'शांति बहाली के लिए वार्ता की मेरी पहल पर भारत ने अहंकारी और नकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, जिससे मैं बेहद निराश हूं. हालांकि, मैं पूरी जिंदगी छोटे लोगों से मिला हूं, जो ऊंचे पदों पर बैठे हैं, लेकिन इनके पास दूरदर्शी सोच नहीं होती है.' इमरान खान का यह ट्वीट भारत के उस फैसले के बाद आया है जब भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर विदेश मंत्रियों की प्रस्तावित मुलाकात रद्द करने की घोषणा कर दी. इमरान खान के इस ट्वीट से उनकी बौखलाहट साफ़ तौर पर देखी जा सकती है. हालांकि, बौखलाहट के साथ ही इमरान खान का यह बयान उनकी अपरिपक्वता, अनभिज्ञता और नासमझी की भी एक झलक दे जाता है.
भले ही सीधे तौर पर इमरान ने किसी का नाम नहीं लिया है मगर इमरान का इशारा भारत के प्रधानमंत्री की ओर ही है. वैसे अगर पाकिस्तान का प्रधानमंत्री भारत जैसे बड़े देश के प्रधानमंत्री को छोटा कहे तो इससे ज्यादा हास्यपद कुछ हो नहीं सकता. क्योंकि दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री की हैसियत क्या होती है, यह बात शायद ही किसी से छुपी हो कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री पाकिस्तानी सेना की कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं है, और वहां अपने पद पर बने रहने के लिए सेना की कितनी रहमो करम की जरूरत होती है. वैसे पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों को इस बात के लिए भी याद किया जाता है कि अब तक किसी भी प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल तक पूरा नहीं किया है और साथ ही पद से हटने के बाद ज्यादातर प्रधानमंत्रियों को या तो जेल की हवा खानी पड़ती है या फिर विदेशों में सर छुपाने के लिए जगह ढूंढ़नी पड़ती है. हालांकि, नए नवेले प्रधानमंत्री इमरान खान इस समय किसी खुशफहमी के शिकार लगते हैं.
हालांकि, बातचीत के लिए उतावले दिख...
'शांति बहाली के लिए वार्ता की मेरी पहल पर भारत ने अहंकारी और नकारात्मक प्रतिक्रिया दी है, जिससे मैं बेहद निराश हूं. हालांकि, मैं पूरी जिंदगी छोटे लोगों से मिला हूं, जो ऊंचे पदों पर बैठे हैं, लेकिन इनके पास दूरदर्शी सोच नहीं होती है.' इमरान खान का यह ट्वीट भारत के उस फैसले के बाद आया है जब भारत ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक से इतर विदेश मंत्रियों की प्रस्तावित मुलाकात रद्द करने की घोषणा कर दी. इमरान खान के इस ट्वीट से उनकी बौखलाहट साफ़ तौर पर देखी जा सकती है. हालांकि, बौखलाहट के साथ ही इमरान खान का यह बयान उनकी अपरिपक्वता, अनभिज्ञता और नासमझी की भी एक झलक दे जाता है.
भले ही सीधे तौर पर इमरान ने किसी का नाम नहीं लिया है मगर इमरान का इशारा भारत के प्रधानमंत्री की ओर ही है. वैसे अगर पाकिस्तान का प्रधानमंत्री भारत जैसे बड़े देश के प्रधानमंत्री को छोटा कहे तो इससे ज्यादा हास्यपद कुछ हो नहीं सकता. क्योंकि दुनिया जानती है कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री की हैसियत क्या होती है, यह बात शायद ही किसी से छुपी हो कि पाकिस्तान में प्रधानमंत्री पाकिस्तानी सेना की कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं है, और वहां अपने पद पर बने रहने के लिए सेना की कितनी रहमो करम की जरूरत होती है. वैसे पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों को इस बात के लिए भी याद किया जाता है कि अब तक किसी भी प्रधानमंत्री ने अपना कार्यकाल तक पूरा नहीं किया है और साथ ही पद से हटने के बाद ज्यादातर प्रधानमंत्रियों को या तो जेल की हवा खानी पड़ती है या फिर विदेशों में सर छुपाने के लिए जगह ढूंढ़नी पड़ती है. हालांकि, नए नवेले प्रधानमंत्री इमरान खान इस समय किसी खुशफहमी के शिकार लगते हैं.
हालांकि, बातचीत के लिए उतावले दिख रहे इमरान को लगता है उनके ही देश में हो रहे चीजों की जानकारी भी नहीं है. इमरान ने जिस खत में भारत से बातचीत की गुजारिश की थी उसमें इमरान आतंवाद पर बात करने को तैयार दिख रहे थे, मगर उनके ही नाक के नीचे पाकिस्तान पोस्ट कश्मीर में मारे गए आतंकवादी बुरहान वानी की याद में पोस्टल स्टाम्प जारी कर रही है. पाकिस्तान पोस्ट ने तो आतंकी बुरहान और उसके दो सहयोगियों को शहीद और 'फ्रीडम आइकॉन' तक करार दे दिया. अब जिस देश में आतंकवादियों का इतना महिमामंडन किया जाय, वहां का प्रधानमंत्री आखिर किस मुंह से आतंकवाद पर बात कर सकता यह शायद इमरान ही बेहतर ढंग से बता पाएंगे. वैसे शायद इमरान को इस बात की भी जानकारी लगती नहीं कि उनके देश की गिनती विश्वभर में ऐसे मुल्क के रूप में होती है जो आतंकियों का पनाहगाह है, और इसको लेकर पाकिस्तान को कई बार विश्वभर के मंचों पर लानत मलामत झेलनी पड़ी है.
वैसे इमरान को यह भी जान लेने की जरूरत है कि भारत ने पाकिस्तान से कई दफा दोस्ताना सम्बन्ध बनाने कि कोशिश की है, इस प्रयास में भारत के प्रधानमंत्री कई अवसरों पर पाकिस्तान के दौरे पर भी गए हैं. मगर भारत के हर प्रयास के जवाब में भारत को केवल और केवल धोखा ही मिला है. पाकिस्तान ने अब तक भारत के हर शांति प्रस्ताव के बदले भारत की पीठ में छुरा घोंपना ही बेहतर समझा है. हालांकि, इस बार समय रहते ही भारत ने पाकिस्तान के रश्मअदाएगी बातचीत से तौबा कर बेहतर फैसला किया है. क्योंकि प्रधानमंत्री बदलने के बावजूद पाकिस्तान की नियत बदली हो ऐसा कुछ लगता नहीं है.
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