल हुआ है. यदि उस वीडियो को देखें तो उसमें गुरुद्वारा समिति का कार्यकर्ता लड़की से ये कहते हुए पाया जा रहा है कि ये भारत नहीं पंजाब है. दिलचस्प ये कि जब लड़की और आस पास के लोग गुरूद्वारे में काम करने वाले व्यक्ति को टोकते हैं तो वो और उग्र हो जाता है. सवाल ये है कि क्या गोल्डन टेम्पल के स्टाफ ने भी ये मान लिया है कि पंजाब भारत का हिस्सा नहीं है? कहीं ऐसा तो नहीं कि परिसर को एक बार फिर खालिस्तान समर्थकों ने अपने आगोश में ले लिया है.

स्वर्ण मंदिर में जो लड़की के साथ हुआ है साफ़ बताता है कि एक बार फिर पूरा परिसर खालिस्तानियों की भेंट चढ़ गया है

चूंकि वीडियो सामने आ चुका था इसलिए विवाद का होना लाजमी था. विवाद और गुरूद्वारे के इस रुख पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के जनरल सेक्रेटरी गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने प्रतिक्रिया दी है और किसी भी गलत व्यवहार के लिए माफी मांगी है. साथ ही उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि जिस महिला के कारण विवाद हुआ उसके चेहरे पर बना झंडा देश का तिरंगा नहीं था.

ग्रेवाल ने ये भी कहा कि गोल्डन टेंपल एक सिख धर्मस्थल है और हर धार्मिक स्थान की अपनी मर्यादा होती है. उन्होंने ये भी बताया कि लड़की के चेहरे पर लगा झंडा राष्ट्रीय ध्वज नहीं था क्योंकि उसमें अशोक चक्र नहीं था. ग्रेवाल का मानना है कि झंडा कोई अन्य राजनीतिक झंडा हो सकता है.

इस पूरे मामले में विवाद का विषय झंडा तो है ही. लेकिन जो बात सबसे ज्यादा विचलित करती है वो है स्वर्ण मंदिर के कर्मचारी द्वारा लड़की से ये कहना कि यह भारत नहीं है, यह पंजाब है. सवाल ये है कि आखिर ऐसा कहने की उसकी हिम्मत कैसे हुई? क्यों नहीं उसके दिमाग में कानून का डर आया? क्यों नहीं उसे ऐसा लगा कि ऐसी बांटने वाली बातें कर वो संविधान और लोकतंत्र का उल्लंघन कर रहा है.

हमें इस बात को समझना होगा कि ये कोई छोटा मोटा मसला नहीं है. गोल्डन टेम्प्ल परिसर में जो घटना हुई है वो कोई ऐसी चूक नहीं है जिसे ख़ारिज किया या फिर नकारा जा सके. साफ़ दिख रहा है कि स्वर्ण मंदिर परिसर में ऐसे लोगों की बहुतायत है जो आज भी भारत के प्रति द्वेष रखते हैं. वीडियो में जैसा रवैया गुरद्वारे में काम करने वाले व्यक्ति का रहा कहीं ऐसा तो नहीं कि वो अमृतपाल सिंह या जरनैल सिंह भिंडरांवाला की विचारधारा से प्रभावित है? यदि ऐसा है तो पंजाब पुलिस और विशेषकर सूबे के मुखीया भगवंत मान को इसका न केवल संज्ञान लेना चाहिए बल्कि इस पूरे मामले पर एक्शन लेकर एक नजीर स्थापित करनी चाहिए।

जाते- जाते हम फिर इस बात को दोहराना चाहेंगे कि देश में तमाम लोग हैं जो बीटिंग रिट्रीट समारोह के लिए अटारी-वाघा सीमा पर जाते हैं. और राष्ट्रवाद की भावना के नाते अपने चेहरे पर तिरंगे का टैटू बनवाते हैं. हो सकता है स्वर्ण मंदिर के दर्शन के लिए गयी उस लड़की ने भी ऐसा ही किया हो और चेहरे पर टैटू बनवाया हो.

इस पूरे मामले पर अपनी बातों को विराम देते हुए हम शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और उसके जनरल सेक्रेटरी गुरचरण सिंह ग्रेवाल से बस इतना कहना चाहेंगे कि मुद्दा माफ़ी नहीं है वो इस पूरे मामले की जांच करें और यदि वीडियो में दिख रहा व्यक्ति दोषी पाया जाता है तो उसे उसके किये की सजा दें और बताएं कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पंजाब को भारत से अलग नहीं मानती और हर सूरत में वो भारत के साथ है.

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इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं. ये जरूरी नहीं कि आईचौक.इन या इंडिया टुडे ग्रुप उनसे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.

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